दिल के मतदान की तिथि १४ फरवरी नजदीक है , हफ्तों पहले लडके और लड़कियां यूद्ध स्तर पर तैयारी पे लगे हैं, कोई इन्टरनेट से प्रचार कर रहा है,..... अगर हो सके तो प्यार के फूल खिलाना जिससे महक सके घर आंगन अगर ऐसा संभव न हो तो कम - से - कम बचना नफरत की दीवार उठाने से ... आखिर ये दिन आ गया , बहुत दिनों के बाद । टूट गया क्रम हर का , चखा जीत का स्वाद ।।.. कभी भी कोई भी आत्मसम्मान वाला देश और उसके देशवासी अपने देश को लूटने , अपनी बहन बेटी के बलात्कार करने वाले और हर तरह के व्यभीचारी आक्रमणकर्ताओं के द्वारा लिखा इतिहास स्वीकार नही कर सकते......तो फिर हम लोगो को क्या हो गया है जो हम महाराणा प्रताप को कायर और अकबर को महान बोलते है?....अकबर को महान बोलने वाले लोग यहाँ पर देखे...की कैसे हम लोगो से सच को छुपा कर आज तक गुलाम बना कर रखा गया है...क्या अकबर महान था ? |
अनुराग अनंत के ब्लॉग पर उनकी रचना पढ़ कर जो मन में भाव उठे .. उनको आपके साथ बाँट रही हैं .. मुस्कुराती तस्वीर लोमड़ी और सारस की काव्य-कथा पढ़िए बच्चों का कोना में! - गहरे दोस्त लोमड़ी सारस, रहते थे एक नदी किनारे. कहा लोमड़ी ने सारस से, खाने पर घर आओ हमारे. सूट, बूट और टाई पहन कर, सारस घर से निकला सजकर..,.. ज़ेर-ए-लब भी हम शिकायत कर ना सके दर्द-ए-दिल कागज़ पर हम रचते रहें* *वे खुश होकर पढ़ते, तारीफ़ करते रहे ... दिग्विजय सिंह ने 'लाटूर के भूकंप' और 'जापान की सुनामी' के लिए भी 'RSS' को जिम्मेदार ठहराया। जय हो ! झक्की दिग्गी! गाड़ी छुक-छुक चल रही, तेइस घंटे लेट । चौदह को निश्चित करे, वेलेन्टाइन डेट । कलमदान - *सूरज न मुख करियो मेरी ओर* * बसंती हो जाऊँगी...* * रंग बसंत ,राग बसंत ,रुत बसंत * * बसंत ही में ढल जाऊँगी * * फिर ओढ़ बसंती चुनरी * * मन ही मन इठलाऊँगी... वो एक बेचैन सी सुबह थी, आस पास लोगों की भीड़... कई सारे अपने से चेहरे, जैसे सभी से एक न एक बार मिल चुका हूँ कहीं, बस अपने आप को .... अबके आना तो चराग़ों की हंसी ले आना लान की घास से थोड़ी सी नमी ले आना ---- ![]() |
जब मेरा मन उदास होता है तो उदासी चाहती है कि, शब्द उसे गले लगा लें...! कोई मौन दयालु हो जाए और, वाणी को वहीँ से श्रोत मिले ऐसा श्रोत- जिसमें शब्द तो हों पर... जीवन का वरदान! |
.कृष्ण लीला .........भाग 36 इक दिन मोहन मन -मोहिनी रूप बनाये यमुना किनारे खेलने गए किरीट कुंडल पहने उपरना ओढ़े लकड़ियाँ हाथ में लिए पीताम्बर डाले सखा के कंधे पर हाथ धरे खड़े थे... मुम्बई दो छोरों का शहर है ![]() इनका शुभ नाम है - चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद, इनकी Industry है Non - Profit और ये Occupation से हो चुके हैं - सेवा निवृत्त । |
नूतन मनहरण.... किरण से त्रिभुवन को जगा दो निहारूं तुम्हारे आँखों पर आये अपार करुणा को नमन है निखिल चितचारिणी धरित्री को जो नित्य नृत्य करे -- |
पहाड़ उसे बुला रहे अश्रुपूरित नयनों से वह देखती अनवरत दूर उस पहाड़ी को जो ख्वावगाह रही उसकी आज है वीरान कोहरे की चादर में लिपटी किसी उदास विरहनी सी ... |
*कलियों फूलों पर मंडराया।।*** *यह गुंजन करता उपवन में।*** *गीत सुनाता है गुंजन में।।*** *कितना काला इसका तन है।*** *किन्तु बडा ही उजला मन है....... |
चेहरा - राधा जिसकी तारीफ करते लोग थकते नही, चाहे वो उसके रिश्तेदार हो, आस- पडोस के लोग हों या उसके मित्र । सभी कहते जिस घर जायगी, वो बहुत ही भाग्यवान होगा । मगर ... |
विश्वास-अविश्वास-विश्वास सर्द रात फटे हुए कपड़ों में सर घुटनों में छुपाए सिसकियाँ ले कर आंसू बहा रही थी सर्दी में काँप रही थी उस पर मेरी दृष्टि पडी रोने का कारण जानने की... काश मैं बदल सकता वक़्त गुज़रते हुए देखें हैं, साल कई; गुज़रते हुए देखें हैं, लोग कई. पर दर्द असहनीय और गहरा देखा; जब बेटे को पिता के कंधों पर जाता देखा. काल से पूछता हूँ,.... |
जागो सखी, जागो बसंत आ गया ......... अवनी के कण-कण में. अपरमित उल्लास है छाया जागो, जागो .... जागो सखी, जागो बसंत आ गया ..... |
बसंत कब घबराता है हाथों में फूलों को लेकर जब तुम मुस्काती हो तब सावन मुस्काता है । नयनों में काजल भरकर जब पलकें गिराती हो तब भादों शरमता है ..... |
विडम्बना एक तरफ बनाकर देवी, पूजते हैं हम नारी को, भक्ति भाव दर्शाते हैं, बरबस सर नवाते हैं, माँ शारदे के रूप में कभी ज्ञान की देवी बताते हैं.. ये कार्टून! |
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Saturday, February 04, 2012
"काश मैं बदल सकता वक़्त" (चर्चा मंच-779)
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बेहतरीन चर्चा , नया सुन्दर और आकर्षक अंदाज ,
ReplyDeleteमेरी रचना "दिल के मतदान का घमासान " को शामिल करने के लिए आभार .
सादर
कमल
जन्म दिन की जी गुरु-
ReplyDeleteशत शत बधाई |
साल के सद्कर्म की वह रोशनाई --
आज बैलूनों में टँगी शोभा बढाए
व्यर्थ कहते हैं उमर इसने घटाई --
जलपोत जीवन का कहाँ स्थिर रहा कब -
चल रहा, चलता रहा कल्याण करता
लहर उसकी क्या बिगाड़ें --कुछ भी नहीं तो--
आज तक
झंडे सफलता के गड़े- गड़ते रहेंगे--
हाँ गुरूजी
आप यूँ चलते रहेंगे --
मार्गदर्शन शिष्य का करते रहेंगे --
शत शत बधाई ||
जन्मदिन की अनेक शुभकामनायें !
ReplyDeleteपोस्ट के लिंक्स सजाने का अंदाज बहुत ही
बेहतरीन लगा ! बहुत बहुत आभार मेरी रचना शामिल करने के लिये !
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार!
जन्मदिन की शुभकामनायें:)
शृंगार के साथ चर्चा, अभिनव प्रस्तुति!!
ReplyDeleteजन्मदिन की अनंत शुभकामनायें!!
'निरामिष' के आलेख को चर्चा की कमान पर चढ़ाने का शुक्रिया!!
बेहतरीन और सार्थक चर्चा ।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार ।
जन्मदिन की शुभकामनायें:)
बेहतरीन चर्चा , कई सारे लिनक्स मिले, आभार
ReplyDeleteजन्मदिन की शुभकामनायें स्वीकारें
Nice .
ReplyDeleteकैंसर का इलाज आसान है
कैंसर का शुमार आज भी लाइलाज बीमारियों में होता है तो इसके पीछे सिर्फ़ पैसे की हवस है।
see :
http://hbfint.blogspot.in/2012/02/cure-for-cancer.html
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
सश्रम सजाई गई बेहतरीन चर्चा । मेरी रचना "विडंबना" को स्थान देने के लिए आभार ।
ReplyDeleteसाथ ही जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ शास्त्री जी ।
जन्मदिन की बधाई
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति..
ReplyDeleteजन्म दिन की बहुत२ बधाई ...
NEW POST..फुहार..कितने हसीन है आप...
अच्छे चर्चमन्च के लिये बधाई....
ReplyDeleteशास्त्रीजी का जन्म दिन है .....बधाई...
’स जातो येन जातेन याति वंश समुन्नितं’
उम्र कम होने की हो क्यों फ़िक्र यारा,
ReplyDeleteएक दिन का और अनुभव जुड गया।
कौन लम्बी उम्र पाकर जी गया,
चार दिन सत्कर्म के ही उम्र यारा ॥
बहुत सुन्दर लिंक्स...रोचक चर्चा...आभार
ReplyDeleteमेरे कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आभार.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
ReplyDeleteजन्मदिन की बधाई.
ReplyDeleteमेरी रचना को भी सम्मिलित करने के लिए आभार.
जन्म दिन की बधाई......!!
ReplyDeleteThanks for all the creative blogs....
really Nice.:)
मेरे लिंक को अपना 'मनपसंद ' ,कहने के लिए धन्यवाद ,आशा करती हूँ की औरों को भी पसंद आया होगा ..
ReplyDeleteसभी लिनक्स जो आपने चर्चा में संजोये हैं ,सुन्दर हैं..
kalamdaan.blogspot.in
उम्दा एवम काम की लिंक्स से लबालब चर्चा
ReplyDeleteआभार लीजिये