नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर से हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा के साथ।
-- --बीस-
जिजीविषाRaviratlami |
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--उन्नीस—
मनुज प्रकृति से शाकाहारीपं.डी.के.शर्मा"वत्स" |
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--अट्ठारह—
कार्टून: मैं मुंबई जा रहा हूँ.Kirtish Bhatt, Cartoonist |
--सत्तरह—
चंचल चित ..ये मन मोरा .....!!अनुपमा त्रिपाठी... |
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--सोलह—
मन के आँसू [ताँका]डॉ. हरदीप संधु |
सागर से गहरी संवेदनाएँ पावनता इनकी डूबकर ही जानूँ ! |
--पन्द्रह—
ईश्वर जो भी करता है मनुष्य के भले के लिए अच्छा ही करता है ...महेन्द्र मिश्र |
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--चौदह—
क्या तुम मुझे छोड़ के जा रही हो "जोया"***venus****"ज़ोया" |
मानी के अन्वेषिका , खुद के मानी खोजते खोजते तुम से आ मिली थी हू ब हू मुझसी दिखती
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--तेरह—
अब बोल कर ढूंढिए जानकारियाँनवीन प्रकाश |
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--बारह—
इस ओम में बहुत प्रकाश हैरंजीत |
ओमप्रकाश अभी पांचवीं कक्षा का छात्र है और देश की सबसे बड़ी दिमागी प्रतियोगिता- आइआइटी के स्तर के सवालों को बखूबी हल कर ले रहा है। विलक्षण प्रतिभा के स्वामी ओम प्रकाश इन दिनों पटना के कुम्हरार में रह कर आइआइटी की तैयारी कर रहा है। |
--ग्यारह—
खुशफहमियों के बीचनिर्मल गुप्त |
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--दस—
रविकर |
तड-पत हम-हम, हर पल नम-नम || अक्सर गम-गम, थम-थम, अब थम | शठ-शम शठ-शम, व्यर्थम - व्यर्थम || |
--नौ—
जयकृष्ण राय तुषार |
मेरा सफर तमाम मगर सर्दियों में है ये सोचकर परिंदे भी उड़ते चले गए रहते थे जिस दरख्त पे वो आंधियों में है |
--आठ—
प्रवीण पाण्डेय |
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--सात—
"दो रोटी" के खातिर अब तो "तिलक लगा" घर वाले भेजेंsurendrshuklabhramar5 |
"ह्रदय विदीर्ण" हुआ देखे ! आँखें नम हैं धरती भीगी "जिन्दा लाश" बने बैठे !! |
--छह—
देवेन्द्र पाण्डेय |
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--पांच—
क्या हमारी मीडिया भटक गयी है ?ZEAL |
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--चार—
"गीत-...गद्दार आ गये हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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--तीन—
कविता : अंगूठे का सहारामुकेश कुमार तिवारी |
जब विज्ञान नही समझ पाता है किसी बात को रुक जाता है किसी रूल ऑफ थम्ब पर लेते हुए सहारा अंगूठे का तर्कों को ठेंगा दिखाते हुए |
--दो—
"माँ"अमित श्रीवास्तव |
एक ओस की बूंद, जिसमे चमक सूर्य सी, शीतलता अमृत सी, तरल सी फिर भी समग्र, |
--एक--
रंगमंच से : दब न जाये कहीं भारत-पाक की एक सम्मिलित आवाजअभिषेक मिश्र |
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आज बस इतना ही!
अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।
तब तक के लिए हैप्पी ब्लॉगिंग!!
अच्छी लिंक्स के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
सुन्दर प्रस्तुति ,हार्दिक बधाई ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर, मेरे लिए बहुत से नए लिंक्स ||
जवाब देंहटाएंमनोज जी नमस्कार ..!!बढ़िया चर्चा है ...आभार ...मेरी कृति के चयन के लिए....
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंमेरी रचना भी
सुखद आश्चर्य ||
बहुत-बहुत आभार ||
बढ़िया चर्चा .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा संजोयी है ... आभारी हूँ आपने समयचक्र की पोस्ट को सम्मिलित किया ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद कुछ नए लिंक देने के लिए
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ,आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सटीक चर्चा।
जवाब देंहटाएंक्रमानुसार सार्थक चर्चा .आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा, सुन्दर लिंक्स... आभार
जवाब देंहटाएंसभी की रचनायें तो पढ़ूंगा ही। सर्वप्रथम सभी मित्रों के लिन्क देने के इस सुंदर तरीके के लिये आपको बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंपठनीय लिंक्स।
जवाब देंहटाएंसंतुलित चर्चा में आपका कोई जवाब नहीं है मनोज जी बहुत सुन्दर तरीके में प्रस्तुत करते हैं आप चर्चा .आभार
जवाब देंहटाएंअछे लिंक्स मिले.आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ,हार्दिक बधाई ...
जवाब देंहटाएंअच्छी लिंक्स के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंअनुभवी हाथों से तैयार की गई,
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा!
आज की चर्चा में आपने कई बहुत बढ़िया उपयोगी लिंक दिए हैं ! आभार स्वीकारें
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना के चयन के लिए आभारी हूँ .
जवाब देंहटाएंनिर्मल गुप्त
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंaapka prayas spsttaya parilakshit ho raha hai,,safal bhi hua ,,hardik badhayiyi
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