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भाई गाफिल एक सेमिनार में व्यस्त हैं आज
निवेदन:- देवनागरी लिपि में अपने ब्लॉग-मित्रों का जीवन-परिचय प्रेषित करने का कष्ट करें |
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----रविकर
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छोटी-छोटी बातों का महत्व : प्रस्तुतकर्ता : मनोज कुमार “मुझे आशा है कि आश्रम की सम्पत्ति को लोग अपनी ही सम्पत्ति समझेंगे। नमक तक आवश्यकता से अधिक नहीं परोसा जाना चाहिए।” बापू तो इस कहावत में विश्वास करते थे, “बूंद-बूंद से घट भरे।” |
(2)" घोटालों की बेल" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") |
आज राम के देश में, फैला रावण राज। कैसे अब बच पाएगी, सीताओं की लाज।। गंगा बहती झूठ की, गिरी सत्य पर गाज। पापकर्म बढ़ने लगे, दूषित हुआ समाज।। |
कहत कत परदेसी की बात। मंदिर अरध अवधि बदि हमसों हरि अहार चलि जात। ससि रिपु बरस, सूर रिपु जुगबर, हररिपु कीन्हों घात। मघ पंचक लै गयो साँवरो, ताते अति अकुलात। नखत, बेद, ग्रह जोरि अरध करि सोइ बनत अब खात। सूरदास बस भई बिरह के, कर मींजे पछतात।। यहाँ दूसरी पंक्ति में एक पक्ष (पन्द्रह दिन) के लिए मन्दिर अरध (घर का आधा-पाख या पक्ष) अवधि और एक माह के लिए हरि अहार (हरि अर्थात् सिंह का आहार- माँस और माँस से मास-महीना) प्रयोग किया गया है।तीसरी पंक्ति में दिन के लिए ससि रिपु (चन्द्रमा का शत्रु सूर्य जो दिन में दिखता है) और रात के लिए सूर रिपु (सूर्य का शत्रु जो रात में दिखता है) प्रयोग किया गया है। इसी प्रकार चौथी पंक्ति में चित्त के लिए मघ पंचक (मघा से पाँचवाँ नक्षत्र चित्रा और फिर चित्रा से चित्त) प्रयोग किया गया है। पाँचवी पंक्ति में इसी प्रकार विष के लिए नखत(27), बेद(4) और ग्रह (9) जोरि अरध करि (27+4+9=40/2=20 बीस, उससे विष) प्रयोग किया गया है। इस प्रकार यहाँ अर्थ का ज्ञान तुरन्त या प्रत्यक्ष रूप से न होकर बड़ी ही कठिनाई से हो रहा है। अतएव यहाँ क्लिष्टत्व दोष है। |
रचना दीक्षित कभी फुर्सत में देखती हूँ अपने घर से पीछे वाले घर की एक विधवा दीवार. तनहा अधमरा पलस्तर दरकिनार हो चुका उससे. शांत, उदास, मायूस |
(5)संत कवि परसरामसंत कवि परसराम का जन्म बीकानेर के बीठणोकर कोलायत नामक स्थान पर हुआ था। इनका जन्म वर्ष संवत 1824 है और इनके देहावसान का काल पौष कृष्ण 3, संवत 1896 है। परसराम जी संत रामदास के शिष्य थे। प्रथम शब्द सुन साधु का, वेद पुराण विचार, सत संगति नित कीजिए, कुल की काण विचार। झूठ कपट निंदा तजो, काम क्रोध हंकार, दुर्मति दुविधा परिहरो, तृष्णा तामस टार। |
(6)गठबंधन राजनीति के नए असमंजसों को जन्म देगा यूपी का चुनावउत्तर प्रदेश में गली-गली खुले वोट बैंक उसकी राजनीति को हमेशा असमंजस में रखेंगे। 1967 में पहली बार साझा सरकार बनने के बाद यहाँ साझा सरकारों की कई किस्में सामने आईं, पर एक भी साझा लम्बा नहीं खिंचा। 2007 के यूपी चुनाव परिणाम एक हद तक विस्मयकारी थे। उस विस्मय की ज़मीन प्रदेश की सामाजिक संरचना में थी। पर वह स्थिति आज नहीं है। |
