बेटियां बहुत खुशी की बात है कि मेरी कविता “बेटियां” की कुछ पंक्तियां युनाइटेड नेशन्स पापुलेशन फ़ण्ड द्वारा मध्य प्रदेश में बालिका शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिये चलाये जा रहे प्रोजेक्ट में पोस्टर,बैनर्स,और फ़्लैक्स के लिये चुनी गयी हैं।ये सभी बैनर्स,पोस्टर्स और फ़्लैक्स वहां के सभी स्कूलों,सरकारी कार्यालयों में लगाये गये हैं। मैं यह खुशी आप सभी के साथ बांटना चाहती हूं। |
कितना खोया कितना पाया(जन्मदिन पर एक आत्मविश्लेषण) कितना खोया कितना पाया, कितना जीवन व्यर्थ गंवाया? जितने स्वप्न कभी देखे थे, कितने उनको पूरा कर पाया? |
कुँवर कुसुमेश बड़ा मायूस है वो ज़िन्दगी से क्या हुआ उसको. दिखा देता अँधेरे से कोई लड़ता दिया उसको. वफ़ा के नाम पे जिसने हमेशा बेवफाई की, यक़ीनन रास आयेगा नहीं हर्फ़े-वफ़ा उसको. |
अभी तो होश में हूँ मैं, अभी तो जाम बाकी हैjअभी तो है सजी महफिल, अभी तो पास साकी है अभी तो होश में हूँ मैं, अभी तो जाम बाकी है नहीं भूला हूँ मैं कुछ भी, ठिकाना याद है अपना अभी मैं और क्षलकाओ, अभी ना मैंने ना की है | डॉ आशुतोष मिश्र आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी बभनान गोंडा उत्तरप्रदेश |
एक अजन्मी बच्ची की बातें : words of a baby girl .....माँ ! माँ ! सुन रही हो?सुनो ना माँ! अरे इधर उधर मत देखो माँ ! में तुम्हारे अन्दर से बोल रही हू ,नहीं समझी ना ? में तुम्हारी बच्ची बोल रही हू. पता है .मेरे छोटे छोटे हाथ पाँव है अब ... में महसूस करने लगी हू हर हलचल को ,हर आहट को.(Dear mom are u there? i am your baby girl inside you. please give me a chance to see this world .i can feel this world now ....) कल जब तुम कहीं गई थी वहा जाने केसी मशीन लगाई गई थी तुम्हारे शरीर पर, सच कहू ? बड़ा दर्द हो रहा था माँ...एसी जगह मत जाया करो ना ,पता है मैं बहुत खुश हू की जब कल रात में दादी कह रही थी मत ला इसे इस दुनिया में तब तुमने इसका विरोध किया ,तुम नहीं जानती माँ में कितनी खुश हो गई की तुमने मुझे प्यारी सी दुनिया में लाने की बात सोची.... |
अनोखी बेटीअनोखी बेटी
| प्रेरणा अर्गल |
11 मिनिट ले उडती है एक सिगरेट आपकी ज़िन्दगी के .11 मिनिट ले उडती है एक सिगरेट आपकी ज़िन्दगी के .स्वास्थ्यकर भोजन और जोगिंग ,नियमित व्यायाम सब जाया हो जाता है यदि आप स्मोक करतें हैं बीडी सिगरेट पीते हैं किसी और बिध तम्बाकू का सेवन करतें हैं .पान मसाला खातें हैं खैनी खातें हैं .विश्वकैंसर दिवस पर कैंसर के माहिर डॉ .वेदान्त काबरा कहतें हैं .:सेहत दुरुस्त रखने का जीवन शैली सुधारने का एक ही तरीका है धूम्रपान छोड़ दिया जाए . रोजाना तकरीबन ३००० बच्चे धूम्रपान की जद में आजातें हैं अपनी पहली सिगरेट सुलगा लेतें हैं .इसी बीमारी के चलतेइनमे से एक तिहाई अ -समय ही चल बसतें हैं . बीडी पीने लगतें हैं .ज्यादातर लोग किशोरावस्था में ही यह रोग पाल लेतें हैं . हर आठ सेकिंड में सिगरेट एक का जीवन ले लेती है .कुलमिलाकर पचास लाख लोग हर साल सिगरेट की भेंट चढ़ जातें हैं |
