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----रविकर
श्रद्धांजलि
वृन्दावन V.K. Tiwari
सूनी घाटी के सूरज की कीर्ति कथा अति न्यारी !
वरद लाल वाणी के भारत का जन मन बलिहारी !
विश्व पटल पर हिन्दी की नव व्यंग्य ध्वजा फहराकर ,
अमर हुए श्रीलाल शुक्ल , रच अमर राग दरबारी!!
सत्य धाम यात्रा पर करता नमन राष्ट्र यह सारा !
श्रद्धा सुमन समर्पित पदतल कोटि प्रणाम हमारा !
पहली
दीवाली और घर की सफाई
न दैन्यं न पलायनम्
दीवाली के पहले की एक परम्परा होती है, घर की साफ़ सफाई। घर में जितना भी पुराना सामान होता है, वह या तो बाँट दिया जाता है या फेंक दिया जाता है। वर्षा ऋतु की उमस और सीलन घर की दीवारों और कपड़ों में भी घुस जाती है। उन्हें बाहर निकालकर पुनः व्यवस्थित कर लेना स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत आवश्यक है। जाड़े के आरम्भ में एक बार रजाई-गद्दों और ऊनी कपड़ों को धूप दिखा लेने से जाड़ों से दो दो हाथ करने का संबल भी मिल जाता है। पुराने कपड़ों को छोड़ने का सीधा सा अर्थ है नयों को सिलवाना। नयेपन का प्रतीक है, दीवाली का आगमन।
दूसरी
आस्था का महापर्व-छठ
ऋता शेखर 'मधु'
कार्तिक महीना त्योहारों का महीना हे| करवा चौथ तथा पंचदिवसीय त्योहार दीपावली मनाने के बाद अब आ रहा हे आस्था का चारदिवसीय महापर्व- छठ पर्व| दीपा...
तीसरीअनुभूतियों का आकाशदीपावली की शुभकामनाएंइस छोर से उस छोर तकउस पूरी लाइन में जगमग करते गली चौबारे रोशनी और पटाखों से खिलखिलाते बचपन दीपावली की शुभकामनाएं |
चौथी
कुश ने मनाई
परदेस में दिवाली
देश के बाहर की दीवाली, ,सूनी सूनी खाली खाली. .
दो दीपक आँगन मे जलाएँ
एक शाम बिता लें मतवाली. .
जब खाने के लिए प्रकृति ने भाँती-भाँती की वनस्पतियाँ, फल और अनाज उपलब्ध करा दिए हों तो हिंसक पशुओं के समान 'लाश' के टुकड़े खाने की क्या आवश्यकता है ? कम से कम उन पशुओं से ही कुछ सीखिए जिनके मृत शवों को आप............. |
छठी
हमारी वाणी को नफ़रत फैलाने वाली ऐसी पोस्ट को प्रकाशित नहीं करना चाहिए
सोने पे सुहागा
ZEAL: 'लाश' खाने के शौक़ीन हैं आप ?कायस्थों में मांसाहार प्रचलित है, कुछ नहीं भी खाते होंगे जैसे कि डा. दिव्या नहीं खातीं लेकिन उन्होंने मांसाहारियों को राक्षस और दरिंदा घोषित कर दिया और इस सिलसिले में उन्होंने राष्ट्रभक्तों तक को नहीं बख्शा।
सातवींचुनमुन चिड़ियाप्यारी सी एक चुनमुन चिड़िया, रोज फुदकती है आँगन में. दाना चुगती, चूँ चूँ करती, खुशियाँ भरती मेरे मन में. |
आठवींजनता की मांग और उसकी चेतावनीदिल की बातेंभ्रष्टाचार का बाज़ार आजकल गर्म है | सभी राजनैतिक पार्टियाँ इसको मुद्दा बना कर सत्ता........ क्योंकि जनता तो बहुत भोली है ...... जनता क्या मांगती ? तुमने क्या कमाया है यह हिसाब नहीं मांगती, कैसे वह कमाया है यह जबाब नहीं मांगती | भूखी प्यासी जनता सोना चाँदी नहीं मांगती, वह तो तन को एक कपड़ा और रोटी सूखी मांगती | |
