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शुक्रवार, फ़रवरी 24, 2012

जनकवि स्व० कोदूराम "दलित" चर्चा मंच 799

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   जन्म ५ मार्च १९१०  
 ग्राम टिकरी(अर्जुन्दा),जिला  दुर्ग  
 आपके पिता श्री राम भरोसा कृषक थे.आपका बचपन ग्रामीण परिवेश में खेतिहर मजदूरों के बीच बीता. आपने मिडिल स्कूल अर्जुन्दा में प्रारंभिक  शिक्षा प्राप्त की . तत्पश्चात नार्मल स्कूल रायपुर , नार्मल स्कूल बिलासपुर में शिक्षा ग्रहण की  .स्काउटिंग,चित्रकला ,साहित्य विशारद में आपको सदैव उच्च स्थान प्राप्त हुआ .१९३१ से १९६७ तक आर्य कन्या गुरुकुल,नगर पालिका परिषद् तथा शिक्षा विभाग दुर्ग की प्राथमिक  शालाओं  में आप अध्यापक  और  प्रधान  अध्यापक के रूप  में कार्यरत  रहे .
ग्राम अर्जुंदा में आशु कवि श्री पीला लाल चिनोरिया जी से आपको काव्य-प्रेरणा मिली. आपने १९२६ में कवितायेँ लिखना प्रारंभ की. आपकी रचनाएँ अनेक समाचार पत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं.

"सियानी गोठ"(१९६७) तथा "बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय"(२०००) आपकी प्रकाशित पुस्तकें हैं 
आपकी कविताओं तथा लोक कथाओं का प्रसारण आकाशवाणी भोपाल ,इंदौर, नागपुर, रायपुर से अनेक बार हुआ है.मध्य प्रदेश शासन  , सूचना-प्रसारण विभाग , म.प्र.हिंदी साहित्य अधिवेशन ,विभिन्न साहित्यिक सम्मलेन ,स्कूल-कालेज के स्नेह सम्मलेन, किसान मेला, राष्ट्रीय पर्व ,गणेशोत्सव के कई मंचों पर काव्य पाठ किया |
  
सिंहस्थ मेला (कुम्भ) उज्जैन में भारत शासन  द्वारा आयोजित कवि सम्मलेन में महाकौशल क्षेत्र से कवि के रूप में आप आमंत्रित किये गए. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के नगर आगमन पर अपने काव्यपाठ किया है
आप राष्ट्र भाषा प्रचार समिति वर्धा , इकाई -दुर्ग के सक्रिय सदस्य  रहे .दुर्ग जिला साहित्य समिति के उपमंत्री, छत्तीसगढ़ साहित्य के उपमंत्री, दुर्ग जिला हरिजन सेवक संघ के मंत्री, भारत सेवक समाज के सदस्य,सहकारी बैंक दुर्ग  के एक डायरेक्टर ,म्यु.कर्मचारी सभा नं.४६७, सहकारी बैंक के सरपंच, दुर्ग नगर प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारिणी सदस्यशिक्षक नगर समिति के सदस्य जैसे विभिन्न पदों पर सक्रिय रहते हुए आपने अपने बहु आयामी व्यक्तित्व से राष्ट्र एवं समाज के उत्थान के लिए सदैव कार्य किया है.
आपका हिंदी और छत्तीसगढ़ी साहित्य में गद्य और पद्य दोनों पर सामान अधिकार रहा है. साहित्य की सभी विधाओं यथा कविता, गीत, कहानी ,निबंध, एकांकी, प्रहसन, बाल-पहेली, बाल-गीत, क्रिया-गीत    में आपने रचनाएँ की है. आप क्षेत्र विशेष में बंधे नहीं रहे. सारी सृष्टि ही आपकी विषय-वस्तु रही है. आपकी रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं. आपके काव्य ने  उस  युग  में जन्म लिया  जब  देश  आजादी  के लिए संघर्षरत  था .आप समय की साँसों की धड़कन को पहचानते थे .  अतः आपकी रचनाओं में देश-प्रेम ,त्याग, जन-जागरण, राष्ट्रीयता की भावनाएं युग अनुरूप हैं.आपके साहित्य में नीतिपरकता,समाज सुधार की भावना ,मानवतावादी, समन्वयवादी तथा प्रगतिवादी दृष्टिकोण सहज ही परिलक्षित होता है.
हास्य-व्यंग्य आपके काव्य का मूल स्वर है जो शिष्ट और प्रभावशाली है. आपने रचनाओं में मानव का शोषण करने वाली परम्पराओं का विरोध कर आधुनिक, वैज्ञानिक, समाजवादी और प्रगतिशील  दृष्टिकोण से दलित और शोषित वर्ग का प्रतिनिधित्व किया है. आपका नीति-काव्य तथा बाल-साहित्य  एक आदर्श ,कर्मठ  और सुसंस्कृत  पीढ़ी के निर्माण  के लिए आज भी प्रासंगिक है.
कवि दलित की दृष्टि में कला का आदर्श   'व्यवहार विदेन होकर  'लोक-व्यवहार उद्दीपनार्थम' था.  

