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चर्चा-मंच पर
परिचय की एक श्रृंखला प्रस्तुत करने की योजना है |
मैं पी नहीं पाती सच कहती हूँ अब जी नहीं पाती अमृत पीने की आदत जो नहीं उम्र गुजर गयी गरल पीते- पीते बताओ जिसने सिर्फ विष ही पीया हो जिसके रोम रोम में सिर्फ विष का ज्वर ही चढ़ा हो जिसने ना कभी अमृत का--- |
नवीन C. चतुर्वेदी
कल जो बन्दर थे
ताश के पत्ते|
कब हुए किस के|१|
अज़्ल से – रुतबे|
रेत के टीले|२|
कल जहाँ घर थे|
आज हैं दड़बे|३|
इश्क़ का हासिल|
बातों के लच्छे|४|
खून से बढ़ कर|
दाम पिस्टल के|५|
झूठ मक़्क़ारी|
छोड़ ये चरचे|६|
कल जो बन्दर थे|
आज भी लड़ते|७|
साहिबी अर्थात|
सोच पर पहरे|८|
जो नहीं अच्छा|
सब वही करते|९|सुमनसफ़र का अंत कब आया !एक अददउधडी-सी जिंदगी सीते-सीते भले ही दिन का अंत आया पर मुश्किलों का अंत कब आया ! |
के के यादवसम्प्रति भारत सरकार में निदेशक. प्रशासन के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में भी प्रवृत्त। जवाहर नवोदय विद्यालय-आज़मगढ़ एवं तत्पश्चात इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1999 में राजनीति-शास्त्र में परास्नातक. देश की प्राय: अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर वेब पत्रिकाओं व ब्लॉग पर रचनाओं का निरंतर प्रकाशन. व्यक्तिश: 'शब्द-सृजन की ओर' और 'डाकिया डाक लाया' एवं युगल रूप में सप्तरंगी प्रेम, उत्सव के रंग और बाल-दुनिया ब्लॉग का सञ्चालन. इंटरनेट पर 'कविता कोश' में भी कविताएँ संकलित. 50 से अधिक पुस्तकों/संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित. आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रसारण. कुल 5 कृतियाँ प्रकाशित- 'अभिलाषा' (काव्य-संग्रह,2005) 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह, 2006 व 2007), 'India Post : 150 Glorious Years' (2006) एवं 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' .विभिन्न सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा 50 से ज्यादा सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त. व्यक्तित्व-कृतित्व पर 'बाल साहित्य समीक्षा' (सं. डा. राष्ट्रबंधु, कानपुर, सितम्बर 2007) और 'गुफ्तगू' (सं. मो. इम्तियाज़ गाज़ी, इलाहाबाद, मार्च 2008) पत्रिकाओं द्वारा विशेषांक जारी. व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक 'बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव' (सं0- दुर्गाचरण मिश्र, 2009) प्रकाशित. ’विश्व डाक दिवस’ और डाक सेवाएंपत्रों की दुनिया बेहद निराली है। दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक यदि पत्र अबाध रूप से आ-जा रहे हंै तो इसके पीछे ‘यूनिवर्सल पोस्टल‘ यूनियन का बहुत बड़ा योगदान है, जिसकी स्थापना 9 अक्टूबर 1874 को स्विटजरलैंड में हुई थी। यह 9 अक्टूबर पूरी दुनिया में ‘विश्व डाक दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है। |
कुँवर कुसुमेश वैज्ञानिक उपलब्धियाँ,नई नई नित खोज. नये नये युद्धास्त्र को,जन्म दे रहे रोज़. नित बनते परमाणु बम,मारक प्रक्षेपास्त्र. मानव के हित में नहीं,ये सारे युद्धास्त्र . |
ऋता शेखर 'मधु'कोहरा, दोस्ती,अलस भोर |
