मित्रों!
शनिवार की चर्चा के लिए आज ही ब्लॉगजगत का भ्रमण कर लेता हूँ!
सबसे पहले देखते हैं कि स्पंदन SPANDAN पर इतिहास की धरोहर "रोम"..किस प्रकार से बनी! माना ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र है, मगर आखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते है! इसलिए आज दिवाली की रात, मै रो चुका हूँ! काश लोग समझ पाएँ भ्रष्टाचार गुनाह नहीं: लोकसत्य में ‘मेरा आशियाना’,यह ‘अमन का पैगाम’ लेकर आये हैं ज़नाब मासूम साहिब। *खफा होके भी हमसे वो कहाँ जायेंगे,* *थोडा सा रूठे हुए थे ही,* *थोडा सा और रूठ जायेंगे,* उड़ा ले जायेंगे .....!!!!!!!!* मोहब्बत और जुदाई ....!इसीलिए तो स्वप्न मेरे. कहते हैं- हाथ में सरसों उगा कर देखिये... - धार के विपरीत जा कर देखिये, जिंदगी को आजमा कर देखिये, खिड़कियों से झांकती है रौशनी, रात के परदे उठा कर देखिये! मनुष्य बना कर रखना तुम यह सीख कहीं सीख ही न रह जाए कि मेरे सवालों के दायरे में जब वो होती है तो उसका मन भी मेरी बातों में उलझने लगता है वह मुझे बहलाकर झट से बाहर हो जाती है ऐसी ही तो होती हैं-मन की बातें ...!!! सम्बन्धों की श्रृंखला, निर्विकार - निष्काम | जननी सम भगिनी दिखे, भर-जीवन अविराम || बहना के जियरा बसे, स्नेह परम-उत्ताल | *भइया की लम्बी आयु का,* *माँग रहीं है यम से वर।* * मंगलतिलक लगाती बहना,* *भाईदूज के अवसर पर। याद. आते हो तो कितने ---- अपने -से लगते हो तुम ---- वर्ना, हर लम्हां गुजरता हैं ---- तुम्हारे ख्यालो में, सुन सखी .... - कुछ रिश्ते बेनाम होते हैं कुछ रिश्तों के नाम होते हैं बेनाम रिश्ते में कोई शर्त नहीं होती सिर्फ प्रेम होता है। आने वाला पल जाने वाला है ...हो सके तो इसमें ज़िंदगी बिता दो पल जो यह जाने वाला है! दोहों की दीपावली, अलंकार के संग. बिम्ब भाव रस कथ्य के, पंचतत्व नवरंग.. बस एक टिकाऊपन का ही भय है वरना तो..... ! अंग्रेज़ों के दिल का नासूर - *गांधी और गांधीवाद! कौन हो तुम ..... अन्ना भी भ्रष्ट??......इसलिए , कौन सा लोकपाल? ....कहाँ का लोकपाल? रेत के महल-हिंदी रामायण में पढ़िए- गंगा, उमा, कार्तिकेय गाथाएं | बँधी उन्हीं से डोर - मधुर-नधुर बोलें वचन ,भीतर कपट कटार ।* *मौका मिलते ही करें, सदा पीठ पर वार!
Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून-
शनिवार की चर्चा के लिए आज ही ब्लॉगजगत का भ्रमण कर लेता हूँ!
