मित्रों!
पूरे आठ दिन तक व्यस्तता इतनी थी कि नेट पर बहुत ही कम आना हुआ। क्योंकि मैं अपनी दो कृतियों "धरा के रंग" और "हसता गाता बचपन"
पूरे आठ दिन तक व्यस्तता इतनी थी कि नेट पर बहुत ही कम आना हुआ। क्योंकि मैं अपनी दो कृतियों "धरा के रंग" और "हसता गाता बचपन"
को पेज मेकर पर आकार दे रहा था। कल इन पुस्तकों को प्रेस में छपने के लिए दे आया हूँ और फिर से अन्तरजाल पर नियमित हो गया हूँ!
अब चर्चा के क्रम को शुरू करता हूँ-
पहले चलता हूँ मनोजकुमार जी के ब्लॉग पर जो अभी भी कह रहे हैं- बावरे घन, तुम सघन वन में जरा बरसो ! लेकिन हमारी धार्मिक आस्थाएं कितनी धार्मिक? ऐसे में मन में विचार आया है गुरु नानक देवजी का! क्योंकि हथेली पर जान लेके चलने वाले साज को दिशा और दशा देते है। विडियो देखिये! एक पत्रकार पर हमला! यही तो है दुनिया में सबसे बड़े लोकतन्त्र असली चेहरा! नववर्ष यूँ तो नववर्ष मानते आये हैं हम हर बार, हर साल नया शहर, नया परिवेश और नए रूप धारण करते हैं हर बार, खूब धूम धड़ाका, आतिश बाजी, कॉकटेल, जिसमें ज़िंदगी के मेले में केशधारी सिक्ख व सिर मुंडवाई विधवा भी तो हैं! अब आप ही बताइए- तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साये में शाम कर लूँगा .. मगर कैसे? डगमगाते कदमों से किसी को सरोकार हा क्या है? तभी तो दूरियां बढ़ने लगी हैं। लेकिन हिन्दी ब्लागिंग का इतिहास और प्रवृत्तियों पर लोगों की पैनी नजर है.. मगर हमें तो 6 महीने पहले पैसे देने पर भी यह यह पुस्तक देखने को नसीब नहीं हुई है! अब बताइए अविनाश वाचस्पति जी कि इस किताब पर नजर कैसे डालें? है कितना सुन्दर सुखद अदभुद अहसास तेरे आगमन का और मिठास की कल्पना का! आखिर क्यों ?........ सवाल इतने सारे कौन सा पूछूँ पहले इसी सोच में हूँ .... क्यों होता है ऐसा? पुरुष की बेचारगी क्या और बढे़गी? - आदमी की लाचारी, उसकी बेबसी क्या प्रकृति प्रदत्त है?
लेकिन हमारे देश के राष्ट्रकवि लिख गये हैं कि "नर हो न निराश करो मन को" जल्द ही दुनिया की तस्वीर में नए रंग शामिल होने वाले हैं! सोचता हूँ "बर्फ़ के ख़िलाफ़ यह सब कैसे होता है ?" ऐसे में अनकहे लफ्ज़.वक़्त खेल रहा है समुद्र की लहरों के साथ..."निःश्वांस" ! अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है! लो हो गया काम तमाम ! एक युक्ति तो है 'लंबे बच्चे चाहिए तो बीवी लाएं दूर की'! क्या यही हैं हमारी ब्लॉगरीय मानसिकता! सच ही तो है कृष्ण लीला … शायद कुछ ऊर्जा दे जाए, आज के युग में भी! जैसे जैसे वंशी की, आवाज़ सुनते जा रहे हैं जैसे जैसे वंशी की, आवाज़ सुनते जा रहे हैं तेरी लीला के अनूठे, राज़ खुलते जा रहे हैं! जनाब यह स्वप्न(dream) नहीं हकीकत है! आइए चलते हैं SURAT GARH to SALASAR DHAAM YAATRA पर! पिट्सबर्ग में एक भारतीय-अनुरागी मन - कहानी भी तो पढ़ना है मुझे! स्वीकार समझ कर मौन हुए , प्रतिकार समझ जी लेते हैं , मिल जाये अमृत ,मांगे जो , तो गरल भी हम पी लेते हैं . . पढ़ना न भूलें....