महाराजा छत्रसालचंपतराय जब समय भूमि मे ंजीवन-मरण का संघर्ष झेल रहे थे उन्हीं दिनों ज्येष्ठ शुक्ल 3 संवत 1707 (सन 1641) को वर्तमान टीकमगढ़ जिले के लिघोरा विकास खंड के अंतर्गत ककर कचनाए ग्राम के पास स्थित विंध्य-वनों की मोर पहाड़ियों में इतिहास पुरुष छत्रसाल का जन्म हुआ। अपने पराक्रमी पिता चंपतराय की मृत्यु के समय वे मात्र 12 वर्ष के ही थे। वनभूमि की गोद में जन्में, वनदेवों की छाया में पले, वनराज से इस वीर का उद्गम ही तोप, तलवार और रक्त प्रवाह के बीच हुआ। पांच वर्ष में ही इन्हें युद्ध कौशल की शिक्षा हेतु अपने मामा साहेबसिंह धंधेर के पास देलवारा भेज दिया गया था। माता-पिता के निधन के कुछ समय पश्चात ही वे बड़े भाई अंगद राय के साथ देवगढ़ चले गये। बाद में अपने पिता के वचन को पूरा करने के लिए छत्रसाल ने पंवार वंश की कन्या देवकुंअरि से विवाह किया। |
28 वर्ष बाद वो ऐतिहासिक घड़ी आ ही गई , जब भारत ने दोबारा विश्व कप को चूमा . टीम इंडिया इसके लिए बधाई की पात्र है . उन्होंने जिस तरीके से आस्ट्रेलिया , पाकिस्तान और श्रीलंका को हराया वो सामूहिक प्रयास का ही नतीजा था .फाइनल की जीत तो लाजवाब थी बल्लेबाज़ी में असफल चल रहे कप्तान धोनी ने भी फार्म में लौटने के लिए सही दिन चुना और कप्तानी पारी खेलकर टीम को चैम्पियन बनाया . गंभीर ने भी इस मैच में शानदार 97 रन बनाए . भारतीय टीम का फाइनल में क्षेत्ररक्षण का स्तर भी बहुत ऊँचा रहा . सहवाग -सचिन के जल्दी आउट होने के बाद कोहली ,गंभीर ,धोनी , युवराज ने जीत सुनिश्चित करके ही दम लिया . |
सन २०११ कब आया और कब ख़त्म हो चला पता ही नहीं चला ! आप लोगों ने तो शायद कुछ सार्थक किया ही न हों लेकिन हमारी सरकार जिसे झेलने के सिवा हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं हैं , उसने कई मक़ाम हासिल किये हैं इस ज... |
नयी पीढ़ी उवाच – आप नहीं समझोगे, वास्तव में हम नहीं समझ सकते – अजित गुप्ताभारतीय रेल मानो संवाद का खजाना। कितनी कहानियां, कितने यथार्थों से यहाँ आमना सामना होता है। कितने मुखर स्वर सुनाई देते हैं? बस आप एक मुद्दा छोड़ दीजिए, कानों में ईयर-फोन लगाया व्यक्ति भी बोल उठेंगा। कोई डर नहीं, कोई चिन्ता नहीं कि मेरी बात से कोई नाराज होगा या बहस किस दिशा में जाएगी? क्योंकि सभी को कुछ घण्टों में ही बिछड़ जाना है। कभी बहस के ऊँचे स्वर भी सुनायी दे जाते हैं लेकिन छोटे से सफर में भला बहस को कितनी लम्बाई मिल सकेगी? खैर मैं अपनी बात कह रही थी अभी 9 अप्रेल को दिल्ली जाने के लिए रेल सेवा का उपयोग कर रही थी, साथ में दो साथी भी थे। एक जगह रहने के बाद भी बातचीत का सिलसिला रेल यात्रा में ही पूरा होता है। साथी के बेटे के बारे में बात निकली और पूछा कि कब शादी कर रहे हो? बात आगे बढ़ी और इस बात पर आकर ठहर गयी कि बच्चे कहते हैं कि आप कुछ नहीं समझते हो। पहले माता-पिता कहते थे कि तुम कुछ नहीं समझते हो और अब बच्चे कहते हैं कि आप लोग कुछ नहीं समझते हैं और आपको हम समझा भी नहीं सकते हैं। |
नारी आज भी कमजोर ...?नारी आज भी कमजोर और पराधीन क्यों ? प्रश्न नारी की अस्मिता का नहीं अबला घोषित करने का है अपना जेहन टटोलो और इस झूठ को समझने ही कोशिश करो समझ जाओ तो अनुभूतियों का आकाश |
मुझे ये हक दे दो माँ...मुझे ये हक दे दो माँ.. तेरी कोख को मैंने है चुना मुझे निराश न करना माँ जीने का हक देकर मुझको उपकार इतना तुम करना माँ |
तुम कहते थे - "करो प्रतीक्षा, मैं आने वाला हूँ" "मीठा बतरस घोल रखो, बस पीने ही वाला हूँ" ना तुम आये, न ही आयी, कोई सूचना प्यारी. पाठ हमारे भारी-भरकम, घुटनों की बीमारी. वज़न अगर कम हो पाये तो चलना सहज हुवेगा. जिन नयनों के सम्मुख गुजरे, उठकर चरण छुवेगा. इसीलिए उपवास कर रहे 'पाठ' छंद वाले अब. वज़न घटेगा, होगा दर्शन अमित, खुलेगा व्रत तब. दर्शन-प्राशन |
कोख में पली हूं नौ माह मैं भी तो मां ... रस्म के नाम पर, रिवाज के नाम पर जाने, कब तक होती रहेगी यूं ही कुर्बान जिंदगी । पोछकर अश्क अपनी आंख से पूछती जब, बेटी मां से क्यों दी मुझे तूने ऐसी जिंदगी । मेरा कोई दोष जो मुझे मिला ये कन्या जन्म, | लाडली; बेटियों का ब्लॉग |
सच्चाई की बात करो तो, जलते हैं कुछ लोग, जाने कैसी-कैसी बातें, करते हैं कुछ लोग। धूप, चांदनी, सीप, सितारे, सौगातें हर सिम्त, फिर भी अपना दामन ख़ाली, रखते हैं कुछ लोग। उसके आंगन फूल बहुत है, मेरे आंगन धूल, तक़दीरों का रोना रोते रहते हैं कुछ लोग। -महेंद्र वर्मा |
सूखी रेत पर अब कोई तहरीर लिखी नहीं जाती हैमन की बात मन में ही दबी सी जाती है बात लबों तक आकर भी निकाली नहीं जाती है आज हो गया है , दिल मेरा पत्थर अब तो फूलों की महक भी सही नहीं जाती है . |
बहन हो तो ऐसी -जैसी शिखा कौशिक
''आदमी वो नहीं हालत बदल दें जिनको ,
आदमी वो हैं जो हालत बदल देते हैं.''
पूरी तरह से खरी उतरती हैं ये पंक्तियाँ मेरी छोटी किन्तु मुझसे विचारों और सिद्धांतों में बहुत बड़ी मेरी बहन ''शिखा कौशिक पर .
कोई नहीं सोचता था कि ये छोटी सी लड़की इतने महान विचारों की धनी होगी और इतनी मेहनती.जब छोटी सी थी तो कहती थी भगवान् के पास रहते थे उन्होंने हमारा घर दिखाया और उससे यहाँ रहने के बारे में पूछा और उसके हाँ करने पर उसे यहाँ छोड़ गए .सारे घर में सभी को वह परम प्रिय थी और सभी बच्चे उसके साथ खेलने को उसेअपने साथ करने को पागल रहते किन्तु हमेशा उसने मेरा मान बढाया और मेरा साथ दिया .
"हमारी 38वीं वैवाहिक वर्षगाँठ पर " डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
साथी साथ निभाते रहना।
मेरे मन के उपवन में तुम,
सुन्दर सुमन खिलाते रहना।।
दुख आया या सुख मुस्काया,
साथ-साथ सब हमने झेले,
गाड़ी के दो पहिए बनकर,
पार किये हैं सभी झमेले,
मेरी सरगम में आगे भी,
तुम आवाज़ मिलाते रहना।
मेरे मन के उपवन में तुम,
सुन्दर सुमन खिलाते रहना।।
मेरे माता और पिता जी,
धन्य हुए बेटी को पाकर,
सगी बेटियाँ भूल गये हैं,
तुमसे पाकर इतना आदर,
बेटे, पोते-पोती पर भी,
स्नेह सुधा बरसाते रहना।
मेरे मन के उपवन में तुम,
सुन्दर सुमन खिलाते रहना।।
रोटी-दूध उन्हें भी मिलता,
जो बिन झोली के बेचारे,
चौकीदारी करते रहते,
टॉम-फिरंगी प्यारे-प्यारे,
अपनी मोहक मुस्कानों से,
सबका मन बहलाते रहना।
मेरे मन के उपवन में तुम,
सुन्दर सुमन खिलाते रहना।।
सफर हुआ अड़तिस वर्षों का,
घर मेरा बन गया हबेली,
लेकिन तुम लगती हो मझको,
अब भी बिल्कुल नई-नवेली,
स्वप्निल आँखो के कोनों में,
सुख-सपने दिखलाते रहना।
मेरे मन के उपवन में तुम,
सुन्दर सुमन खिलाते रहना।।
जारी है ----
श्रेष्ठ रचनाओं का अच्छा संकलन।
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल को भी शामिल करने के लिए आभार , रविकर जी।
सफर हुआ अड़तिस वर्षों का,
जवाब देंहटाएंघर मेरा बन गया हबेली,
लेकिन तुम लगती हो मझको,
अब भी बिल्कुल नई-नवेली,
best,बधाई.
श्रेष्ठ रचनाओं का संकलन,वाह.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेरी ग़ज़ल को स्थान देने के लिए.
आज का चर्चा-मंच कमल जी
जवाब देंहटाएंको प्रस्तुत करना था --
यह चर्चा तो शुक्रवार के लिए
शिड्यूल थी परन्तु --
कमल जी की अनुपस्थिति
और शास्त्री जी के पंतनगर प्रवास
का परिणाम है --
बहुत ही अच्छे लिंक्स का चयन किया है आपने जिनके साथ मेरी रचना भी शामिल करने के लिए आभार ।
जवाब देंहटाएंकमाल है रविकार जी।
जवाब देंहटाएंआपने तो बहुत परिश्रम किया है लिंक लगाने में।
आभार!
अच्छा संकलन.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा और काफी मेहनत से हुवी चर्चा ...
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठ रचनाओं का अच्छा संकलन
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचनाएँ संकलित की हैं । बधाई ।
जवाब देंहटाएंsundar charchaa links baakee apdhne hain .
जवाब देंहटाएंरविकर जी ,..अच्छे सुंदर सूत्र संकलन के लिए बहुत२ बधाई,.....
जवाब देंहटाएंबढिया संकलन।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स का चयन किया है बधाई,.....
जवाब देंहटाएंनई-नवेली.nice
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंबेहतर लिंक्स।
bahut achchi lagi.....
जवाब देंहटाएं2011 की पोस्टों का उत्कृष्ट संकलन...
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपने बेस्ट ऑफ़ २०११ के चर्चा मंच में मेरी पोस्ट "अनोखी बेटी "को शामिल किया /बाकि लिनक्स भी बहुत अनोखे और अनुपम हैं /चर्चा मंच भी आपने बहुत सुंदर ढंग से सजाया है /बहुत बहुत बधाई आपको /आभार /
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपने बेस्ट ऑफ़ २०११ के चर्चा मंच में मेरी पोस्ट " मुझे ये हक दे दो माँ "को शामिल किया .. बहुत ही अच्छे लिंक्स का चयन किया है बधाई,.....सभी बहुत अच्छे लगे..पुन: धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा संकलन..बहुत अच्छे लिंक्स चुने हैं. मेरी रचना को स्थान देने के लिये आभार..
जवाब देंहटाएंachey vishay aur achi rachnaon ka sankalan.....charcha manch bahut bhata hai
जवाब देंहटाएंआपने तो गजब का कार्य किया है। कैसे चयन किया इतनी पोस्टों में से एक पोस्ट को? आपका बहुत आभार।
जवाब देंहटाएं