जैसे काजल कोठरी डूबे काजल लगता ऐसे "भ्रमर" को घूमते दर्द भरा ही दीखता आओ मन को हम समझाएं कभी कभी कुछ रंग बिरंगा झोली अपनी भर के लायें जैसे सतरंगी- मित्रों की बगिया से हो कर आये इन्द्रधनुष ला ला कर हो यूं सुन्दर रचना मंच सजाये बरसे यूं ही हरियाली हो शान्ति निराली सदा सदा ही हम दौड़े इस मंच पे आएं
आदरणीय रविकर सर, बचपन में सभी ने साबुन के घोल से बुलबुले उड़ाए हैं| हिन्दी-हाइगा पर प्रकाशित इस रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार किन्तु इसके लिंक खुल नहीं रहे| सादर ऋता शेखर मधु
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बहुत सुन्दर सतरंगी चर्चा!
ReplyDeleteसभी लिंक पठनीय हैं।
बहुआयामी चर्चा |
ReplyDeleteआशा
पठनीय सूत्र।
ReplyDeleteरोचक चर्चा!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चर्चा!
ReplyDeletecharcha ka adbhut tarika....awesome
ReplyDeleteसुंदर लिनक्स का संकलन .... चैतन्य को शामिल करने का आभार
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteअच्छी चर्चा, रोचक अंदाज
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति !!
ReplyDeleteखुबशुरत सतरंगी चर्चा...
ReplyDeleteचर्घा मंच में नए रचनाकारों को शामिल करे लोगो में उत्साह बना रहेगा...
मेरे नये पोस्ट में आपका स्वागत है...
वाह ...बहुत ही बढि़या लिंक्स संयोजन ।
ReplyDeleteThanks for the lovely links.
ReplyDeleteसुन्दर लिंक्स से सुसज्जित रोचक चर्चा।
ReplyDeletebahut badiya links ke saath sarthak charcha prastuti ke liye aabhar!
ReplyDeleteप्रिय रविकर जी ..अभिवादन ..सराहनीय ........
ReplyDeleteजैसे काजल कोठरी
डूबे काजल लगता
ऐसे "भ्रमर" को घूमते
दर्द भरा ही दीखता
आओ मन को हम समझाएं
कभी कभी कुछ रंग बिरंगा
झोली अपनी भर के लायें
जैसे सतरंगी- मित्रों की बगिया से
हो कर आये
इन्द्रधनुष ला ला कर हो यूं
सुन्दर रचना मंच सजाये
बरसे यूं ही हरियाली
हो शान्ति निराली
सदा सदा ही
हम दौड़े इस मंच पे आएं
आभार
भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
क्या बात है रविकर जी,आप अपनी सुन्दर
ReplyDeleteछाप हमेशा ही छोड़ते हैं.
मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करने के
लिए बहुत बहुत आभार.
बढ़िया छंदबद्द चर्चा.
ReplyDeleteखूब कही !!!
ReplyDeleteरंगीन और काव्यमयी चर्चा
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चर्चा!
ReplyDeleteसुंदर लिंक्स से सजी काव्यमयी चर्चा बहुत अच्छी लगी।
ReplyDeleteआपके चर्चा मंच पर आना बड़ा ही सुखद लगता है । मेरे पोस्ट पर आकर मेरा भी मनोबल बढाएं।
ReplyDeleteधन्यवाद ।
आदरणीय रविकर सर,
ReplyDeleteबचपन में सभी ने साबुन के घोल से बुलबुले उड़ाए हैं|
हिन्दी-हाइगा पर प्रकाशित इस रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार किन्तु इसके लिंक खुल नहीं रहे|
सादर
ऋता शेखर मधु
बहुत सुन्दर सतरंगी चर्चा!
ReplyDeleteचर्चा मंच की चर्चा पढ़ा बहुत ही प्रसिद्ध और प्रख्यात हस्तियों की रचना से अवगत हुआ| आपका आभार!
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