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शुक्रवार, फ़रवरी 03, 2012

सौन्दर्य दर्शन और गाडी चालन : चर्चा मंच 778

छपते-छापते

Have you ever seen a snake in this pose..!!!

(1)
पिट्सबर्ग में एक भारतीय *

पर 

गन्धहीन - कहानी

शरद ऋतु की अपनी ही सुन्दरता है।

रेस्त्राँ में ठीक सामने बैठी रूपसी ने कितने दिल तोड़े हों, किसे पता।
देख भी लें तो पहचानेंगे कैसे?
कभी उस दृष्टि से देखने की ज़रूरत ही नहीं समझते हम।
तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो, जहाँ उम्मीद हो उसकी वहाँ नहीं मिलता।
~ नक़्श लायलपुरी
कथा व चित्र: अनुराग शर्मा 
खैर,
सो तय हुआ कि ऐसे पौधे लगाये जायें जो रंगीन हों, सुन्दर भी हों, परंतु हों गन्धहीन।

(2)
164323_156157637769910_100001270242605_331280_1205394_nआप सभी पाठकों को नमन करते हुए अनामिका एक बार फिर हाज़िर है आपके समक्ष कथासरित्सागर की एक और कथा लेकर.  कथासरित्सागर की कहानियों में अनेक अद्भुत नारी चारित्र भी हैं और इतिहास प्रसिद्द नायकों की कथाएं भी हैं.मूल  कथा में अनेक कथाओं को समेट लेने की यह पद्धति रोचक भी है और जटिल भी.  ये  कथाएं आप सब के लिए हमारी भारतीय परंपरा को नए सिरे से समझने में सहायक होंगी.

(3)
मेरा फोटोअनुपमा त्रिपाठी जी को पढ़ना सदैव एक सुखद और आध्‍यात्मिक अनुभूति लिए होता है। वे एक कवियत्री तो हैं ही, साथ ही संगीत साधक भी हैं। इसीलिए वो कहती हैं – संगीत और कविता एक ही नदी की दो धाराएं हैं -- इनका स्रोत एक ही है, किंतु प्रवाह भिन्‍न हो जाते हैं।”  
कैसा उन्‍माद
कण-कण पर छाया
हुलक-हुलक.....पुलक-पुलक
हुलक-पुलक.....पुलक-हुलक
लहराती गीत गाती है धरा


(4)

आ जाओ ना-----

झरोखा पर 


कई दिनों से ढूंढ़ रही हैं
मेरी नजरें उनको

(5)
पर
हाँ ....बुरी औरत हूँ मैं मानती हूँ...... क्यूँकि जान गयी हूँ अपनी तरह अपनी शर्तों पर जीना नहीं करती अब तुम्हारी बेगारी दे देती हूँ तुम्हारी हर गलत बात का जवाब नहीं मानती आँख मूँद कर तुम्हारी हर बात सिर्फ तुम...

 और 

40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ... पर

Anniversary Scraps and Graphics
02/02/1972


"सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

 
प्रेम-प्रीत के चक्कर में पड़,
सीमाएँ मत पार कीजिए।
वैलेन्टाइन के अवसर पर---

कुछ-संकेत   
पे =सोने पे सुहागा ;  
ताके=सिंहावलोकन
रही =पथ का राही
फर्ज =मनसा वाचा कर्मणा 
भाग =जीवन की आपाधापी  
करे=मिसफिट  
धीरज =कासे कहूँ 
खात्मा=कर्मनाशा

31 टिप्‍पणियां:

  1. रविकर जी!
    बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुत की है आपने!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. ravikar ji
    charchamanch par meri post laane ke liye bahut bahut dhnyvad,

    sabhi links bahut achchhe hain

    जवाब देंहटाएं
  3. अलग ही अंदाज में चर्चा।
    बहुत बढिया।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी चर्चा संवारी है आपने.

    मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'
    को 'फर्ज' में लिपटा देख अच्छा
    लगा.

    जो भी 'फर्ज' दबाए
    वह मेरी पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-३'
    पर पहुँच जाए.

    बहुत बहुत आभार रविकर जी.

    जवाब देंहटाएं
  5. मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत२ आभार,
    बेहतरीन ,लाजबाब प्रस्तुती

    MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...

    जवाब देंहटाएं
  6. ravikar ji
    aapka yah charch manch sada hirochakta se paripurn raha hai.sabki prastutiyan bhi bahut bahut hi achchi lagin.
    hardik dhanyvaad
    poonam

    जवाब देंहटाएं
  7. पथ का राही
    को लोगों तक पहुचने के लिए सहृदय आभार.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  9. बढ़िया चर्चा के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  10. रविकर चर्चा का अन्दाज़ ही अलग है, कहानी "गन्धहीन" शामिल करने के लिये धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  11. गागर में सागर के रुप में संक्षेप में प्रस्तुत चर्चा के साथ नजरिया ब्लाग की मेरी पोस्ट को भी शामिल करने हेतु आभार सहित...

    जवाब देंहटाएं
  12. आभार!! पोस्ट को चर्चामन्च का हिस्सा बनाने के लिए..

    जवाब देंहटाएं
  13. ravikar ji aabhar....aap sada hi rajbhasha blog ka dhyan rakhte hue meri post ko yahan samman dete hain. bahut aabhari hun.

    sunder prayas.

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुंदर चर्चा। आभार मुझे शामिल करने हेतु

    जवाब देंहटाएं

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