वीरुभाई | 'Traffic pollution linked to reduced fetal growth' एक ,नवीन अध्ययन से पता चला है कि ट्रेफिक एमिशन वाहनों के एग्जास्ट से निकलता उत्सर्जन गर्भस्थ की बढवार को असर ग्रस्त करके लो बर्थ वेट ,स्मालर बेबीज़ की वजह बनता है .यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के रिसर्चरों ने अपने इस अध्ययन में पता लगाया है कि उन माताओं के नवजातों का वजन औसतन ५८ ग्राम कम रहा जो ऐसे इलाकों में रह रहीं थीं जहां की हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड प्रदूषण मझोले दर्जे का था । रिसर्चरों नेट्रेफिक एमिशन से पैदा वायु प्रदूषण के स्तर की जांच ऐसे इलाकों में की जहां उद्योगिक गतिविधियाँ अपेक्षाकृत कम थीं . २००० और २००६ के दरमियान १००० माताओं के बर्थ रिकार्डों को खंगाला गया .पता चला इनके नवजात अपेक्षाकृत स्मालर रह गए थे । |
माइक्रोसॉफ्ट का हिंदी टाइपिंग टूल Hindi Typing Toolयह एक शानदार टूल है । यह मुनासिब अल्फ़ाज को खुद ही कैच कर लेता है । कई बार एक वेबसाइट का ट्रांसलिट्रेटर काम नहीं करता तब आप इसे आज़मा सकते हैं ।Online इस्तेमाल के लिए आपको जाना होगा इस लिंक पर - |
कैलाश C शर्माकार्यकाल में देश के सुदूर जनजातीय और ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण के दौरान असीम गरीबी,शोषण,भ्रष्टाचार और मानवीय संबंधों की विसंगतियों से निकट से सामना हुआ, जिसने मन को बहुत उद्वेलित किया. समाज में व्याप्त विसंगतियाँ जब मन को बहुत उद्वेलित कर देती हैं, तो अंतस के भाव कागज़ पर उतर आते हैं. सूना आकाशगर्मी से बचने की कोशिश में एक कबूतर का जोड़ा बैठा था वरांडे की खिड़की पर. उदास, अकेले नहीं कर रहे थे गुटरगूं, शायद बचा नहीं था कुछ करने को एक दूसरे से गुफ़्तगू. |
देवेन्द्र पाण्डेयजड़-चेतन में अभिव्यक्त हो रही अभिव्यक्ति को समझने के प्रयास और उस प्रयास को अपने चश्में से देखकर आंदोलित हुए मन की पीड़ा को खुद से ही कहते रहने का स्वभाव जिसे आप "बेचैन आत्मा" कह सकते हैं। *( बनारसी मस्ती के वर्णन में एक-दो शब्द बनारसी स्पेशल गाली का भी प्रयोग हुआ है। जिसके लिए मैं उन पाठकों से पूर्व क्षमा याचना करता हूँ जिन्हें खराब लगता है। अश्लील लगता हो तो कृपया न पढ़ें। इनके प्रयोग क... |
निवेदितादुनिया में बड़ी चीज़ मेरी जान ! हैं आँखेंहर तरह के जज्बात का ऐलान है आँखशबनम कभी ,शोला कभी तूफ़ान है आँखें आँखों से बड़ी कोई तराजू नहीं होती तुलता है बशर जिसमें वो मीज़ान हैं आँखें |
संजय महापात्रारावण लीलालाख प्रयत्न के बाद भीकलियुगी रामू के अग्निबाण से रावण जब नहीं जला तो रामू ने विभीषण से पूछा अबे ये मरेगा कैसे विभीषण बोला हे देव इसका अमृत कुंड तो स्विस नाभि में जमा है |
सतीश शर्मा 'यशोमद'एक राष्ट्रीयवादी व्यक्ति , कवि हृदय , जिसके लिए देश हित सर्वोपरि है . ये अकेला चाँद - सारी रातये अकेला चाँद - सारी रातग़मगीन सा - मौन हो टहलता है ना जाने मेरी तरह - से इसका भी दिल क्यों नहीं बहलता है . |
वृन्दावन V.K. Tiwariकभी भी प्रेम पथ परकभी भी प्रेम पथ पर उम्र की बाधा नहीं आती ; प्रकृति भी भाग्य या अवसर कभी आधा नहीं लाती ; कभी भी तन को वृन्दावन , कन्हैया सा बनाकर मन - पुकारो मन से देखें क्यों भला राधा नहीं आती ;; |
