मित्रों!
अभी कहीं कार्यक्रम के लिए निकलना है। इसलिए जल्दी में चर्चा लगा रहा हूँ। यदि कल समय पर न पहुँच पाया तो चर्चा को आदरणीय दिलबाग विर्क लगा देंगे। ऐसा मेरा विश्वास है।
अब चलता हूँ कुछ ब्लॉगों की ओर.....
फोकस न लूज करो, मि.मल्टी-टास्कर!!! क्योंकि मेरी लंबाई पे मत जाओ

चाँद :: उस रात देर तक जाग कर देखा मैंने धरती कैसे टूट कर करती रही चाँद को प्यार चाँद कैसे छुप गया था धरती के साये में खुद मिट जाने तक...देवयानी :: प्यार मर जाता है क्योकि दिल का मरीज़ कंगाल : मेडिकल मार्केट के मालिक मालामाल ! आज असंतुष्ट हैं युवराज इसीलिए तो जहर उगलता है ये गांधी... ! इनसे कहिए ना कि "लौकी होती गुणकारी है"! जाड़े की रात-हाइगा में यही तो है बेबसी की आँधी! श्रीमती राजेश विरेन्द्र ने कुछ अलग अर्थात पहली बार दोहे लिखने की कोशिश की है प्रयास कैसा है आप बताएँगे ! बच्चों का कोना में पढ़िए माँ की गोद ही सबसे प्यारी! एक मोहरा - प्रेमी न थे वे तो तुम्हारे भरम में फंसते गए नादाँ थे जो जान न पाए गर्त में धंसते गए! तभी तो निर्माण का सपना बुना और खूब लगाया चूना ! खैर आपके लिए है आयुर्वेदिक व्हिश्की मगर कुछ भी हो प्रचार के नाम पर धोखाधड़ी ही हो रही है। क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि अक्सर नए ख़रीदे कपड़े पहली बार धोने के बाद सिकुड़ कर कुछ छोटे क्यों हो जाते हैं ? ज़िन्दगी की इमारत-मरम्मत की मुहताज़ है कभी-कभी इसके नक्शे भी बदलने होते हैं इसकी बुनियाद को खंडहर ना होने दिया जाय और,खुद को,इन खंडहर की टूटी ईंट ना बनने दिया जाए ...! वृक्ष की पुकार ! वृक्ष करता है पुकार न जाने कितनी बार ? हे मानव !तुमने इस निर्मम कुल्हाड़ी से मुझ पर किया वार . यह है असली बिग BOSS ☻!बच्चों को दीजिये वो जो उन्हे देखने में भाये....! कुँए की पीड़ा क्या होती है? अलग नहीं है किसी की दुनिया मगर जिन्दगी अलग अलग है भले हैं खोये वो रौनकों में मगर सादगी अलग अलग है ! ...काश मैं सब के बराबर होता! चीज़ बनाम मख्खन सेहत -ए -दिल से जुडा है सवाल ! मदन मोहन का दंगल ! न्यूज़ से ज्यादा न्यूड (पोर्न) वेबसाइट है ये !जब से मशहूर हो गया हूँ तब से निर्णय के क्षण में भाई विर्क जी ने एक धारावाहिक रचना लगानी शुरू कर दी है। अन्त में स्वप्न मेरे.....पर दिगम्बर नासवा की एक गजल का लिंक- पिघलती धूप का सूरज कोई पागल निकाले!
नमस्कार! शुभविदा!
अभी कहीं कार्यक्रम के लिए निकलना है। इसलिए जल्दी में चर्चा लगा रहा हूँ। यदि कल समय पर न पहुँच पाया तो चर्चा को आदरणीय दिलबाग विर्क लगा देंगे। ऐसा मेरा विश्वास है।
अब चलता हूँ कुछ ब्लॉगों की ओर.....
