मित्रो!
कल बहुत सारे लिंक आपको चर्चा में दिये थे। आशा है आपने उनको पढ़ा होगा और अपनी पसन्द की टिप्पणियाँ दी होंगी। आज भी कुछ ब्लॉगों पर घूम लेता हूँ और आपको भी पढ़ने के लिए होमवर्क दे देता हूँ। उन्मना पर श्रीमती साधना वैद और श्रीमती आशा जी की माता जी श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना "किरण" जी की रचना अभिसार पढ़कर तो मन प्रसन्न हो गया।
कल बहुत सारे लिंक आपको चर्चा में दिये थे। आशा है आपने उनको पढ़ा होगा और अपनी पसन्द की टिप्पणियाँ दी होंगी। आज भी कुछ ब्लॉगों पर घूम लेता हूँ और आपको भी पढ़ने के लिए होमवर्क दे देता हूँ। उन्मना पर श्रीमती साधना वैद और श्रीमती आशा जी की माता जी श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना "किरण" जी की रचना अभिसार पढ़कर तो मन प्रसन्न हो गया।
खामोशी... बहुत कुछ कहती है तभी तो वो रात. कभी नहीं भुलाई जाती। लेकिन प्रकृति प्रेमी तो अलग ही मिज़ाज़ के होते हैं, अन्ना कृष्ण हो सकते हैं मगर पांडव कहां से लाएंगे? उदास न हो, एक बार मिल तो लो! प्यार इश्क़ मोहब्बत और दोस्ती एक प्यारा सा बंधन .... दुःख तो इस बात का है-हाय रे हाय मीडिया बिक गया। ऐसे में कुमाऊँनी चेली कह रही हैं-कोई मुझे बताए कि ऐसा क्यूँ है? तरस न खाओ मुझे प्यार कि जरूरत है क्योंकि "बहती जल की धार निरन्तर" ...अंतड़ी जब अकुलात, भात जूठा भी भाता है। फाड़ेंगे इस बार, जानवर मगर क्यों? लम्हों की एक किताब है ज़िन्दगी, सांसों और ख्यालों का हिसाब है ज़िन्दगी, कुछ ज़रूरतें पूरी और कुछ ख्वाइशें अधूरी, बस इन्हीं चंद सवालों का जवाब है ज़िन्दगी ! नहीं चाहिए ये घर तेरा! हौसला रखिए ज़नाब!
ऐसे में संत रैदास का विचार बहुत प्रासंगिक लगता है। रंजना भाटिया कह रहीं हैं- ज़िन्दगी न मिलेगी दुबारा ....! ओस की बूँद से प्यास नही बुझती है किसी की! अब तो- मैंने सच देखा और पाया! वह अनजान स्त्री! ज़ील ने गलत नहीं लिखा पर संतुलित नहीं लिखा ! देव उठने के बाद भी 10 दिन तक करना होगा फेरों का इंतजार किस बहना का भाई है ? घूम रहा है खुला आसमान ......! मन पाए विश्राम जहाँ-वो ठिकाना है मृत्यु! उड़ते अहसास मगर फिर भी है कशिश! क्योंकि "सुबह की सैर के बहाने" इसीलिए तो "एक गीत -चम्पई उँगलियों से रोशनी सजाता है"अच्छा लगता था ! कौन थी वह अनजान स्त्री! क्या आप भी परेशान हैं गर्दन के दर्द से?
और अन्त में यह कार्टून
आदरणीय शास्त्री जी इस बार आपने चर्चा मंच बिलकुल अलग अंदाज में सजाया है |अच्छा लगा
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी इस बार आपने चर्चा मंच बिलकुल अलग अंदाज में सजाया है |अच्छा लगा
ReplyDeleteचर्चा में मनभावन लिंक लिए ,हर बार जुदा अंदाज
ReplyDeleteलिए चचा का आगाज बड़ा अच्छा लगता है आपका |
मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है मेरी मम्मी की रचना
अभिसार आज चर्चा मंच पर देख कर |आभार मेरी रचना शामिल करने के लिए
आशा
कार्टून अच्छा लगा ।
ReplyDeleteसंक्षिप्त और प्रभावी चर्चा।
ReplyDeleteचर्चा की प्रभावशाली प्रस्तुति...मेरा लिंक देने के लिए आभार|कार्टून बहुत अच्छा है|
ReplyDeleteBahut hi sundar tareeke se charcha ko sajaya hai aapne. Adhiktar links bahut hi achche hain.
ReplyDeleteAbhar.
बहुत बहुत आभार ||
ReplyDeleteप्रभावी चर्चा।|
प्रभावी चर्चा .....!
ReplyDeleteइतने सारे खूबसूरत लिंक्स देने का शुक्रिया!
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा ..........अच्छे लिंक्स
ReplyDeleteवाह. अच्छी चर्चा।
ReplyDeleteदेखन में छोटन लगे, पर घाव करे गंभीर.
इतने लिंक्स एकसाथ कहां मिलतें हैं.... अच्छे लिंक्स का संग्रह... कुछ को पढ़ा मज़ा आ गया
ReplyDeleteअच्छी चर्चा।
ReplyDeleteआभार.....
बहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी मेरी माँ श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना जी की रचना 'अभिसार' एवं मेरी दीदी आशा सक्सेना जी की रचना 'प्रकृति प्रेमी' को आपने आज के मंच के लिये चयनित किया ! साभार !
ReplyDeleteशास्त्रीजी, आज के चर्चा मंच पर मेरे
ReplyDeleteकार्टून को शामिल करने के लिए हम
आपके अत्यंत आभारी हैं.
bahut badiya links, badiya prastuti..
ReplyDeleteaabhar!
नए अंदाज़ में आपने चर्चा प्रस्तुत किया है जो बहुत ही अच्छा लगा! मेरी शायरी शामिल करने के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteधन्यवाद मयंक साहब..!!
ReplyDeleteआभारी हूँ..!!
शुक्रिया अच्छे लिंक हैं ....आभार आपका
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स संयोजन ।
ReplyDeletedhanyavad shastriji !
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी ...चर्चा मंच में अति सुन्दर कड़ियों का संयोजन इतनी खूबसूरती से हुआ है कि यहाँ अत्यंत ही धारा प्रवाह बन गया है ऐसा जैसे कि कोई अत्यंत रोचक कथा ...आभार ..मेरे क्षेत्र में नेट कि दिक्कतों कि वजह से नियमित आना नहीं हो पाता है क्षमा याचना सहित....
ReplyDeleteसादर अभिनन्दन !!!
diwali ki apurav taiyaari.sadhuwad
ReplyDeleteबहुत सार्थक चर्चा... सशक्त लिंक्स...
ReplyDeleteसादर आभार...
आदरणीय शास्त्री जी,सार्थक और प्रभावी संयोजन. आपका आभार...
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