चुंबन पर रोक की मांगजर्मनी में ऑफिसों में चुंबन पर रोक की मांग पश्चिमी देशों के समाज में एक दूसरे से मिलने पर चुंबन की प्रथा को तिरछी निगाहों से नहीं देखा जाता मगर जर्मनी में कामकाज की जगहों पर इसे रोकने की मांग उठी है। जर्मनी में शिष्टाचार और सामाजिक व्यवहार को लेकर सलाह देने वाले एक संगठन ने कामकाज की जगहों पर चुंबन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा है। |
मृत्यु पाश में पड़ा एक देह छोड़ अभी सम्भल ही रहा था... कि गहन अंधकार में बोया गया नयी देह धरा में शापित था रहने को उसी कन्दरा में बंद कोटर में हो जाये ज्यों पखेरू कैद पिंजर में हो जाये कोई पशु एक युग के समान था वह नौ महीनों का समय... |
फ़ुरसत में … |
अनुरागी मन - कहानी (भाग 15)====================================अनुरागी मन - अब तक - भाग 1; भाग 2; भाग 3; भाग 4; भाग 5; भाग 6; भाग 7; भाग 8; भाग 9; भाग 10; भाग 11; भाग 12; भाग 13; भाग 14; ==================================== पिछले अंकों में आपने पढा:==================================== डायरी लिखने की सलाह जम गयी। रज्जू भैया की सलाह द्वारा वीर ने अनजाने ही अपने जीवन का अवलोकन आरम्भ कर दिया था। डायरी के पन्नों में वे अपने जीवन को साक्षीभाव से देखने लगे थे। वीर ने अपने मन के सभी भाव कागज़ पर उकेर दिये। कुछ घाव भरने लगे थे, कुछ बिल्कुल सूख गये थे। |
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’मैं खड़ा हूँ कृष्ण विवर (black hole) के घटना क्षितिज (event horizon) के ठीक बाहर मुझे रोक रक्खा है किसी अज्ञात बल ने और मैं देख रहा हूँ धरती पर समय को तेजी से भागते हुए मैं देख रहा हूँ रंग, रूप, वंश, धन, जा... |
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय भाग 4२०. राज्य का प्रमुख कार्य अपने सभी नागरिकों को, उनके गौरव को नुकसान पहुँचाए बिना, सुरक्षा प्रदान करना है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि राज्य ऐसे कार्यों को करें जिससे कि असंतोष, अशांति उत्पन्न न हो एवं प्राकृतिक संसाधनों का वितरण एवं उसका लाभ सभी को प्राप्त हो। राज्य के नीति निर्देशक तत्व में यह बात स्पष्ट रूप से कही गई है। हमारा संविधान यह कहता है कि जब तक हम सभी नागरिकों के लिए सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय की व्यवस्था न कर लें तब तक हम अपने नागरिकों के लिए मानवीय गौरव को प्राप्त नहीं कर सकेंगे एवं तब तक न तो हम ऐसी स्थिति में आएँगे जिससे कि हम विभिन्न समूहों में भ्रातृत्व की भावना का विकास कर सकें। |
सत्येन्द्र गुप्ताफूल कभी जख्मे-सर कर नहीं सकतानन्हा कतरा समन्दर भर नहीं सकता। जिगर तेरा आसमान से भी बड़ा है बराबरी मैं उसकी कर नहीं सकता। गलियाँ मेरे गाँव की बहुत ही तंग हैं तेरा ख्याल उनमे ठहर नहीं सकता। मेरा दर्द तो मेरा हासिले-हस्ती है मेरी हद से कभी गुज़र नहीं सकता। नशा इस दिल से तेरे फ़िराक का इस जन्म में तो उतर नहीं सकता। सुदामा दिली दोस्त रहा था उसका इस बात से कृष्ण मुकर नहीं सकता। |
टाइम पास [सीधी बात ; नो बकवास ]
आज़ादी. . हर आज़ादी दिवस पर एक सवाल दिल पूछता है के कितने आज़ाद हैं हम. . ये भी साला पोलिटिकल हो जाता है. . तेरे को आज़ादी दिवस के दिन ही ख्याल आता है. . ये पूछ कि कितने ज़िम्मेदार हैं हम.??कल कहीं बूम फूटा. . कल कहीं विस्फोट हुआ. .
कल का भरोसा नही. . ज़िंदगी रोज़ खेलती जुआ. .
