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"धरा के रंग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") - *सभी हैं रंग फीके से,* *धरा के रंग के आगे।*** *इन्हीं को देखकर सोये हुए,*** *अनुभाव हैं जागे।*** *चलाई कूचियाँ अपनी,*** *सजाया कल्पनाओं को।*** *लिए हैं रंग कुदरत से बनाया अल्पनाओं को... |
तीस साल का इतिहास... - तीन, साढ़े तीन दशक !!!! बहुत लम्बा समय होता है यह..एक पूरी जन्मी पीढी स्वयं जनक बन जाती है इस अंतराल में.चालीस से अस्सी बसंत गुजार चुके किसी से पूछिए कि इस... |
जीवमातृका पन्चकन्या तो बचा || - जीवमातृका वन्दना, माता के सम पाल | जीवमंदिरों को सुगढ़, करती सदा संभाल || |
ब्लागिंग पर रवीन्द्र प्रभात की अनुपम पहल .... - इतिहास का मतलब दिक्कालीय परिवेश और घटनाओं के दस्तावेजीकरण का है और इसके लिए इंतज़ार किया जाना प्रमाणिकता को बनाए रखने के लिहाज से जरुरी नहीं है। इतिहास ... |
हूँ मैं एक आम आदमी -होने को है आज अनोखा त्यौहार दीपावली का अभिनव रंग जमाया है स्वच्छता अभियान ने | दीवारों पर मांडने उकेरे और अल्पना द्वारों पर है प्रभाव इतना अदभुद हर कोना ... |
उत्तराखंड के अनदेखे पर्यटक स्थल...... माँ पुण्यागिरि देवी ... -अपने एक आलेख में मैने बताया था कि इस वर्ष ग्रीष्मावकाश का पहला दिन किस तरह जनपद पीलीभीत से कुछ किलोमीटर दूरी पर स्थित उत्तराखंड राज्य के कस्बे टनकपुर में ... |
(107) चरित्र निर्माण प्रथम हो - तब होगा निर्माण राष्ट्र का ,जब चरित्र निर्माण प्रथम हो / जाति- धर्म से ऊपर उठकर, प्रतिभा का सम्मान प्रथम हो / आओ ! मातृभूमि की सेवा का ,... |
" इतना नहीं ख़फा होते" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") - ज़रा सी बात पे इतना नहीं ख़फा होते हमेशा बात से मसले रफा-दफा होते इबादतों के बिना तो खुदा नहीं मिलता बिना रसूख के कोई सखा नहीं होते जो दूसरों के घरों पर उ... |
काम काम काम काम - कामकाज में लीन है, सुध अपनी विसराय | उत्तम प्राकृत मनुज की, ईश्वर सदा सहाय |.... |
गांधी और गोड़से की वापसी -Date- 1 oct 2011 Place. India gate New delhi Time- 10 Am दिल्ली के इंडिया गेट पर इंडिया टीवी का कैमरामैन अपने पत्रकारिता के नाम पर कलंक साथी के साथ ... |
अहसास की कहन - *जिसे जी कर लिखा हो वो छन्द कैसे हो आड़े टेढ़े रास्ते पर चल कर सिर्फ मकरन्द कैसे हो जिन्दगी फूलों सी भी हो सकती है मगर काँटों की चुभन मन्द कैसे हो अशआर पकड़त... |
मन‘मौनी’ की तपस्या, फल मिला हमें - इस दिमाग रूपी हांडी में आज फिर कुछ पक रहा है. दाल में बहुत कुछ काला-काला दिख रहा है. इस दिमागी खिचड़ी में मन‘मौन’ सिंह जी भी पक रहे हैं, यह भी कहा जा सकत... |
पत्तों सा झड़ जाना क्या- *( **ये ग़ज़ल आपा "मरयम गज़ाला" जी को समर्पित है जो अब हमारे बीच नहीं हैं**) * समझेगा दीवाना क्या बस्ती क्या वीराना क्या ज़ब्त करो तो बात बने हर पल ही छ... |
तटस्थता और सुकून .... - मेरी चिर-परिचित सहेली राधिका ने कहा- "दिव्या यदि मैं तुम्हारा साथ दूँगी तो रेवती मुझसे दूर हो जाएगी और इस तरह तो मैं अकेले पड़ जाउंगी । आखिर मैं भी तो एक सा... |
बच्चों के साथ रोज़ जाने कितने ही अनुभव होते रहते हैं। कक्षा २/३ के छात्र-छात्रायें। ७-८ साल के बच्चे। रोज़ ही किसी न किसी वजह से एक बार खुल कर हँस लेने का... |
आरती में कर्पूर का उपयोग क्यों?हिंदू धर्म में किए जाने वाले विभिन्न धार्मिक कर्मकांडों तथा पूजन में उपयोग की जाने वाली सामग्री के पीछे सिर्फ धार्मिक कारण ही नहीं है इन सभी के पीछे कहीं न कहीं हमारे ऋषि-मुनियों की वैज्ञानिक सोच भी निहित है।.... |
*अलविदा जग'जीत'.. 'जग जीत' ने वाली आवाज़ - 'जग जीत' ने वाली आवाज़: बात थोड़ी पुरानी हो गई है। लेकिन बात अगर तारीख़ बन जाए तो धुंधली कहाँ होती है। ठीक वैसे जैसे जगजीत सिंह की यादें कभी धुंधली नहीं होगी... |
अच्छी चर्चा और जानकारी देते लिंक्स |कपूर के उपयोग पर जानकारी बहुत अच्छी |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बहुत सुंदर और शालीन चर्चा के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ||
जवाब देंहटाएंप्रभावी चर्चा |
बहुत-बहुत बधाई ||
http://dcgpthravikar.blogspot.com/2011/10/blog-post_10.html
बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंअत्यन्त पठनीय सूत्र।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग का लिंक देने का बहुत शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंजगजीत सिंह जी की आत्मा को शांति मिले.
bahut sundfar link se sajaya hai aapne charcha manch ko
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स से चर्चा मंच सजाया है।
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक।
आभार......
बहुत ही अच्छी चर्चा के साथ लिंक्स संयोजन ।
जवाब देंहटाएंचर्चा में मेरा लिंक देने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
शुक्रिया मोहतरमा !
जवाब देंहटाएंमेर रचना शािमल करने के िलए आभार |
जवाब देंहटाएंआपका चयन हमेशा प्रभावशाली होता है...प्रबुद्ध पाठक को गंतव्य तक पहुँचाने में चर्चा मंच बेजोड़ है...
जवाब देंहटाएंनीरज
आपके लिंक्स हमेशा बेहद सुंदर होते हैं...चर्चा मंच पर मेरे ब्लॉग की पोस्ट के लियें आपकी आभारी हूँ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं सहित
गीता पंडित