सादर नमस्कार --
फिर से वापस आ गया, कर आवश्यक काज | सागर का पंछी भला, छोड़े कहाँ जहाज ||
---रविकर
कभी कभी यूँ भी होता है ... निष्ठां, प्रेम, विश्वास से बने आशियाने झूलने लगते हैं अविश्वास , शक अपमान ,तिरस्कार के भूचालों से ... चूलें चरमराने लगती हैं जैसे बने हो ताश के पत्ते के घर एक पत्ता हिला औरबालदिवस
रोज़ सवेरे मेरे आँगन
आती थी इक गौरैया|
कुदक-कुदक कर,
फुदक-फुदक कर,
दाना खाती वह गौरैया|
छोटी सी आवाज़ पर
चौकन्नी होती गौरैया|
चकित नज़र चहुँ ओर डालती
चपल चंचल थी गौरैया|
चिड़ा आए दाना लेने तो
चोंच मारती गौरैया|
नन्हें से बच्चे को लाती
वात्सल्य से भरी गौरैया| |
एक लम्हा वफ़ा का दे दे कोई
एक लम्हा वफ़ा का
दे दे कोई
बीमार -ऐ-दिल को
दवा दे दे कोई
मोहब्बत का जवाब
मोहब्बत से दे दे कोई
नज़रें मेरी तरफ कर ले
टूटे हुए दिल को जोड़ दे
किश्ती को
किनारे लगा दे कोई
दिल को सुकून दे दे
मेरी इल्तजा सुन ले
कोई |
अरबों खरबों के आबंटन, लाख करोड़ों के किस्सेठाले-बैठेपरनवीन जी
नभ रोशन कर पाएँ ना, उन - तारों का हम करें भी क्या|
जन-जन कर विघटित होते - परिवारों का हम करें भी क्या|१|
तन की बीमारी की खातिर, कइयों दवा ईज़ाद हुईं|
पर, घर-घर फैले, मन के बीमारों का हम करें भी क्या|२|
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बेटी बचाओ अभियान (गीत – 3)
आन बान और शान है बेटी
गीता और कुरान है बेटी.
गर्व करें अपनी बेटी पर
जन गण मन का गान है बेटी.
बेटे जैसा खूब पढ़ायें
नव-युग का आह्वान है बेटी.
बेटी मिली - भाग्य सहरायें
ईश्वर का वरदान है बेटी.
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अमेरिकी कुत्ते को राष्ट्राध्यक्ष जैसा सम्मान |
अजनबी मोड अजनबी मुलाकात जानकर भी अन्जान पता नही वजूद जुदा हुये थे या ………… नहीं , आत्मायें कभी जुदा नही होतीं वज़ूद तो किराये का मकान है और तुम और मै बताओ ना वजूद कब रहे हमेशा ही आत्माओ से बंधे रहे अब चाहे कि
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कौन है हमारा idol ( आदर्श ) व्यक्ति? |
सावधान जी का जंजाल बन सकती है समय पूर्व रजोनिवृत्ती .भारत में रजोनिवृति की औसत उम्र महिलाओं में औसतन ४७ बरस है लेकिन अनेक कारणों से प्रीमेच्योर मीनोपोज़ अब ४० साल से पहले आ रही है .एक तरफ दोषपूर्ण खानदानी विरासत ,खराब जीवन इकाइयां ,तपेदिक जैसे आम रोग दूसरी तरफ ,केमोथिरेपी इतर विकिरण प्रभावन (रेडियेशन एक्सपोज़र ),ऑटोइम्यून डिसऑर्डर्स ,मेडिकल तथा सर्जिकल प्रोसीज़र्स इसकी वजह बन रहें हैं . |
वे दिनसोती जगती हंसती आँखें तन्हाई की बरसातें जीवन की करती बातें | सुबह की गुनगुनी धूप ने पैर पसारे चौबारे में हर श्रृंगार के पेड़ तले बैठी धवल पुष्प चादर पर लगती एक परी सी | थे अरुण अधर अरुणिम कपोल मधुर मदिर मुस्कान लिए स्वप्नों में खोई हार पिरोती करती प्रतीक्षा उसकी | कभी होती तकरारें |
जान से हाथ धो बैठे और कितने ही घायल हो गए /ऐसे ही हमेशा कुम्भ या अर्धकुम्भ के समय कुछ ना कुछ हादसे ज्यादा भीड़ के कारण हो जाते हैं और कितने ही लोगों की जान चली जाती है /जिसमे बच्चों और औरतों की संख्या ज्यादा होती है /अब इसमे किसको कितना पुण्य मिल रहा है और कितना पाप यह तो ऊपरवाला ही जाने /परन्तु उसके बाद भी हमारे धर्म के ठेकेदार यह जरुर कहते हैं की आप ने भगवान् की भक्ति में कोई कमी की होगी इसीलिए आपके साथ ये हादसा हुआ है /अगर आप इतना दान -पुण्य और करेंगे तो आपका अगला जनम बहुत अच्छा गुजरेगा /इस जनम का |
