मित्रों बुधवासरीय चर्चा में फ़िर एक बार आप सभी का स्वागत है। काफ़ी समय बाद चर्चा लगा रहा हूं, आशा है आपको पसंद आयेगी। पहला मामला तो अपने ब्लाग जगत के साथी डा. अनवर धमाल खान और आत्महत्या को लेकर है।
उसके बाद शुरूवात पड़ोसी मुल्क की खास खबर से इमरान खान - पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बन रहे हैं। यह बात भविष्यवाणी तो नही पर मेरा आकलन सही होगा ऐसी मुझे उम्मीद है और इमरान खान ने कश्मीर का मुद्दा छेड़ इसपर अपनी मुहर भी लगा ही दी है। खैर साहब फॉर्मूला वन रेस भारत मे मीडिया द्वारा चमकायी जा रही है या कहें थोपी जा रही है। जिस खेल को सीखने शुरूवाती दर बीस हजार रूपये प्रति घंटा हो उस खेल का भारत में चमचमाया जाना किसी खास मकसद को बयान तो करता ही है। वैसे इस बीच अच्छी खबरें भी हैं छत्तीसगढ़ में हिंदी ब्लॉगरों के दीपावली मिलन का समाचार सभी अखबारों ने प्रमुखता से छापा और बेचारे हमारे लेखों को मुफ़्त में छापने के अहसान से मुक्त भी हो ही गये होंगे।
पाताली द विलेज साहब ने पोस्ट लगाई पापके स्वीकारसे पाप-नाश तो हम सोच में पड़ गये कि साहब हमने क्या पाप किया है जिसे स्वीकार उसका नाश किया जाये तो ध्यान आया, प्रियंका गांधी से इश्क किया था और उनसे शादी करने पर राबर्ट वाढेरा को कोसा भी था। हम उदास हुये ही थे कि डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री की रचना
"रूप उसका प्यारा-प्यारा" पढ़ मन को समझाया गलती केवल हमारी न थी।
छत्तीसगढ़ में राज्य स्थापना दिवस पर हम भ्रष्टाचार में डूबी सरकार से अनिल पुसदकर जी ने कहा छत्तीसगढ का राज्योत्सव :किसका राज्य और कैसा उत्सव. हम भी सोच मे पड़ गये बहुत समय नही हुआ जब आडवानी जी यहां से रथ में बैठ निकले हैं और उन्होने इस राज्य को स्वर्ग की संज्ञा दी थी। नेताओं की जूतम पैजार और पिस रही जनता तथा नासूर बन चुके सिस्टम के लिये स्मार्ट इंडियन साहब ने गाना पोस्ट किया है तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी हैरान हूँ मैं - जाहिर है हम सभी को शायद इस हिसाब से ही तैयार किया गया है कि हम व्यवस्था के खिलाफ़ उठ न सकें। मै तो उस सैनिक की मौत की बारे में सोचता हूं जो नक्सल वाद के नाम पर शहीद होने वनांचलो मे भेजा जाता है और जिसका शव कचरा गाड़ी में ढो कर वापस लाया जाता है। वो इसलिये कि हेलीकाप्टर मुख्यमंत्री को ले कहीं और गया हुआ था।
चलिये अंत में कुछ दिल को छू लेने वाली रचनायें पहले संजय महापात्रा जी की इज़्तिरार उसके बाद मेरे पसंदीदा रचनाकार कुंवर कु्सुमेश साहब की औषधीय गुण और साथ ही संजय मिश्रा ’हबीब’ साहब मानेगा सागर अंधेरों का हार । ये तीनों ऐसे शख्स हैं जिनकी रचनायें सीधे दिल में उतरती हैं और इन्हे पढ़ने के लिये किसी खास मनोभाव की जरूरत नही होती। आगे श्रीमती अजित गुप्ता जी इक वो भी दीवाली थी, इक यह भी दीवाली है में अपनी बात कह रही हैं और "प्रवासी भारतीय " में पल्लवी जी ने अपनी भावना खूबसूरती से व्यक्त की है।
अगली चर्चा तक इजाजत चाहूँगा!
