हमको पता है वो नहीं आयेंगे लौटकर,
फिर भी उन्हीं को याद किये जा रहे हैं हम!
मित्रों!
चर्चा तो चलती ही रहेगी। क्योंकि आपको आदत पड़ गई है प्रतिदिन इसे पढ़ने की और हमें आदत हो गई है लिखने की!
आइए अब चलते हैं ब्लॉगजगत की यात्रा पर!
आज फिर जी लिया* * फुर्सत के पलों में* * खुद को* * आज फिर देखा * * खुले आसमान में * * उड़ते पक्षियों को* * हर दिशा में* * स्वच्छंद होकर* ऐसी ही तो होती है मन की उड़ान.... ! क्यों इक हूक सी दिल में उठती है, क्यों इक आस, सदा ताना-बना बुनती है जितना भी निचोड़ दूँ दिल को हर सोच तुझ पर ही आकर क्यों रूकती है ? अनामिका जी...लेकर आई हैं कमल के फूल -! अब ठाले बैठे कामना कर ही लेते हैं कि प्रेम शांति का द्वार बने, लेकिन फिलहाल तो कुछ बेहतरीन मूवी डाउनलोड करे ट्रेलर देखकर ! हम क्या कहे कोई उनसे पूछ ले कि अह्सास की आवाज क्या होती है? लेकिन सुलगती रूह..' कह रहीं हैं कि अगले जनम मोहे बिटिया नहीं कीजों! नहीं रहा अब दुनिया पे यकीन, भरोसे जैसी कोई अब चीज कम है ; बदल गये लोग बदल गई मानसिकता, बदल गई सोच खतम हुई नैतिकता ; हमने ही सब बदला और कहते हैं कि आबो हवा बदल गई है। छोटी गलतियाँ जब आतीं लेकर हार,दुःख इतना होता है जैसे बड़ा पहाड़,पर सूख गए आँसू उस दिन जब,देखा सागर को भी खाते हुये पछाड़ यह सब एक सीख ही तो देते हैं।
त्वचा की विभिन्न बीमारियों में सफेद दाग लाइलाज माना जाता है लेकिन डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन ने सफेद दाग की एक नई दवा खोज निकाली है। तीन महीने में सफेद दाग दूर करने की दवा विकसित! शरीर पर दाग अच्छे नहीं लगते ....दिलजला भी दिलदार होता है। लेकिन शरीर तो सुन्दर दिखना ही चाहिए। मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा! लेकिन फॅमिली बैक ग्राउंड बहुत बड़ी चीज है ! अब बाल-दुनिया की चिड़िया रानी को ही लीजिए ना..ची- ची करती चिड़िया रानी, बच्चों के संग रहती है, खेल-कूद कर उनके संग, दाना चुनकर लाती है, कित्ती मेहनत करती देखो, श्रम का पाठ पढ़ाती है!भोर हुई सूरज आया पर उसमें वह ताप कहाँ नव जीवन का संदेसा लाया चली गई वह आब कहाँ निकली गौरैया नीड़ से अपने किसके आँगन जाऊं मैं... गया संग मेरा स्पंदन! ये,राहों के सिलसिले हैं,दोस्त सराहों में ठहरे, राहगीरों की तरह कुछ देर का साथ था, यही तो हैं- नुक्ते—ज़िन्दगी के! यह तो आपको वहाँ जाकर ही पता लगेगा कि राम के दीवाने : छत्तीसगढ़ के रामनामी कौन हैं? रूठी तन्हाई, दर्द की बाहें घिरी, ढूँढें मंज़िल ! मूक ज़िन्दगी, सब सहे ज़िन्दगी, फिर भी चले ! हाँ यही तो है घुटकर जीना, ज़हर पीना!
गए जो हो परदेस - *(गाँव से दिल्ली आये ग्यारह साल हो गए. गाँव से जुड़ा रहा गहरे से. लेकिन कभी दशहरा पर गाँव नहीं जा पाया था इस दौरान. इस बार गया था. पूरे दस दिनों के लिए. अब सरोकार ही क्या रहा? गाँव की गलियों से क्योंकि रोटी-रोजी के लिए शहर जो आ गया हूँ! आचार्य परशुराम राय *श्री जितेन्द्र त्रिवेदी जी इन दिनों कुछ आवश्यकता से अधिक व्यस्त हो गए हैं। इसलिए वे अपनी पोस्ट नहीं भेज सके...इसलिए मनोज कुमार जी माला जप रहे हैं भगवान अवधूत दत्तात्रेय के नाम की! ओह! - कल एक युवक से मिलना हुआ। बातचीत हुई तो क्या करते हो पूछा। अच्छा खासा काम करता है, लगता है अच्छा खासा कमाता भी है। थैंक गॉड, सोनिका को जल्दी ही समझ आ गया....! हमें तो पता नहीं मगर वो बता रहे हैं कि अमिताभ बच्चन पिछले जन्म में भी नायक थे....! "हजार एक सौ ग्यारह"
आज जगजीत सिंह चले गये................

