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रविवार, जुलाई 10, 2011

रविवासरीय (10.07.2011) चर्चा

नमस्कार मित्रों!

मैं मनोज कुमार एक बार फिर से हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा के साथ। 

                                       --बीस--

clip_image001 हिंदू कॉलेज: पकड़ा गया ओबीसी फर्जीवाड़ा

भाषा,शिक्षा और रोज़गार पर शिक्षामित्र

डीयू में फर्जी एडमिशन के एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं। रामजस कॉलेज, सत्यवती कॉलेज के बाद अब हिंदू कॉलेज का नया केस पकड़ में आया है। हिंदू कॉलेज ओबीसी कैटिगरी में एक स्टूडेंट फर्जी कास्ट सटिर्फिकेट के सहारे एडमिशन लेने पहुंची थी लेकिन एडमिशन ऑफिसर ने उसके सटिर्फिकेट के फर्जीवाड़े को पकड़ लिया।


                                      --उन्नीस


clip_image002 क्या यही प्यार है-

! कौशल ! पर शालिनी कौशिक

क्या यही प्यार है-

   ''न पीने का सलीका न पिलाने का सऊर ,

ऐसे ही लोग चले आये हैं मयखाने में.''

कवि गोपाल दास ''नीरज''की या पंक्तियाँ आजकल के कथित प्रेमी-प्रेमिकाओं पर शत-प्रतिशत खरी उतरती हैं .भले ही कोई मुझसे सहमत हो न हो पर अमर उजाला के आज के मुख्य पृष्ठ पर छाये एक समाचार ''दुल्हन उठाने आया एम्.एल.सी.का बेटा ''पढ़कर मैं यही कहूँगी.


                                 --अट्ठारह


clip_image003 आखिरी लपक–डॉ नूतन गैरोला

अमृतरस पर डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति

धूमिल आखिरी धुवें का अवशेष
आँधियों का शोर जोरों पे है,
कालरात्रि का भंवर भोर पे है|
कमजोर अँधेरे उठ खड़े हुवे हैं
लुप्त होता जान लौ को
एक शीत मुस्कराहट के संग
अपने उजले भविष्य पर दंग


                                --सत्तरह


clip_image004हर तीसरी भारतीय पत्नी पिटती है और पिटना सही भी मानती है

शोध व सर्वे पर बी एस पाबला

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 35 प्रतिशत महिलाएं हिंसा का शिकार होती हैं जबकि दस प्रतिशत महिलाओं के साथ उनके पार्टनर ही यौन हिंसा करते हैं। नई दिल्ली में जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 39 प्रतिशत पुरुष और महिलाएं यह भी मानते हैं कि पति का पत्नी को पीटना कभी कभी या हमेशासही होता है।


                                  --सोलह—

clip_image005 आखिर ब्लोगर है क्या: एक चिंतन (भाग-1)

pragyan-vigyan पर Dr.J.P.Tiwari

आखिर एक ब्लोगर है क्या?
एक चिन्तक, एक रचनाकार?
एक रिपोर्टर या एक लेखक?
एक कवि, अथवा समालोचक?
अथवा सब कुछ एक ही साथ?


                                  --पन्द्रह


clip_image006 बेनाम दहलीजों को कब नाम मिले हैं .............

ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र पर वन्दना

चलो अच्छा हुआ
अब दहलीज को
लांघकर निकल
जाते हैं लोग
वरना आस के पंख
कब तक इंतजार की
धडकनें गिनते


                                  --चौदह


clip_image007 भगवद गीता १.३

रेत के महल हिंदी पर shilpa mehta

यहाँ दुर्योधन सिर्फ द्रोण से सेना को देखने ही नहीं कह रहा , साथ ही उलाहना भी दे रहा है कि - हे आचार्य - आप महामूर्ख हैं | जब आप जानते ही थे कि द्रुपद ने यज्ञ कर के आपके ही खात्मे के लिए इस धृष्टद्युम्न को जन्म दिया है तो फिर तो उसे युद्ध नीति सिखाना निहायत ही मूर्खता रही आपकी | अब वही आज शत्रु सेना का सेनापति है |


                               --तेरह


ग़ज़ल

tarz.e.byaaN पर daanish

जियो खुद, और जीने दो सभी को
यही हो ज़िन्दगी का सार प्यारे
हमेशा ही ज़माने से शिकायत ?
कभी ख़ुद से भी हो दो-चार, प्यारे
शुऊर-ए-ज़िन्दगी फूलों से सीखो
करो तस्लीम हँस कर ख़ार प्यारे


                                    --बारह


clip_image008 खोया खोया सा मन रहता

मन पाए विश्राम जहाँ पर Anita

जब तारीफों के पुल बांधें

नजरों में जिनकी न आये,

जब सफलता घर की चेरी

पांव जमीं पर न पड़ पाएँ !