उसके बाद शुरूवात पड़ोसी मुल्क की खास खबर से इमरान खान - पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बन रहे हैं। यह बात भविष्यवाणी तो नही पर मेरा आकलन सही होगा ऐसी मुझे उम्मीद है और इमरान खान ने कश्मीर का मुद्दा छेड़ इसपर अपनी मुहर भी लगा ही दी है। खैर साहब फॉर्मूला वन रेस भारत मे मीडिया द्वारा चमकायी जा रही है या कहें थोपी जा रही है। जिस खेल को सीखने शुरूवाती दर बीस हजार रूपये प्रति घंटा हो उस खेल का भारत में चमचमाया जाना किसी खास मकसद को बयान तो करता ही है। वैसे इस बीच अच्छी खबरें भी हैं छत्तीसगढ़ में हिंदी ब्लॉगरों के दीपावली मिलन का समाचार सभी अखबारों ने प्रमुखता से छापा और बेचारे हमारे लेखों को मुफ़्त में छापने के अहसान से मुक्त भी हो ही गये होंगे।
पाताली द विलेज साहब ने पोस्ट लगाई पापके स्वीकारसे पाप-नाश तो हम सोच में पड़ गये कि साहब हमने क्या पाप किया है जिसे स्वीकार उसका नाश किया जाये तो ध्यान आया, प्रियंका गांधी से इश्क किया था और उनसे शादी करने पर राबर्ट वाढेरा को कोसा भी था। हम उदास हुये ही थे कि डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री की रचना
"रूप उसका प्यारा-प्यारा" पढ़ मन को समझाया गलती केवल हमारी न थी।
छत्तीसगढ़ में राज्य स्थापना दिवस पर हम भ्रष्टाचार में डूबी सरकार से अनिल पुसदकर जी ने कहा छत्तीसगढ का राज्योत्सव :किसका राज्य और कैसा उत्सव. हम भी सोच मे पड़ गये बहुत समय नही हुआ जब आडवानी जी यहां से रथ में बैठ निकले हैं और उन्होने इस राज्य को स्वर्ग की संज्ञा दी थी। नेताओं की जूतम पैजार और पिस रही जनता तथा नासूर बन चुके सिस्टम के लिये स्मार्ट इंडियन साहब ने गाना पोस्ट किया है तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी हैरान हूँ मैं - जाहिर है हम सभी को शायद इस हिसाब से ही तैयार किया गया है कि हम व्यवस्था के खिलाफ़ उठ न सकें। मै तो उस सैनिक की मौत की बारे में सोचता हूं जो नक्सल वाद के नाम पर शहीद होने वनांचलो मे भेजा जाता है और जिसका शव कचरा गाड़ी में ढो कर वापस लाया जाता है। वो इसलिये कि हेलीकाप्टर मुख्यमंत्री को ले कहीं और गया हुआ था।
चलिये अंत में कुछ दिल को छू लेने वाली रचनायें पहले संजय महापात्रा जी की इज़्तिरार उसके बाद मेरे पसंदीदा रचनाकार कुंवर कु्सुमेश साहब की औषधीय गुण और साथ ही संजय मिश्रा ’हबीब’ साहब मानेगा सागर अंधेरों का हार । ये तीनों ऐसे शख्स हैं जिनकी रचनायें सीधे दिल में उतरती हैं और इन्हे पढ़ने के लिये किसी खास मनोभाव की जरूरत नही होती। आगे श्रीमती अजित गुप्ता जी इक वो भी दीवाली थी, इक यह भी दीवाली है में अपनी बात कह रही हैं और "प्रवासी भारतीय " में पल्लवी जी ने अपनी भावना खूबसूरती से व्यक्त की है।
अगली चर्चा तक इजाजत चाहूँगा!
बहुत अच्छे लिंक्स पढ़ने को मिले.
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान दिया,धन्यवाद अरुणेश जी और शास्त्री जी.
वाह! फिर से आने के लिए शुक्रिया। बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच का कोई भी मेरा सहयोगी अपनी पसंद के लिंक लगाने के लिए पूरी तरह स्वतन्त्र है!
जवाब देंहटाएंमैं इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करता हूँ!
इस चर्चा में भी कोई अच्छाई ही कहीं न कहीं जरूर छिपी होगी।
अपनी राय देने के लिए टिप्पणीबाक्स खुला है!
छोटी मगर सधी हुई चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत बढि़या लिंक्स ।
जवाब देंहटाएंbahut badiya links saath sarthak charcha prastuti hetu aabhar!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा... बधाई
जवाब देंहटाएंwaah .........shaandaar charcha
जवाब देंहटाएं"Taraashii' Huee Charcha.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतीकरण चर्चा मंच का..
जवाब देंहटाएंनये लिकों को शामिल करे ताकी लोगों का उत्साह बना रहे....
आज कि चर्चा पढकर मान गदगद हो गया.. पूरा आलेख और शीर्षकों को इस तारतम्यता से जोड़ा था आपने कि कुछ पता हि नही चला एक लेख पढते पढते सब लिंकों पे नजर मार आये!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सुन्दर सूत्रों की चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक चर्चा...
जवाब देंहटाएंhttp://lekhikagunjan.blogspot.com/
ये एक नया ब्लॉग है मेरा, अप सभी से निवेदन है,
यह आकर मेरे लेख पर भी अपने विचार जरुर दे!
.सधन्यवाद !