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अपने नहीं होते तो दूसरे के दर्द में कोई रोता ही नहीं ! ये सच है कि सबको अपनी बात पे ही रोना आता है पर अपनी बात - सिर्फ पागल |
अनेक महानुभावों ने ओथ "ली" शपथ "ग्रहण की" या कसम "खाई " और ये कार्य सब के सामने सम्पन्न हुआ... |
गाँव से पलायन शहरों का आकर्षण। जंगली जन्तु कहाँ जायें? कंकरीटों के जंगल में क्या खायें? मजबूरी में वे भी बस्तियों में घुस आये! ... ![]() |
इस विशेष दिन पर हम दोनों को अपने घर से इतनी दूर यहाँ स्वीडन में होना बहुत खल रहा है!... |
पल पल रंग बदलती है है जटिल स्वप्न सी कभी स्थिर नहीं रहती | जीवन से सीख बहुत पाई कई बार मात भी खाई यहाँ अग्नि परिक्षा भी कोई यश न दे पाई |... छलावा - है जिंदगी |
गांधी जी का जीवन उनका अपना चुना हुआ जीवन था। वे खुद के प्रति ईमानदार थे.....। |
"हेलमेट दिला दो "सोनिया अम्मा " ..हमारी मांगे पुरी करो ..पूरी करो |" एक महा मोर्चा १० जनपथ की और बढ़ रहा था .. सबके हाथ में बड़े बड़े बेनर थे जिन पर लिखा हुआ था...
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वैसा मन का रंग है ... और जीवन ..का रंग है ... कोई रंग ही नहीं ... पर दिया अपना रंग मैंने इसे ... और रंग दिया जीवन अपने ही रंग में... |
आज शाम को कुछ यूँ ही लिखते - पढ़ते इस कविता का एक अनुवाद किया है। यह मात्र भाषांतर नहीं है। मेरे लिए एक तरह का पुनर्सृजन है तो ही , साथ में कविगुरु के प्रति नमन और पुण्य स्मरण भी। इसे अनुवाद को साझा कर रहे हैं ... डॉ. सिद्धेश्वर सिंह..अपने ब्लॉग कर्मनाशा पर... जहाँ मुक्त है ज्ञान जहाँ भय से परे है मन और उन्नत है मस्तक - ललाट। और जहाँ जगत को सँकरी घरेलू दीवारों से छोटे छोटे टुकड़ों में नहीं दिया गया है बाँट।: |
है, कौन-सी कश्ती और दरिया हमारा जो कभी साथ दे-दे, वो जरिया हमारा... |
अपनी तरफ से मैंने कभी कोई पहल नहीं किया उसने किया भी तो , मैं अनजान बन गयी उसी के साथ म्यान में हूँ अनजाने , अनचीन्हे रिश्ते लिए और हमेशा बीच में देती रह... |
ऐसी महिलाओं में गर्भाशय कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं जिनके या तो कम बच्चे हैं या फिर बच्चे हैं ही नहीं। वर्तमान में प्रतिवर्ष 7,530 महिलाओं में गर्भाशय... |
सर्ग-3 बाला-शांता भाग-1 सम गोत्रीय विवाह फटा कलेजा भूप का, सुना शब्द विकलांग | ठीक करो मम संतती, जो चाहे सो मांग || भूपति की चिंता बढ़ी, छठी दिवस से बोझ ... (मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सहोदरी) सर्ग-१ प्रस्तावना भगवती शांता परम (मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सहोदरी)- सर्ग-२ शिशु-शांता सर्ग-3 भाग... |
हम सभी इंसान, सनद रहे मैं यहाँ सिर्फ खालिस इंसानों की बात कर रही हूँ ... |
कुछ नही था वहां उसके लिए न प्यास बुझा सके इतना पानी ना तन मन की भूख ही मिट सके ऐसा कुछ था उसके लिए वहां ना हरियाली जिंदगी की ना खुशहाली .. |
ke liye
ReplyDeleteDhanywad .
गर्भाशय कैंसर से बचाते हैं बच्चे !
ReplyDeleteke liye
Dhanywad .
सुन्दर चर्चा और मेरे कार्टून को सम्मिलित करने हेतु आपका आभार शास्त्री जी !
ReplyDeleteaaj prastuti kaa dhang kuchh nayaa
ReplyDeletelagaa
badhaayee
अच्छी चर्चा, महत्वपूर्ण लिंक
ReplyDeleteशास्त्री जी धन्यवाद ..इस बेहतरीन चर्चा में आपने मेरी पोस्ट इज्जत की गठरी शामिल की... आपका शुक्रिया .. शुभं
ReplyDeleteAapne to kal tak ki khuraak de di sir!
ReplyDeleteshastri ji namaskar ..badhia links ..aur badhia charcha ...meri kavita charcha manch par rakhi ....abhar ....!!
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा ---
ReplyDeleteशास्त्री जी धन्यवाद ||
बेहतरीन लिंक्स का संयोजन किया है आपने ... मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार ।
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद आई अपने ही ब्लॉग पर .....बीच में ऐसा लग रहा था कहीं लिखना छूट ही ना जाए ....भूल न जाऊं.....पर शायद लिखना इक उस आदत की तरहा होती हे जो कुछ देर के लिए दब तो सकती हे ..पर शायद खतम नही हो सकती ....जब अंदर की भावनाए जोर मारती हैं ....उफान पे चढ़ती हैं ..शब्द खुद भावनाओं को शक्ल दे के कविता का रूप ले लेते हैं .....................
ReplyDeleteआपने मेरी रचना को स्थान दिया .चयन किया .............बहुत बहुत धन्यवाद ........एक यकीं दिलाया ..की अभी मेरे शब्द जिंदा हैं ...मेरी भावानाओं को रूप देने में सक्षम हैं ....
बहुत बहुत धन्यवाद !
सुन्दर सूत्र संयोजन...
ReplyDeleteसादर आभार...
छलावा है जिंदगी बहुत अच्छी चर्चा रही |
ReplyDeleteआज अब समय मिल पाया है कई लिंक्स तो दोपहर में देखली थी |बाकी अब |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
अच्छी चर्चा .
ReplyDeleteथप्पड़ की प्रशंसा निंदनीय है
जो लोग आज शरद पवार के थप्पड़ मारने और उन्हें कृपाण दिखाने वाले सरदार हरविंदर सिंह की प्रशंसा कर रहे हैं,
क्या वे लोग तब भी ऐसी ही प्रशंसा करेंगे जबकि उनकी पार्टी के लीडर के थप्पड़ मारा जाएगा ?
हम शरद पवार को कभी पसंद नहीं करते लेकिन नेताओं के साथ पब्लिक मारपीट करे, इसकी तारीफ़ हम कभी भी नहीं कर सकते। इस तरह कोई सुधार नहीं होता बल्कि केवल अराजकता ही फैलती है। अराजक तत्वों की तारीफ़ करना भी अराजकता को फैलने में मदद करना ही है, जो कि सरासर ग़लत है।
सज़ा देने का अधिकार कोर्ट को है।
कोर्ट का अधिकार लोग अपने हाथ में ले लेंगे तो फिर अराजकता फैलेगी ही।
शरद पवार के प्रशंसक ने कल शुक्रवार को हरविंदर सिंह को थप्पड़ मार दिया है।
बहुत रोचक चर्चा..सुंदर लिंक्स
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा!
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