मित्रों!
रविवार के लिए लिंकों की खोज करने के लिए ब्लॉगिस्तान में निकला हूँ मगर ब्लॉग खुल ही नहीं रहे हैं। इसलिए अपने डैशबोर्ड से कुछ लिंक लगा रहा हूँ! सबसे पहले-भारत के बड़े ब्लॉगरों से एक अपील!
डॉ.दिव्या श्री वास्तव जी कह रहीं है कि मीडिया , सीबीआई, जुडीशियरी , सब खरीद ली गई है ? 4 फरवरी 2012 में दैनिक नवभारत टाइम्स में पेज 10 पर प्रकाशित श्री अमित मिश्रा की 'गूगल का 'दखल' पसंद नहीं ब्लॉगर्स को' शीर्षक समाचार पर चाहिए आपके भी बेबाक विचार....गूगल का 'दखल' पसंद नहीं ब्लॉगर्स को! दैनिक भास्कर समूह की प्रस्तुति लोकप्रिय मासिक पत्रिका ' अहा जिन्दगी' के फरवरी २०१२ अंक में डॉ. सिद्धेश्वर सिंह द्वारा अनूदित सीरियाई कवि निज़ार क़ब्बानी (१९२३ - १९९८ ) की ग्यारह कवितायें '...जैसे समुद्र से निकलती हैं ...कर्मनाशा पर चीड़ के कोन पर लिक्खा तुम्हारा नाम! डॉ. श्याम गुप्त जी कह रहे हैं भारतीय ब्लॉग लेखक मंच पर -उम्र कम होने की हो क्यों फ़िक्र यारा,एक दिन का और अनुभव जुड गया।कौन लम्बी उम्र पाकर जी गया,चार दिन सत्कर्म के ही उम्र यारा ॥ उच्चारण: "जन्मदिन है आज मेरा"....!
ये पत्र एक दुखी माँ के ह्रदय की पुकार है ,उन सभी बेटों के लिए जो अपने बूढ़े माँ बाप को अकेला छोड़ कर विदेश चले जाते हैं और पीछे मुड़ कर देखने की भी आवश्यकता नही समझते ……. पढ़िए- अभिव्यंजना में। भटक रहा है ऋतुराज मेरे घर के बाहर अन्दर आने को उत्सुक मगर आने के हर दरवाज़े पर मैंने सांकल चढ़ा दी है अब ऋतुराज भी वक्त के साथ आये तभी अच्छा लगता है बेवक्त का आना कब किसे सुहाता है और देखो तो अब कैसे भस्मीभूत बीजों में फिर से अंकुरण हो? अगर आप अपने* विंडो 7* के डेस्कटॉप पर खुले हुवे सारे विंडो को एक साथ मिनीमाईजकरना चाहते है तो अपने डेस्कटॉप के टास्कबार में दाहिने तरफ बिलकुल कोने में कर्सर ले जा के क्लिक करे....डेस्कटॉप पर खुले हुवे सारे विंडो को एक क्लिक में मिनीमाईज करें | कहीं अगड़ी के मतवाले, कहीं पिछड़ी के रखवाले, ये विकास जातिवाद का करते हैं, और खुद करते हैं घोटाले... दलित, पिछड़ा, अतिपिछडा, और करोगे कितना टुकरा, अब तो समझो आरक्षण की चालें.. ये विकास जातिवाद का करते हैं...!
क्या बन सकोगे एक इमरोज़... तुमने सिर्फ किताबें पढ़ी हैं या फिर अमृता- सा जिया है, क्या समझते हो इमरोज़ बनना इतना आसान है ? हाँ हाँ मालूम है नहीं बनना इमरोज़ ये उनका फलसफा था, एक समर्पित पुरुष जिसे ...! "आज की अभिव्यक्ति " रहस्य ही सौंदर्य 'बापू' का पछतावा--डैड , चिंता-फिकर नॉट ! कल रात 'बापू' मेरे सपने में आये, कहने लगे - "मुझे अपनी भूल पर भारी पछतावा है , पटेल की जगह नेहरु को प्रधानमन्त्री बनाकर बहुत बड़ी भूल की थी मैंने। यदि 'सदार पटेल' को प्रधानमन्त्री बनाया होता तो आज भारत को ...! अच्छा दिखने के लिए कुछ भी करेंगे नई चाल के बच्चे! घड़ी की सूइयाँ इतिहास की इबारत लिखने में तल्लीन थी। एक-एक पल अतीत का अंश होता जा रहा था। आगमन और प्रस्थान, उदय और अवसाह...फ़ुरसत में... “आँखों देखा हाल : लाल बाग से।” रश्मि प्रभा : मेरी दृष्टि से संघर्ष करके अगर हम जीत गए हें तो उसको अगर संस्मरण के रूप में अपनी विजय न सही लेकिन कठिन परिस्थितियों में भी डेट रहने और विचलित न होने से मनुष्य एक मिसाल बन जाता है... चुनौती जिन्दगी की : संघर्ष भरे वे दिन...!