*आज एक धडकन तुम्हारे नाम गिरवीं रख रही हूँ देखो ज़रा संभाल कर रखना अमानत मेरी बस उस दिन लौटा देना जब रुखसत होउँ जहाँ से मेरी चिता पर आखिरी आहुति दे देना बस उस धडकन पर अपना............. |
दसवींमेरी त्वरित टिप्पणियां और लिंक -5तन्मात्रा हो हे सखी, शब्द, रूप, रस, गन्ध | सस्पर्श पञ्च-भूतियाँ, सांख्य-मत से बन्ध || कार्य में अपने हे सखी, रहो सदा लवलीन | तन्नी नित खुरचा करे, मन-पट हुई मलीन || (२) हरिगीतिका छंद भारतीय नारी बड़े-बुजुर्गों से मिले, व्यवहारिक सन्देश | पालन मन से जो करे, पावे मान विशेष || |
ग्यारहवींस्त्री-पुरुष विमर्श गाथा...भाग दो ..सहजीवन.व श्रम विभाजन ... वह आकृति अपनी गुफा में से अपने फल आदि उठाकर आगंतुक की गुफा में साथ रहने चली आई | यह मैत्री भाव था, साहचर्य --निश्चय ही संरक्षण-सुरक्षा भाव था..पर अधीनता नहीं ....बिना अनिवार्यता..बिना किसी बंधन के.....| इस प्रकार प्रथम बार मानव जीवन में सहजीवन की नींव पडी | साथ साथ रहना...फल जुटाना ..कार्य करना..स्वरक्षण...स्वजीवन रक्षा...अन्य प्राणियों की भांति | चाहे कोई भी फल या खाना जुटाए...एक बाहर जाए या दोनों ...पर मिल बाँट कर खाना व रहने की निश्चित प्रक्रिया -सहजीविता - ने जीवन की कुछ चिंताओं को -खतरे की आशंका व खाना जुटाने की चिंता -अवश्य ही कुछ कम किया | और सिर्फ खाना जुटाने की अपेक्षा कुछ और देखने समझने जानने का समय मिलने लगा | |
बारहवींगर्भ रोधी गोलियों का सेवन अंडाशयीय कैंसर के जोखिम को घटाता है .कबीरा खडा़ बाज़ार में--गर्भ रोधी गोलियों का सेवन अंडाशयीय कैंसर के जोखिम को घटाता है .एक अध्ययन से संपुष्ट हुआ है कि तकरीबन दस सालों तक जो महिलाएं गर्भज निरोधी गोलियों का नियमित सेवन करतीं हैं उनके लिए अंडाशयीय (ओवेरियन कैंसर )कैंसर के खतरे का वजन घटकर आधा ही रह जाता है .अध्ययन 'ब्रिटिश जर्नल ऑफ़ कैंसर '(इंग्लैण्ड की मशहूर विज्ञान पत्रिका )में प्रकाशित हुआ है... | तेरहवीं राग- हिंदुस्तान[भार्या ने कहा ,जा रहे हो ,तो कुछ आवश्यक सामान हैं ,हो सके तो लेते आना .......]टूटे ख्वाब जोड़ देने का सामान लेते आना , मेरे आँगन में बरसे फूल वो आसमान लेते आना - करुणा का संवेग , दया की धरा का कलरव छम - छम , क्षमा प्रेम की ,मलय निरंतर न्याय ,नम्रता ,लहराए परचम नाप सकें गहराई नभ की ,प्रतिमान लेते आना - |
चौदहवीं फुरसत में… मनोज कुमार पिछले अंक में हमने देखा कि ई.पू. छठी शताब्दी के पहले मगध में बार्हद्रथ के वंश का शासन था। इसकी राजधानी राजगृह या गिरिव्रज में थी। राजगृह यानी राजा का घर या निवास स्थान। चारों तरफ़ पाहाड़ियों से घिरे होने के कारण इसका नाम “गिरिव्रज” पड़ा। “गृध्रकूट” राजगृह बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है। राजकुमार सिद्धार्थ (बुद्ध) संसार त्यागने के बाद मोक्ष प्राप्त करने की अभिलाषा से इस नगर में आए थे। अपने धर्म के प्रचार के लिए लम्बे समय तक यहां ठहरे। बुद्ध के लिए इस नगर का सबसे प्रिय स्थल “गृध्रकूट” अथवा ........ |
पंद्रहवीं
तुम हो तो !!
