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रविकर
छपते-छापते
(१)
"टोपीदार दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
(२)
बाल श्रमिक (दोहे)
कुँवर कुसुमेश
(३)दष्ठौन...कविता....डा श्याम गुप्त....
पुत्री के जन्म दिन पर
दष्ठौन, पार्टी !
कहा था आश्चर्य से
तुमने भी |
मैं जानता था पर-
मन ही मन,
तुम खुश थीं ;
हर्षिता, गर्विता |
मन ही मन,
तुम खुश थीं ;
हर्षिता, गर्विता |
(४)
गन्धहीन - कहानी [समापन]
पिछली कड़ी में आपने पढा:सुन्दर सा गुलदस्ता बनाकर देबू अपनी कार में स्कूल की ओर चल पड़ा जहाँ चल रहे नाटक के एक कलाकार से उसकी एक चौकन्नी मुलाकात और जल्दी-जल्दी कुछ बातें हुईं।अब आगे की कहानी:
"दास कबीर जतन ते ओढी, ज्यों की त्यों धर दीन्ही चदरिया।।"
घर आते समय गाड़ी चालू करते ही सीडी बजने लगी। देबू ने फूलों का गुलदस्ता डैशबोर्ड पर रख लिया। उसकी भावनाओं को आसानी से कह पाना कठिन है। वह एक साथ खुश भी था और सामान्य भी। उसके दिमाग़ में बहुत सी बातें चल रही थीं। वह सोच नहीं रहा था बल्कि विचारों से जूझ रहा था। घर पहुँचने तक उसके जीवन के अनेक वर्ष किसी चित्रपट की तरह उसकी आँखों के सामने से गुज़र गये। कार में चल रहा कबीर का गीत "माया महाठगिनी हम जानी ..." उन उलझे हुए विचारों के लिये सटीक पृष्ठभूमि प्रदान कर रहा था।
(५)
किसानों को अपमानित न करो यारों।
बेसुरम पर "गोपाल तिवारी"
इस देस में किसानो के प्रति जैसा असम्मान है वैसा विश्व के किसी भी देश में नहीं है। जिस देष को कृषि प्रधान कहा जाता हो। जिस देष के विकास में कृषि का योगदान महत्वपूर्ण हो। जिस देष में कृषि उत्पाद कम या अधिक होने पर देष की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती हो। जिस देष की आत्मा गांवों में बसती हो। उस देष में किसानों की दुर्दषा पर आंसू बहाना बर्दाष्त के बाहर है।
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंआपका आभार!
आभार गुप्ता जी!
जवाब देंहटाएंBadhiya Charcha
जवाब देंहटाएंसंक्षिप्त मगर सुन्दर लिंक्स.मुझे शामिल किया,आभार.
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंपूरी कविता को ms word में पेस्ट कर हर शब्द पर कर्सर रख कर अपने ब्लॉग का लिंक सर्च किया मैंने. मेरे ब्लॉग को शामिल करने के लिया ब्लॉग चर्चा टीम का धन्यबाद
जवाब देंहटाएंSabhi links bahut acche ..........aabhar
जवाब देंहटाएंbahut badiya charcha prastuti..dhanyavad!
जवाब देंहटाएंBahut Achhi Prastuti Aabhar.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या लिंक्स का चयन ।
जवाब देंहटाएंरविकर जी, शास्त्री जी (मयंक), अतुल जी, आदि 'टीम चर्चा मंच', मेरे लेख "झंरौखे" चर्चा मंच में शामिल करने हेतु - आप सभी का आभार,
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंकस,धन्यवाद .
अच्छी चर्चा.आभार.
जवाब देंहटाएंक्या बात है रविकर जी, छॊटी सी चर्चा करके सटक चले :)
जवाब देंहटाएंरविकर ज, सुन्दर लिंकस,धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंआभार!
जवाब देंहटाएंbahut sunder charcha acche links...
जवाब देंहटाएंरविकर जी, चर्चा मंच में स्थान देने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंthank u ravikar sir.....:))
जवाब देंहटाएंLink to mila leki photo najar nhi aai.
जवाब देंहटाएंThanks