मित्रों!
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर!...
आइए सुबह-सुबह पवनवेग से कुछ ब्लॉगों का भ्रमण कर लेता हूँ!
आप भी भगवान परशुराम के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है भगवान राम से भेंट। *महर्षि वाल्मीकि* कृत *आर्षरामायण से देख लीजिए! इन्द्रियां इतनी बलवान हैं कि यदि उन्हें चारों तरफ़ से घेरा जाय तो ही वे प्रभावकारी अहिंसक शस्त्र बन जाती हैं। आज गिरीश बिल्लोरे 'मुकुल', सुमन कपूर 'मीत' का जनमदिन है! इन सभी को चर्चा मंच परिवार की ओर से शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ! ''अजी सुनते हो ! अपने पड़ोस की दुकान में अण्डे और सी एफ एल बल्ब नहीं मिल रहे हैं !'' पत्नी ---''पिछले हफ्ते ही तो मुन्नू को भेज कर मंगवाए थे .आज फिर आने लगे फिरंगी! जिंदगी की किताब खोली * *देखा !* *कितने पन्नें पलट गए * *कुछ भरे* *कुछ खाली.... * *कुछ में बैठे हैं शब्द * *मेहमां बनकर * *और * *कुछ में हैं...आखिरी इबारत! लेकिन पिंजरे में पंछी किस्म किस्म के कैद हो ही जाते हैं! मतला और एक शेर............ -साज़िशें हवाओं ने कुछ मेरे साथ इस तरह कीं| दिल सुलगता देखकर, रुख अपना हमारी ओर कर दिया | मेरी मुहब्बत का सिला , मेरे महबूब ने इस तरह दिया | तेरे शहर का क्या नाम है? - तेरे शहर का क्या नाम है? क्या वहां दो पल का आराम है? यहाँ तो हर शहर मदहोश है, न किसी को चैन है, न ही कहीं होश है I क्या वहां लोग दिल खोल के हँसते हैं? प्यार मंजिल है ,दोस्ती रास्ता है -*जो दिल को चुभ जाये वो प्यार , जो दिल को छु जाये वो दोस्ती* ** * जो झुकाए वो प्यार , जो झुक जाये वो दोस्ती!"मेरी चलती रूकती सांसों पर ऐतबार तो कर, ये हँसता हुआ झील का कवल, मेरे बातों पर ऐतबार तो कर, तू यूँ ही खिल जायेगा जैसे दमकता माह , बस एक बार मुस्कुरा के ...! और शाम ढल गई.... कितना अजीब जिन्दगी का सफ़र निकला ! सारे जहाँ का दर्द अपना मुकद्दर निकला ! जिसके नाम जिन्दगी का हर लम्हां कर दिया ... ! परिकल्पना के सन्दर्भ से ....!!! - कोई आने वाला है मेहमान कहीं पे ,आहट कदमों की है महसूस हो रही जमीं पे ।कैसा होगा मंजर आमद पर उसकी ,गूंज उठेंगी दरो-दीवार उसकी हंसी पे .....। वेरा पावलोवा ( जन्म : १९६३ ) रूसी कविता की एक प्रमुख हस्ताक्षर हैं। उनकी कविताओं के अनुवाद दुनिया भर की कई भाषाओं में हो चुके हैं। देखिए इनकी कविता का अनुवाद...जो सुनाई दे उसे गाओ! ऋचा और देव एक दुसरे से बहुत प्रेम करते थे लेकिन विवाह के बंधन में बंध नहीं सकते थे क्यूंकि माता-पिता, भाई-बहन , मित्र और समाज की आपत्ति थी उनके रिश्ते पर। काश मैं तुम्हारा पति होता... ! समाचार पत्र में हम जैसे सामाजिक प्राणियों के लिए सबसे अधिक उपयोगी पेज- होता है- पेज चार। समाचार पत्र आते ही मुख्य पृष्ठ से भी अधिक उसे वरीयता मिलती है।...क्या भगवान की उपाधि किसी सामान्य मनुष्य को दी जानी चाहिए? अक्सर किसी को कहते सुना होगा--क्या करें , दिल नहीं मानता । इन्सान के दिल और दिमाग में एक द्वंद्ध हमेशा चलता रहा है । दिल कुछ और कहता है , दिमाग कुछ और...