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उनकी ये जुल्फ- घनेरे बादल हैं बज्र सी चीर – कभी दिल को —–चली जाती है (भ्रमर) |
हम बच्चे गुलदस्त-शायरी, सुमनों का नारायण |16| अभिव्यंजनाधन, सम्पत्ति, सुख-सुविधा और कीर्ती प्राप्त करनें के बाद भी जीवन में असंतोष की प्यास शेष रह जाती है। कारण कि जीवन में शान्ति नहीं सधती। और आत्म का हित शान्ति में स्थित है। आत्मिक दृष्टि से सदाचरण ही शान्ति का एक मात्र उपाय है। |
मनी मैटर? नो टेंशन, स्कॉलरशिप है न ! -Sapna Kushwaha - स्कूली शिक्षा के बाद छात्र उच्च शिक्षा के सपनों के ताने-बाने बुनने लगते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी उनके सपनों को उड़ान नहीं भरने देती। पर अब उनकी मदद के लिए अ... |
सफ़र ज़ारी आहे मेरी बिटिया 8 साल की है, सप्ताह में दो दिन चित्रकला सीखने जाती है, रंगों के अद्भुत संसार में बहुत रमता है उसका मन, पढ़ाई से भले ही कभी जी चुरा ले पर चित्रकला के प्रति उसकी उत्सुकता देखते ही बनती है। पहले तो लगता था कि मौलिक रंगों के परे नहीं होगी उसकी समझ पर जब चित्रों की गूढ़ता में उसे उतरते देखा तो अपना विचार बदलना पड़ा। |
My Unveil Emotions |
मेरे अतीत ने, मुझको वापस, अपनी गोद में बुलाया है" | अशोक 'अकेला' |
(29)भारतीय नारीअहो पूज्य भारत महिलागण ; अहो आर्य कुल प्यारी , अहो आर्य गृहलक्ष्मी सरस्वती आर्य लोक उजियारी ! [श्रीधर पाठक ] [अगस्त माह २०११ में '' भारतीय नारी'' ब्लॉग पर चर्चा का विषय मुख्य रूप से रहेगा ''मेरी बहन '' .आप सभी सम्मानित योगदानकर्ताओं से आग्रह है की अगस्त माह में ''मेरी बहन ''विषय पर अपनी प्रस्तुति प्रदान करने की अनुकम्पा करे . आप सबके सहयोग की आकांक्षी - शिखा कौशिक ] व्यवस्थापक |
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(35) क्या स्त्रियों की आर्थिक स्वतंत्रता बढ़ते तलाक का कारण है ? कई बार सुनने को मिलता है की स्त्रियों की आर्थिक स्वतंत्रता घरों को तोड़ रही है । आखिर कैसे ? यदि पुरुषों की आर्थिक स्वतंत्रता घरों को नहीं तोड़ रही तो स्त्रियों की आर्थिक स्वतंत्रता परिवारों को कैसे तोड़ सकती है भला ? स्त्रियाँ यदि नौकरी करती हैं तो पति आर्थिक जिम्मेदारियों को भी साझा करती हैं , जिससे पति पर अनावश्यक बोझ नहीं रहता ।मैंने तो आज तक यही देखा और सुना है की स्त्री परिवारों को सदैव जोडती है और रिश्तों को बनाए रखने में अहम् भूमिका निभाती है । फिर वह परिवारों के टूटने का सबब कैसे हो सकती है ? |
रविकर जी!
जवाब देंहटाएंआपने आज की चर्चा में बहुत अच्छे लिंक पढ़ने के लिए दिये हैं!
सभी लिंक भी खुल रहे हैं!
aadeniy ravikar ji....apka kavyamay nimantran patra behad pasand aaya..links bhi dher sare diye hain..
जवाब देंहटाएंbadhai aur sadar pranam ke sath
बहुत सुन्दर चर्चा रहा! ढेर सारे अच्छे लिंक्स मिले! मेरी ब्लॉग चर्चा में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंएक विशिष्ट शैली में यह चर्चा है। सार्थक लिंक प्राप्य है।
जवाब देंहटाएंमेरे आलेख को चर्चा-मंथन पर चढाने का आभार!
बहुत सुन्दर चर्चा...अच्छे लिंक्स मिले, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स, धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंएक अच्छा ठिकाना मिल गया स्तरीय ब्लॉग पढ़ने का।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा...बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स के साथ ...विस्तृत चर्चा के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंलिंक्स तो अच्छे हैं ही..
