मित्रों!
रविवार के लिए जल्दी में चर्चा लगा रहा हूँ क्योंकि मुझे तीन दिनों के लिए बाहर जाना है!
गोदियाल जी बता रहे हैं कि दिन आयेगा महफ़िल में जब, होंगे न हम एक दिन,* *ख़त्म होकर रह जायेंगे सब रंज-ओ-गम एक दिन।* * वक्त आयेगा एक दिन ! ..खेलूंगी होली तोहरे ही साथ पिया , जाने न दूंगी तोहे आज पिया | झूम झूम के डारू तुझपे रंग पिया , भीजूंगी आज तोहरे ही संग पिया , खेलूंगी
.होली तोहरे ही साथ पिया ...! रेत का समंदर - आईवीएफ तकनीक से हमारे देश के न जाने कितने संतानहीन दंपतियों को संतान का सुख मिला है। यह तकनीक अब मध्य वर्ग की पहुंच में है। महिलाओं की दिक्कतों व बांझपन के...गर्भधारण की नई तकनीक! देखिए भूली सारे राग रंग पड़ते ही धरा पर कदम स्वप्न सुनहरा ध्वस्त हो गया सच्चाई से होते हीवास्ता दिन पहले रंगीन हुआ करतेथे भरते विविध रंग....! जब वक्त ने बदली करवट...??? - *गैर्रों की समझ में न आयें हम, तो कोइ ग़म नही* * अपने न समझें हमें, तो समझो; अब हम नहीं...! चाहे मंदिर जाओ या मस्जिद जाओ - * *ना कर्मों की सज़ा होती ना ही कोई पुरस्कार होता केवल परिणाम होता सपनों की दुनिया से बाहर आ जाओ पुरस्कार की चाहत में कुछ ना करो केवल परिणाम से डरो.....! परीक्षा श्रेष्ठता सिद्ध करने की विधि है, श्रेष्ठ होने की अनिवार्यता नहीं है। यह दर्शन का वाक्य नहीं, हम सबके दैनिक अनुभव की विषयवस्तु है...! क्षणिकाएँ... - सुबह से ही खोल - खोलकर खाली किताबों को बोल - बोलकर पढ़ती हूँ और रात ढलने तक अदृश्य लिखाई से अपने पन्नों पर केवल तुम्हें ही भरती हूँ ...! पैसों की बरसात-हाइगा में -*सुविधा देती* *पैसों की बरसात* *छिनता चैन |*.... नसीब-ए-जाँ......... - *बूँद की किस्मत में गर होगा मोती बन जाना* *तो इंतज़ार होगा किसी सीप को उसका भी... * * * *यूँ ही बाहों में नहीं थमता कोई किसी को*...! कोई अर्थहीन शब्द.....!!! - हर शब्द का अर्थ उसके मायने कितना अर्थ लिए होते हैं कोई शब्द किसी को जिन्दगी देता है तो किसी को जीना सिखाता है...! होम करते हाथ ................ - **** देखने में रस की जो छागल लगे इस तरह के शख्स तो घायल लगे . घुंघरुओं में थी मधु झंकार पर बेबसी के पाँव की पायल लगे....! ram ram bhai- सावधान ! स्तन पान से भी पहुँचती है शिशु तक केफीन . क्या आपका शिशु रात को सो नहीं पा रहा है ? नींद के लिए तरस रहा है ?यदि ऐसा है तो कोफी का सेवन कम कर दीजिए ...! हुनर-ओ-हौसलों से मैं करूंगा तय सफ़र तनहा -मित्रों ! अंतर्जाल पर बेशर्म रचनाचोर-चोरनियों की सक्रियता सेआप भी परेशान होंगे शायद , …मैं तो हूं ! ब्लॉग्स पर भी रचनाचोर मिले हैं लेकिन …फेसबुक पर तो हद ह8ो गई है..! *बेक़रारी के खाद-पानी से,*** *