मनोज कुमार |
(8)जाग देश के स्वाभिमाननीरज द्विवेदीवह शस्य श्यामला भारत माँ, वहाँ खड़ी तुझे दुलराती है। बुलवाती है सारे मौसम, पेड़ों से छाँव दिलाती है। बसंत के सुन्दर फूलों में, महक बन कर बस जाती है। धनलिप्सा में रत भारतवासी, करता है उसका अपमान, अपने जीवन के धनु पर, करो विचारों का संधान॥ जाग देश के स्वाभिमान। |
अतुल श्रीवास्तव अंदाज ए मेरा: वेलडन बंगाल टाईगर......: मान गए आपको। जज्बा हो तो ऐसा। आपके जज्बे को देखकर लगता है कि आपको बंगाल टाईगर ऐसे ही नहीं कहा जाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री |
डा. मेराज अहमद * क़दम इंसाँ का राह-ए-दहर में थर्रा ही जाता है चले कितना ही कोई बचके ठोकर खा ही जाता है नज़र हो ख़्वाह कितनी ही हक़ाइक़-आश्ना फिर भी हुजूम-ए-कशमकश में आदमी घबरा ही जाता है ख़िलाफ़-ए-मसलेहत मैं भी समझता ... |
(12)नई सदी में नारी |
(13)
इस्लाम पर सवाल क्यों आते हैं ?
'डॉ अनवर जमाल '
हिंदू भाई ब्लॉग लिखते है और जिस मत में वे आस्था रखते हैं उसके बारे में वे अक्सर लिखते रहते हैं और आप देखेंगे कि उनकी रीति-नीतियों में कोई मुसलमान वहां कमियां निकालता हुआ नहीं मिलेगा।
इसके विपरीत अगर मुसलमान इस्लाम में आस्था रखता है और वह उसके बारे में लिख रहा है तो आप देखेंगे कि कुछ उत्साही युवा जो हिंदू समझे जाते हैं, अक्सर कमियां निकालने आ जाते हैं।
यह क्या है ?
(14)क्या आप अवगत हैं लौकी और प्याज के गुणों से?कुमार राधारमणप्याज के कुछ ऐसे प्रयोग जिन्हें अपनाकर आप भी कई गंभीर समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं--प्याज को काटकर सूंघने से सिर का दर्द ठीक होता है। - जो खाली पेट रोज सुबह प्याज खाते हैं उन्हें किसी प्रकार की पाचन समस्यायें नहीं होती और दिनभर ताजगी महसूस करते हैं। -मासिक धर्म की अनियमितता या दर्द में प्याज के रस के साथ शहद लेने से काफी लाभ मिलता है। इसमें प्याज का रस 3-4 चम्मच तथा शहद की मात्रा एक चम्मच होनी चाहिए। - गर्मियों में प्याज रोज खाना चाहिए। यह आपको लू लगने से बचाएगा। -प्याज का रस और सरसों का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है। प्याज के 3-4 चम्मच रस में घी मिलाकर पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। |
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर" अब हसरतों से मन भर गया उम्मीदों का सिलसला टूट गया निरंतर नाकामियों से पीछा छूट गया |
सत्येन्द्र गुप्ता(16)अब चिट्ठी पत्री मिले जमाने गुज़र गए तुम्हे गाँव में आये जमाने गुज़र गये। दूधिया रातों में सूनी छत पर बैठ कर वो रूह छू लेने के जमाने गुज़र गये। तालाब के किनारे की लम्बी गुफ्तगू कुछ कहने सुनने के जमाने गुज़र गये। किसकी नज़र लगी जाने मेरी उम्र को वो आइना देखने के जमाने गुज़र गये। आजाओ मेरी रुखसती बेहद करीब है कहोगे वरना ,मिले जमाने गुज़र गये। |
