एक दिन के सिद्दांत
एक दिन के आदर्श
एक दिन का सत्य
एक दिन की अहिंसा
एक दिन खादी
एक दिन की श्रद्धा
एक दिन का स्मरण
आपके भजनों का
आपके त्याग का सादगी का...
मित्रों!आज रविवार है और ब्रॉड-बैंड चल नहीं रहा है ऐसे में तो यही कह सकता हूँ कि केवल ज़िंदा इन्सानों को ही नहीं मुरदों को भी सुरक्षा की जरूरत होती है!!! ऐसे में हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल HBFI पर पढ़िए दिलबाग विर्क जी की यह अग़ज़ल! मगर क्या करें जी! रिश्तों का सोफ्टवेयर ही ऐसा होता है। *इधर कुछ समय से ब्लॉग की दुनिया में आवाजाही बहुत कम हुई है। लिखने - पढ़ने के क्रम में भी व्यवधान हुआ है, फिर भी कुछ न कुछ भीतर घुमड़ता ही रहता है । क्योंकि बिन बुलाए आयेंगी चीटियाँ !
आज हम स्वतंत्र भारत के नागरिक है |यह स्वतंत्रता सरलता से नहीं मिल पाई है | इसके पीछे कई लोगों का योगदान है | कुछ के नाम तो चमके भी पर कई तो गुमनाम ही रह गये क्योंकि गांधी एक विचार है और हम गांधी जी के विचारों को आत्मसात् नहीं कर पाएँ हैं।
ऐसे में तो यही कह सकता हूँ- मुझे ये हक दे दो माँ... तेरी कोख को मैंने है चुना मुझे निराश न करना माँ जीने का हक देकर मुझको उपकार इतना तुम करना माँ अहसास मुझे है तेरे दुख का।
अरे हाँ आज 2 अक्टूबर- लाल बहादुर शास्त्री जी का भी तो जन्मदिन है। देखिए गाँधी जी और शास्त्री जी- हाइगा में !
प्रेम सदा ही मधुर होता है, चाहे लिया जाये या दिया जाये जहां भी होता है यह वहां विश्वास स्वयं उपजता है किसी के कहने या करने की जरूरत ही नहीं पड़ती क्योंकि स्नेह को समर्पित .... होना ही तो प्यार कहलाता है।
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र है लेकिन इसमें भी आपके सहयोग की जरूरत है ! ये ज़िन्दगी है मेरी किसकी नज़र करूँ मैं ।* *मंजिल न हम सफ़र है कैसे सफ़र करूँ मैं ॥
कैसे ज़िकर करूँ मैं ...। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और यशस्वी प्रधानमंत्री रहे स्व. लालबहादुर शास्त्री के जन्मदिवस पर उन्हें स्मरण करते हुए चौंसठ वर्ष व्यतीत हो गए!
अरे...अरे...! ये क्या?....घोड़े और घास की दोस्ती का अनोखा प्रयोग ! उड़ गए पंछी, सो गए हम हमको है लुटने का गम! क्या बतलाएँ बापू तुमको दाने कहाँ गये ! सोनचिरैया फुदकती थी बहुरंगी सोनचिरई मेरे आँगन – बहियार में रोज टुंगती थी दाना, गाती थी गीत मगर फ़ुरसत में ... जहां देखा उफान, लगा ली वहीं दुकान ! ऐसे में तो स्वतंत्र-दोहे ही याद आते हैं, बानगी देखिए ना- प्यार बढ़े मदहोश हों, बेशक औरत मर्द | मदद दूसरा क्यों करे, बढ़ जाए जब दर्द!!
अब हमें क्या पता कि ताऊ आज ताई के हाथों पिटेगा या बचेगा?
इतना ही कह सकते हैं कुछ अलग सा कि क्या इंजिन पर शैतान का साया था ?
लेकिन हा तो चले गुरू जी की शरण में-मेरे गुरु की नगरी~श्री हजूर साहेब को शायद वहाँ ही कुछ ज्ञान और शिक्षा मिलेगी। दशहरा तो आ ही गया है और खुशखबरी आपके लिये……दिवाली की सौगात! अन्त में तो यही कहूँगा कि आप बस मसाला दीजिये, पोस्ट हम बना लेंगे!