सबसे पहले देखते हैं कि स्पंदन SPANDAN पर इतिहास की धरोहर "रोम"..किस प्रकार से बनी! माना ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र है, मगर आखिर रुखसती के भी अपने रिवाज़ होते है! इसलिए आज दिवाली की रात, मै रो चुका हूँ! काश लोग समझ पाएँ भ्रष्टाचार गुनाह नहीं: लोकसत्य में ‘मेरा आशियाना’,यह ‘अमन का पैगाम’ लेकर आये हैं ज़नाब मासूम साहिब। *खफा होके भी हमसे वो कहाँ जायेंगे,* *थोडा सा रूठे हुए थे ही,* *थोडा सा और रूठ जायेंगे,* उड़ा ले जायेंगे .....!!!!!!!!* मोहब्बत और जुदाई ....!इसीलिए तो स्वप्न मेरे. कहते हैं- हाथ में सरसों उगा कर देखिये... - धार के विपरीत जा कर देखिये, जिंदगी को आजमा कर देखिये, खिड़कियों से झांकती है रौशनी, रात के परदे उठा कर देखिये! मनुष्य बना कर रखना तुम यह सीख कहीं सीख ही न रह जाए कि मेरे सवालों के दायरे में जब वो होती है तो उसका मन भी मेरी बातों में उलझने लगता है वह मुझे बहलाकर झट से बाहर हो जाती है ऐसी ही तो होती हैं-मन की बातें ...!!! सम्बन्धों की श्रृंखला, निर्विकार - निष्काम | जननी सम भगिनी दिखे, भर-जीवन अविराम || बहना के जियरा बसे, स्नेह परम-उत्ताल | *भइया की लम्बी आयु का,* *माँग रहीं है यम से वर।* * मंगलतिलक लगाती बहना,* *भाईदूज के अवसर पर। याद. आते हो तो कितने ---- अपने -से लगते हो तुम ---- वर्ना, हर लम्हां गुजरता हैं ---- तुम्हारे ख्यालो में, सुन सखी .... - कुछ रिश्ते बेनाम होते हैं कुछ रिश्तों के नाम होते हैं बेनाम रिश्ते में कोई शर्त नहीं होती सिर्फ प्रेम होता है। आने वाला पल जाने वाला है ...हो सके तो इसमें ज़िंदगी बिता दो पल जो यह जाने वाला है! दोहों की दीपावली, अलंकार के संग. बिम्ब भाव रस कथ्य के, पंचतत्व नवरंग.. बस एक टिकाऊपन का ही भय है वरना तो..... ! अंग्रेज़ों के दिल का नासूर - *गांधी और गांधीवाद! कौन हो तुम ..... अन्ना भी भ्रष्ट??......इसलिए , कौन सा लोकपाल? ....कहाँ का लोकपाल? रेत के महल-हिंदी रामायण में पढ़िए- गंगा, उमा, कार्तिकेय गाथाएं | बँधी उन्हीं से डोर - मधुर-नधुर बोलें वचन ,भीतर कपट कटार ।* *मौका मिलते ही करें, सदा पीठ पर वार!
Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून-
कार्टून:- बॉस
अन्त में-
साहित्यपुर का संत-- श्रीलाल शुक्ल - अभी- अभी दुखद समाचार मिला कि हमारे समय के श्रेष्ठ रचनाकार एवं मानवीय गुणों से संपन्न श्रीलाल शुक्ल नहीं रहे।ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी के मशहूर व्यंग्यकार श्रीलाल शुक्ल का आज लखनऊ स्थित सहारा अस्पताल में निधन हो गया।
चर्चामंच परुवार की ओर से- भावभीनी श्रद्धांजलि .........!!
श्री लाल शुक्ल जी को भाव भीनी श्रधांजलि |
जवाब देंहटाएंआशा
बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
RajputsParinay
श्री लाल शुक्ल जी को श्रधांजलि
जवाब देंहटाएंश्री लाल शुक्ल जी को भाव भीनी श्रधांजलि |
जवाब देंहटाएंरोचक चर्चा !
जवाब देंहटाएंआपके सुनहरे प्रयास की प्रशंसा ,शुभ कामनाएं ,,,,प्रभावशाली रचनाएँ लिंक सुन्दर हैं .. बधाईयाँ जी /
जवाब देंहटाएंगागर में सागर।
जवाब देंहटाएंबस चर्चा ही चर्चा .......मंच सुंदर बन गया ...! बहुत अखर रहा है श्रीलाल शुकल जी का जाना .....! भावभीनी श्रद्धांजलि.....!
जवाब देंहटाएंश्री लाल शुक्ल जी को भाव-भीनी श्रधांजलि ||
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शास्त्रीजी इस शानदार चर्चा के लिए ! साथ ही शुक्ल जी को श्रदासुमन !
जवाब देंहटाएंthanks sir :)
जवाब देंहटाएंNice .
जवाब देंहटाएंBahut sundar links aur charchaa
जवाब देंहटाएंsthaan dene ke liye dhanywaad
सुन्दर लिंक्स से सजी सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएंbahut sundar linko se saji post.baahar gai thi is liye der se aana hua.
जवाब देंहटाएंसटीक चर्चा.आभार आपका.
जवाब देंहटाएंbahut acche links...ismei meri post ko shamil karne ke liye bahut bahut dhanybaad...aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ पढ़ने को मिला आपका आभार ...
जवाब देंहटाएंदो-दो कार्टूनों को एक साथ जगह देने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंशुक्ल जी को श्रध्दासुमन.....
बहुत ही सार्थक चर्चा रही|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
उत्तम चर्चा।
जवाब देंहटाएंश्री लाल शुक्ल जी को श्रधांजलि ...
जवाब देंहटाएंविविध चर्चा के लिए धन्यवाद ...
सुन्दर चर्चा...
जवाब देंहटाएंश्रीलाल शुक्ल जी को विनम्र श्रद्धांजली...
सादर आभार...