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मंगलवार, नवंबर 15, 2011

"बाल-दिवस का पर्व मुझे भी मनाने दो" (चर्चा मंच-699)

मित्रों!
कल का पूरा दिन तो चाचा नेहरू के जन्मदिन (खटीमा में बालदिवस पर आयोजित) बाल मेले पर ही समर्पित रहा। इसलिए उच्चारण पर पोस्ट भी रात को 12-34 पर ही लगा पाया। अब 7-30 प्रातःकाल को चर्चा मंच का 699वाँ अंक सजा रहा रहा हूँ। इसमें देखिए आज सुबह तक के लिंकों की चर्चा।
बालदिवस *सभी बच्चो को बालदिवस कि शुभकामनाये...* *१४ नवंबर १८८९ को हमारे स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का जन्म
मेरी छोटी सी कज़िन *वंशिका *को तो आप जानते ही हैं लीजिये आज बाल दिवस पर फिर से देखिये उनकी कुछ ड्राइंग्स--
" बाल मेला और विमोचन के दृश्य" आज 14 नवम्बर, 2011 को बालदिवस के अवसर पर खटीमा पब्लिक स्कूल एशोसियेसन के द्वारा एक विसाल बाल मेले का आयोजन किया गया। जिसमें एशोसियेसन से जुड़े 53 विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया...
संदेश… नन्हें पथिक को - बहुत साल पहले सन १९९४ में अपने स्कूल के नन्हें मुन्हें बच्चों के लिए ये पंक्तियाँ लिखी थी …… और आज मैं बाल दिवस के उपलक्ष में सभी नन्हें मुन्हें प्यारे...
*अध्यापक..* *अक्सर मत कहो कि तुम सही हो,*
*छात्रों को उसे महसूस कर लेने दो*
*ख़ुद-ब-ख़ुद* *सच को थोपो मत..*
*यह ठीक नहीं है सच के हक़ में,* ...
बाल दिवस के २ अलग अलग रूप - *आज बाल दिवस है ... पर इतने सालों के बाद भी पूरे देश में ... यह सामान रूप से नहीं मनाया जाता ... २ चित्र दिखता हूँ आपको ...
मम्मी ने सुबह जगाकर कहा पापा ने गले लगाकर कहा दादा ने टॉफी देकर कहा दादी ने गोद बिठाकर कहा ...
मंगल कामना - ओ शरद निशे ले आई हो क्यों अद्भुत सुख भण्डार सखी , लहराता दसों दिशाओं में आनंद का पारावार सखी !
"बहता बचपन" - आओ सब बच्चे हो जायें | मनभावन सच्चे हो जायें || बचपन में खुद ही चल दें या | बचपन को ही पास बुलायें ||
कभी आँखों में घर अपना , बसाना नहीं चाहा ....
जख्म कितने हैं, लगे दिल में , दिखाना नहीं चाहा.....
भगवती शांता परम -(मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सहोदरी बहन ) सर्ग-१ भाग-४ रावण, कौशल्या और दशरथ दशरथ युग में ही हुआ, दुर्धुश भट बलवान | पंडित ज्ञानी जानिये, रावण बड़ा महान ||
एक पोस्‍ट मैंने लिखी थी बाघदड़ा नेचर पार्क पर। जहाँ हम पूर्णिमा की रात में एक नेचर पार्क में थे। (पूर्ण चन्‍द्र की रात में जंगल का राग सुनो )
त्रिवेणी पर प्रकाशित
तुलसी - चित्र साभार गूगल * * तुलसी सूरज की आग तपे आंधी की भी मार सहे जब आये बौराया बादल उसकी भी बौछार गहे तिलक लगाते वंदन करते हर रोज परिक्रमा भी भरते
कवि सम्मेलन और ब्लॉगर्स मित्र मिलनआप सब की जानकारी के लिये...