(17)ख्यालों में मत आना .....केवल रामतुमसे है मेरीयही गुजारिश तुम मेरे ...... ख्यालों में मत आना . माना कि मैं हूँ तेरा दिवाना फिर भी करता हूँ प्रार्थना तुम मेरे ख्यालों में आकर मुझे मत सताना . तुम मेरे लिए अपने हो |
(18)चाँद.तुम भी..चाँद तुम भी एक स्त्री को स्त्री न रहने देने के गुनाहगार हो तुम्हारा नाम देकर बूँद बूँद को तरसाया जाता है त्याग और परम्पराओं के नाम पर और जब भी कोई दम तोड़ देती है निर्जला |
(19)जान देकर भी मिले प्यार तो =-=-=-=वृन्दावन V.K. Tiwariमैं तुझे प्यार करूँ या न करूँ ये तो बता / या कि इतना ही बता, प्यार, क्या है मेरी ख़ता? नज़र से नूर-ए-नज़र तुम गए न दूर कभी प्यार में प्यार के मिटते नहीं दस्तूर कभी ये बात, और, तुझे प्यार का भी, हो न पता / |
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सभी स्नेहिल सुधि स्वजनों का सादर अभिनन्दन.... आप सभी शुभचिंतकों के मार्गदर्शन और स्नेह की छाया में चलता/सीखता/अनुभव और स्नेह प्राप्त करता/ एहसासात... अनकहे लफ्ज़ का यह शतकीय १०० वां पोस्ट है... आदरणीय मित्रों, बीते १५ महीनों का अनुभव वैसा ही मधुर रहा है जैसे परिवार के साथ कोई मनमोहक और अविस्मरनीय यात्रा... सचमुच! एक परिवार ही तो है यह ब्लॉग जगत... परिवार... जहां भाई हैं, बहन हैं, मित्र हैं, गुरु/शिक्षक हैं, सद्भावना है, स्नेह है, विश्वास है, एहसास हैं, आशा है, हर्ष है, विमर्श है और उत्कर्ष है.... आप सबसे प्राप्त अपार स्नेह और मार्गदर्शन के लिए सादर आभार व्यक्त करते, जाने अनजाने हुई गलतियों/भूलों के लिए क्षमा याचना करते आप सब से अपने इस नादान 'हबीब' को अपने स्नेहाधीन बनाए रखने के सादर विनम्र निवेदन के साथ यह (१००) पोस्ट आप सब को नमितनयन सविनय समर्पित है.... आभार.
आपकी सदभावनाएँ, संग मेरे सदा आयें
फिर ठहर जीवन डगर पर, सूर सम सद्पथ दिखायें...
आपकी सदभावनाएँ...
(21)
व्यर्थ ताने मारना तो बन्द करिए --
गल्तियों पर कसम खाता गिड़गिडाता--
किन्तु बीबी जब डपटती डूब मरिये
किन्तु बीबी जब डपटती डूब मरिये
हौज में पानी भला किस हेतु भरिये ?
मेरी तुरंती जिन पर तुषारा-पात नहीं हुआ
कुछ और लिंक्स
बाद मरने के मेरे
मर-मर के जी रहे हैं सालों से मित्र हम तो-वो मौत क्या अलहदा कुछ और कष्ट देगी ||
जब आग में जलेगा, नब्बे किलो का लोथा-
पानी-पवन गगन यह धरती भी अंश लेगी ||
मोबाइल हुआ जो स्थिर, तेरह दिनों तक देखा --
तो फोन का वो गाना फिर ना सुनाई देंगा |
जो काल ना करेगी, वो काल वो करेगा --
बस ब्लॉग जो ये छूटे, सच की रुलाई देगा |
नम्बर मिटेगा खुद से, पहले मिटें तो यादें,
वो मौत फिर न मौका, करने विदाई देगा ||
नरक बनाने में जुटे, सारे आमो-ख़ास |
नोच-नोच के खा रहे, खोकर होश-हवाश |
खोकर होश-हवाश, हवश के भूखे बन्दे |
ढोते खुद की लाश, रहे गन्दे के गन्दे |
लाएगा के स्वर्ग, स्वर्ग के जानो माने |
सन्तति का आधार, लगे क्यूँ नरक बनाने ||
मैं छह महीने पुराना हो गया...
