मित्रों आज शनिवार है!
इन दिनों काम का बोझ मुझपर इतना बढ़ गया है कि ठीक से 5-6 घंटे की आराम की नींद भी नहीं मयस्सर हो रही है। लेकिन हमेशा संकल्प जीता है और काम हारा है।
लीजिए प्रस्तुत है आज की चर्चा-
बदले बदले से लगते हैं उत्सव के मौसम। जब साथी भी व्यस्त हों और अचानक दिनचर्चा बदल जाए तो कितना तन्हा हो जाता है आदमी? ऐसे में तो गांधी जी के सफाई अभियान और अकाल कोष का सहारा लेना ही श्रेयस्कर होता है। परन्तु लोग आलोचनात्मक टिप्पणियों को पचा नहीं पाते हैं। खैर कभी न कभी तो जिंदगी के कुछ अच्छे पल मिल ही जाते हैं। जिसमें कुछ पन्ने.. और हरे निशान .....सुकून दे ही जाते हैं। इस्लामिक आतंकवाद को कैसे नेस्तनाबूद किया जाए?
लोकशाही की ह्त्या : राम बोलो भाई राम! हम सोचा हमउ भ्रष्टाचारी रावण मार आउं, मगर आज तो "विजय त्यौहार" मनाना भी सिर्फ औपचारिकता ही रह गई है। शिव धनुष और विश्वामित्र कुल गाथाएं मानों गाथाएँ बनकर ही आज की सभ्यता को झकझोरने में नाकाम सिद्ध हो गई हैं।
आइए- ऐसे में चलते हैं-मेरे गुरु की नगरी ~ हुजुर साहेब को शायद वहाँ ही मन को शान्ति मिल जाए! बस यूँ हीं, कुछ कही अनकही भावनायें.....जाग्रत हो गई और चर्चा भी लगभग हो ही गई। मगर पलकों के सपने में मन की मैना तो अभी चहचहा ही रही है, इसलिए थोड़ा आगे बढ़ता हूँ-
किस मजहब में है, मनाही,तस्लीम माँ को करना। एक जननी, एक जन्मभूमि, दो वालिदा है। हमारी, तुम इनको याद रख्नना। दोनों पर फर्ज हमारा, है, दोनों का कर्ज हम पर!
दिल की बातें- इसे मैं क्या कहूँ ?........ क्योंकि बेचारे ड्राइवर रहते हैं चौबीस घंटे बस में - ऐसे में बच्चों का कोना पर देख लेते हैं कि होशियार चूहा गजानन को सैर कराता है तो चेहरे पर मुखौटा .... लगा कर मैं भी चर्चा मंच की सैर करा दूँ।
मगर अहले खुदा की राह में , नफ़रत न घोलिये ! एहसास-ए-रंज -ओ-गम , न तराजू से तोलिये !!
अन्त में देखिए यह दुखद समाचार-
स्टीव जॉब(१९५५-२०११) स्टीव जॉब का निधन हो गया, एक युग का सहसा अन्त हो गया।
मैकपुरुष का प्रयाण! चर्चा मंच परिवार का मैकपुरुष को प्रणाम!!
इन दिनों काम का बोझ मुझपर इतना बढ़ गया है कि ठीक से 5-6 घंटे की आराम की नींद भी नहीं मयस्सर हो रही है। लेकिन हमेशा संकल्प जीता है और काम हारा है।
लीजिए प्रस्तुत है आज की चर्चा-
बदले बदले से लगते हैं उत्सव के मौसम। जब साथी भी व्यस्त हों और अचानक दिनचर्चा बदल जाए तो कितना तन्हा हो जाता है आदमी? ऐसे में तो गांधी जी के सफाई अभियान और अकाल कोष का सहारा लेना ही श्रेयस्कर होता है। परन्तु लोग आलोचनात्मक टिप्पणियों को पचा नहीं पाते हैं। खैर कभी न कभी तो जिंदगी के कुछ अच्छे पल मिल ही जाते हैं। जिसमें कुछ पन्ने.. और हरे निशान .....सुकून दे ही जाते हैं। इस्लामिक आतंकवाद को कैसे नेस्तनाबूद किया जाए?