हिंदी और छत्तीसगढ़ी दोनों ही रचनाओं  में भाषा परिष्कृत, परिमार्जित, साहित्यिक और व्याकरण सम्मत है. आपका शब्द-चयन असाधारण है. आपके प्रकृति-चित्रण में भाषा में चित्रोपमता,ध्वन्यात्मकता के साथ नाद-सौन्दर्य के दर्शन होते हैं. इनमें शब्दमय चित्रों का विलक्षण प्रयोग हुआ है. आपने नए युग में भी तुकांत और गेय छंदों को अपनाया है. भाषा और उच्चारण पर आपका अद्भुत अधिकार रहा है.कवि श्री कोदूराम "दलित" का निधन २८ सितम्बर १९६७ को हुआ.  


(1)

श्रम का सूरज (छंद)

– जनकवि स्व.कोदूराम ”दलित”

श्रम का सूरज उगा, बीती विकराल रात,
भागा घोर तम, भोर हो गया सुहाना है.
आलस को त्याग–अब जाग रे श्रमिक, तुझे
नये सिरे से नया भारत सिरजाना है.
तेरे बल- पौरुष की होनी है परीक्षा अब
विकट कमाल तुझे करके दिखाना है.
आया है सृजन-काल, जाग रे सृजनहार,
जाग कर्मवीर, जागा सकल जमाना है.
2


