फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, अक्टूबर 28, 2011

एक साल की बिटिया रानी : चर्चा मंच 681

[37325_103275773056852_100001232891929_18562_7527034_n.jpg]
वल्दः शम्भु नाथ वर्मा
साकिनः कदम कुँआ, पटना,
हाल साकिनः नोएडा.
हम तीन माँ के बेटा हैं,
बृज कुमारी हमको जनम देने वाली,
पुष्पा अर्याणी मेरे अंदर के कलाकार को जन्म देने वाली,
अऊर गंगा माँ जिसके गोदी में बचपन बीता
अऊर कॉलेज (साइंस कॉलेज/पटना विश्वविद्यालय) की पढाई की.
बस ई तीन को निकाल लिया तो हम ही नहीं रहेंगे.
करमनास जलु सुरसरि परई।
तेहि को कहहु सीस नहिं धरई॥
शिक्षा : एम०ए०( हिन्दी ) , पी-एच० डी०
व्यवसाय : एसोशिएट प्रोफ़ेसर
प्रकाशन : विभिन्न पत्रिकाओं में कवितायें , कहानियाँ, समीक्षा , अनुवाद व आलेख प्रकाशित।
विदेशी कविताओं के अनुवाद की दो पुस्तकें
और
पहला कविता संग्रह 'हथिया नक्षत्र और अन्य कवितायें' शीघ्र प्रकाश्य।
2007 से 'कर्मनाशा' व 'कबाड़ख़ाना'
शीर्षक ब्लाग पर
निरन्तर लेखन।
My Photo
नाम-प्रेम सागर सिंह
पिता-स्व.पलटन सिंह
ग्राम+डाकघर-छतनवार,
जिला-बक्सर (बिहार),
शिक्षा- M.A (HINDI) प्रथम श्रेणी ,
LL.B (CALCUTTA UNIVERSITY)
वर्तमान पता- 95/1 ,काशीपुर रोड, कोलकाता-700002 पूर्व सेवा- भारतीय वायु सेना (भूतपूर्व सैनिक), करीब चार वर्ष तक उच्च न्यायालय ,कोलकाता मे अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस किया
लेकिन शायद विधाता को यह रास नही आया एवं मुझे
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय (कोलकाता स्थित कार्यालय) में हिंदी अनुवादक
के पद पर राजभाषा हिंदी की सेवा करने वाले लोगों की सूची में मेरा नाम जोड़ दिया।
दो शव्द अपने बारे में--- इस जिदगी मे माँ , बाबूजी, भैया, भाभी, गुरूजनों, परम सनेही लोगों एवं भगवान ने जो कुछ भी दिया, उसे मैंने जी भरकर प्यार किया और जो मुझे नही मिला, उसका बेसब्री से इंतजार किया ।
उगते सूरज के उजाले में भी खुश रहा एवं गोधूलि के समय भी मन में सम भाव बनाए ऱखा ।
जिन लोगों से मिला उनके दिल में थोड़ी सी जगह बनाए रखने में कामयाब रहा।
एक ही बेटा है (नीरज सिंह उम्र-23)) जिसे भारत माता की सेवा के लिए फौज में भेज दिया।
बस, आप सबसे यही विनती है कि जब कभी भी आपको लगे कि मैं पथ्यांतरण कर रहा हूँ तो उस स्थिति में मेरा हाथ थाम लें।
धन्यवाद।
My Photo
'ये मन की अभिव्यक्ति का सफ़र है, जो प्रति-पल मन में उपजता है...'
डॉ. जेन्नी शबनम
जन्मस्थान भागलपुर, विवाहोपरांत पिछले 20 सालों से दिल्ली में हूँ. जीविकोपार्जन के लिए शुरूआती दिनों में अलग अलग तरह के कई कार्य करती रही. एक प्राइवेट फर्म में लीगल असिस्टेंट के रूप में कार्य किया. फिर लम्बे अंतराल के बाद कुछ साल इंश्योरेंस परामर्शदाता रही.
फिर वो छोड़ कर अपने पुराने पेशे वकालत में वापस आ गई.
साथ हीं एक स्वयं सेवी संस्था की शुरुआत कर उसकी कोशाध्यक्ष बनी जिसके तहत स्कूल कॉलेज का संचालन होता है और समाज सेवा का कार्य होता है. ज़िन्दगी जब जिधर कही चुपचाप उधर मैं चल पड़ी. ज़िन्दगी के खट्टे मीठे अनुभवों की लम्बी फेहरिस्त में से कुछ अपने लिए सँजो लेती हूँ और कविता के माध्यम से ख़ुद को अभिव्यक्त कर लेती हूँ. कुछ लेख भी लिखी हूँ जिसमे मेरे संस्मरण, सोच और सामाजिक सरोकार से सम्बंधित मेरे अनुभव शामिल हैं. कब से लिख रही ये तो अब याद नहीं लेकिन कॉलेज के दिनों की कुछ रचनाएं मेरे पास अब भी है. पहले मेरा लेखन डायरी में हीं ओझल रहता था. एक बार इमरोज़ से मिली और उनको अपनी रचनाओं की डायरी में से कुछ नज़्म पढ़ कर सुनायी. उन्होंने कहा कि इसे छपवाओ, तभी मैंने बताया कि मैं लिखती हूँ ये बात कोई नहीं जानता. उन्होंने मुझे बहुत समझाया कि ''जो भी लिखती हो जैसा भी लिखती हो ये मानो कि अच्छा लिखती हो, छुपाना क्यों? अपनी कविताओं की किताब छपवाओ''. शायद उसके बाद हीं मुझमें हिम्मत आयी और 2008 में जब मैं नेट से जुड़ी तब से अपनी कविताओं को सार्वजनिक की हूँ. समय समय पर राष्ट्रीय और अंतर-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में कुछ कवितायें और लेख प्रकाशित हुए हैं. मेरी कवितायें विशेषकर आज़ाद ख़याल की होती हैं जिनमें रिश्ते और अंतर्मन की बातें ज्यादा होती हैं.
कुछ हाइकु और तांका भी लिखी हूँ.
अब तक किसी भी पुस्तक का प्रकाशन नहीं. 'साझा संसार' पर अपनी सोच और विचारों को संसार से साझा करती हूँ पर 27 लेख हैं 'लम्हों का सफ़र' जिसपर मेरी ज़िन्दगी के हर लम्हों का सफ़र उद्धृत है पर 295 कवितायें हैं डॉ.जेन्नी शबनम सर्वप्रिय विहार नयी दिल्ली

21 टिप्‍पणियां:

  1. "रविकर" जी आपने आज की चर्चा को बहुत ही परिश्रम से सजाया-सँवारा है!
    हर एक छंद में लिंक और उसके बाद ब्लॉगरों का परिचय!
    यह आपके ही बस की बात थी!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूब प्रस्‍तुति .. महत्‍वपूर्ण लिंकों के लिए आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  3. ढेर सारे पढ़े..कुछ बाकी हैं..पढ़ेंगे न आज तो छुट्टी है।

    जवाब देंहटाएं
  4. very beutifully you decorated today's manch ...
    and thanks for selecting my post for this great platform .....
    bhaaidujj k bahut bahut shubhkaamnaayen....

    जवाब देंहटाएं
  5. Jab swayam blogger deewali mana rahe the,tab aap unki posts ko khangalne men jute rahe honge.Vishesh aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  6. bahut acche links...isme meri post ko shamil karne ke liye bahut bahut dhanybad...aabhar

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी चर्चा| बहुआयामी चर्चा |मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  8. सारे लिंक पठनीय , मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार :)

    जवाब देंहटाएं
  9. छंद बद्ध उत्कृष्ट चर्चा .बधाई .संक्षिप्त ही सुन्दर है .

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही बढि़या लिंक्‍स ...प्रस्‍तुति के‍ लिए आभार शुभकामनाओं सहित

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतर लिंक।
    सुंदर प्रस्‍तुति।

    जवाब देंहटाएं
  12. गुप्ताजी देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ! वैसे बहुत ही सुन्दर लगा ! लगता है दिवाली में आप ज्यादा ही व्यस्त थे १ बहुत - बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।