श्रद्धांजलि.............
फिर भी उन्हीं को याद किये जा रहे हैं हम!
मित्रों!
चर्चा तो चलती ही रहेगी। क्योंकि आपको आदत पड़ गई है प्रतिदिन इसे पढ़ने की और हमें आदत हो गई है लिखने की!
आइए अब चलते हैं ब्लॉगजगत की यात्रा पर!
आज फिर जी लिया* * फुर्सत के पलों में* * खुद को* * आज फिर देखा * * खुले आसमान में * * उड़ते पक्षियों को* * हर दिशा में* * स्वच्छंद होकर* ऐसी ही तो होती है मन की उड़ान.... ! क्यों इक हूक सी दिल में उठती है, क्यों इक आस, सदा ताना-बना बुनती है जितना भी निचोड़ दूँ दिल को हर सोच तुझ पर ही आकर क्यों रूकती है ? अनामिका जी...लेकर आई हैं कमल के फूल -! अब ठाले बैठे कामना कर ही लेते हैं कि प्रेम शांति का द्वार बने, लेकिन फिलहाल तो कुछ बेहतरीन मूवी डाउनलोड करे ट्रेलर देखकर ! हम क्या कहे कोई उनसे पूछ ले कि अह्सास की आवाज क्या होती है? लेकिन सुलगती रूह..' कह रहीं हैं कि अगले जनम मोहे बिटिया नहीं कीजों! नहीं रहा अब दुनिया पे यकीन, भरोसे जैसी कोई अब चीज कम है ; बदल गये लोग बदल गई मानसिकता, बदल गई सोच खतम हुई नैतिकता ; हमने ही सब बदला और कहते हैं कि आबो हवा बदल गई है। छोटी गलतियाँ जब आतीं लेकर हार,दुःख इतना होता है जैसे बड़ा पहाड़,पर सूख गए आँसू उस दिन जब,देखा सागर को भी खाते हुये पछाड़ यह सब एक सीख ही तो देते हैं।
त्वचा की विभिन्न बीमारियों में सफेद दाग लाइलाज माना जाता है लेकिन डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन ने सफेद दाग की एक नई दवा खोज निकाली है। तीन महीने में सफेद दाग दूर करने की दवा विकसित! शरीर पर दाग अच्छे नहीं लगते ....दिलजला भी दिलदार होता है। लेकिन शरीर तो सुन्दर दिखना ही चाहिए। मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा! लेकिन फॅमिली बैक ग्राउंड बहुत बड़ी चीज है ! अब बाल-दुनिया की चिड़िया रानी को ही लीजिए ना..ची- ची करती चिड़िया रानी, बच्चों के संग रहती है, खेल-कूद कर उनके संग, दाना चुनकर लाती है, कित्ती मेहनत करती देखो, श्रम का पाठ पढ़ाती है!भोर हुई सूरज आया पर उसमें वह ताप कहाँ नव जीवन का संदेसा लाया चली गई वह आब कहाँ निकली गौरैया नीड़ से अपने किसके आँगन जाऊं मैं... गया संग मेरा स्पंदन! ये,राहों के सिलसिले हैं,दोस्त सराहों में ठहरे, राहगीरों की तरह कुछ देर का साथ था, यही तो हैं- नुक्ते—ज़िन्दगी के! यह तो आपको वहाँ जाकर ही पता लगेगा कि राम के दीवाने : छत्तीसगढ़ के रामनामी कौन हैं? रूठी तन्हाई, दर्द की बाहें घिरी, ढूँढें मंज़िल ! मूक ज़िन्दगी, सब सहे ज़िन्दगी, फिर भी चले ! हाँ यही तो है घुटकर जीना, ज़हर पीना!