शेर ने कुँए में झांक कर देखा और बोला इसमें तो कोई नहीं । लोमड़ी से बोला तुम दिखाओ वह कहाँ हैं । जब लोमड़ी और शेर ने एक साथ देखा तो दोनों कि परछाईं कुँए के पानी में दिखाई दी ।शेर बोला वह उसको खा लेगा और मैं तुमको । शेर ने लोमड़ी को खा लिया ।
अब बताएं चालक कौन ?..........  
3
  (अरविन्द मिश्रा)  
वैसे तो ऐसे पुरुष भी कमतेरे नहीं हैं जिनका समय का प्रबंध बहुत लचीला रहता है -समय से आफिस नहीं पहुंचते,प्रायः बॉस की डांट खाते हैं मगर अमूमन महिलाओं का समय प्रबंध बहुत कमज़ोर होता है ऐसा मेरा अनुभव रहा है
4
   Blog News
मानव प्राणी द्वारा विचार कर मैथुन करना ही, सभी प्राणियों में श्रेष्ठता प्रदान करती हैं|आख़िर मनुष्य और जानवर में फ़र्क क्या हैं? जानवर भी प्रेम, दोस्ती, समूह मे रहने की कला, लड़ना,झगड़ना,रोना हँसना आदि ...
प्रस्तुतकर्ता  डॉ. अनवर  जमाल 
5
[arun+nigam.jpg]
  आज चले आये हो जैसे वैसे ही तुम आते रहना
 कभी देखना नजर मिला के नजरें कभी झुकाते रहना ।
मिलते जुलते रहने से ही दिल की बातें हो जाती हैं 
कभी हमारी सुन लेना तो अपनी कभी सुनाते रहना ।।
 सिर्फ तुम्हारा आ जाना...
6
- ये कैसी नींद थी कि ये कैसा ख़्वाब था क्या था ..कौन था एक साया था .. या भरम था ? एक सबा का झौका या कोई तूफ़ान था ? बुझते चिरागों का धुंआ महसूस हो...
7
  SADA 
बँटवारे की ज़मीन पर जब भी मैने प्रेम का बीज़ बोया जाने क्‍यूँ वह अंकुरित नहीं हुआ .. बार-बार वही प्रयास कभी बीज अंकुरित होता तो पौधा पनप नहीं पाता उसकी देख-रेख करने के लिए जो परिधि निश्च...
8
छत्‍तीसगढ़ के नामी कबि गीतकार साहित्‍यकार लक्षमण मस्‍तुरिहा कवि सम्‍मेलन म -
9
*"कमबख़्त यह ख्वाइशों का काफिला भी बड़ा अजीब होता है* *गुज़रता भी वहीं से हैं जहां रास्ते नहीं होते" * इंसान एक मगर उसकी ख्वाइशें अनेक वो भी एसी-एसी की हर इंसान बस यही कहता नज़र आता है। हज़ार ख्वा...
10
हम बहुत चले, हम बहुत खिले उत्तंग पहाड़ों की चोटी पर, हम शिखरों से गले मिले उन बर्फीली राहों में हम गिरे-उठे-फिसले-संभले पुष्पाच्छादित तरल ढलानों पर हमने कितना विश्राम किया सूंघा-सहलाया-तोड़ा भी उन पर सोक...
11
कान्हा चलो आज तुमसे कुछ बतिया लूं कुछ तुम्हारा हाल जान लूं सुना है तुम निर्लेप रहते हो कुछ नहीं करते सुना है जब महाप्रलय होती है तुम गहरी नींद में सो जाते हो और हजारों वर्ष गहरी नींद में सोने के बाद ...
12

जब ढाई आखर न जानो

            Kashish - My Poetry                
आए हमको ज्ञान सिखाने,
ऊधो प्रेम मर्म क्या जानो.
 पोथी पढ़ना व्यर्थ गया सब
जब ढाई आखर न जानो.
13
4 जून 2011 की अर्धरात्रि को दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई रावणलीला पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। शुक्र है 8 महीने ही लगे। अपने 20 मिनट के फैसले में सुप्रीम कोर्ट 19 मिनट तक दिल्ली पुलिस को लताड़ प...

 

किंगफिशर का पेट्रोल ख़त्म

vijay malya cartoon, kingfisher airline

Cartoon by Kirtish Bhatt (www.bamulahija.com)
14
एक वो था, जो सारा समन्दर, अपने प्रेम का, मुझको सौंप देना चाहता था। एक तुम हो, जिसके पास मेरे लिये, प्रेम का एक कतरा भी नहीं है। यह मेरे नसीब की साजिश है, या फिर, उसकी बद्दुआ रही होगी? जो रह गई, मेरी प्या...
15
  - इशु, बेटा गुप्ता जी की दूकान से बड़े वाले चार ड्राइंग पेपर और ले आ..........प्लीज! अपनी दस बर्षीय बेटी इशा को आवाज लगाते हुए रमेश बोला। आज छुट्टी का द...


16-
बौद्ध धर्म-दर्शन का मूलाधार -शालिनी पाण्डेय

बेसुरम्‌
_______________
17-
*चुभ रही हर बात हमको ,* *कुछ नहीं परवाह उनको ,* *मेरे हिस्से में अँधेरा ,* *धूप की बौछार उनको !(१)* * * *मौसम हुआ है फगुनई,* *रुचियाँ बदलतीं नित नई,* *हमने भी कोई चाह की,* *तो कहानी बन गई ?(२)* * *...

और  अंत  में --

  दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक

 से प्रस्तुत हैं कुछ विशेष लिंक 

अपने अंतरजाल पर, इक पीपल का पेड़ --

 उच्चारण -  

अपने अंतरजाल पर, इक पीपल का पेड़ ।
तोता-मैना बाज से, पक्षी जाते छेड़ ।
पक्षी जाते छेड़, बाज न फुदकी आती
उल्लू कौआ हंस, पपीहा कोयल गाती ।
 पल-पल पीपल प्राण, वायु ना देता थमने ।
पाले बकरी गाय, गधे भी नीचे अपने ।
B

नवगीत : चंचल मृग सा
भक्ति-भाव लख आपका, हिरदय भाव-विभोर ।
प्रभु के दर्शन हो गए, शैशव संगत शोर ।।
C
अनुभव कर के भूख का, उस गरीब को देख ।
दिन भर इक रोटी नहीं, मिटी हस्त आरेख ।।
D
आदत अपनी छोड़ के, बोले मीठे बोल ।
निश्चित मानो शख्स वो, धोखा देकर गोल ।। 
E

ए जी भारत रत्न को, काहे वे बेचैन ।
नव-धनाड्य से मूंदते, क्यूँ कर अपने नैन ।
क्यूँ कर अपने नैन, रत्न सारे *किन लायें ।*खरीद
भारत की क्या बात, जगत सिरमौर कहायें ।
रविकर उनकी पूँछ, स्वर्ग तक देखो बाढ़ी ।।
हैं ना सारे चोर, बिना तिनके की दाढ़ी ।।  
F
  लम्हों का सफ़र  
सात अरब की भीड़ में, अंतर-मन अकुलाय ।
तनकर तन्मय तन तपत, त्याग तमन्ना जाय ।।
G
 सरोकार  
सरोकार सारे रखें, अक्सर डिब्बा बन्द ।
बच्चों के इस प्रश्न को, गुणी उठायें चन्द ।
गुणी उठायें चन्द, रास्ता स्वयं निकालें ।
दें बेहतर जीवन, बना के अपना पालें ।
वन्दनीय सज्जन, सभी बच्चे हैं प्यारे ।
अभिभावक बिन किन्तु, अंध में भटकत सारे ।।

21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत शानदार और जानदार चर्चा!
    आपके श्रम को नमन!

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  2. सार्थक प्रशंशनीय चर्चा ..... शुभकामनायें जी

    जवाब देंहटाएं
  3. स्नेह और मान के लिए आपका सम्मान रविकर जी

    जवाब देंहटाएं
  4. बढ़िया चर्चा...
    उत्तम लिंक्स...
    बहुत बहुत शुक्रिया...

    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  5. आज की चर्चा में आपकी विशेष मेहनत को नमन.
    जनकवि स्व.कोदूराम 'दलित' के परिचय से मंच का आगाज अति उत्तम हुआ है.मुझे भी मंच पर स्थान प्राप्त हुआ, आपका आभार.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बढ़िया,बेहतरीन शानदार प्रस्तुति,..रविकर जी बधाई,....

    MY NEW POST...आज के नेता...

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर लिंक संयोजन ………सार्थक चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स का चयन किया है आपने ... जिनके साथ मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार ।

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  9. सुंदर लिंक्स से सजी बहुत रोचक चर्चा...

    जवाब देंहटाएं
  10. बढ़िया चर्चा...
    उत्तम लिंक्स...
    शुक्रिया...

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत हि उम्दा रचनाओं से साक्षात्कार करवाया आपने|
    रविकर जी हमारी रचना को चर्चा मंच के इस अंक में शामिल करने के लिए धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  12. शानदार चर्चा और बेहतरीन लिंक्स देने के लिए धन्यवाद। कोदूराम जी का परिचय करवाने के लिए आभार। मुझे शामिल करने के लिए शुक्रिया

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