परिधि -प्राचीर पर यह रचना प्रकाशित हुई है! " दिवस त्यौहार के आए" मगर फिर भी ईश्वर के अस्तित्व पर सवाल उठाता 'नास्तिकों का ब्लॉग' भी देख लीजिए न! ख्यालों के बेबहर पंछियों की बेतरतीब उड़ान .... बतकही यूँ भी! जो शहर कुछ खोने का एहसास कराये * *उस शहर में कभी नहीं जाना चाहिए..क्योंकि कागज मेरा मीत है, कलम मेरी सहेली......पर त्रिवेणी भी तो हैं! *टॉमस ट्रांसट्रोमर विश्व के सर्वाधिक प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित कवियों में से एक हैं। समय में यात्रारत चाँद कैसा होगा यह तो कर्मनाशा मे डूबकर ही पता लगेगा! एक अच्छी ख़बर है Computer Tips & Tricks पर मोबाइल धारको को देशभर में निशुल्क रोमिंग और नम्बर वही रखते हुवे कम्पनी बदलने की सुविधा बहुत जल्द मिलने वाली है | शब्दों ने अक्सर इन ‘शब्दों’ को नि:शब्द किया है. जाने कितनी बार शब्दहीन इन ‘शब्दों’ ने कड़वे घूँट पिया है . यही तो है- शब्दों की चुप्पी का गर्जन ..!
नमस्कार!
etne vysth hone ke babajuth aap entni
ReplyDeletesundar charcha manch sajae hai
bahut sundr link
pure padh nahi pae samay likar paduge badh may
"धरा के रंग" और "हसता गाता बचपन" की सफलता की शुभकामनायें. कहीं उपलब्ध हुयी तो अवश्य ही पढूंगा . अपना बचपन तलासुंगा और इस धरा के विविध रंगों से भी सरबोर हो जाऊंगा.. शुभकामना एवं आभार.
ReplyDelete"धरा के रंग" और "हसता गाता बचपन" की सफलता की शुभकामनायें. कहीं उपलब्ध हुयी तो अवश्य ही पढूंगी
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा! दो और पुस्तकों के प्रकाशन के लिये बधाई!
ReplyDeleteपुस्तकों के मुखपृष्ठ बड़े ही सुन्दर आ रहे हैं, शुभकामनायें।
ReplyDeleteboht vadiyaa jee!!!
ReplyDeleteसबसे पहले तो नयी पुस्तक "धरा के रंग" और "हसता गाता बचपन" की सफलता की शुभकामनायें स्वीकारें …………आज तो बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं धीरे धीरे पढते हैं।
ReplyDeleteशुभकामना ||
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा ...
ReplyDeleteपुस्तकों के प्रकाशन की बधाई और शुभकामनायें ...
सुन्दर चर्चा!
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा...
ReplyDeleteसादर आभार...
"धरती के रंग" और "हंसता गाता बचपन" के लिए सादर शुभकामनाएं सर,
सादर...
"धरा के रंग" और "हसता गाता बचपन" के प्रकाशन पर शुभकामनायें- बधाई!
ReplyDeleteइन दोनों पुस्तकों के प्रकाशन के लिए आपको अग्रिम बधाई .....आशा है आप यूँ ही सफलता के नए प्रतिमान हासिल करते रहेंगे ....!
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्रीजी ! आपकी दो नई कृतियाँ प्रकाशन के लिए तैयार हैं और ज़ल्द छपकर आ रही हैं ,यह जानकर प्रसन्नता हुई. अग्रिम बधाई और शुभकामनाएं . चर्चामंच का आज का प्रस्तुतिकरण भी हमेशा की तरह आकर्षक है.कई महत्वपूर्ण विषयों के लिंक्स मिले .आपने मुझे भी जगह दी .हार्दिक धन्यवाद.
ReplyDeleteअच्छी चर्चा।
ReplyDeleteआभार
सबसे पहले तो नयी पुस्तक "धरा के रंग" और "हसता गाता बचपन" की सफलता की बहुत बहुत शुभकामनायें .... रोचक अंदाज़ में लिनक्स देने के लिए आभार ....
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे लिंक्स दिये हैं ... आपने दोनो पुस्तकों की सफलता के लिये शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई आपके दोनों पुस्तकों के लिए , और दिए गए लिंक भी सुन्दर हैं ..
ReplyDeleteदोनों पुस्तकों के लिए बहुत बहुत बधाई ...रोचक अंदाज़ में लिंक्स देने के लिए और मेरी रचना को स्थान देने के लिये बहु्त-बहुत आभार ....
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा...
ReplyDeleteसादर आभार...
http://hbfint.blogspot.com/2011/10/12-tajmahal.html
दौनों पुस्तकों के प्रकाशन के लिए बधाई |अनोखे
ReplyDeleteअंदाज में की चर्चा बहुत अच्छी लगी |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार |
आशा
दोनों पुस्तकों के प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई सर!
ReplyDeleteमेरी पोस्ट को यहाँ जगह देने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद!
सादर
दोनों पुस्तकों के प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई सर!
ReplyDeleteमेरी पोस्ट को यहाँ जगह देने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद!
सादर
"sabse pahle mai maafi chahta hu ki mai der se yahan aa paya hu sir ...aur tahe dil se sukriya ki muje yahan ye saubhagya prapt huva ki meri post ki link lagatar yahan prastut hui "
ReplyDeleteaabhar aur bahut hi upyukt link se saja ye charcha manch sach me kaafi upyukt sabit ho raha hai sir
पुस्तक प्रकाशन के लिये बधाई और शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबधाई हो
ReplyDeleteपुस्तकों का इंतजार रहेगा
आदरणीय मयंक जी सादर अभिवादन, दोनों पुस्तकों के प्रकाशन पर आपको बहुत बहुत बधाई।ब्लाग पर आते रहें रचनाओं से सम्बंन्धित कमियां बताते रहें ।
ReplyDeleteदोनों पुस्तकों के प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई ...
ReplyDeletehttp://drayazahmad.blogspot.com/2011/10/blog-post_10.html
प्रथम तो "धरा के रंग" और "हसता गाता बचपन" की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteपुनःश्च, मेरे नवगीत "बावरे घन, तुम सघन वन में जरा बरसो !" को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए आपका आभारी हूँ।
"धरा के रंग" और "हसता गाता बचपन" की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeletehamesh ki tarah hi behtarin links..aapki ye do kitabein jinke cover page behad hi lubhawne hain..asha karta hoon ki pathkon ko jald se jald uplabhdh ho jayengi..sadar pranam aaur dher sari shubhkamnaon ke sath
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुतियां ,बेहतरीन संयोजन .बधाई शास्त्री भाई !
ReplyDeletedr.saheb shant mousam ke baad jo garajan-barish hoti hai vo sabhi ke liye sukh dayi va jivandayani hoti hai,vaise hi aapaki chuppi 2 pusataken va mujhe characha manch par layi sath hi anek vidwanon ki prvisti ke darshan kar dhany huya ,aapaka aashirwad pakar dil khushi se bhar gaya .namasakar swikar kare .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुतियां बेहतरीन संयोजन धन्यवाद भाई
ReplyDeleteदोनों पुस्तकों के प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई ......
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ReplyDeleteis groww app safe ? | क्या ग्रोव अप्प सेफ है ?
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुतियां बेहतरीन संयोजन, दोनों पुस्तकों के प्रकाशन के लिए हार्दिक बधाई ......
ReplyDeleteडॉ. साहेब शांत मौसम के बाद जो गराजन-बारिश होती है वो सभी के लिए सुख दाई व जीवनदायिनी होती है, वैसे ही आपकी चुप्पी 2 पुसताकेन व मुझे चर्चा मंच पर लायी साथ ही कई विवादों की प्रविष्टी के दर्शन कर धनी हुआ, आपका आशीर्वाद पाकर दिल खुशी से भर गया।नमस्कार स्वाइप करे।
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