मौत को आज कल हम जेब मे लेकर घूमते हैं. . बल्कि ज़िंदगी को. . कभी भी निकालनी पड़ सकती है|
हम भले आज ज़िंदा ही हो. .हमारी संवेदना ही मर चुकी. .आज कौन है जो दूसरो के लिए जीता है. . अपना ख्याल रखने की तो फ़ुर्सत नही. . आज न्यूज़ सुनी की इतने मारे. . कल को लोग फिर से नौकरियों पर जाने लगे. . इसे हम "Moved on" कहते हैं|
पर वास्तव मे तो हम असंवेदनशील हो चुके हैं. . आज़ादी दिवस के दिन भी हमें आ.र.रहमान या लता जी वाला "वन्दे मातरम" सुनना पड़ता है feel मे घुसने के लिए. . हम प्रगति क नाम पर और भी दिल्ली -मुंबई बनाना चाहते हैं. . पर
आज भी लखनऊ इलाहबाद बनारस मे ही सुकून पाते हैं. .
तब हम शायर हो जाते हैं!!
जब प्यार मे होता है दिल. .
या टूट के रोता है दिल. .
जब तन्हाई छा जाती है. .
और याद पुरानी आती है. .
या टूट के रोता है दिल. .
जब तन्हाई छा जाती है. .
और याद पुरानी आती है. .
रविकर जी, बडे श्रम से सजाई है चर्चा की महफिल।
जवाब देंहटाएंबधाई।
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एक यादगार सम्मेलन...
...तीन साल में चार गुनी वृद्धि।
कुछ लिंक्स बहुत अच्छी लगीं |माईक्रोसोफ्ट का हिन्दी टूल ,कल जो बन्दर थे ,सफर का अंत कब होगा |कई लिंक्स और सटीक चर्चा |
जवाब देंहटाएंबधाई |
आशा
बहुत अच्छे लिंक्स.
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए आभार.
रविकर जी,
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका
मेरी रचना शामिल करने के लिये !
बहुत अच्छे लिंक्स दिए है कुछ पढ़े हुए है
बाकी पढना चाहूंगी आभार !
हम भले आज ज़िंदा ही हो. .हमारी संवेदना ही मर चुकी. .आज कौन है जो दूसरो के लिए जीता है. . अपना ख्याल रखने की तो फ़ुर्सत नही. . आज न्यूज़ सुनी की इतने मारे. . कल को लोग फिर से नौकरियों पर जाने लगे. . इसे हम "Moved on" कहते हैं|
जवाब देंहटाएं...कई लिंक्स और सटीक चर्चा |
बधाई |
आज कई नये सूत्र लेकर जा रहे हैं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चयन, सुन्दर चर्चा! धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक।
जवाब देंहटाएंआभार
अच्छे लिंक।
जवाब देंहटाएंआभार
achhi charcha dekhne ko mili.. pahli baar aaya lekin bahut achha laga links dekhkar...Ravikar ji ko dhanyavad
जवाब देंहटाएंbahut sundar links ke saath sarthak charcha prastutu ke liye aabhar!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच बहुत सुन्दर सजा है|
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने कर लिए हार्दिक आभार|
रोचक लिंक्स और उनका सुन्दर प्रस्तुतीकरण...मेरी रचना शामिल करने के लिये आभार..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स,बढ़िया चर्चा,आभार.
जवाब देंहटाएंदिल चस्प मनभावन कोमल रचनाएं .चर्चा इस बार की बेहद अलग साहित्यिक तेवर दार रही .बधाई रविकर भाई .
जवाब देंहटाएंबड़ी जोरदार चर्चा है। बड़े छंटे हुए लोग...अरे नहीं...मेरा मतलब बड़ी अच्छी पोस्टों की चर्चा हुई है। अफसोस की अभी बिजली कट गई। पढ़ना तो पड़ेगा ही।
जवाब देंहटाएंसम्मोहक संवेदनशील मनोहारी चर्चा , अपने प्रयास में सफल ,सफलता की बधाई ..... शुभकामनायें जी /
जवाब देंहटाएंरविकर जी, चर्चा मंच की प्रस्तुति सराहनीय है... प्रणाम आपके श्रम के नाम.आभार!
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स ,अच्छी चर्चा , आभार ।
जवाब देंहटाएंकई लिंक पढ़े थे, कुछ आपके माध्यम से पढ़ा।
जवाब देंहटाएंDr. Ajmal Zamal ji hamari rachna ko sarahne k liye aapka bahut bahut aabhar!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
जवाब देंहटाएंबेहततरीन लिंक्स संयोजन के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएं