नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर से हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा के साथ।
--बीस--
एपार जौनपुर - ओपार जौनपुर ..मादरडीह गांव -2मा पलायनम ! पर डॉ. मनोज मिश्र |
जौनपुर केक्रमबद्ध इतिहास लेखन के लिए बगैर ठोस साक्ष्यों के ,संकेतक साक्ष्य आज भी बेमानी प्रतीत हो रहें हैं . आज तो पुरातत्व उत्खनन के लिए हमारे पास विकसित और समुन्नत तकनीक है ,यदि भविष्य में जौनपुर के चुनिन्दा स्थलों पर पुरातात्विक उत्खनन संपादित करवा दिए जाएँ तो उत्तर भारत का इतिहास ही नहीं अपितु प्राचीन भारतीय इतिहास के कई अनसुलझे सवालों का जबाब भी हमें यहीं से मिल जायेगा । |
--उन्नीस—
एक मकबरा जिसकी नक़ल पर "ताजमहल" बना है.कुछ अलग सा पर गगन शर्मा, कुछ अलग सा |
हिंदुस्तान में मुगलों का वह प्रारंभिक दौर था। बाबर के बाद हुमायुं ने शासन की बागडोर संभाली तो थी पर शेरशाह से हार कर उसे भागते-छुपते रहना पड़ रहा था। तमाम मुश्किलातों को झेलने, दर-दर की ठोकरें खाने के बाद फिर उस पर एक बार किस्मत मुस्कुराई और सन 1955 में वह फिर एक बार बादशाह बना पर सिर्फ साल भर केलिए। |
--अट्ठारह—
यू के क्षेत्रीय हिंदी सम्मलेन 2011स्पंदन SPANDAN पर shikha varshney |
भारत से डॉ. पंचाल, डॉ. पालीवाल, रूस, इजराइल, डेनमार्क, आदि से विद्वान् और हिंदी के प्राध्यापक, केम्ब्रिज के प्रोफ़ेसर एश्वार्ज कुमार और बहुत से स्थानीय गुणीजन ,वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार आये थे अपना अपना व्याख्यान देने . और इन सबके साथ हमें भी अपना व्याख्यान देना था. सो जी हमने भी वेबपत्रकारिता को बनाया मुद्दा और डंके की चोट पर कह दिया कि " वसुधैव कुटुम्बकम " के नारे को आज की तारीख में कोई चरितार्थ करता है, तो वो है वेब पत्रकारिता. |
--सत्तरह—
अंतरिक्षयान का वर्णन भी है यजुर्वेद मेंसुधीर राघव पर सुधीर |
अगर किन्ही पराग्रहियों ने मनुष्य को धरती पर बसाया तो यहां तक वे किन यानों से पहुंचे, ये कैसे थे, किससे बने थे और इन्हें क्या कहा जाता था ये सब सवाल उठते हैं। इनका जवाब यजुर्वेद के तेइसवें अध्याय में मिलता है। इन यानों को अश्व कहा जाता था। और ऐसे अश्व की चाह इन्सानों में भी रही और धरती पर साधन के रूप में मिले घोड़े में उन्होंने इसी नाम से पुकारा। परिवहन का यह साधन भी हवा से बातें करे यह मनुष्य की इच्छा रही और मुहावरों तक में झलकी।इस अध्याय के ग्याहरवें श्लोक के सवालों में से एक है कि स्वर्ग पर्यंत पहुंचने वाला महान पक्षी कौन है। इसका जवाब अगले श्लोक में यह कहकर दिया गया है कि अश्व ही स्वर्ग पर्यंत पहुंचने वाला महान पक्षी है। |
--सोलह—
जयपुर की वेधशाला-जंतर-मंतरभारत दर्शन ......Bharat Darshan पर Alpana Verma |
सन २०१० में विश्व सांस्कृतिक निकाय यूनेस्को ने जयपुर के 18 वीं सदी के जंतर-मंतर को वर्ल्ड हैरिटेज सूची में शामिल किया है.तब से ही यह राजस्थान की पहली व देश की २३ वीं सांस्कृतिक धरोहर बन गया है.यूँ तो राजस्थान का भरतपुर घना पक्षी अभयारण्य पहले से वर्ल्ड हैरिटेज की सूची में है,परंतु वह प्राकृतिक हैरिटेज सूची में है. |
--पन्द्रह—
कैंसर का इलाज़ एसआरबीटी सेस्वास्थ्य-सबके लिए पर कुमार राधारमण |
इस तकनीक से ज़्यादा मात्रा में रेडिएशन दिया जा सकता है जिसका बहुत कम दुष्प्रभाव होता है। इमेज गाइडेंस और रैपिड आर्क जैसी नवीनतम पद्धतियों से रेडिएशन की सूक्ष्म किरणें सिर्फ कैंसर तक सीमित रखी जाती हैं। सामान्य कोशिकाओं को रेडिएशन से बचाया जा सकता है। यह इलाज १-५ चरणों में पूरा हो जाता है, इसके विपरीत साधारण रेडियोथैरेपी में ३०-३५ चरणों की ज़रूरत होती है |
--चौदह—
कुछ इधर की कुछ उधर कीक्रांति स्वर..... पर Vijai Mathur |
आज ०२ जूलाई को हमारे नगर में होम्योपैथी के जनक डा.हैनीमेन का निर्वाण दिवस मनाया जा रहा है और ०४ जूलाई को स्वामी विवेकानंद का भी निर्वाण दिवस है,इधर ग्रहों की आकाशीय स्थिति में भी जो परिवर्तन हो रहा है उसका भी व्यापक प्रभाव होगा अतःआज कुछ इधर की कुछ उधर की --- |
--तेरह—
५२-मेरा दिल ले गई है वो-----(अजय की गठरी)गठरी पर अजय कुमार |
ये मेकअप में छुपे चेहरे , मुझे कुछ कुछ नहीं होता । |
--बारह—
प्यार के प्रतीक ढूंढना...............कवि योगेन्द्र मौदगिल पर योगेन्द्र मौदगिल |
अब ना रोमां-ग्रीक ढूंढना. पत्थरों से दोस्ती हो तो, मेरे सा हक़ीक ढूंढना. प्रेम-धागा खो गया कहीं, ध्यान से बारीक़ ढूंढना. |
--ग्यारह—
कैलेण्डर ज़िन्दगी काज़ख्म…जो फूलों ने दिये पर वन्दना |
ये कविता जुलाई माह के गर्भनाल अंक मे छपी है और अभी तक आपने इसे पढा भी नही है तो आज ये आपके समक्ष है। |
--दस—
तू न आना इस देस,लाडो...गूंजअनुगूंज/GUNJANUGUNJ पर मनोज भारती |
स्त्रियों को अपने लिए वाणी जुटानी होगी। और उनको वाणी तभी मिल सकती है सब दिशाओं में,जब तुम यह हिम्मत जुटाओ कि तुम्हारी अतीत की धारणाओं में निन्यानवे प्रतिशत अमानवीय हैं। और उन अमानवीय धारणाओं को चाहे कितने ही बड़े ऋषियों-मुनियों का समर्थन रहा हो,उनका कोई मूल्य नहीं है। |
--नौ—
बहस के हवाले समलैंगिकतासरोकार पर Prakash Ray |
ठीक दो साल आज के दिन दिल्ली उच्च न्यायलय ने अपने ऐतिहासिक फ़ैसले में भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के अंतर्गत अपराध माने गए ‘अप्राकृतिक’ यौन संबंधों के बारे में व्यवस्था दी थी कि वयस्कों के बीच आपसी सहमति से और निजी परिवेश/एकांत (प्राइवेट) में बनाये गए यौन संबंधों को अपराध मानना संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है. इस फैसले पर स्वाभाविक रूप से समलैंगिक संबंधों के पक्षधर और प्रगतिशील तबके ने प्रसन्नता जतायी थी, लेकिन विभिन्न धार्मिक संस्थाओं और धार्मिक-आध्यात्मिक गुरुओं ने धर्म, सभ्यता और संस्कृति की दुहाई देते हुए विरोध किया था जो अब भी ज़ारी है. दस सालों से चल रहा यह मसला अभी सर्वोच्च न्यायलय में है. |
--आठ—
कार्टून: ए ल्लो ... ये मनमोहन से प्रभावित हो गया!!!Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA पर Kirtish Bhatt, Cartoonist |
--सात—
गाँव में देवी पूजन : अष्टबलिKAVITARAWAT पर कविता रावत |
इस क्रम में जबमुझे कई लोगों ने यह जानकारी दी कि हमारे अधिकांश गाँवों में लोगों ने आपस में मिल-बैठ गहन विचार-विमर्श कर राजी ख़ुशी से अब पशुओं के बलि पर प्रतिबन्ध लगा रखा है तो मुझे यह सुनकर बहुत आत्मसंतुष्टि मिली। |
--छह—
(दोहे) कुँवर कुसुमेश |
अवगाहन के योग्य है,सूरज का साहित्य. तेरह लाख गुना बड़ा,पृथ्वी से आदित्य. ग्रह -उपग्रह पर जीत की,लगी हुई है होड़. प्रकृति संतुलन को रहा,मानव तोड़-मरोड़. क्या बसंत क्या शरद ऋतु,क्या गर्मी बरसात. पृथ्वी अपनी धुरी पर,घूम रही दिन रात. |
