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Saturday, October 15, 2011

"अबकी करवा चौथ पर" (चर्चा मंच-668)

हमने सजना के लिए, रखना है उपवास।
अबकी करवा चौथ पर, रहें साजना पास।।
मीरा बन सकती नहीं, सभी भक्तिनी आज।
साज और शृंगार में, सारा लिप्त समाज।।


सबकी किस्मत में तस्बीर नहीं होती है,
आइना जैसी सबकी तकदीर नहीं होती है!
मगर धनवान तो निर्धन के टुकड़ों पर ही पलता है!!
रूह ने आवाज दी है , चाँदनी की रात में।
"रूप" उनका देखकर, हम खो गये ज़ज़्बात में।।
आज फिर हमको, सुखद सी चाँदनी है भा गई।।
समाजकी विडम्बना अतीत से समान है।
तुम आना मत भूलना, ओ मेरे मनमीत।
मैंने की है साजना, तुम से सच्ची प्रीत।।
नैतिकता की परिभाषा का ज्ञान सिखाती वाणी।
किन्तु पुरुष हो गया जगत में, है कितना अभिमानी।।
जंगल का अनुराग सुनो, भारतमाता के पूतों का।
कितना शैतानी चेहरा है, मानवता के दूतों का।।

मेरे देश की धरती उगले मक्कारों को.
लाज-शर्म का नाम नहीं है, शैतानों-गद्दारों को.
आँगन में बबूल उग आये।
सुन्दर सुमन कहाँ से पायें।।
नहीं आपको कुछ पता, मन का कुछ आकार।
साक्षात्कार के साथ में, आएँ सुखद विचार।।

चित्र सहित परिचय लगा, सबको किया निहाल।।

"मेरी बिटिया पढ़ा करो"

पथ पर आगे बढ़ा करो!!

लम्बी चर्चा का नहीं, है कोई उपयोग।
यदि ज्यादा हों लिंक तो, उकता जाते लोग।।

14 comments:

  1. काव्यात्मक सूत्र, पढ़कर आनन्द आ गया।

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  2. बहुत सुंदर चर्चा
    आपकी मेहनत को सलाम ||

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  3. रविकर जी ने कर दिया, देखो बहुत कमाल।
    चित्र सहित परिचय लगा, सबको किया निहाल।।

    लम्बी चर्चा का नहीं, है कोई उपयोग।
    यदि ज्यादा हों लिंक तो, उकता जाते लोग।।

    एग्रीगेटर्स के होने और न होने को बराबर कर देने के लिए चर्चा मंच का शुक्रिया !
    नए ब्लॉगर्स को प्रोत्साहन देकर यह मंच बहुत सराहनीय कार्य कर रहा है।
    हर विवाद से दूर रहकर इसका रचनात्मक प्रयास हिंदी ब्लॉगिंग के क्षरण को रोकने में लगा हुआ है, यह प्रशंसनीय है।
    सारे चर्चा दल बल को सलाम !!!
    See
    लक्ष्मण को इल्ज़ाम न दो

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने लोगों को मेरे आईना को दिखाया उसके लिए
    सचमुच बहुत ही अच्छा लगता है हमेशा की चर्चा-मंच में आकार बाहर सारे लोगों के अच्छे अच्छे रचनाओं को पढ़ने का हमेशा मौका मिलता है मैं आपको बधाई देना चाहता हूँ आपके इस सफलता पूर्वक कर रहे कार्य का
    http://www.facebook.com/groups/mitramadhur/

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  5. काव्यात्मक चर्चा, वाह!

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  6. लम्बी चर्चा का नहीं, है कोई उपयोग।
    यदि ज्यादा हों लिंक तो, उकता जाते लोग।।

    आ. शास्त्री जी आप ने समय की नब्ज़ पकड़ ली है। यह महतकर्म जारी रहे।

    ठाले बैठे को स्थान देने के लिए आभार।

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  7. वाह ...बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स साथ मेरी रचना को शामिल करने के लिये आभार ।

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  8. बहुत सुन्दर काव्यात्मक चर्चा।

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  9. सुंदर चर्चा
    साहित्य सुरभि और square cut को स्थान देने के लिए आभार

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  10. काव्यात्मक लिंक्स ..बढ़िया.

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  11. कविता में सजे हुए लिंक बहुत सुन्दर लगे|

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  12. काव्यात्मक चर्चा का आनंद ही कुछ और होता है!

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  13. प्रविष्टियों का बहुत सुरुचिपूर्ण संयोजन ,कि देख कर पढ़ने की रुचि उत्पन्न होती है .
    आपने मेरी रचना को चुना ,आभारी हूँ !

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  14. sundar kaavyamayee dhang se kee gayee charcha dekhkar bahut achha laga.. sundar links bhi dekhne ko mile..
    out of station hone se samay par pachunch nahi paayee thi.. meri post ko is charchamanch par esthan dene ke liye bahut bahut aabhar!!

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