                                --ग्यारह


कार्टून: तिहाड़ में .......

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                                    --दस


clip_image010 मेरे प्यार का यही सिला है

मनोरमा पर श्यामल सुमन

ये सच कि मनमीत मिला है
दूरी फिर भी यही गिला है
कुछ न पाया देकर सब कुछ
मेरे प्यार का यही सिला है


                                    --नौ


clip_image011डॉक्टर से बात करने की हिम्मत जुटाएँ

स्वास्थ्य-सबके लिए पर कुमार राधारमण

विश्वास और जीवंत संवाद ये दो ऐसे घटक हैं, जिन पर मरीज और चिकित्सक से संबंध टिके होते हैं। इन दोनों महत्वपूर्ण भावनाओं के बिना चिकित्सक और मरीज का संबंध किसी भी क्षण खत्म हो सकता है। अधिकतर मरीज अपने चिकित्सक से इसलिए तौबा कर लेते हैं और दूसरों के पास इलाज के लिए चले जाते हैं, क्योंकि वे उनसे संतुष्ट नहीं होते। अक्सर मरीज को शिकायत रहती है कि डॉक्टर तो पूरी बात ही नहीं सुनता। विश्वास का पुल टूटने के कई कारण होते हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक का हौव्वा मरीज पर इस कदर हावी रहता है कि इससे अक्सर मरीज में हीनभावना पैदा हो जाती है। वे चिकित्सक के व्यक्तित्व का इतना दबाव महसूस करते हैं कि उनकी दिल की बात दिल में ही रह जाती है।


                                   --आठ


दुनिया बनाने वाले [तीसरी कसम ]

गुनगुनाती धूप.. पर अल्पना वर्मा

उनकी आवाज़ में सुनिए इस गीत को … आपको ज़रूर पसंद आएगा।


                                    --सात

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clip_image013मेट्रो में पिता

आपबीती... पार निखिल आनन्द गिरि

सब उदास लोग, सब अकेले...
और सबसे अकेले पिता..
जिनके मेट्रो में भी गांव है...
और शायद संतोष भी..
कि मेट्रो दिल्ली में ही है....


                                   --छह


clip_image015यमन की आजादी का संघर्ष

सरोकार पर Prakash Ray

बीते महीनों में दो मज़बूत तानाशाहों को भागने पर मजबूर कर चुकी अरब की अवाम अब बाकियों के ख़िलाफ़ लड़ रही है. कहीं यह लड़ाई दीये की लौ के मानिंद मद्धम है तो कहीं ज्वालामुखी की तरह भभक रही है. फ़रवरी के आखिरी दिनों में शुरू हुई यमन की क्रांति तीन दशकों से राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह को लगभग मौत के घाट उतार चुकी है और वह अपने सरंक्षक सऊदी अरब के शाह के उसी हस्पताल में ईलाज करा रहे हैं जहाँ ट्युनिसिया के भागे तानाशाह बेन अली भर्ती है।

                                 


                                   --पांच


clip_image016 एक संस्मरण

कलम पर चंद्रमौलेश्वर प्रसाद

शाम ढल रही थी।  पेड़ों के पीछे सूरज डूबने को था।  चिड़ियों का कलरव एक सुंदर प्राकृत माहौल बनाए हुए था।  उस पर चाय की चुस्की का मज़ा लेते घर के लॉन में  बैठे हम  मित्र गपशप कर रहे थे।  इतने में हमारा फ़्लाइंग सरदार- संतोख सिंह पहुँच गया।


                                   --चार


clip_image017तीन साल बाद बा और बच्चों से मिलन

विचार पर मनोज कुमार

9 जुलाई को गांधी जी राजकोट पहुंचे। तीन साल के बाद वे बा और बच्चों से मिलने वाले थे। आत्मकथा में कस्तूरबाई और दो बच्चों से मिलन के बारे में गांधी जी ने कुछ नहीं लिखा है। पर यह आसानी से समझा जा सकता है कि यह तीन साल का अंतराल बा के लिए कम कठिन नहीं रहा होगा। छोटे भाई की पत्नी होने के नाते घर के सभी सदस्यों की देखा भाल की जिम्मेदारी तो रही ही होगी साथ ही अपने बच्चों की देखभाल भी! पति साथ में नहीं थे इसलिए बा की स्थिति और भी नाज़ुक रही होगी।3


                                    --तीन


clip_image018 ग़ज़लगंगा.dg: लाख हमसाये मिले हैं......

हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल HBFI पर devendra gautam

लाख हमसाये मिले हैं आईनों के दर्मियां.
अजनवी बनकर रहा हूं दोस्तों के दर्मियां.
काफिले ही काफिले थे हर तरफ फैले हुए
रास्ते ही रास्ते थे मंजिलों के दर्मियां.


                                  --दो


clip_image019दिखावा करते हैं सारे कवि

कबाड़खाना पर Ashok Pande

दिखावा करते हैं सारे कवि
और इतना वास्तविक होता है उनका दिखावा
कि वे उस दर्द का भी दिखावा कर लेते हैं
जो उन्हें वास्तव में महसूस हो रहा होता है
और वे जो उनका लिखा पढ़ते हैं
पढ़ते हुए, पूरी तरह महसूस करते हैं
उसका वह दर्द नहीं जो दूना होता है
बल्कि उनका अपना,
जो पूरी तरह काल्पनिक,
सो इन पटरियों पर लगातार चक्कर काटती हुई
दिमाग के मनोरंजन के लिए चाबी लगी


                                    --एक--


सहना, रहना, सहते रहना

न दैन्यं न पलायनम् पर praveenpandeypp@gmail.com (प्रवीण पाण्डेय)

वर्षों हम तो यही समझते रहे कि पीड़ा पहुँचाने की क्षमता ही शक्ति का प्रतीक-चिन्ह है, पीड़ा का भय ही शक्ति का आदर करता है। जीवन भर यही समझ लिये पड़े रहते यदि लगभग 15 वर्ष पहले एक सेमिनार में जाने का सौभाग्य न मिला होता। संदर्भ भारत और पाकिस्तान की सामरिक क्षमताओं पर था और एक प्रखर वक्ता उस पर बड़े तार्किक ढंग से प्रकाश डाल रहे थे। उनके अनुसार, शक्ति को नापने में पीड़ा पहुँचाने की क्षमता से भी अधिक महत्वपूर्ण है की पीड़ा सहने की क्षमता। उस समय लगा कि किसी ने विचारों के कपाट सहसा खोल दिये हैं, हम भी मुँह बाये सुनते रहे। धीरे धीरे जब शक्ति के इस सिद्धान्त की व्याख्या कई उदाहरणों के साथ की गयी तो सामरिक संदर्भों में वह सिद्धान्त मूर्त रूप लेने लगा।

 


आज बस इतना ही।
अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।
तब तक के लिए “हैप्पी ब्लॉगिंग!”

22 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छे लिंक संचयन. अभी तो एक नजर देखी है. चयन प्रभावशाली लगा. मेरी रचना को सम्मिलित कर गौरवान्वित करने हेतु आभार. शेष चयनित सामग्री पढने के बाद.

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  2. मनोज कुमार जी!
    इस खूबसूरत चर्चा के लिए आपका आभार!
    वाकई में आप बहुत परिश्रम करते हैं चर्चा को लगाने में!

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छे लिंक ,अच्छी चर्चा ,आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छे लिंक्स - आभार ... मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए भी आभार ...

    जवाब देंहटाएं
  5. बडी फुर्सत से आपने पोस्‍टें खोजी हैं। आभार।

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  6. सुन्दर चर्चा...बहुत अच्छे लिंक्स...बधाई और धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छे लिंक्स, सार्थक व सटीक चर्चा के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  8. manoj ji,
    aap jis tarah se charcha karte hain vah shayad charcha karne ka sabse sahi dhang hai kyonki aapka nishchit hai ki aap bees blogs ke link shamil karenge.is tarah se in links ko dekhna bhi sahaj ho jata hai.
    mere blog ko bhi sthan dene ke liye aabhar.
    shandar charcha.badhai.

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही संतुलित और रोचक चर्चा..सुन्दर लिंक्स..आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. चर्चा मंच मे बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  11. काफी अलग से और बेहतरीन लिंक्स मिले.आभार आपका.

    जवाब देंहटाएं
  12. अपनी पहुँच बढ़ाते रहने के लिये आपकी चर्चा में आते रहते हैं। सार्थक चर्चा।

    जवाब देंहटाएं

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