मेरी बात
तुम हो तोचहूँ ओर बसंत
तुम नहीं तो
हर मौसम का अंत //
तुम हो तो
मेरी कुछ नहीं चलती
तुम नहीं तो
मेरी डफली बजती //
तुम हो तो
चहूँ ओर है मेला
तुम नहीं तो
हर तकिया गीला //
सोलहवींमेरे सपनेजो तुम आ जाते एक बारजो तुम आ जाते एक बारकितनी करूणा कितने संदेश पथ में बिछ जाते बन पराग; गाता प्राणों का तार तार अनुराग भरा उन्माद राग; आँसू लेते वे पथ पखार| हंस उठते पल में आर्द्र नयन धुल जाता होठों से विषाद, छा जाता जीवन में बसंत लुट जाता चिर संचित विराग; आँखें देतीं सर्वस्व वार| -महादेवी वर्मा |
आज पढ़ने के लिए बहुत सा मसाला दे दिया है |छट
जवाब देंहटाएंपर्व के लिए शुभ कानानाएं |वह रचना बहुत अच्छी लगी |
आशा
स्व.श्रीलाल शुक्ल जी को समर्पित चर्चा मंच का
जवाब देंहटाएंयह अंक प्रस्तुत करने पर
भाई रविकर जी को धन्यवाद!
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मैं साहित्य जगत की इस महान विभूति को कोटिश:प्रणाम और श्रद्धा सुमन समर्पित करता हूँ।
चर्चा मेहनत और लगन से की गई है तैयार,
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा यहां आना!
भारतीय समाज के यथार्थ चित्रण के लिये याद रखा जायेगा राग दरबारी को..
जवाब देंहटाएंअनेकों सुन्दर सूत्र..
चर्चा मंच बहुत ही आकर्षक कीबंच से सजाया गया है|
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए हार्दिक आभार|
shri laal shukla ji ko naman.sabhi sootra achche hain.aabhar.
जवाब देंहटाएंश्री शुक्ल जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंआया तो और काम से लखनऊ पर यहां दुखद सूचना से मन दुखी हो गया। लेकिन स्व. शुक्ल जी के अंतिम दर्शन कर सका, ये सुकून है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुदर चर्चा
चर्चा मेहनत और लगन से तैयार की गई है ,
जवाब देंहटाएंअनेक सुन्दर सूत्र..
बहुत सुदर चर्चा...
हार्दिक आभार !!!
अच्छे लिंक हैं दिनेश जी आज ...
जवाब देंहटाएंसारगर्भित चर्चा।
जवाब देंहटाएंसभी मित्रों को छठ की शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक चर्चा..सुन्दर लिंक्स ...आभार
जवाब देंहटाएंश्रीलाल शुक्ल जी को भावभीनी श्रद्धांजलि...बहुत सुन्दर चर्चा बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा...बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंश्रीलाल शुक्ल जी को भावभीनी श्रद्धांजलि
श्रीलाल शुक्ल की आत्मा को ईश्वर शांती प्रदान करे...सुंदर चर्चा...बधाई
जवाब देंहटाएंश्रीलाल शुक्ल जी को भावभीनी श्रद्धांजलि...बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक।
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा।
छठ पर्व की बधाई।