मेरे जज्बात " में पढ़िए यह ग़ज़ल- पलक अश्कों की राह मुहाल किये बैठी है और मुई नींद रातों से बवाल किये बैठी है हमे हार के इश्क की बाज़ी जिंदा रहना है के मोहब्बत हमको मिसाल किये बैठी है....! vicharmimansa.com ....कबीरा खडा़ बाज़ार में ...पुरुषों को जल्द मिलेगा कंडोम से छुटकारा पुरुषों के लिए अच्छी खबर है। अगर वे कंडोम का इस्तेमाल नहीं करना चाहें तो...!
रूहानी सुहानी में पढ़िए- तुम्हारा प्रेम झर उठता हैं जुदाई मे विरह का संवाद तुम ही सुन पाते हो मैं तो निर्झर झरने जैसी बह जाती हूँ.....तुम्हारे साथ नही रोक पाती अपने आँसुओ को बादल बन सब घूमड़ कर चेहरे पे आ टिकता हैं लोग चेहरे देख सब तय कर लिया करते हैं.........!कल टीवी पे एक प्रोग्राम आ रहा था .....जिंदगी लाइव ....या ऐसा ही कुछ ......जिसमे वो दिखा रहे थे कि एक मोची , एक कोई खदान मजदूर.... मेहनत कशों का देश ....भारत! अँधेरे से जब मैं गुजरूँ तुम श्याम देख लेना ढूँढे से भी मैं पाऊँ जब कोई किरण कहीं ना तुम लाज मेरी रखना तपतीं हैं मेरी राहें साया न सिर पे पाऊँ जब घाम से मैं गुजरूँ तुम लाज मेरी रखना... तुम श्याम देख लेना! मुझे कुछ कहना है क्या सिंपली गोवा !
जाओ जाना है जहाँ, लाओ फंदा नाप ।
मातु विराजे दाहिने, बैठा ऊपर बाप ।
बैठा ऊपर बाप, चित्त का अपने राजा ।
मर्जी मेरी टॉप, बजाऊं स्वामी बाजा ।
उच्च-उच्चतम दौड़, दौड़ कर टांग बझाओ ।
खूब "घुटा-लो" शीर्ष, खुदा तक चाहे जाओ ।।
रविवार का दिन है जी!
जाओ जाना है जहाँ, लाओ फंदा नाप ।
मातु विराजे दाहिने, बैठा ऊपर बाप ।
बैठा ऊपर बाप, चित्त का अपने राजा ।
मर्जी मेरी टॉप, बजाऊं स्वामी बाजा ।
उच्च-उच्चतम दौड़, दौड़ कर टांग बझाओ ।
खूब "घुटा-लो" शीर्ष, खुदा तक चाहे जाओ ।।
रविवार का दिन है जी!
कुछ लिंक और भी देख लीजिए!
आज के लिए केवल इतना ही!
अगले शनिवार फिर मिलेंगे!!
अच्छे लिनक्स लिए सधी हुई चर्चा , आभार
जवाब देंहटाएंकहीं कुछ गड़बड़ ज़रूर है आपका टिप्पणी बाक्स भी राइट क्लिक करने पर खुला
जवाब देंहटाएंआज पढ़ने को बहुत कुछ है..
जवाब देंहटाएंवाचस्पति की धमकी चर्चा-मंच पर
जवाब देंहटाएंअविनाश वाचस्पति February 3, 2012 8:41 PM
मेरे ब्लॉग पर न आयें, वर्ना हर्ज़े खर्चे के ज़िम्मेदार आप होंगे.