जिदंगी की किताब के पन्नो में रिश्तों के खूबसूरत लम्हें
मै कोपल कोकास मेरे लिए क्या हर व्यक्ति के लिए जिदंगी बहुतखूबसूरत है जिदंगी एक किताब की तरह है जिसमें कई खूबसूरत पन्ने है । हर पन्ने को खुदा एक एक करके खोल...
लुप्त होता अस्तित्व ..... - आज मैं जिस विषय पर लिख रही हूँ उस विषय पर में पिछले कई वर्षों से अनुभव कर रही थी लेकिन किसी न किसी कारणवश इस विषय पर लिख पाना संभव ही नहीं हो पा रहा था। ...
नहीं बदलते राजपूत समाज में महिलाओं के सरनेम - हमारे देश में लगभग समुदायों में महिला का शादी के बाद सरनेम बदल जाता है, उसे अपने पिता के सरनेम से पति का सरनेम रखना पड़ता है|
जंगल में क्रिकेट - *घोड़ों का मत था भाई * * सारे मिलकर बोलो *
*गेंद और स्टिक ले आएँ * * हम खेलेंगें पोलो * *
* *उधर हाथियों ने मिलकर *
* बना लिया एक प्लान * *बॉल बड़ी सी लेकर
- *पावर हॉउस* * * (ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है और इसका किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है.) शहर जहाँ से लगभग खत्म होता है, वहीँ एक छोटा सा...
लौट आओ.. मेरे देवता ! - मैंने सुना था कि प्रेम सबके भीतर ही है उसी, स्वयं के प्रेम को पाने और तृप्त होने के लिए एक मूर्ती का निर्माण किया था. अपने असीम आनंद और विश्वास के स...
संघर्ष ... - *हर दिन का संघर्ष * *खुद का खुद से .....* *नोंच नोंच कर * *खरोंच खरोंच कर ,* *खुद को गढना ,* *उस स्थिति में ढालना * *जो स्वीकार्य हो * *उस ढांचे को *
हंसी को आजाद करते हैं .... !!! - तुम्‍हारे और मेरे बीच यह खामोशी क्‍यूं आपस में हमारी कोई ऐसी बात भी नहीं हुई जो तुम्‍हें और मुझे बुरी लगी हो ... फिर यह पहल करने का अहम बेवजह ही ...
- " चलो दिलदार चलो चाँद के पार चलो " तुम्हारी चमकती आँखों में छांककर पूछती-- और तुम अपनी मदमस्त आँखों को घुमाकर कहते -- " हम है तैयार चलो "
सौम्या का चलती ट्रेन से फेंका जाना, बलात्कार व हत्या व अब न्याय - क्या संसार में कोई ऐसी स्त्री होगी जिसे ऐसा अंत मिलना चाहिए? एक एक हाथ वाले भिखारी ने लेडीज़ कम्पार्टमेंट में घर लौट रही एक तेईस वर्षीय सेल्सवुमेन सौम्या को...
बाबा रामू का प्रवचन - एक दिन सुबह सुबह श्रीमती ने फ़रमाईश रख दी- " बाबा रामू आये हुये हैं आपको हमे प्रवचन में ले चलना होगा। हमने कहा भी कि भाई आज कल बाबा रामू में पहले जैसे योग न...
हौंसले को मत हारना - जंग हार जाना, पर अपने हौंसले को मत हारना दर्द सहते हुए मर जाना, पर खुद को मत मारना हौंसले को हार देने से खुद को मार देने से कुछ हांसिल नहीं हो पायेगा...
तुमने उसे कहीं देखा है क्या... - वो रात का मुसाफिर था. उसके कंधे पर एक पोटली रहती थी. जो खासी भारी सी मालूम पड़ती थी. उस पोटली के बोझ से मुसाफिर अक्सर झुककर चलता था. अपने कंधे के बोझ को ...
निर्णय के क्षण ( कविता ) भाग - 4 -जब भी वह कुंती को दोषी ठहराकर द्वंद्व से मुक्ति पाना चाहता है तभी उसे याद आती है स्थिति ...
रूहानी प्यार "रॉक स्टार" - वहमों गुमान से दूर दूर ,यकीन की हद के पास पास,दिल को भरम ये हो गया कि ........जी नहीं मैं ये अचानक सिलसिला की बात नहीं कर रही हूँ .वरन ना जाने क्यों ....
अत्यंत ख़ुशी के साथ सबको सूचित करना चाहता हूँ कि पिछले ६ महीनों में दूसरी इसी शनिवार को मैंने अपना बांया हाथ तुडवा लिया है. पिछली बार की तरह इस बार भी बांय...
मैं खामोश रहूंगी........!! - *इस बार नही कहूँगी.....कि * *मैं तुम्हे याद करती हूँ,* *इस बार नही कहूँगी......कि * *मैं अपने हर पल, हर लम्हे में * *...
वैसे तो ज्‍योतिष के अनुसार अपने जन्‍मकालीन ग्रहों के हिसाब से ही लोग जीवन में सुख या दुख प्राप्‍त कर पाते हैं ,
पर उस सुख या दुख को अनुभव करने में....
एक शानदार व्यक्तित्त्व का शानदार जीवन सफ़र -- - आज उन्हें इस मृत्युलोक से प्रस्थान किये हुए एक वर्ष पूरा हो गया है । लेकिन आज भी विश्वास नहीं होता कि वे आज हमारे बीच नहीं हैं । फोन की घंटी बजते ही कभी कभी...
आज की चर्चा आवश्यकता से अधिक लम्बी हो गई है!
लेकिन इससे क्या? एग्रीगेटर की कमी नहीं खलेगी आपको!
आप भले ही अन्तराल देकर पढ़ें मगर आपको आनन्द अवश्य आयेगा!

30 टिप्‍पणियां:

  1. अच्‍छी चर्चा।
    बेहतर लिंक्स।

    जवाब देंहटाएं
  2. व्यस्तता में भी आपने सफल चर्चा कर ही ली ||
    बहुत बहुत आभार ||

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  3. आपकी लंबी चर्चा भी अच्छी और आपकी संक्षिप्त चर्चा भी।
    ‘जितनी बंटनी थी बंट चुकी ये ज़मीं‘
    को यहां की शुमूलियत के लिए इज़्हारे तशक्कुर करता हूं।

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  4. कल की अति व्यस्तता के बावजूद इतने सुंदर लिंक्स के साथ एक गरिमा मय चर्चा मंच !!!!!!!!!
    भई वाह !!!!!!!

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  5. मयंक जी, चिट्ठा चर्चा से चिट्ठाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए धन्यवाद. उसमें आप ने मेरी लंदन यात्रा की फोटोडायरी को भी जगह दी इसके लिए मैं आप का आभारी हूँ.

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  6. विस्तृत एवं व्यवस्थित चर्चा के लिये बधाई शास्त्री जी , 'उन्मना' से मेरी माँ की रचना 'मंगल कामना' के चयन के लिये आपका आभार एवं धन्यवाद !

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  7. सुंदर चर्चा सजाई है आपने। मेरी पोस्‍ट को शामिल करने के लिए शुक्रिया।

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  8. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स दिये हैं ...जिनके साथ मेरी रचना को स्‍थान देने के लिऐ आभार ।

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  9. अच्छे लिंक्स के साथ सुन्दर प्रस्तुति...मधुर गुंजन को शामिल करने के लिए आभार|

    जवाब देंहटाएं
  10. अच्‍छी चर्चा।
    बेहतर लिंक्स।
    बहुत बहुत आभार ||

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत खूब छ गए अपने शास्त्री जी मेहनत से सजाई है चर्चा और चर्चित लिंक्स .

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  12. चिठ्ठे अनेक- चर्चा एक ....पसन्द आई...

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  13. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स दिये हैं ... मेरी रचना को स्‍थान देने के लिऐ आभार ।

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  14. bahut acchi charcha...isme meri post ko shamil karne ke liye bahut bahut dhanybad...aabhar

    जवाब देंहटाएं
  15. वंशिका की ड्राइंग्स को यहाँ शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर!

    सादर

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  16. वाह! बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ बढ़िया चर्चा|

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  17. bahut mehnat se tayar charcha dwara upyogi links dene aur meri post ko samman dene k liye aabhar.

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  18. बढ़िया चर्चा सभी पोस्ट अच्छी लगीं मेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए आभार ...

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  19. सुन्दर सार्थक चर्चा....
    सादर आभार....

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  20. चर्चा मंच पर "पावर हॉउस" लेने के के लिए ह्रदय से धन्यवाद...

    जवाब देंहटाएं
  21. अच्छे लिंक्स के साथ सुन्दर प्रस्तुति...isme meri post ko shamil karne ke liye bahut bahut dhanybad...aabhar

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