नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर से हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा के साथ।
आज महान साहित्यकार प्रेमचंद जी का जन्मदिन है। उन्हें नमन करते हुए आज की चर्चा शुरु करते हैं।
--बीस-
तसल्लीkavita verma |
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आपने भारतीय परिवेश व मानसिकता को बड़े ख़ूबसूरत और संतुलित रूप से पन्ने पर उतारा है। |
--उन्नीस—
एक गहरा वजूद - असीमा भट्टरश्मि प्रभा... |
बहुत कुछ खोया है .... बहुत कुछ पाया है . अब तो बात जिद्द पे आ गई है - अब तो जिंदगी से सूद समेत वापस लेना है और उसे भी देना पड़ेगा . |
ब्लॉगर से मिलवाने का यह एक अच्छा प्रयास है और उनके द्वारा व्यक्त विचार भी बहुत अच्छे हैं। |
--अट्ठारह—
स्वार्थी दुनियादीप्ति शर्मा |
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प्रेरक प्रसंग! |
--सत्तरह—
Safe Mode काम नहीं कर रहा? ठीक कीजिये आसानी सेनवीन प्रकाश |
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नवीन जी हमेशा काम की जानकारी देते रहते हैं। |
--सोलह—
आत्मग्लानि.......Suresh Kumar |
तू मेरे घर में बैठा था, तुझे मैं झाँक ना पाया, मेरे जीवन में तेरा मुल्य, समझ ये आ गया मुझको, तू इश्वर है, विधाता है, मन में रख लिया तुझको, ये जीवन तुझपे अर्पण हो, अब मैने ठानी है, ये मेरी आत्मग्लानि है,ये मेरी आत्मग्लानि है... |
कवि --- सरल और सहज मुहावरे में इस कठिन समय को कविता में साधते हैं। |
--पन्द्रह—
अंग्रेजी के वर्चस्व पर लगेगी लगामशिक्षामित्र |
संघ लोक सेवा आयोग की यह पहल उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में चयन की उम्मीद रखने वाले प्रतिभागी अब अपनी मातृभाषा में मौखिक साक्षात्कार देने के लिए स्वतंत्र हैं। अब तक यूपीएससी की नियमावली की बाध्यता के चलते जरूरी था कि यदि परीक्षार्थी ने मुख्य परीक्षा का माध्यम अंग्रेजी रखा है तो साक्षात्कार भी अंग्रेजी में देना होगा। जाहिर है, आयोग के इस फैसले से ऐसे प्रतिभागियों को राहत मिलेगी जो अंग्रेजी तो अच्छी जानते हैं लेकिन इसके संवाद संप्रेषण व उच्चारण में उतने परिपक्व नहीं होते, जितने महंगे और उच्च दज्रे के कॉन्वेंट स्कूलों से निकलकर आए बच्चे होते हैं। |
बहुत अच्छी खबर है। |
--चौदह—
बिजली फूँकते चलो, ज्ञान बाटते चलो प्रवीण पाण्डेय |
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ऊर्जा संरक्षण पर प्रेरक आलेख। |
--तेरह—
बाम-इस्लाम और समोसा कूटनीति !पी.सी.गोदियाल "परचेत" |
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एक विचारोत्तेजक आलेख। |
--बारह—
दिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको कुँवर कुसुमेश |
अदब की रोशनी शायद दिखा दे रास्ता उसको. 'कुँवर'ख़ुद पर भरोसा और मौला पर भरोसा रख, भरोसा जिसको मौला पर है मौला देखता उसको. |
जिंदगी की सूक्ष्म सच्चाइयां ग़ज़ल में खूबसूरती से बयां हो रही है। |
--ग्यारह—
महिला अपराधों की राजधानी दिल्ली और दबंग अपराधीअभिषेक मिश्र |
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सशक्त, विचारोत्तेजक आलेख। |
--दस—
अन्ना को मना है.Kirtish Bhatt, |
तीखा कटाक्ष! |
--नौ—
सुक्खू चाचा की अंतिम थालीNirmesh |
काठ मार गया गिरते गिरते उन्होंने दीवाल थाम लिया बोले सहूईन एहे त दू चार घर बचा रहा जेकर हमका असरा रहा जिनगी हत गयल ई पिसे वाली मशिनिया से कै |
इस कविता में जीवन के विरल दुख की तस्वीर है, इसमें समाई पीड़ा पारंपरिक कारीगरों की दुख-तकलीफ है। |
--आठ—
मनचाहे सपनों कोडा० व्योम |
मनचाहे सपनों को |
नवगीत अभिधेयात्मक एवं व्यंजनात्मक शक्तियों को लिए हुए है। |
--सात—
एक्सपॉयर दवाईयों को आप कैसे फैंकते हैं?डा प्रवीण चोपड़ा |
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एक उपयोगी पोस्ट – अवश्य पढ़ें। |
--छह—
कुमार राधारमण |
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एक काम की बात बताती उपयोगी पोस्ट। |
--पांच—
११ साल का मेहंदीवालाअरुण चन्द्र रॉय |
