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दुःख दर्दों की दवा बताएँ खुद में बैठे रोगी. |
किताबों से किसी को क्या मिलता है, जो वो करवाते हैं, किताबों में तो वही किस्से लिखे जाते हैं, राज-ए-राज को जान जाता है |
इस वर्ष हम नई दिल्ली की शताब्दी मना रहे हैं । नई दिल्ली का निर्माण कार्य १९११ में आरम्भ हुआ था । वैसे तो दिल्ली का इतिहास ५००० साल से भी ज्यादा पुराना है । |
अष्टावक्र त्रेता युग के महान आत्मज्ञानी सन्त हुये । जिन्होंने जनक को कुछ ही क्षणों में आत्म साक्षात्कार कराया । |
*गांधी और गांधीवाद- |
आज शाम से मुझे दो सवालों से रूबरू होना पड़ा.सवाल गहन हैं.....कुछ दर्दनाक भी.रात साढ़े दस बजे मेरी छोटी बहन का फोन आया. मोबाईल के स्क्रीन पे ...कोई कुछ तो कहे! |
गूगल खाता बंद होते जाने के कारण, उसी कड़ी में दो दिन पहले गुरूवार की रात ढाई बजे मोबाइल द्वारा हुई एक पुकार पर मुझे गहरी नींद से... |
दुनिया के सैकड़ों-हजारों जीव- जंतुओं मे कुछ ऐसे प्राणी हैं जिनके अस्तित्व पर मनुष्य ने रहस्य और ड़र का कोहरा फैला रखा है। इनमे दो प्रमुख हैं। पहला है बिल्ली ... रहस्य के कोहरे में लिपटे दो जीव |
मन में दबी आग जब भी धधकती है बाहर निकलती है थर्रा देती सारी कायनात | मन ही मन जलता आया सारा अवसाद छिपाया सारी सीमा प़र हों गयी सहनशक्ति जबाब दे गयी | |
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भोर हुआ पंछी वन बोले , किरणों ने घूँघट पट खोले , सूर्य कलश ले पूजन हित मंदिर में ऊषा दौड़ पड़ी ! सूने में प्रतिमा बोल पड़ी ! |
मांग मत आराम के दो पल । और बन सूरज दमकता चल ।1। आप अपनी ताकतें पहचां, कौन फिर तुझको सकेगा छल |
आज हाजिर हूँ आप सबके सामने... रविवार का दिन है.. फुर्सत ही फुर्सत है... कुछ ही देर पहले सोकर उठा हूँ... रात १ बजे सोया था और ठीक आधे घंटे बाद एक बुरी खबर ... |
अपनेमुख से कुछ तो बोलो हिलना-डुलनाक्यों बन्द हुआ तन-मनक्यों ब्रह्मानन्द हुआ सबढला आज सिंगार-साज चलतीधारा क्यों रुकी आज क्या यही मौत का लक्षण है! |
बहुत बढ़िया लिनक्स ...सधी हुई चर्चा
ReplyDeleteबेहतरीन सार्थक उत्कृष्ट चर्चा आभार
ReplyDeleteसार्थक और कुछ नई जानकारी देती लिंक्स से सजी चर्चा बहुत अच्छी लगी |
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बेहतरीन, सार्थक और उत्कृष्ट चर्चा .
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
शानदार लिंक्स ...
ReplyDeleteआभार !
uttam charcha...dhanyawaad
ReplyDeleteढेर सारे लिंक्स के साथ बहुत सुन्दर चर्चा रहा! शानदार प्रस्तुती !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ||
ReplyDeleteमेरी पोस्ट शामिल करने का बहुत बहुत शुक्रिया ..निसंदेह कुछ ज्यादा लोग पढ़ पायेंगे ...
ReplyDeleteबेहतरीन चर्चा के लिए आभार,शास्त्री जी ! किन्ही वजहों से मैंने अपनी पोस्ट हटा ली थी, असुविधा के लिए क्षमा !
ReplyDeleteबहुत उम्दा चर्चा है आज ...
ReplyDeletesundar links...
ReplyDeleteउत्कृष्ट चर्चा .
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा चर्चा मंच सजाया है आपने ...
ReplyDeleteखुबसूरत चर्चा.... बढ़िया लिंक्स...
ReplyDeleteसादर आभार....
आराम से बैठकर पढ़ते हैं।
ReplyDeleteविस्तृत चर्चा आभार.
ReplyDeleteसार्थक व उत्कृष्ट चर्चा …………………आभार
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया मेरी रचना को चर्चा मंच में लेने का सभी लिनक्स पढने को मिले ..शुक्रिया
ReplyDeleteBahut achhe links....hameshakee tarah! Meree rachana shamil kee.....tahe dil se shukriya.
ReplyDeleteउम्दा लिंक्स के साथ सजाया है आपने इस बार का चर्चा मंच मेरी रचना को भी यहाँ स्थान देने के लिए आभार ...
ReplyDeleteचर्चा अच्छी लगी और नीचे का कर्टून तो लाजवाब है।
ReplyDeleteदुख के क्षणों में भी कार्य
ReplyDeleteआपकी निष्ठा को सलाम
आप सब का धन्यवाद ,मुझे उत्साह देने के लिए
ReplyDeleteबेहतरीन चर्चा ! 'उन्मना' से मेरी माँ की रचना के चयन के लिये आपका आभार एवं धन्यवाद !
ReplyDeleteचर्चा मंच पर स्थान देने के लिए शुक्रिया
ReplyDeleteशानदार चर्चा
ReplyDeleteGyan Darpan
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शुक्रिया शास्त्री जी ।
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