जवाब देंहटाएंअंदाज बहुत निराला है।
शुक्रिया
charcha ki khoobsoorti dekhte hi banti hai! kafi mehnat hui hai! iske liye badhai kabule! selection was also good!
जवाब देंहटाएंravi ji aapki charcha sadaiv ek anokha ahasas karati hai .bahut shandar prastuti hai .
जवाब देंहटाएंravi ji ham aapki sabhi post kuchh kahna hai aur dinesh ki dillagi par padh rahe hain par window ki problem ke karan comment nahi kar pa rahe hain plz aap pop up window ka istemal kijiye kyonki vahan ham comment kar pa rahe hain .jaise yahan charcha manch par lagayi gayi hai.kripya dhyan de ye kam turant kijiye.aabhar
बहुत सुन्दर चर्चा रहा! ढेर सारे अच्छे लिंक्स मिले!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा...अच्छे लिंक्स मिले, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंSUNDAR LINKS SUNDAR CHARCHA
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा...अच्छे लिंक्स!
जवाब देंहटाएंआभार!
रविकर जी!
जवाब देंहटाएंचर्चा में बहुत अच्छे लिंक ....आभार!
रविकर जी!
जवाब देंहटाएंपोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ
achha laga
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर आपका अंदाज बड़ा है निराला ;
जवाब देंहटाएंलिंक्स के फूलों से इसको है सजा डाला .
बहुत सुन्दर व् सार्थक चर्चा .''भारतीय नारी ''ब्लॉग को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद .
रोचक अंदाज़ में बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स दिए आपने
रविकर जी!
जवाब देंहटाएंआपने आज की चर्चा में बहुत अच्छे लिंक पढ़ने के लिए दिये हैं!
''HBFI''ब्लॉग को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद .
All of you are invited in bloggers' meet weekly.
A memorable post.
http://hbfint.blogspot.com/2011/07/police-opinion.html
बढिया चर्चा । मेरे ब्लॉग को भी इसमें शामिल करने का आभार । इन ब्लॉग्ज पर तो जाना ही पडेगा ।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स ,बधाई !
जवाब देंहटाएंरविकरजी अभिवादन! आपने आज बहुत अच्छी चर्चा लगाई, बहुत सारे सुन्दर लिंकों में हमारी भी रचना शामिल की...बहुत-बहुत आभार और बधाई
जवाब देंहटाएंकमाल के आइडिए के साथ उत्तम चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर संयोजन और चयन स्तरीय रचनाएं .रविकर्जी बहुत मेहनत करके सजाया है आपने इस चर्चा को .इतना वक्त अपने से हटके औरों को देना कोई आपसे सीखे .करजी शब्द को अन्यथा न लें .छाप गया सो छाप गया ।
जवाब देंहटाएं"अन्नाके हैं आदमी चार ,
फिर क्यों डरती है सरकार ."कृपया इसका बुनकर बनें बढाए इसे आगे ..
आदरणीय रविकर जी -बहुत सुन्दर और सराहनीय प्रयास , अच्छे लेखों , रचनाओ को प्रोत्साहित करना - हिंदी को बढ़ावा देना -साहित्य की तरफ सब का ध्यान आकर्षित करना एक मेहनत भरा और जटिल कार्य है -आज की दुनिया में जब सब अपनों से भी रिश्ते रखने में कन्नी काट रहे इतना संकलन करना चुनना और उन्हें सुन्दर ढंग से प्रस्तुत करना सराहनीय है आप को और चर्चा मंच से जुड़े इस तरह के विद्वद जनों को हार्दिक अभिवादन और शुभ कामनाएं -
जवाब देंहटाएंमेरी रचना --उनकी ये जुल्फें घनेरे बादल हैं -भ्रमर का दर्द और दर्पण से आप ने चुनी हर्ष हुआ -
भ्रमर जागरण जंक्सन पर का भी आप ने लिंक दिया बहुत अच्छा हुआ -
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
maaf kijiyega Ravikar Jee, main us din nahi aa paya yaha. bahut achi charcha sanwari hai aapne. mera blog shamil karne ke liye dhanyawad..
जवाब देंहटाएंIn behtareen links ke liye shukriya...
जवाब देंहटाएंकुच्छ कारण वश देर से आनेके लिये माफी चाहती हूँ..मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार..बहुत अच्छे लिंक ....
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