दिल और दिमाग की द्वंद्ध में किसकी सुनें ? वे चिंतन में थे कि गाल तन का ही बेहद मुलायम हिस्सा है, नेताई गाल पर पड़ा तमाचा अब बना सुर्खियों का हिस्सा है...क्या आप चांटा खाने वालों में शुमार होना चाहते हैं ? बाबा "क्षमा" करना शायद किसी की तेज रफ़्तार ने उसके पाँव कुचल डाले थे खून बिखरा दर्द से कराहता आँखें बंद --माँ --माँ --हाय हाय ... बाबा "क्षमा" करना!.... जी हां मैं मुम्बई से सीधा प्रसारण करूँगा...! मुझे शिकायत है वायदे टूट जाते हैं अक्सर...! किताब के पन्नों को पलटते हुए ये ख्याल आया यूं पलट जाए जिन्दगी सोचकर रोमांच हो आया । ख्वाबों में जो बसते हैं सम्मुख आ जाएँ तो क्या हो किताब ...! शीत बढ़ा**, **सूरज शर्माया।*आसमान में कुहरा छाया।।*** *चिड़िया चहकी**, **मुर्गा बोला**,* *हमने भी दरवाजा खोला**,* *लेकिन घना धुँधलका पाया। मनुष्य के जीवन में तीन सच्चे साथियों का साथ होना जरुरी है ....! एक डूबता हुआ सूरज* फिर खिल उठा खुल गए कई बंद रास्ते न, तुम कहां आए आई बस ज़रा-सी याद तुम्हारी और दिन थम गया रात रुक गई सांस चलने लग...तुम्हें खोकर, खो दिया सब कुछ! मंहगाई बढाने वाली सरकारी नीतियां, और जारी है सरकार का अहंकार....... वह अहंकार जिसके अधीन होकर ....सरकार का अनर्थशास्त्रअर्थशास्त्र जारी है ...... !हमेशा से अपनी रही होगी तभी तो इतनी जल्दी अपनी हो गयी, एक स्मृति... एक चमक... और फिर सारी वेदना खो गयी सुख दुःख की परिभाषाएं यहाँ भिन्न हैं, अभिभूत था मन...कविता के आँगन में...! उत्तराखंड राज्य के जनपद सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ से धारचूला जाने वाले मार्ग पर लगभग सत्तर किलोमीटर दूर स्थित है कस्बा थल जिससे लगभग छः किलोमीटर दूर स्थित है ...एक अभिशप्त देवालय: हथिया देवाल (थल)...! मिला हो दर्द तुम्हें गम -ए -गुनाही का , गिला नहीं करते - जले चिराग जलो वैसे यारा , लिए जजज्बात जला नहीं करते...(बेबाक)! वर्तमान परिदृश्य में जिस तरह से जनता राजनेताओं और राजनीतिज्ञों के प्रतिअप ने गुस्से का इज़हार कर रही है , बेशक वो भारतीय जनता के स्थापित व्यवहार के खिलाफ... जनता का गुस्सा ही होगा। कब तक पढ़ना कितना पढ़ना , अब तलक चलता रहा | तलवार परीक्षा की , अनकहा कुछ न रहा || जो भी कोशिश की थी तुमने , काम तो आई नहीं | बहुत दिनों से कोई कविता लिखी नहीं , कई बार यूँ ही खामोश रह जाना अच्छा लगता/रहता है ... जैसे समुद्र के किनारे बैठे लहरों को गिनते रहना ...लिख देना फिर कभी कोई प्रेम भरा गीत .... *नदी - 1* नदी ने जब-जब चाहा गीत गाना रेत हुई कंठ रीते धूल उड़ी खेत हुई *नदी - 2* चट्टानों से खूब लड़ी बढ़ती चली ...नदी को लेकर तीन कविताएं हैं आप ब्लॉग खोलकर पढ़ लीजिए ज़नाब! बोली लगाओ देश बिक रहा है : जियो मेरे लाल....! मेरे पति पूरे दिन नेट पर बैठे रहते हैं। पहले यह मुझे बहुत अखरता था मगर अब मैंने भी ब्लॉगिंग में रुचि लेना शुरू कर दिया है। आज मैं अपनी पहली पोस्ट अपने ब्लॉग पर लगा रही हूँ!
