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बुधवार, अक्टूबर 19, 2011

"पांडव कहां से लाएँ" (चर्चा मंच-672)

मित्रो!
कल बहुत सारे लिंक आपको चर्चा में दिये थे। आशा है आपने उनको पढ़ा होगा और अपनी पसन्द की टिप्पणियाँ दी होंगी। आज भी कुछ ब्लॉगों पर घूम लेता हूँ और आपको भी पढ़ने के लिए होमवर्क दे देता हूँ। उन्मना पर श्रीमती साधना वैद और श्रीमती आशा जी की माता जी श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना "किरण" जी की रचना अभिसार पढ़कर तो मन प्रसन्न हो गया।
खामोशी... बहुत कुछ कहती है तभी तो वो रात. कभी नहीं भुलाई जाती। लेकिन प्रकृति प्रेमी तो अलग ही मिज़ाज़ के होते हैं, अन्ना कृष्ण हो सकते हैं मगर पांडव कहां से लाएंगे? उदास न हो, एक बार मिल तो लो! प्यार इश्क़ मोहब्बत और दोस्ती एक प्यारा सा बंधन .... दुःख तो इस बात का है-हाय रे हाय मीडिया बिक गया। ऐसे में कुमाऊँनी चेली कह रही हैं-कोई मुझे बताए कि ऐसा क्यूँ है? तरस न खाओ मुझे प्यार कि जरूरत है क्योंकि "बहती जल की धार निरन्तर" ...अंतड़ी जब अकुलात, भात जूठा भी भाता है। फाड़ेंगे इस बार, जानवर मगर क्यों? लम्हों की एक किताब है ज़िन्दगी, सांसों और ख्यालों का हिसाब है ज़िन्दगी, कुछ ज़रूरतें पूरी और कुछ ख्वाइशें अधूरी, बस इन्हीं चंद सवालों का जवाब है ज़िन्दगी ! नहीं चाहिए ये घर तेरा! हौसला रखिए ज़नाब!
और अन्त में यह कार्टून

26 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय शास्त्री जी इस बार आपने चर्चा मंच बिलकुल अलग अंदाज में सजाया है |अच्छा लगा

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  2. आदरणीय शास्त्री जी इस बार आपने चर्चा मंच बिलकुल अलग अंदाज में सजाया है |अच्छा लगा

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  3. चर्चा में मनभावन लिंक लिए ,हर बार जुदा अंदाज
    लिए चचा का आगाज बड़ा अच्छा लगता है आपका |
    मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है मेरी मम्मी की रचना
    अभिसार आज चर्चा मंच पर देख कर |आभार मेरी रचना शामिल करने के लिए
    आशा

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  4. चर्चा की प्रभावशाली प्रस्तुति...मेरा लिंक देने के लिए आभार|कार्टून बहुत अच्छा है|

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  5. Bahut hi sundar tareeke se charcha ko sajaya hai aapne. Adhiktar links bahut hi achche hain.
    Abhar.

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  6. बहुत बहुत आभार ||

    प्रभावी चर्चा।|

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  7. इतने सारे खूबसूरत लिंक्स देने का शुक्रिया!

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  8. वाह. अच्छी चर्चा।
    देखन में छोटन लगे, पर घाव करे गंभीर.

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  9. इतने लिंक्स एकसाथ कहां मिलतें हैं.... अच्छे लिंक्स का संग्रह... कुछ को पढ़ा मज़ा आ गया

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  10. बहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी मेरी माँ श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना जी की रचना 'अभिसार' एवं मेरी दीदी आशा सक्सेना जी की रचना 'प्रकृति प्रेमी' को आपने आज के मंच के लिये चयनित किया ! साभार !

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  11. शास्त्रीजी, आज के चर्चा मंच पर मेरे
    कार्टून को शामिल करने के लिए हम
    आपके अत्यंत आभारी हैं.

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  12. नए अंदाज़ में आपने चर्चा प्रस्तुत किया है जो बहुत ही अच्छा लगा! मेरी शायरी शामिल करने के लिए धन्यवाद!

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  13. धन्यवाद मयंक साहब..!!


    आभारी हूँ..!!

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  14. शुक्रिया अच्छे लिंक हैं ....आभार आपका

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  15. बेहतरीन लिंक्‍स संयोजन ।

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  16. आदरणीय शास्त्री जी ...चर्चा मंच में अति सुन्दर कड़ियों का संयोजन इतनी खूबसूरती से हुआ है कि यहाँ अत्यंत ही धारा प्रवाह बन गया है ऐसा जैसे कि कोई अत्यंत रोचक कथा ...आभार ..मेरे क्षेत्र में नेट कि दिक्कतों कि वजह से नियमित आना नहीं हो पाता है क्षमा याचना सहित....
    सादर अभिनन्दन !!!

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  17. बहुत सार्थक चर्चा... सशक्त लिंक्स...
    सादर आभार...

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  18. आदरणीय शास्त्री जी,सार्थक और प्रभावी संयोजन. आपका आभार...

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