नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर से हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा के साथ।
--बीस--
हिंदू कॉलेज: पकड़ा गया ओबीसी फर्जीवाड़ाभाषा,शिक्षा और रोज़गार पर शिक्षामित्र |
डीयू में फर्जी एडमिशन के एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं। रामजस कॉलेज, सत्यवती कॉलेज के बाद अब हिंदू कॉलेज का नया केस पकड़ में आया है। हिंदू कॉलेज ओबीसी कैटिगरी में एक स्टूडेंट फर्जी कास्ट सटिर्फिकेट के सहारे एडमिशन लेने पहुंची थी लेकिन एडमिशन ऑफिसर ने उसके सटिर्फिकेट के फर्जीवाड़े को पकड़ लिया। |
--उन्नीस—
क्या यही प्यार है-! कौशल ! पर शालिनी कौशिक |
क्या यही प्यार है- ''न पीने का सलीका न पिलाने का सऊर , ऐसे ही लोग चले आये हैं मयखाने में.'' कवि गोपाल दास ''नीरज''की या पंक्तियाँ आजकल के कथित प्रेमी-प्रेमिकाओं पर शत-प्रतिशत खरी उतरती हैं .भले ही कोई मुझसे सहमत हो न हो पर अमर उजाला के आज के मुख्य पृष्ठ पर छाये एक समाचार ''दुल्हन उठाने आया एम्.एल.सी.का बेटा ''पढ़कर मैं यही कहूँगी. |
--अट्ठारह—
आखिरी लपक–डॉ नूतन गैरोलाअमृतरस पर डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति |
धूमिल आखिरी धुवें का अवशेष |
--सत्तरह—
हर तीसरी भारतीय पत्नी पिटती है और पिटना सही भी मानती हैशोध व सर्वे पर बी एस पाबला |
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 35 प्रतिशत महिलाएं हिंसा का शिकार होती हैं जबकि दस प्रतिशत महिलाओं के साथ उनके पार्टनर ही यौन हिंसा करते हैं। नई दिल्ली में जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 39 प्रतिशत पुरुष और महिलाएं यह भी मानते हैं कि पति का पत्नी को पीटना ‘कभी कभी या हमेशा’ सही होता है। |
--सोलह—
आखिर ब्लोगर है क्या: एक चिंतन (भाग-1)pragyan-vigyan पर Dr.J.P.Tiwari |
आखिर एक ब्लोगर है क्या? |
--पन्द्रह—
बेनाम दहलीजों को कब नाम मिले हैं .............ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र पर वन्दना |
चलो अच्छा हुआ |
--चौदह—
भगवद गीता १.३रेत के महल हिंदी पर shilpa mehta |
यहाँ दुर्योधन सिर्फ द्रोण से सेना को देखने ही नहीं कह रहा , साथ ही उलाहना भी दे रहा है कि - हे आचार्य - आप महामूर्ख हैं | जब आप जानते ही थे कि द्रुपद ने यज्ञ कर के आपके ही खात्मे के लिए इस धृष्टद्युम्न को जन्म दिया है तो फिर तो उसे युद्ध नीति सिखाना निहायत ही मूर्खता रही आपकी | अब वही आज शत्रु सेना का सेनापति है | |
--तेरह—
tarz.e.byaaN पर daanish |
जियो खुद, और जीने दो सभी को |
--बारह—
खोया खोया सा मन रहतामन पाए विश्राम जहाँ पर Anita |
जब तारीफों के पुल बांधें नजरों में जिनकी न आये, जब सफलता घर की चेरी पांव जमीं पर न पड़ पाएँ ! |
--ग्यारह—
कार्टून: तिहाड़ में ....... |
--दस—
मेरे प्यार का यही सिला हैमनोरमा पर श्यामल सुमन |
ये सच कि मनमीत मिला है |
--नौ—
डॉक्टर से बात करने की हिम्मत जुटाएँस्वास्थ्य-सबके लिए पर कुमार राधारमण |
विश्वास और जीवंत संवाद ये दो ऐसे घटक हैं, जिन पर मरीज और चिकित्सक से संबंध टिके होते हैं। इन दोनों महत्वपूर्ण भावनाओं के बिना चिकित्सक और मरीज का संबंध किसी भी क्षण खत्म हो सकता है। अधिकतर मरीज अपने चिकित्सक से इसलिए तौबा कर लेते हैं और दूसरों के पास इलाज के लिए चले जाते हैं, क्योंकि वे उनसे संतुष्ट नहीं होते। अक्सर मरीज को शिकायत रहती है कि डॉक्टर तो पूरी बात ही नहीं सुनता। विश्वास का पुल टूटने के कई कारण होते हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक का हौव्वा मरीज पर इस कदर हावी रहता है कि इससे अक्सर मरीज में हीनभावना पैदा हो जाती है। वे चिकित्सक के व्यक्तित्व का इतना दबाव महसूस करते हैं कि उनकी दिल की बात दिल में ही रह जाती है। |
--आठ—
दुनिया बनाने वाले [तीसरी कसम ]गुनगुनाती धूप.. पर अल्पना वर्मा |
उनकी आवाज़ में सुनिए इस गीत को … आपको ज़रूर पसंद आएगा। |
--सात—
मेट्रो में पिताआपबीती... पार निखिल आनन्द गिरि |
सब उदास लोग, सब अकेले... |
--छह—
यमन की आजादी का संघर्षसरोकार पर Prakash Ray |
बीते महीनों में दो मज़बूत तानाशाहों को भागने पर मजबूर कर चुकी अरब की अवाम अब बाकियों के ख़िलाफ़ लड़ रही है. कहीं यह लड़ाई दीये की लौ के मानिंद मद्धम है तो कहीं ज्वालामुखी की तरह भभक रही है. फ़रवरी के आखिरी दिनों में शुरू हुई यमन की क्रांति तीन दशकों से राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह को लगभग मौत के घाट उतार चुकी है और वह अपने सरंक्षक सऊदी अरब के शाह के उसी हस्पताल में ईलाज करा रहे हैं जहाँ ट्युनिसिया के भागे तानाशाह बेन अली भर्ती है। |
--पांच—
एक संस्मरणकलम पर चंद्रमौलेश्वर प्रसाद |
शाम ढल रही थी। पेड़ों के पीछे सूरज डूबने को था। चिड़ियों का कलरव एक सुंदर प्राकृत माहौल बनाए हुए था। उस पर चाय की चुस्की का मज़ा लेते घर के लॉन में बैठे हम मित्र गपशप कर रहे थे। इतने में हमारा फ़्लाइंग सरदार- संतोख सिंह पहुँच गया। |
--चार—
तीन साल बाद बा और बच्चों से मिलनविचार पर मनोज कुमार |
9 जुलाई को गांधी जी राजकोट पहुंचे। तीन साल के बाद वे बा और बच्चों से मिलने वाले थे। आत्मकथा में कस्तूरबाई और दो बच्चों से मिलन के बारे में गांधी जी ने कुछ नहीं लिखा है। पर यह आसानी से समझा जा सकता है कि यह तीन साल का अंतराल बा के लिए कम कठिन नहीं रहा होगा। छोटे भाई की पत्नी होने के नाते घर के सभी सदस्यों की देखा भाल की जिम्मेदारी तो रही ही होगी साथ ही अपने बच्चों की देखभाल भी! पति साथ में नहीं थे इसलिए बा की स्थिति और भी नाज़ुक रही होगी।3 |
--तीन—
ग़ज़लगंगा.dg: लाख हमसाये मिले हैं......हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल HBFI पर devendra gautam |
लाख हमसाये मिले हैं आईनों के दर्मियां. |
--दो—
दिखावा करते हैं सारे कविकबाड़खाना पर Ashok Pande |
दिखावा करते हैं सारे कवि |
--एक--
सहना, रहना, सहते रहनान दैन्यं न पलायनम् पर praveenpandeypp@gmail.com (प्रवीण पाण्डेय) |
वर्षों हम तो यही समझते रहे कि पीड़ा पहुँचाने की क्षमता ही शक्ति का प्रतीक-चिन्ह है, पीड़ा का भय ही शक्ति का आदर करता है। जीवन भर यही समझ लिये पड़े रहते यदि लगभग 15 वर्ष पहले एक सेमिनार में जाने का सौभाग्य न मिला होता। संदर्भ भारत और पाकिस्तान की सामरिक क्षमताओं पर था और एक प्रखर वक्ता उस पर बड़े तार्किक ढंग से प्रकाश डाल रहे थे। उनके अनुसार, शक्ति को नापने में पीड़ा पहुँचाने की क्षमता से भी अधिक महत्वपूर्ण है की पीड़ा सहने की क्षमता। उस समय लगा कि किसी ने विचारों के कपाट सहसा खोल दिये हैं, हम भी मुँह बाये सुनते रहे। धीरे धीरे जब शक्ति के इस सिद्धान्त की व्याख्या कई उदाहरणों के साथ की गयी तो सामरिक संदर्भों में वह सिद्धान्त मूर्त रूप लेने लगा। |
आज बस इतना ही।
अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।
तब तक के लिए “हैप्पी ब्लॉगिंग!”
अच्छे लिंक संचयन. अभी तो एक नजर देखी है. चयन प्रभावशाली लगा. मेरी रचना को सम्मिलित कर गौरवान्वित करने हेतु आभार. शेष चयनित सामग्री पढने के बाद.
जवाब देंहटाएंsarthak sanchayan!
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएंbadhiya charcha achche link mile...abhaar
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंब्लॉगर का नया रंग लेकिन आसान और सुंदर
सार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार जी!
जवाब देंहटाएंइस खूबसूरत चर्चा के लिए आपका आभार!
वाकई में आप बहुत परिश्रम करते हैं चर्चा को लगाने में!
अच्छे लिंक ,अच्छी चर्चा ,आभार
जवाब देंहटाएंआप इस चर्चा को प्रतिदिन करना प्रारंभ कर दीजिए
जवाब देंहटाएंवीडियो - नये ब्लोगर डैशबोर्ड से संक्षिप्त परिचय
सार्थक व सटीक चर्चा।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स - आभार ... मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए भी आभार ...
जवाब देंहटाएंsarthak charcha .aabhar
जवाब देंहटाएंबडी फुर्सत से आपने पोस्टें खोजी हैं। आभार।
जवाब देंहटाएं------
TOP HINDI BLOGS !
सुन्दर चर्चा...बहुत अच्छे लिंक्स...बधाई और धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स, सार्थक व सटीक चर्चा के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंmanoj ji,
जवाब देंहटाएंaap jis tarah se charcha karte hain vah shayad charcha karne ka sabse sahi dhang hai kyonki aapka nishchit hai ki aap bees blogs ke link shamil karenge.is tarah se in links ko dekhna bhi sahaj ho jata hai.
mere blog ko bhi sthan dene ke liye aabhar.
shandar charcha.badhai.
बहुत ही संतुलित और रोचक चर्चा..सुन्दर लिंक्स..आभार
जवाब देंहटाएंरोचक चर्चा ||
जवाब देंहटाएंsunder suvyavasthit charcha.
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच मे बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकाफी अलग से और बेहतरीन लिंक्स मिले.आभार आपका.
जवाब देंहटाएंअपनी पहुँच बढ़ाते रहने के लिये आपकी चर्चा में आते रहते हैं। सार्थक चर्चा।
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