आइए मज़ेदार खीर बनाते हैं! क्योंकि "मैं भी ब्लॉगिंग सीख रही हूँ"
आइए मज़ेदार खीर बनाते हैं! क्योंकि "मैं भी ब्लॉगिंग सीख रही हूँ"
अन्त में देखिए यह कार्टून...!

सर आज बहुत देर से चर्चा प्रारम्भ की ?
ReplyDeleteकई लिंक्स की चर्चा है धीरे धीरे पढ़ पाएंगे |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
आशा
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
ReplyDeleteNice .
ReplyDeletehttp://blogkikhabren.blogspot.com/2011/11/blog-post_28.html
इस्लामी नया साल मुबारक .
बेहतर लिंक्स संयोजन .....!
ReplyDeleteआज की चर्चा तो पढ़ने में एक दम कविता है. कार्टून को भी शामिल करने के लिए आभार.
ReplyDeleteपढ़ने में कहानी जैसा आनन्द।
ReplyDeleteवाह ! आज तो आपने कमाल कर दिया. सुबह-सुबह बड़ी तत्परता से इतनी बड़ी संख्या में ब्लॉग्स को पढकर कई अच्छे लिंक्स दिए. आभार.मेरी लघु कथा को भी आपने जगह दी . बहुत-बहुत धन्यवाद .
ReplyDeleteव्यापक चर्चा... विस्तृत लिंक्स...
ReplyDeleteसादर आभार...
सुबह-सुबह बड़ी तत्परता से मेर ब्लॉग् को शामिल करने के लिए आभार
ReplyDeletenice links to look and look back!
ReplyDeleteअच्छी एवं सुन्दर चर्चा...
ReplyDeleteमेरा ब्लॉग भी देखें..
http://lekhikagunj.blogspot.com/
पंछी और पिंजरे अब कैद हैं आपके यहां पर। चर्चा में कैद होना सबको सुहाता है। वही तो हिंदी चिट्ठाकार कहाता है।
ReplyDeleteदोबारा इसलिए आना हुआ है कि क्योंकि इसमें चांटा भी शामिल है दोस्तो। चांटे का भी शुक्रिया अदा कर ही दिया जाए।
ReplyDeleteअरे वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सर मेरी रचना को चर्चा मंच पर लाने के लिए........मै कुछ लिंकों को ही पढ़ पाई हूँ बाकी बचे लिंक को समय निकाल कर जरुर देखूंगी...
ReplyDeleteआभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिंक्स
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा की है काफ़ी सारे लिंक्स देख लिये। आभार्।
ReplyDeleteThanks for providing great links.
ReplyDeleteआज की चर्चा पढ़ना बहुत सुखद रहा... सभी लिनक्स को सुन्दरता से पिरोया गया है... और अंत में मीठी खीर का स्वाद सबसे सुन्दर!
ReplyDeleteगिरीश जी और सुमन जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई!
adbhut manch ...blogger ke liye mahtvpurn manch hai ye jo acche acche link se saja hai
ReplyDeletesukriya sir ,
सुन्दर चर्चा ...
ReplyDeletedhanywad...sunder charcha...
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अंदाज में सजाई गई बेहतरीन चर्चा | मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
ReplyDeleteचर्चा का यह रोचक अंदाज़ काफ़ी अच्छा लगा।
ReplyDeleteबढिया चर्चा।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सर मेरी रचना को चर्चा मंच पर लाने के लिए!
ReplyDelete