"कुछ तराने नये मचलते हैं" *** *पत्थरों के जिगर को छलनी कर,*** *नीर-निर्झर नदी में ढलते हैं।।*** *आह पर वाह-वाह! करते हैं! रहे अक्षय मन .....! - हे नाथ ..!हे द्वारकाधीश ... करो कृपा ..इतना ही दो आशीष ..!! कई बार व्यथित हो जाता मन .. नहीं सोच कहीं कुछ पता मन .. दुःख में ही क्यूँ घबराता मन ...? Ganga ke Kareeb: अस्थि विसर्जन कहां हो.........? (ऋषि केश बनाम हरिद... - Ganga ke Kareeb: अस्थि विसर्जन कहां हो.........? (ऋषि केश बनाम हरिद...: गत दिवस सूफी गायक कैलाश खेर की मां की अस्थियां ऋषिकेश में चिदानंद मुनि द्वारा गंगा .! एक पौधा तुलसी का - *मेरे आंगन में मुरझाते हुये तुलसी पौधे को समर्पित......* एक पौधा तुलसी का, आँगन में मेरे। प्रार्थना,आराधना करता रहा है। सुख के क्षण में प्राण वायु दान बन, ...! .......कि बगल की कुर्सी पर - कैसी है ये यात्रा, कैसा है ये सफ़र, इधर और उधर, सिर्फ़ नए,अपरिचित चेहरे. कहीं बच्चों की कतार, कहीं सरदारजी सपरिवार, कोई खा रहा 'चौकलेट' कोई पी रहा सिगार,....! बन्दौं संत कबीर, कवी-वीर पुण्यात्मा * *अन्ध-बन्ध को चीर, किया ढोंग का खात्मा ।...जैसे कोई ख़्वाब से हिलाकर जगा दिया हो - दिन इधर जो बीते कुछ इस तरह से मेरे, जैसे कोई ख़्वाब से हिलाकर जगा दिया हो | दे कर सामने मुरादों से भरी थाली,...! हम-तुम - तेरी मीठी बातें हैं साँसे हमारी सो पहलू में बतियाते उम्रें गुजारी. पाने को तुझको,तुझसे ही झगडे बाज़ी थी ऐसी,ना जीती ना हारी. ! पावक-गुलेल - लो खुला द्वार मैंने उधार माँगा चन्दा से चंद तेल "दिविता से लो" कह टाल दिया "मैं शीतल, वो पावक-गुलेल।" पावक-गुलेल लक्षित विचार कृमि कागों का करती शिकार ..! आ वसन्त ! खेलो होली ! -मंथर गति से मलय पवन आ सौरभ से नहला जाता , कुहू-कुहू करके कोकिल जब मंगल गान सुना जाता ! हरित स्वर्ण श्रृंगार साज जब अवनि उमंगित होती थी , स्वागत को ऋतुराज...! भविष्य का सपना - *भविष्य का सपना * *मन पखेरू उड़ने लगा है * *नए नए सपने संजोने लगा है * *दिल में एक नया एहसास उमंगें ले रहा है * *नई पीढ़ी का भविष्य भी अब सुनहरा हो रहा है *...! रोजाना टूथ ब्रश करने की एक और वजह . - राम राम भाई ! राम राम भाई ! रोजाना टूथ ब्रश करने की एक और वजह . कुछ भी खाने के बाद दांत साफ़ करना कुल्ला करना महज़ मुख स्वास्थ्य बनाए रखना नहीं है उससे भी...! अब जीवन का लक्ष्य है कर्ज चुकाना - *आएँ हैं तो जाऐंगे, राजा रंक फकीर।* *खाली हाथ आये थे, खाली हाथ जाएंगे।* *दुनिया है सराय, रहने को हम आये।* आदि हमने ये बचपन से लेकर आज तक सुना है यदि हम.....! ज़रा तुम साथ चलो.............- * * * फूल ही फूल से खिल जाएँ जो तुम हंस दो ज़रा* * .....! तोताराम का सूर्य नमस्कार -आज ठंड कुछ कम थी सो तोताराम जल्दी आ गया और कहने लगा- आज चाय बाद में पियेंगे । पहले छत पर चल कर सूर्य नमस्कार करेंगे ....! पंडित नेहरु और सार्वजानिक क्षेत्र में धोखाधड़ी - सार्वजानिक क्षेत्र के बारे में भी बहुत संक्षेप में कुछ कहना जरूरी है। सार्वजानिक क्षेत्र के उपक्रम हमारी नयी विकसित होती अर्थव्यवस्था की मॉस- पेशियों हैं। कैसा हिन्दू... कैसी लक्ष्मी! -देश के पुराने अंगरेजी अखबार ने हिन्दू नाम के साथ प्रतिष्ठा अर्जित की है, पिछले दिनों इस हिन्दू पर लक्ष्मी नामधारी पत्रकार ने ऐसा धब्बा लगाया है, ! बेटियों को पहला वारिस क्यों नहीं माना जाता...खुशदीप -पिछले साल उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमाअंसारी के एक बयान को लेकर खूब हो हल्ला हुआ था।सलमा अंसारी ने कहा था कि हमारे देश में मां - बाप को अपने ...!