उत्सवो, तीज त्योहारों पर सावन के सोमवार को राखी से पहले धनतेरस के दिन करवा चौथ पर रहती है उसकी भारी पूछ |
इस कविता में जीवन के जटिल यथार्थ को बहुत सहजता के साथ प्रस्तुत किया गया है। इस कविता में न तो जनवादी तेवर है और न प्रबल कलावादी आग्रह। |
--चार—
सार्वजनिक स्थान पर हम भारतीय यूँ ही नहीं थूकतें हैं ...veerubhai |
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व्यंग्यकार ने थूक के माध्यम से मन की उमंगे, जीवट, जोश के साथ-साथ सामाजिक विद्रूपदाओं, विसंगतियों एवं विवशताओं तथा मानव-मानव में भेद की भावनाओं पर खुलकर कलम चलाई है। |
--तीन—
सुना है आँखों से निःसृत शंखनाद कोरश्मि प्रभा... |
किरणों के पाजेब डाल जब सूरज निकलता है तब चिड़ियों के कलरव से मैं मौन आरती करती हूँ |
बिम्बों का अद्भुत प्रयोग! कवयित्री अपना ही पुराना प्रतिमान तोड़ते नजर आती हैं। यह कविता लोक जीवन के यथार्थ-चित्रण के कारण महत्वपूर्ण है। |
--दो—
'बहादुर कलारीन' - बिखरी हुई, भटकी हुई.समीक्षक- मुन्ना कुमार पांडे |
हबीब साहब के रंगकर्म को नजदीक से जाने वाले यह बखूबी जानते हैं कि बहादुर कलारिन भले ही चरणदास चोर जितना मशहूर न हुआ हो पर यह नाटक हबीब तनवीर के दिल के काफी करीब था | |
एक बेहतरीन समीक्षा! |
--एक--
दक्षिणी सूडान की स्वतंत्रता और स्त्री शक्तिडॉ. शरद सिंह |
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गहन विचारों से परिपूर्ण शोधपूर्ण आलेख। आलेख के बारिक विश्लेषण गहरे प्रभावित करते हैं। स्त्री-शक्ति के महत्व और ताकत का आपने बहुत सुंदर उदाहरण पेश किया है। |
आज बस इतना ही!
अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।
तब तक के लिए हैप्पी ब्लॉगिंग!!
best charcha & best links
जवाब देंहटाएंbadhia charcha ..
जवाब देंहटाएंbadhia links ...
चर्चा मंच आज अच्छी सजी है .
जवाब देंहटाएंआज रविवार है ,थोड़ी फुर्त्सत है ,चर्चा की प्रतीक्षा थी , जो पूरी हुयी ,साधुवाद जी , जो थोड़े बहुत लिंक मैंने देखे ,पसंद आये, सराहनीय प्रयास ,मेधा को आत्मबल देने का यत्न सुन्दर है ...... शुक्रिया जी
जवाब देंहटाएंphotos को alternate क्रम में लगाकर नयापन पैदा कर दिया है आपने.वाह.
जवाब देंहटाएंचर्चा की ये style आकर्षित करती है.
अच्छी चर्चाएँ.
मुझे स्थान दिया,आभार.
आभार ,सार्थक प्रयास के लिये
जवाब देंहटाएंSabse pahle mahan sahityakar Pemchand ji ko aadarnjali...
जवाब देंहटाएंbahut badiya links dete hue unpar saarthak charcha kar prastut karne ke liye aapka bahut-bahut aabhar!
sarthak pryas...
जवाब देंहटाएंवाह. सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति, सार्थक प्रयास
जवाब देंहटाएंब्लाग पर प्रकाशित सामग्री की चर्चा करने का मंच देकर आप एक अच्छा कार्य ही नहीं कर रहे हैं बल्कि लेखन और अच्छे लेखन के लिए रचनाकारों को प्रोत्साहित भी कर रहे हैं। दरअसल हमारे यहाँ वरिष्ठ रचनाकार अभी भी इण्टरनेट से दूर ही हैं, उन्हें इस मैदान में लाने के लिए जो किया जाना चाहिये चर्चा मंच के बहाने आप उसे बखूबी निभा रहे हैं। मेरा पूर्ण सहयोग आपके साथ है।
जवाब देंहटाएंबहुत से अच्छे लिंक मिले आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई ||
@ डॉ. व्योम
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सर जी आपका।
बहुत कम लोग ‘एप्रिसिएट’ करते हैं।
hamesha ki tarah sundar sankshipt sarthak charcha badhai.
जवाब देंहटाएंbhaut hi sarthak charcha.... abhaar...
जवाब देंहटाएंbadhia charcha ..
जवाब देंहटाएंbadhia links ...
पढ़ने के लिए बहुत अच्छे लिंक मिले!
जवाब देंहटाएंपरिश्रम से की गई बढ़िया चर्चा!
सुन्दर चिठ्ठा चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. बेहतरीन लिंकस... बधाई...
जवाब देंहटाएंसादर...
सुंदर सार्थक चर्चा आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
aaj k charchaa mai apne bahut sare rango ko shamil kya , bahut saari janakaari bhi di .
जवाब देंहटाएंthanx alot.