आज की चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत है
एक प्रिंसिपल चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी नियुक्त नहीं कर सकता, लेकिन उसने राजपत्रित अधिकारियों ( प्रवक्ता ) की नियुक्ति की । हरियाणा सरकार बैकडोर इंट्री के रूप में हुई इस भर्ती को जायज ठहराने की हर संभव कोशिश कर रही थी , लेकिन हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि सरकार अतिथि अध्यापकों के दवाब में काम कर रही है , यह भर्ती न्यायसंगत नहीं है । यह फैसला झटका है गेस्ट टीचर्स को और ऊँगली उठाता है हरियाणा सरकार की कार्य प्रणाली पर ।
गद्य रचनाएँ
- सुमित प्रताप सिंह जी मिलवा रहे हैं सुप्रसिद्ध ब्लोगर शिखा वार्ष्णेय जी से ।
- अतिथि कब जाओगे ? -- पूछ रहे हैं पात्र ।
- आ गए हैं परीक्षा के दिन - सुनिए कविता रावत जी की बात भी ।
- पल्लवी जी भी बेसुरम पर परीक्षा के मौसम की चर्चा कर रही हैं ।
- देखिए मुलाकात दो ब्लॉगरों की ब्लॉग अरुण कुमार निगम ( हिंदी कविताएँ ) पर
- नया VLC मीडिया प्लेयर डाउनलोड करना है तो पहुंचिए ब्लॉग तकनीक हिंदी में पर .
- हमारी जीवनशैली निमन्त्रण दे रही है घातक बीमारी कैंसर को -- आंकड़ो सहित बता रहे हैं वीरेंद्र शर्मा जी ।
- हिंदी टाइप अब और आसान हो गई है इस साफ्टवेयर के साथ ।
- गणितज्ञ और गणितबाज में फर्क समझा रहे हैं मनीष जी मनोभूमि पर ।
- आनन्द जोशी जी का मानना है कि मीडिया है आँख और कान ।
- अस्तित्व ब्लॉग पर है विषय शादी की एक्सपायरी? क्या जायज है यह आप खुद ही देखिए ।
पद्य रचनाएँ
- अब भी गाँव में है एक पुराना पेड़ ---- उच्चारण पर है एक गजल डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी की।
- हर वृक्ष खुशनसीब नहीं होता - एसा मानना है ऋतू बंसल जी का ।
- जिन्दगी के रंग हैं हाइकु के संग -- ब्लॉग गीत....मेरी अनुभूतियाँ पर ।
- ब्लॉग त्रिवेणी पर है तांका
- दोहों में उत्तर-प्रत्युत्तर चल रहा है शास्त्री जी और रविकर जी के बीच , रविकर जी के दोहे देखिए कुछ कहना है पर ।
- खुदा की बन्दगी कर रहे हैं नजील साहिब ।
- फागुनी बयार बह रही है ब्लॉग आकांक्षा पर ।
- प्रवीन जी ने विदा ले ली है फेसबुक से --- रविकर जी की कलम चली है इस विषय पर भी ।
- भले उससे एक छत्त का अंधियारा ही दूर हो -------- यह कामना कर रही हैं कविता विकास जी ।
- प्रीत को न जाने की कह रहे हैं उदयवीर जी .
- पर्दाफाश कर रहे हैं बबन पांडे जी ।
- नारी मन की खूबसूरत अभिव्यक्ति है संध्या शर्मा जी कविता मैं धरती सी ।
बच्चों का कोना
- कैलाश शर्मा जी उलाहना दे रहे हैं चंदा मामा को ।
- एक नन्हा चित्रकार चित्रित कर रहा है है एक राही को ।
- दादी माँ की कहानी पराधीनता में सुख कहाँ ?
- मानवता के लिए जगत में,अच्छे-अच्छे काम करूँ।। "मुझको दो वरदान प्रभू!"
आज की चर्चा में बस इतना ही
धन्यवाद
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बहुत सुन्दर लिंकों से सजी चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
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आज तारीख लगी है!
अभी हाईकोर्ट नैनीताल के लिए सुबह 5 बजे निकलना है! शुभदिवस!
कुछ और नये सूत्र मिले, आभार..
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा पर बढ़िया अकुलाहट --
जवाब देंहटाएंबिना तिथि के आते हैं पर
जाने की तिथि पाते नहीं ||
विस्तृत सुव्यवस्थित ...सुंदर चर्चा ...
जवाब देंहटाएंआभार ..
दिलबाग जी विस्तृत चर्चा के लिए आभार
जवाब देंहटाएंदिलबाग जी, आपकी चर्चा पढकर वाकई दिल बाग-बाग हो जाता है।
जवाब देंहटाएं------
..ये हैं की-बोर्ड वाली औरतें।
बहुत सुंदर चर्चा आभार ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा दिलबाग जी..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स..
शुक्रिया..
बहुत ही अच्छे लिंक्स का चयन किया है आपने ..आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा ............आभार
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स।
बहुत सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच से तो नाता ही जुड़ गया है..'कलमदान' को प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
सुन्दर सटीक सुव्यवस्थित चर्चा.आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स से सजी सुन्दर चर्चा... "मैं धरती सी.. " को स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंअच्छी रंगबिरंगी चर्चा और कई लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
चिट्ठों का बढिया विभाजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंकों से सजी चर्चा...विर्क जी
जवाब देंहटाएंpure चर्चा मंच की टीम को बधाई ... सुन्दर लिंक ke साथ ...
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स...बहुत रोचक चर्चा...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा...रचनाओं के सुन्दर जमघट में आकर...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!!
दिलबाग उत्तम और सारगर्भित चर्चा.आलेख, पद्य और बाल पृष्ठ को अलग खंडों में कर और भी सुगम बना दिया, सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई.साथ ही आभार, मुझे भी शामिल करने हेतु.
जवाब देंहटाएंसंक्षिप्त सुन्दर चर्चा चर्चित लिंक्स.बढ़िया प्रस्तुति संयोजन लाज़वाब .बधाई ज़नाब .
जवाब देंहटाएंक्षमा कीजिए.. आने में जरा देरी हो गयी. लेकिन मुझे आश्चर्य होता है कि ब्लॉग संसार से इतना अलग थलग रहने के बावजूद भी आपने मेरे लेखों को एक स्थान दिया.
जवाब देंहटाएंशुरूआती दौर में मैं कमेंट के द्वारा विचारों के आदान प्रदान करना एक शिष्टाचार समझता था. जाहिर है वह एक अच्छी अनुभूति हुआ करती थी.. नये लोगों से परिचय, बातचीत.. लेकिन समय के साथ ऐसा लगा जैसे वे बातें रसहीन सी हो गयी हैं.. अब वे उन उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करती. न ही सार्थक प्रशंसा और न ही सार्थक मार्गदर्शन..
शायद इसीलिए अलग थलग पड़े रहने में सुकून मिलता है.. लेकिन अपनी पसंद की चीजों को खामोशी से पढ़ना अभी भी अच्छा लगता है.. चर्चामंच में कुछ हद तक अपनी पसंद की चीजें मिल ही जाती है.. आप भी जानते हैं कि सभी चीजें तो पसन्द में नहीं जुड़ सकती हैं न!! कुछ विशेष ही होती है जो एक समय विशेष के मूड में अच्छी लग जाती है.. :)
बहरहाल, आपका धन्यवाद!!