आज के लिए बस इतना ही!
अगले शनिवार फिर मिलेंगे!!
व्यस्तता के बावजूद बहुत खुबसूरत चर्चा |
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सर...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा....
और मेरी रचना शामिल है इसलिए और भी अच्छी...
:-)
आभार
इतने प्यारे लिंक्स लाये ,सबके सब पढवाए ,होरी के छींटे पड़वाये ,सुन्दर भआव सजाये ,मन भाये ...
जवाब देंहटाएंइतने प्यारे लिंक्स लाये ,सबके सब पढवाए ,होरी के छींटे पड़वाये ,सुन्दर भआव सजाये ,मन भाये ...
जवाब देंहटाएंटत्चा अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपको आमंत्रित करता हूं । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआभार शास्त्रीजी !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद मेरी पोस्ट "भविष्य का सपना " को आपने रविवारीय चर्चा-मंच में शामिल किया है /में आपकी बहुत आभारी हूँ /बहुत अलग ढंग से आपने चर्चामंच सजाया है और बहुत अच्छे लिंकस का चयन किया है ./बधाई आपको /आभार /
जवाब देंहटाएंjaldi me bhi sarthak links sanjoyen hain aapne .aabhar
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,नमस्कार!
जवाब देंहटाएंचर्चा-मंच में शामिल करने के लिए ....
आप का आभार!
सुन्दर चर्चा..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
badhia charcha ...abhar meri rachna ko sthan mila ....!!
जवाब देंहटाएंनमस्कार शास्त्री जी, आभार आपने," अस्थियां विसर्जन कहां हो?"( ऋषिकेश बनाम हरिद्वार) पोस्ट को आपने चर्चा मंच में शामिल किया। यह विवाद अब गहराता जा रहा है।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा...बढ़िया लिंक्स|हाइगा शामिल करने के लिए आभार|
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंसार्थक, सुन्दर और पठनीय चर्चा..
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा... बढ़िया लिंक्स...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
सुन्दर लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंजल्दी की चर्चा में भी कमी तो कोई नहीं ☺
जवाब देंहटाएं.सुन्दर प्रस्तुति .सारे लिंक्स पढ़े .आभार 'राम राम भाई 'का .
जवाब देंहटाएंमैआज देर से चर्चा मंच पर आई क्ष चाहती हूँ |अच्छी चर्चा और कई लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
एक से बढ़ एक लिंकों को सुन्दरता से संकलित करने के लिए बधाई..
जवाब देंहटाएंचर्चा-मंच में शामिल करने के लिए ....
जवाब देंहटाएंआप का आभार!
बहुत अच्छे लिंकस का चयन किया है आपने...!
अति उत्तम,सराहनीय लिंकों की प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंNEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
meree rachnaa ko sthaan dene ke liye aabhaar
जवाब देंहटाएंlinks bahut pasand aaye.....mujhe shamil karne ke liye dhanybad.
जवाब देंहटाएंplz add email subscription widget on this blog for your regular reader and also make a facebook page of this blog for update and put like button here.
जवाब देंहटाएंआदरणीय डॉ. मयंक जी,
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ.... इन सुन्दरतम रचनाओं के बीच आदिम गुलेल को स्थान देने के लिये.
एक दूसरी 'पावक-गुलेल' भी है जिसका आरम्भ वैसा ही है लेकिन असर थोड़ा भिन्न है... जिसे इस बार दे रहा हूँ.
मेरी इन स्वान्तः-सुखाय रचनाओं को आपने चर्चामंच पर स्थान दिया... मन प्रफुल्लित हुआ.