और चर्चाकार ने क्षमा मांग ली ।
पर दो दिनों से आपत्तिजनक अंश ढूंढ़ रहा हूँ --
कृपया आप भी मदद करें
सौन्दर्य दर्शन और गाडी चालन : चर्चा मंच 778
नुक्कड़ पे बक बक करे, ताके नारी वर्ज्य।
भारतीय नारी सिखा, रही अनवरत फर्ज ।
रही अनवरत फर्ज , भाग बेचैन आत्मा।
अंधड़ मस्त विचार , दुनाली करे खात्मा।
‘सज्जन’ सच्चा दोस्त, समय का साया नीरज ।
मो सम कौन कुटिल, नजरिया माँ का धीरज ।।
ये हैं कुल 26 लिंक
(१)
प्रस्तुत चित्र के अनुसार शाब्दिक अर्थ
"दुर्ग पुलिस इस नुक्कड़ पर बैनर के माध्यम से कह रही है कि
सौन्दर्य दर्शन और गाडी चालन एक साथ न करें ।
(२)
नुक्कड़ पे बक बक करे, ताके नारी वर्ज्य।
भारतीय नारी सिखा, रही अनवरत फर्ज ।
इस पंक्ति में १० लिंक प्रस्तुत किये गए हैं-
जैसे
पे=सोने पे सुहागा
बकबक करे=दीपक की बक बक
ताके=सिंहावलोकन
सिखा=मेरे मन की
रही=पथ का राही
फर्ज=मनसा वाचा कर्मणा
यह नुक्कड़
है आप की बपौती
दुबारा नहीं आऊंगा
लाजबाब प्रस्तुतीकरण..
जवाब देंहटाएंभाई काजल कुमार जी ने सही नब्ज पकड़ी है।
जवाब देंहटाएंदिनेश गुप्त जी!
मानस के मोती चुगने के लिए खमियाजा तो भुगतना ही होगा। वैसे अविनाश वाचस्पति जाने-माने व्यंग्यकार हैं। आप अन्यथा न लें।
बहूत हि सुंदर एवं बेहतरीन लिंक्स है
जवाब देंहटाएंन तो चिदंबरम ने कोई षड्यंत्र किया है है , न ही कसाब ने कोई आतंक, क्योंकि कसाब द्वारा किये गए ३६६ क़त्ल और चिदंबरम के खिलाफ जुटाए गए साक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं। धन्य हैं देश का न्याय और धन्य है ये भ्रष्ट सरकार। मुट्ठी भर बिकाऊ वोटों से जीत कर हम देशवासियों पर पांच वर्ष के लिए थोप दी जाती है। अरे उखाड़ फेंको इस भ्रष्ट सरकार को। फिर न अदालतों की ज़रुरत पड़ेगी न ही साक्ष्यों की। क्योंकि घोटाले बंद हो जायेंगे और रामराज्य स्वतः ही स्थापित हो जाएगा।
जवाब देंहटाएंDr Roopchandr Shastri--- Thanks Sir.
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां ब्लोग्स....
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति....
मेरी कविता शामिल करने के लिए धन्यवाद !!
कई लिंक्स के साथ बढ़िया चर्चा है शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंआशा
संतुलित चर्चा!! लगता है शास्त्री जी ने रविवार की व्यस्तता का प्रबंध कर दिया है!!
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स.
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठ संयोजन के साथ सुन्दर लिंक्स परोसें हैं शास्त्रीजी ने .जन्म दिन मुबारक .
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंरविवार आसानी से गुजर जाएगा..
सादर.
अच्छे लिनक्स लिए सधी हुई चर्चा , आभार
जवाब देंहटाएंटिप्स हिंदी में
आपके ब्लॉग का लिंक बदल गया है |
हमें भी शामिल किया आभार!
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स।.. मेरी कविता शामिल करने के लिए धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंचर्चा का सुन्दर प्रस्तुतिकरण्।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रविवासरीय चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसब ही लिंक्स बहुत उम्दा है ,यहाँ आकर काफी कुछ एक साथ पढने को मिल जाता है ,कई नई जानकारियाँ आज भी मिली,शुक्रिया इतनी मेहनत करके ये सब लिंक्स यहाँ रखने करने के लिए
जवाब देंहटाएंरविकर जी....समझने वाले समझ गये हैं ना समझे......
जवाब देंहटाएं--इस चर्चा में भी कुन्डली सुन्दर व सटीक है.....हां कबीर की साखियों जैसी दूरस्थ ध्वनि होती है आजकल आपकी कुन्डलियों में...उक्ति वैचित्र्य..
धन्यवाद शास्त्री जी...
जवाब देंहटाएंक्या सोचना कि उम्र तेरी घट गयी या बढगयी।
सोच ले कल एक नेकी और करनी है नयी ।
मेरी रचना ''क्या बन सकोगे एक इमरोज़'' को यहाँ शामिल करने के लिए ह्रदय से आभार.
जवाब देंहटाएंवाह!!!!!बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ,अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंNEW POST....
...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
...फुहार....: कितने हसीन है आप.....
बहुत बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएं