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मंगलवार, अक्तूबर 04, 2011

"हसरत" (चर्चा मंच-657)

मित्रों!
कुछ व्यस्तताओं के चलते नेट से दूर रहना पड़ रहा है!
नेट भी धीमे संयोजन का है!
मगर फिर भी चर्चा को लगा रहा हूँ!
क्योंकि मैं यह जानता हूँ कि
मेरे बहुत से साथियों को चर्चा मंच को देखने की
उत्सुकता रहती है!
यद्यपि मैं अपने आज के काम से सन्तुषट नहीं हूँ!
इसलिए आज केवल लिंकों से ही काम चलाइए!

वे चाहते नहीं बातें बनें ना ही ऐसी वे बढ़ें
खिंचती जाएँ दीवारें दिल में प्यार दिखाई ना पड़े |
लड़का-लड़की में भले, भेद हैं करते कैसे ?
आश्विन की तिथि पञ्चमी, रहा नवासी वर्ष,
बहन शिवा की आ गई, हर्ष चरम उत्कर्ष | ...
चीखो दोस्त जितनी तेजी से तुम चीख सकते हो इतनी तेज की गले की नसें फटकर बहार निकल आयें और तुम्हारी आवाज दुनिया का हर कोना हिला दे.
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रात भर बादल बरसते रहे,
गरजते रहे और रह-रह कर बिजली चमकती रही.......
सो सुबह तक उनकी लयात्मक लोरी के साथ
सुकून की नींद सोई थी.......
*एक रंग सिंदूरी::***
सुबह रंग फीके धूमिल,
आज ऊसर धूसर बरसाती
एक कौव्वा खिड़की के ...

जब कान्हा घुट्नन चलने लगे
कभी कीचड़ तो कभी आँगन में विचरने लगे
कभी बछड़ों की पूँछ पकड़ लेते
कभी उनके साथ घिसटते रहते ...
आपकी खुशियाँ कभी कम न हो,
दामन में आपके कोई काँटें न हो,
जब भी कोई मुसीबत आए,
तो "माँ दुर्गा" आपके साथ हो, ...

हर बार नवरात्रो मे मेरी आदिशक्ति से एक प्रार्थना होती है
इस बार मैने उस शक्ति के एक स्वरूप शारदे से
अपने मन की बात कही है.
गुजर गए वो दिन जब तेरे तलबगार थे हम
अब तुम खुदा भी बन जाओ तो सजदा ना करेंगे हम........
नीलकमल वैष्णव"अनिश"
अहसासों का पंछी* *फड़ फड़ कर उड़ने को व्याकुल ,*
*इस जीवन की कैद से *
*मुक्त होने को व्याकुल ....*
*हुयी प्रात ,*
*नभ पर फैली लाली *
*संगियों की कलरव से *...

मध्यकालीन भारत - धार्मिक सहनशीलता का काल (पांच) *
*निर्गुण पंथ – संत कबीरदास*
निर्गुण शब्द का अर्थ गुण रहित होता।

कूड़े के ढेर पर दो नवजात बच्चियां बचा ली गयी ...
चींटियों के ढेर ने निगल ली थी एक आँख जिसकी बचा ली गयी ...
अखबार की एक खबर ही तो है कुछ लोगो के लिए ....

*जिस दिन * **
*धूप में तपिश न हो *
*धूप जैसी * *सूरज दिन काट रहा हो *
*अनमना होकर *
*बादलों के आवारा छोकरे *
*आवारगी से थक कर*
*सोच रहे हों*
*संजीदा हो जाने...

हसरत मन में संजोयी मैंने
तुम सामने बैठी हो मैं तुम्हें देखता रहूँ
खामोशी से तुम्हारी मीठी बातें सुनता रहूँ
तुम कानों में मिश्री घोलती रहो
मुझे मदहोश करती ...
एक ग़ज़ल अपने कॉलेज के दिनों की डायरी से .....
ख्यालों -ख्वाबों -सपनों का क्या है ?
ना जाने कब दिल में आ जाएँ
और अपना प्रभाव छोड़ कर चले जाएँ , ...
२७ सितंबर को ऑनलाईन वार्ता के क्रम में
"जनशब्द" वाले भाई अरविन्द श्रीवास्तव ने
मुझसे पूछा की,
भाई साहित्य अकेदमी की तर्ज पर दिल्ली में ’ब्लॉग अकादमी’ ...
रावण ,वीर था,और विद्वान था
उसे शास्त्र और शास्त्र दोनों का ज्ञान था
और उसके दस सर थे
और ये ही मुसीबत की जड़ थे ...

"पहाड़ियों में ढूँढ आई..
बचपन की सौगातें..
हँसी की फुहारें..
और..
मासूमियत की बौछारें..
खिलखिला रहा था..
आसमान का आँगन..
दूर तक नज़र ढूढ़ती है कि कोई नेह का बादल
अपना छोटा सा टुकड़ा कहीं छोड़ गया हो
और वो बरस कर मुझे भिगो दे .
पर-
मंद समीर भी उड़ा ले जाता है
हर टुकड़े को ...

21 टिप्‍पणियां:

  1. एक ही जगह इतनी पोस्टस देने के लिए शुक्रिया , अब जाते पढ़ने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चर्चा बेहतरीन लिंक आभार शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर चर्चा मंच...हिन्दी हाइगा को स्धान देने के लिए हार्दिक आभार|

    जवाब देंहटाएं
  4. चर्चा संक्षिप्त ही सही सभी रंगों को समेटे ह्है।

    जवाब देंहटाएं
  5. शानदार प्रस्तुति |
    बहुत-बहुत आभार ||

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर चर्चा मंच...सभी रंगों को समेटे आभार ||

    जवाब देंहटाएं
  7. शास्त्री जी आपके मंच की तो तारीफ़ करने के लिए शब्द ही कम पड़ जाते है आपके सभी मंच लाजवाब होते हैं और यह भी उसी का अंश है बेहतरीन समागम है
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने जो मेरी पंक्तियों को विशेष सम्मान दिया यहाँ प्रकाशित करके

    mitramadhur@groups.facebook.com

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुन्दर लिंक्स संजोये हैं…………शानदार चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर चर्चा रहा! ढेर सारे लिंक्स मिले! मेरी शायरी चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  10. चंद सुधी जन हैं जिन्हें इस ब्लॉग का ध्यान भी रहता है। आभार।

    जवाब देंहटाएं
  11. आभार कविवर सारे लिंक हम तक पहुंचाने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  12. विविध रंगों से सजी हुई मनमोहक चर्चा ..

    जवाब देंहटाएं
  13. aapne aaj phir charcha mein mujhe sthaan diyaa uskaa dhanywaad,bahut achhe links se charchaa ko sazaayaa hai.

    जवाब देंहटाएं
  14. whoah this blog is fantastic i love reading your articles. Keep up the good work! You know, a lot of people are hunting around for this info, you can help them greatly….

    India is a land of many festivals, known global for its traditions, rituals, fairs and festivals. A few snaps dont belong to India, there's much more to India than this...!!!.
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    जवाब देंहटाएं
  15. अपनी व्यस्तता और नेट के समस्या से जूझते हुए भी आप इतने बढ़िया लिंक्स का संयोजन कर प्रस्तुत करते हैं यह मेरे हिसाब से बहुत हिम्मत और धैर्य का काम है... आपके इस काम के जितने प्रसंशा की जाय कम ही है..
    चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार!

    जवाब देंहटाएं
  16. धन्यवाद मयंक साहब..!!


    आभारी हूँ..!!!

    जवाब देंहटाएं
  17. yeh tareeka mujhae bahut achha laga...isme do lines mei samajh a jata hai ki kya hai agae ka haal... wo khte hain na... lifafa dekh ker mazmoon bhaanp lete hain...kuch aisa hi...
    apne blog per aapka intezaar rahega..

    जवाब देंहटाएं

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