रही अनवरत फर्ज , भाग बेचैन आत्मा। |
(1) पिट्सबर्ग में एक भारतीय * परगन्धहीन - कहानीशरद ऋतु की अपनी ही सुन्दरता है।रेस्त्राँ में ठीक सामने बैठी रूपसी ने कितने दिल तोड़े हों, किसे पता। देख भी लें तो पहचानेंगे कैसे? कभी उस दृष्टि से देखने की ज़रूरत ही नहीं समझते हम। तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो, जहाँ उम्मीद हो उसकी वहाँ नहीं मिलता।
सो तय हुआ कि ऐसे पौधे लगाये जायें जो रंगीन हों, सुन्दर भी हों, परंतु हों गन्धहीन। |
(2) आप सभी पाठकों को नमन करते हुए अनामिका एक बार फिर हाज़िर है आपके समक्ष कथासरित्सागर की एक और कथा लेकर. कथासरित्सागर की कहानियों में अनेक अद्भुत नारी चारित्र भी हैं और इतिहास प्रसिद्द नायकों की कथाएं भी हैं.मूल कथा में अनेक कथाओं को समेट लेने की यह पद्धति रोचक भी है और जटिल भी. ये कथाएं आप सब के लिए हमारी भारतीय परंपरा को नए सिरे से समझने में सहायक होंगी. |
(3) अनुपमा त्रिपाठी जी को पढ़ना सदैव एक सुखद और आध्यात्मिक अनुभूति लिए होता है। वे एक कवियत्री तो हैं ही, साथ ही संगीत साधक भी हैं। इसीलिए वो कहती हैं – “संगीत और कविता एक ही नदी की दो धाराएं हैं -- इनका स्रोत एक ही है, किंतु प्रवाह भिन्न हो जाते हैं।” कैसा उन्माद कण-कण पर छाया हुलक-हुलक.....पुलक-पुलक हुलक-पुलक.....पुलक-हुलक लहराती गीत गाती है धरा |
(5) पर हाँ ....बुरी औरत हूँ मैं मानती हूँ...... क्यूँकि जान गयी हूँ अपनी तरह अपनी शर्तों पर जीना नहीं करती अब तुम्हारी बेगारी दे देती हूँ तुम्हारी हर गलत बात का जवाब नहीं मानती आँख मूँद कर तुम्हारी हर बात सिर्फ तुम... |
और
40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ... पर
02/02/1972
"सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
प्रेम-प्रीत के चक्कर में पड़,
सीमाएँ मत पार कीजिए।
वैलेन्टाइन के अवसर पर---
पे =सोने पे सुहागा ;
ताके=सिंहावलोकन
रही =पथ का राही
फर्ज =मनसा वाचा कर्मणा
भाग =जीवन की आपाधापी
करे=मिसफिट
धीरज =कासे कहूँ
खात्मा=कर्मनाशा
रविकर जी!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुत की है आपने!
आभार!
सुन्दर चर्चा !
जवाब देंहटाएंआभार
nice links..... thanks........:)
जवाब देंहटाएंbahut badhiya .
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा....
जवाब देंहटाएंवाह कविराज! सुंदर कुण्डली।
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा रविकर जी!
जवाब देंहटाएंravikar ji
जवाब देंहटाएंcharchamanch par meri post laane ke liye bahut bahut dhnyvad,
sabhi links bahut achchhe hain
Nice links.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया।
जवाब देंहटाएंअलग ही अंदाज में चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया।
बहुत अच्छी चर्चा संवारी है आपने.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'
को 'फर्ज' में लिपटा देख अच्छा
लगा.
जो भी 'फर्ज' दबाए
वह मेरी पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-३'
पर पहुँच जाए.
बहुत बहुत आभार रविकर जी.
अच्छी चर्चा ..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
बहुत बढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत२ आभार,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ,लाजबाब प्रस्तुती
MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
बहुत सुंदर और रोचक चर्चा...
जवाब देंहटाएंravikar ji
जवाब देंहटाएंaapka yah charch manch sada hirochakta se paripurn raha hai.sabki prastutiyan bhi bahut bahut hi achchi lagin.
hardik dhanyvaad
poonam
पथ का राही
जवाब देंहटाएंको लोगों तक पहुचने के लिए सहृदय आभार.
रोचक चर्चा मंच्।
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
बढ़िया चर्चा के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंरविकर चर्चा का अन्दाज़ ही अलग है, कहानी "गन्धहीन" शामिल करने के लिये धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंगागर में सागर के रुप में संक्षेप में प्रस्तुत चर्चा के साथ नजरिया ब्लाग की मेरी पोस्ट को भी शामिल करने हेतु आभार सहित...
जवाब देंहटाएंआभार!! पोस्ट को चर्चामन्च का हिस्सा बनाने के लिए..
जवाब देंहटाएंMere blog par n aayen, varna harze kharche ke zimmedar aap honge.
जवाब देंहटाएंravikar ji aabhar....aap sada hi rajbhasha blog ka dhyan rakhte hue meri post ko yahan samman dete hain. bahut aabhari hun.
जवाब देंहटाएंsunder prayas.
सांकेतिक चर्चा का अंदाज़ नया लगा :)
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti,Ravikar ji, badhaai
जवाब देंहटाएंअत्यन्त ही रोचक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंsundar charcha...abhar..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा। आभार मुझे शामिल करने हेतु
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