लोकशाही की ह्त्या : राम बोलो भाई राम! हम सोचा हमउ भ्रष्टाचारी रावण मार आउं, मगर आज तो "विजय त्यौहार" मनाना भी सिर्फ औपचारिकता ही रह गई है। शिव धनुष और विश्वामित्र कुल गाथाएं मानों गाथाएँ बनकर ही आज की सभ्यता को झकझोरने में नाकाम सिद्ध हो गई हैं।
आइए- ऐसे में चलते हैं-मेरे गुरु की नगरी ~ हुजुर साहेब को शायद वहाँ ही मन को शान्ति मिल जाए! बस यूँ हीं, कुछ कही अनकही भावनायें.....जाग्रत हो गई और चर्चा भी लगभग हो ही गई। मगर पलकों के सपने में मन की मैना तो अभी चहचहा ही रही है, इसलिए थोड़ा आगे बढ़ता हूँ-
किस मजहब में है, मनाही,तस्लीम माँ को करना। एक जननी, एक जन्मभूमि, दो वालिदा है। हमारी, तुम इनको याद रख्नना। दोनों पर फर्ज हमारा, है, दोनों का कर्ज हम पर!
दिल की बातें- इसे मैं क्या कहूँ ?........ क्योंकि बेचारे ड्राइवर रहते हैं चौबीस घंटे बस में - ऐसे में बच्चों का कोना पर देख लेते हैं कि होशियार चूहा गजानन को सैर कराता है तो चेहरे पर मुखौटा .... लगा कर मैं भी चर्चा मंच की सैर करा दूँ।
मगर अहले खुदा की राह में , नफ़रत न घोलिये ! एहसास-ए-रंज -ओ-गम , न तराजू से तोलिये !!
अन्त में देखिए यह दुखद समाचार-
स्टीव जॉब(१९५५-२०११) स्टीव जॉब का निधन हो गया, एक युग का सहसा अन्त हो गया।
मैकपुरुष का प्रयाण! चर्चा मंच परिवार का मैकपुरुष को प्रणाम!!
सुन्दर चर्चा . अच्छे लिंक. मैक पुरुष को प्रणाम. मन की मैना अच्छी लगी साथ में अकाल कोष से प्रेरणा भी ले रहा हूं. आपका कमिटमेंट प्रेरणा का श्रोत है मेरे लिए.
जवाब देंहटाएंअच्छी लिंकमयी वार्तालाप इस मंच से।
जवाब देंहटाएंबड़े ही स्तरीय सूत्र पढ़ने को मिलते हैं इस मंच पर।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा ||
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई |
चर्चा मंच सबसे तेज सबसे न्यारा .
जवाब देंहटाएंउपयुक्त लीन्को से सजा चर्चा मंच ..सभी लिंक पढने लायक और दिलचस्प भी तहे दिल से सुक्रिया सर सही कहा है अन्वर जी ने चर्चा मंच सबसे तेज
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स, अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा . अच्छे लिंक.
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा....
जवाब देंहटाएंनया तरीका पसंद आया
जवाब देंहटाएंचर्चा प्रस्तुति का ढंग बहुत रोचक लगा..सुन्दर लिंक्स..आभार
जवाब देंहटाएंbadiya links lekar sundar charcha prastuti hetu aabhar!
जवाब देंहटाएंसृजन ,भाव -प्रवाह की स्वीकार्यता सर्वोच्च ,व आधार विश्लेषित है , सुन्दर हमराह सृजन आकर्षक है ,बहुत -२ बधाईयाँ /
जवाब देंहटाएं----वह टिप्पणी वाली पोस्ट सबसे अच्छी रही.....
जवाब देंहटाएं"केवल संयत, शालीन और विवादरहित टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी!"----और संयत शालीन व विवाद रहित क्या होता है ???....सिर्फ वह जो आपके मन का हो...हो गयी आलोचना .....
मनोहारी चर्चा...
जवाब देंहटाएंसादर आभार....
सबसे पहले तो शास्त्री जी आपको प्रणाम और फिर उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच में हमें हमेशा आपका सहयोग मिलता रहा है आशा है आगे भी आपाक आशीर्वाद ऐसे ही बना रहेगा।
आजकल हम इसलिए टिप्पणी नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि जब भी हम कहीं भी टिप्पणी करने की कोशिश करते हैं तो जबाब आता है कि आपको ये इजाजात नहीं है।
लेकिन आज ऐसा नहीं हुआ इसलिए हम लिख रहें हैं।
कारण क्या है हम नहीं जानते।
चर्चा मंच चर्चा को यूँ ही आगे बढ़ाता रहे यही हमारी कामना है।
Charcha mein kuchh panne ko shaamil karne ke liye abhaar.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा!
जवाब देंहटाएंमयंक जी आपका आभार मेरी कविता किस मजहब में है मनाही तस्लीम मां को करना को चर्चा मे स्थान देने के लिये मुझे इस मन्च आकर बड़ी खुशी हुई। जयहिन्द्।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या लिंक्स दिये हैं आपने ...साथ ही मेरी रचना को शामिल करने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंGood initiative
जवाब देंहटाएं