जो अल्पमत जबरदस्ती देश का विभाजन करा सकता है, उसे आप अल्पसंख्यक क्यूँ समझते हैं ? वह एक मजबूत सुसंगठित अल्पमत है, फिर उसे संरक्षण एवं विशेष सुविधाएं क्यूँ ? -- सरदार वल्लभ भाई पटेल-- (दिनाक२५-२६ मई १९४९ को
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"बालदिवस के अवसर पर- दोनों पुस्तकों का विमोचन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") "आज बन गये सब व्यापारी"(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") |
nice
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा
ReplyDeleteGyan Darpan
.
जितनी बंटनी थी बंट चुकी ये ज़मीं,
ReplyDeleteअब तो बस आसमान बाकी है |
सर क़लम होंगे कल यहाँ उनके,
जिनके मुंह में ज़बान बाक़ी है ||
Shukriya .
मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे। सुन्दर सूत्र।
ReplyDeleteअच्छे और ज्ञानवर्धक लिंक्स की सुन्दर प्रस्तुति|
ReplyDeleteआभार!
ReplyDeleteआ. शास्त्री जी को पुस्तक विमोचन के सुअवसर पर बहुत बहुत बधाइयाँ। पुस्तकों का इंतज़ार रहेगा। इस सुंदर चर्चा में ठाले-बैठे को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार, एक साल पोस्ट हुई ग़ज़ल पर किसी की नज़र पड़ी तो सही।
ReplyDeleteसराहनीय चर्चा ,...........विचारनीय संकलन ,व रचनाएँ ,आलेख नविन सन्दर्भों में .....बधाई जी /
ReplyDeleteसराहनीय प्रयास। आभार।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चर्चा रहा! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा
ReplyDeleteSunder charcha aur behtreen links.
ReplyDeleteAabhaar.!
सटीक चर्चा के लिए बधाई |मेरी रचना शामिल करने ले लिए आभार |
ReplyDeleteशास्त्री जी की दौनों पुस्तकों के लिए बधाई |
आशा
सुन्दर लिंक संयोजन्……………सुन्दर चर्चा।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे लिंक्स दिये हैं आपने .. आभार ।
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा... उम्दा लिंक्स....
ReplyDeleteसादर आभार...
behad khoobsoorat , maja aa gaya padh ke
ReplyDeleteसुंदर चर्चा।
ReplyDeleteसुंदर दोहे के साथ सुंदर चर्चा
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा;आभार .
ReplyDeleteजहाज पर लौट आये पंछी का स्वागत है.
ReplyDeleteनीड़ सुंदर है सजाया
ज्यों बया का घोंसला
पर की मजबूती से ज्यादा
है जरूरी हौसला.
good .
ReplyDeleteहम वफ़ा से इस तरह कुछ बेवफ़ाई कर गए
ज़िंदगी बीमार जब होने लगी हम मर गए
good .
ReplyDeleteहम वफ़ा से इस तरह कुछ बेवफ़ाई कर गए
ज़िंदगी बीमार जब होने लगी हम मर गए
बहुत बहुत आभार आप सभी का ||
ReplyDeleteरविकर जी चर्चा करें पढ़ कर हुए हम मगन ,सभी लिंक आये पसंद .
ReplyDeleteबढिया लिंक मिले इस अंक में । आभार॥
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका की आपने मेरी पोस्ट "अंधविस्वास " को इसमे शामिल किया /बहुत ही अच्छे लिनक्स के साथ सजाया है आपने ये चर्चा मंच /देर से आने के लिए माफी मांगती हूँ /.आभार
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