--पांच—
एक के बाद एकन दैन्यं न पलायनम् पर praveenpandeypp@gmail.com (प्रवीण पाण्डेय) |
एक अँग्रेज़ी फिल्म है, गारफील्ड। गारफील्ड एक बिल्ले का नाम है जो अपने मालिक पर अपना एकाधिकार समझता है। एक दिन उसका मालिक, न चाहते हुये भी, अपनी प्रेमिका के दबाव में ओडी नाम का एक छोटा सा कुत्ता घर ले आता है। एकाधिकार से वंचित गारफील्ड सदा ही किसी न किसी जुगत में रहता है कि किस तरह वह ओडी को घर के बाहर भटका दे। एक दिन वह सफल हो जाता है और ओडी सड़क पर होता है। |
--चार—
एकांत नाच की भूमिकाएक आलसी का चिठ्ठा पर गिरिजेश राव Girijesh Rao |
एक तनी हुई रस्सी है जिस पर मैं नाचता हूँ। |
--तीन—
हमारी खबर से बेखबर बहता चला आता है जीवनकबाड़खाना पर Ashok Pande |
जैसे तुम पहली बार उजाले में आई हो |
--दो—
प्रदीप जिलवाने की कविताएंअनहद पर अनहद/aNHAD |
तब भी साध रही होती हैं जितने धैर्य के साथ नजर आती है अमूमन |
--एक--
जमीला, सारा, दारा और सरकोजीsharadakshara पर Dr (Miss) Sharad Singh |
परंपरा और स्वतंत्रता के बीच गहरी खाई होती है जिसे एकमुट्ठी रेत से पाटा नहीं जा सकता है, पुल जरूर बनाया जा सकता है बशर्ते खाई की गहराई में झाकें बिना उस पर चलने का साहस किसी में हो। अंतर्रात्मा की आवाज कुछ ही पल में सब कुछ बदल सकती है लेकिन कानून किसी बात को विरोध सहित मनवा सकता है, निर्विरोध नहीं। |
बस आज इतना ही।
अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।
तब तक के लिए हैप्पी ब्लॉगिन्ग!
शुभप्रभात ..मनोज जी ..सधी हुई सुंदर चर्चा ..और बेहतरीन लिंक्स ...आभार...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा ...
जवाब देंहटाएंअच्छे लिनक्स ..
आभार !
बीस ब्लॉगों का चयन!
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार जी को नमन!
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रविवासरीय चर्चा बहुत शानदार रही!
अच्छे लिंक्स.
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान दिया.आभार.
नए अंदाज में लगाई चर्चा ....!
जवाब देंहटाएंबहुत सारे महत्वपूर्ण लिंक मिले .. आभार !!
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक ,अच्छी चर्चा ,आभार
जवाब देंहटाएंbehtreen chacha... aur bhut hi aache links....
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा ...
जवाब देंहटाएंlink bahar nahi khulne se bahut asubidha hoti hai..
जवाब देंहटाएंkripya dhyan de
मनोज कुमार जी का विशेष आभार मेरे लेख को शामिल करने हेतु.दुसरे अच्छे लिक्स के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंमनोज जी, सुप्रभात।
जवाब देंहटाएंbahut sundar sarthak charcha countdown achchha laga.
जवाब देंहटाएंआज की बहुत लिंक्स पढ़ी हुयी थी, अच्छी थीं।
जवाब देंहटाएंsadhi hui saarthak charcha.ismen mujhe sthaan dene ka bhaar.
जवाब देंहटाएंक्रम बार व्यवस्थित २० लिंक के साथ बहुत सुन्दर चर्चामंच.....इस चर्चा में मुझे शामिल करने के लिए आपका बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सारगर्भित लिंक्स के माध्यम से सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा!
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