फोकस न लूज करो, मि.मल्टी-टास्कर!!! क्योंकि मेरी लंबाई पे मत जाओ

चाँद :: उस रात देर तक जाग कर देखा मैंने धरती कैसे टूट कर करती रही चाँद को प्यार चाँद कैसे छुप गया था धरती के साये में खुद मिट जाने तक...देवयानी :: प्यार मर जाता है क्योकि दिल का मरीज़ कंगाल : मेडिकल मार्केट के मालिक मालामाल ! आज असंतुष्ट हैं युवराज इसीलिए तो जहर उगलता है ये गांधी... ! इनसे कहिए ना कि "लौकी होती गुणकारी है"! जाड़े की रात-हाइगा में यही तो है बेबसी की आँधी! श्रीमती राजेश विरेन्द्र ने कुछ अलग अर्थात पहली बार दोहे लिखने की कोशिश की है प्रयास कैसा है आप बताएँगे ! बच्चों का कोना में पढ़िए माँ की गोद ही सबसे प्यारी! एक मोहरा - प्रेमी न थे वे तो तुम्हारे भरम में फंसते गए नादाँ थे जो जान न पाए गर्त में धंसते गए! तभी तो निर्माण का सपना बुना और खूब लगाया चूना ! खैर आपके लिए है आयुर्वेदिक व्हिश्की मगर कुछ भी हो प्रचार के नाम पर धोखाधड़ी ही हो रही है। क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि अक्सर नए ख़रीदे कपड़े पहली बार धोने के बाद सिकुड़ कर कुछ छोटे क्यों हो जाते हैं ? ज़िन्दगी की इमारत-मरम्मत की मुहताज़ है कभी-कभी इसके नक्शे भी बदलने होते हैं इसकी बुनियाद को खंडहर ना होने दिया जाय और,खुद को,इन खंडहर की टूटी ईंट ना बनने दिया जाए ...! वृक्ष की पुकार ! वृक्ष करता है पुकार न जाने कितनी बार ? हे मानव !तुमने इस निर्मम कुल्हाड़ी से मुझ पर किया वार . यह है असली बिग BOSS ☻!बच्चों को दीजिये वो जो उन्हे देखने में भाये....! कुँए की पीड़ा क्या होती है? अलग नहीं है किसी की दुनिया मगर जिन्दगी अलग अलग है भले हैं खोये वो रौनकों में मगर सादगी अलग अलग है ! ...काश मैं सब के बराबर होता! चीज़ बनाम मख्खन सेहत -ए -दिल से जुडा है सवाल ! मदन मोहन का दंगल ! न्यूज़ से ज्यादा न्यूड (पोर्न) वेबसाइट है ये !जब से मशहूर हो गया हूँ तब से निर्णय के क्षण में भाई विर्क जी ने एक धारावाहिक रचना लगानी शुरू कर दी है। अन्त में स्वप्न मेरे.....पर दिगम्बर नासवा की एक गजल का लिंक- पिघलती धूप का सूरज कोई पागल निकाले!
नमस्कार! शुभविदा!
रोचक शैली में पिरोये सूत्र।
ReplyDeleteजल्दी में की गयी चर्चा भी बहुत सुन्दर बन पड़ी है |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
ReplyDeleteआशा
सराहनीय चर्चा .
ReplyDeleteशुक्रिया इस संक्षिप्त और सुन्दर चर्चा के
ReplyDeletebahut badhiyaa charcha aur umda links dene ke liye dhanyvad
ReplyDeleteजल्दबाज़ी में भी काम के लिंक्स!!
ReplyDeleteसुन्दर रचना शास्त्री जी :) , मेरी रचना "आयुर्वेदिक व्हिश्की" शामिल करने के लिए आभार :) .
ReplyDeleteसादर
कमल
acchi links.aabhar
ReplyDeleteबहुत अच्छा संकलन
ReplyDeleteअच्छे लिंक्स की सुन्दर प्रस्तुति...मेरी रचना,
ReplyDeleteजाड़े की रात-हाइगा में,को शामिल करने के लिए आभार|
बेहतरीन लिंक्स संयोजन ... आभार ।
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा... बढ़िया लिंक्स...
ReplyDeleteसादर आभार...
सुन्दर चर्चा।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रयास की भूरी भूरी प्रशंशा ......बधाईयाँ सर /
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर लिंक्स से सजी उत्तम चर्चा.कुँए की पीड़ा को शामिल करने हेतु हृदय से आभार.
ReplyDeletethanks to take my post here .great job .
ReplyDeleteकुछ हाँथ से उसके फिसल गया,
ReplyDeleteवह पलक झपक कर निकल गया.
फिर लाश बिछ गई लाखो की,
सब पलक झपक कर बदल गया,
जब रिश्ते राख में बदल गए,
इंसानों का दिल दहल गया,
में पूँछ पूँछ कर हार गया,
क्यों मेरा भारत बदल गया,
जय हिंद जय माँ भारती .