गए जो हो परदेस - *(गाँव से दिल्ली आये ग्यारह साल हो गए. गाँव से जुड़ा रहा गहरे से. लेकिन कभी दशहरा पर गाँव नहीं जा पाया था इस दौरान. इस बार गया था. पूरे दस दिनों के लिए. अब सरोकार ही क्या रहा? गाँव की गलियों से क्योंकि रोटी-रोजी के लिए शहर जो आ गया हूँ! आचार्य परशुराम राय *श्री जितेन्द्र त्रिवेदी जी इन दिनों कुछ आवश्यकता से अधिक व्यस्त हो गए हैं। इसलिए वे अपनी पोस्ट नहीं भेज सके...इसलिए मनोज कुमार जी माला जप रहे हैं भगवान अवधूत दत्तात्रेय के नाम की! ओह! - कल एक युवक से मिलना हुआ। बातचीत हुई तो क्या करते हो पूछा। अच्छा खासा काम करता है, लगता है अच्छा खासा कमाता भी है। थैंक गॉड, सोनिका को जल्दी ही समझ आ गया....! हमें तो पता नहीं मगर वो बता रहे हैं कि अमिताभ बच्चन पिछले जन्म में भी नायक थे....! "हजार एक सौ ग्यारह"
मैकपूर्ण अनुभव का एक माह
कोई आहट, कोई हलचल हमें आवाज़ न दे......आज जगजीत सिंह चले गये................
श्रद्धांजलि.............
Sir,
ReplyDeletehar bar ki tarah is bar bhi behatareen charcha...kai nai post aur links ki jankari....achchha laga yahan aakar...
shubhkamnaon ke saatha.
Poonam
मंगल प्रभात! सार्थक रुचिकर ,सफल संकलन /चर्चा मनोहारी है ....बहुत-२ आभार ,सर !.
ReplyDeleteगजलमय सूत्र सजाये हैं।
ReplyDelete..आभार।
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा |
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा ||
बधाई ||
कहानी कविता सी ही चर्चा ...
ReplyDeleteआभार!
वाह ...
ReplyDeleteचचाँमंच के रहते किसी एग्रीगेटर का अभाव खटकता तक नहीं है ।
आभार श्रीमान्,बेशकीमती पोस्टों तक हमें पहुंचाने के लिए।
ReplyDeleteअच्छे लिंक।
ReplyDeleteचर्चा मंच में स्थान देने के लिए आपका आभार.....
nice
ReplyDeleteअच्छे लिंक्स मुहैया कराने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteअच्छी लगी आज की चर्चा. इतने सारे ब्लॉग्स को पढ़कर उनके लिंक्स तैयार करना भी एक खूबसूरत कला है ,जो निश्चित रूप से आपमें है. बधाई और शुभकामनाएं .
ReplyDeleteबहुत अच्छे लिंक, बहुत सुन्दर चर्चा... चर्चा मंच में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार.....शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुन्दर लिंक्स ………सुन्दर चर्चा।
ReplyDeleteआपकी चर्चा में भी रचनात्मकता झलकती है.... बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteअनचाहा बोझ समझा जाता
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने के लिए शास्त्रीजी को बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही बढि़या प्रस्तुति ।
ReplyDeleteक्या बात है! वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआज की चर्चा पढ कर मजा आ गया , बहुत सुन्दर तरीके से लिंक्स को जोडा गया है ...
ReplyDeleteइस चर्चा के कारण बहुत से लिंक मिले. मेरा लेख भी सम्मिलित करने के लिए आभार.
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
देर से आने के लिए क्षमा |
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा रही | मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद |
डॉ.साहब, आज तो चर्चा मंच पर नए अंदाज़ में अवतरित हुए हैं। बहुत अच्छा।
ReplyDeleteमनोज ब्लॉग भगवान अवधूत दत्तात्रेय को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।
बढ़िया चर्चा ! बधाई !
ReplyDeleteधन्यवाद मयंक साहब..!!
ReplyDeleteआभारी हूँ..!!
चर्चामंच पर आपका प्रस्तुतिकरण,गागर में सागर,जैसा रहा.धन्यवाद.
ReplyDeleteक्या बात है शास्त्री जी! नये अन्दाज़ में सुन्दर चर्चा. मेरे लिंक्स शामिल करने के लिये आभारी हूं.
ReplyDeleteशास्त्री जी..
ReplyDeleteब्लॉग जगत में आप है एक मिशाल
आपका प्रस्तुतीकरण और भी बेमिसाल
आपके नए अंदाज को नमन करता हूँ
चर्चामंच्,बनाकर आपने कर दिया कमाल,
बधाई....