आज के दिन भरतभूमि पर
दो फूलों ने जनम लिया
कोटि करों ने इन दोनों को
शत-शत बार नमन किया
एक लाल था लाल बहादुर
एक कहलाया गाँधी
दोनों ही थे सत्य, अहिंसा
और स्वतंत्रता के साथी
"सच्चे धरतीपुत्र"
आज के दिन भरतभूमि पर
दो फूलों ने जनम लिया
कोटि करों ने इन दोनों को
शत-शत बार नमन किया
एक लाल था लाल बहादुर
एक कहलाया गाँधी
दोनों ही थे सत्य, अहिंसा
और स्वतंत्रता के साथी
धन्यवाद मित्रों!
नेट चला तो कल फिर मिलेंगे और आपके लिंकों पर टिप्पणी भी देंगे!
नेट चला तो कल फिर मिलेंगे और आपके लिंकों पर टिप्पणी भी देंगे!
अच्छे लिंक्स ! बढ़िया प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अंदाज में चर्चा की है |बहुत अच्छी रही आभार मेरी पोस्ट के लिए |
जवाब देंहटाएंआशा
हम आपको सूचित करना भूल गए कि आज ब्लॉगप्रहरी के वर्तमान स्वरूप की प्रथम वर्षगाँठ है.
जवाब देंहटाएंइस सम्बन्ध में एक सूचना टिकर प्रदर्शित है.
"आज २ अक्टूबर को ब्लॉगप्रहरी नेटवर्क मना रहा है अपनी दूसरी वर्षगांठ. (वर्तमान प्रारूप की पहली वर्षगाँठ ) आप सभी सदस्यों के सहयोग के लिए हम आभारी हैं. आशा है ..आपका और हमारा साथ यूँ ही बना रहे ताकि हम हिंदी को रोजगार की भाषा के रूप में अंतरजाल पर स्थापित कर सकें.. आप हमें बधाई हमारे नंबर +91-9311357479 पर भेज सकते हैं.. चर्चा में भाग लें "
महापुरुषों को नमन।
जवाब देंहटाएंराष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री को समर्पित आज के इस चर्चामंच की सुंदर प्रस्तुति के लिए आपको बहुत -बहुत बधाई और धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंसारे लिंक्स अच्छे हैं|मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार|
जवाब देंहटाएंमिश्रित युगल का अनुशीलन मुखर हो बयां कर रहा है ,दास्ताँ-ए-जहिनी का ...बहुत प्यारी चर्चा ,शुभकामनायें आप दोनों को , शामिल चर्चाकारों को ,सृजनों को ----
जवाब देंहटाएंसदा की तरह सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंग़ज़ल पसंद आए तो कृपया LIKE करें
समयानुकूल चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार ||
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ||
sir apka blog padh kar kafi acha laga....
जवाब देंहटाएंhttp://www.ankahealfaz.in/
बहुत सुन्दर अंदाज में चर्चा की है |
जवाब देंहटाएंआप तो करते हैं सबका चर्चा
और हमें पसंद है आज का पर्चा
देखिए आप सभी यहां पर
किसने क्या कहा कहां पर
http://blogkikhabren.blogspot.com
अनूठे अंदाज में चर्चा की है आपने.
जवाब देंहटाएंइतने अच्छे लिंकों के बीच अपनी पोस्ट देख कर खुशी हुई।..आभार।
जवाब देंहटाएंnet nahi chalta hai to ham to kheejkar band hi kar dete hain ..ek to samay nahi upar se net ke problem.....aapne net kee problem ke chalte bhi bahut badiya links ke saath charcha prastut kee hai, jiske liye aapka aabhar..
जवाब देंहटाएंGandhi Jayanti kee shubhkamnayen!
चर्चा बहुत सुन्दर अंदाज में है. ..मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए.. आभार |
जवाब देंहटाएंमस्त चर्चा है आज की ...
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार..............
नये अंदाज में चर्चा वाह क्या बात है, गलती से हम भी यहाँ मज़ा आया गया ....
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा.... अच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंबापू और शास्त्री जी को सादर नमन...
सादर आभार..
Bahut sundar tareeke se sajai hai aapne charcha.
जवाब देंहटाएंBahut achche links.
कोई चाहने वाला होता
टूट गया सूरज दीपों में
.
सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स ! बढ़िया प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजन के साथ मेरी रचना को स्थान देने के लिये आपका आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित चर्चा।
जवाब देंहटाएं