आधा-सच
आधा सच कह-कह किया, आधा साल अतीत |
पूरा कहने से बचा, समझे आधा मीत |
आधा समझे मीत, समझदारी है जिनमें |
"समझदार की मौत", हुई न इतने दिन में |
बहुत ही खुशनसीब, तीर जिनपर भी साधा |
क्रांति स्वर.....
बंदरों ने छीनकर, जीवन चलाया |
हाथों को काम में कैसा फंसाया ?
आँख, मुंह, कान का चक्कर अजीब --
मर न जाएँ भूख से बन्दर गरीब ||
क्रांतिस्वर' मे प्रस्तुत "दो कवितायें" मेरी पत्नी पूनम द्वारा रचित हैं मेरे द्वारा नहीं। पूनम ने मन मे आए उद्गारों को रद्दी कागजों पर लिख छोड़ा था जो शायद कभी फट-फिंक भी जाते अतः मैंने उन्हें टाईप करके ब्लाग मे सुरक्षित कर लिया था ||
बंदरों ने छीनकर, जीवन चलाया |
हाथों को काम में कैसा फंसाया ?
आँख, मुंह, कान का चक्कर अजीब --
मर न जाएँ भूख से बन्दर गरीब ||
क्रांतिस्वर' मे प्रस्तुत "दो कवितायें" मेरी पत्नी पूनम द्वारा रचित हैं मेरे द्वारा नहीं। पूनम ने मन मे आए उद्गारों को रद्दी कागजों पर लिख छोड़ा था जो शायद कभी फट-फिंक भी जाते अतः मैंने उन्हें टाईप करके ब्लाग मे सुरक्षित कर लिया था ||
---- विजय माथुर
बड़े सुन्दर और पठनीय सूत्र।
जवाब देंहटाएंआदरणीय रविकर जी!
जवाब देंहटाएंचर्चा को नियमित रखने में आपके योगदान की सराहना करता हूँ!
आभार!
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बहुत अच्छे लिंक दिये हैं आपने आज की चर्चा में!
रविकर जी, सुंदर-मनोरम चर्चा प्रस्तुत करने के लिए बधाई स्वीकार करें।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति. सुंदर लिंक्स. मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने के लिये धन्यबाद.
जवाब देंहटाएंरविकर जी
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाओं से परिचित करवाने हेतु धन्यवाद। मै यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि' क्रांतिस्वर' मे प्रस्तुत ये कवितायें मेरे पत्नी पूनम द्वारा रचित हैं मेरे द्वारा नहीं। पूनम ने मन मे आए उद्गारों को रद्दी कागजों पर लिख छोड़ा था जो शायद कभी फट-फिंक भी जाते अतः मैंने उन्हें टाईप करके ब्लाग मे सुरक्षित कर लिया था और आपने उन्हें इस महत्वपूर्ण 'चर्चा मंच' मे स्थान प्रदान कर दिया। उसके लिए विशेष आभार।
बाकी चर्चाकारों को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि केवल शीर्षक के साथ चुहलबाज़ी तक सीमित न रहें,बल्कि उसके साथ शुरूआती कुछ पंक्तियां अथवा सार दिया जाए ताकि पाठक संबंधित पोस्ट तक जाने को प्रेरित हों,जैसा कि आपने किया है।
जवाब देंहटाएंचर्चा में महारत आदमी को चर्चा महारथी बना देती है।
जवाब देंहटाएंजैसे कि आप बन चुके हैं।
शुक्रिया !
सवालों की श्रेणियां और उनकी मंशा
अच्छे लिंक एक जगह।
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए आपका आभार।
सुन्दर लिंक्स संजोये हैं…………बढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंइक्कीसवी सदी क़ा यह महत्वपूर्ण पूर्वार्ध नारी सशक्तीकरण क़ा काल है। -----सुंदर कथन ..बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बहुतबहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स.... बहुत बढ़िया संकलन...
जवाब देंहटाएंसादर आभार....
रविकर जी, सुंदर चर्चा प्रस्तुत करने के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा आपकी, रविकर जी महाराज,
जवाब देंहटाएंहमरी भी चर्चा हुई, धन्य हुए हम आज!