माफ कीजिये मित्रों थोड़ी व्यस्तता के चलते मै आजकी चर्चा दो बार में लगा रहा हूँ .
शुरुवात करेंगे शाश्त्री जी की रचना निर्वाचन का दौर से , सुनने में आया है एक महिला ने सेक्सी की परिभाषा दी है , आईये जाने दवे जी के विचार की चांदनी रात में "सेक्सी" और प्यार के लड़ाई में किसकी भावनाएं आहात होती है और दोषी कौन .
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।
व्यस्तता में भी चर्चा करने के लिए आपका धन्यवाद!
ReplyDeleteव्यस्तता में भी सार्थक लिंक धन्यवाद आभार
ReplyDeleteH
ReplyDeleteHardik Abhar
sankshipt hi kya kahoon ye to ati sankshipt charcha hai.samay ko dekhte hue shandar.narayan.narayan.
ReplyDeleteआभार!
ReplyDeletesarthak charcha .achchhe links .aabhar .
ReplyDeleteआभार भाई ।।
ReplyDeleteसंक्षिप्त और सुन्दर चर्चा .
ReplyDeleteसंक्षिप पर सुन्दर चर्चा.
ReplyDeleteसुंदर सार्थक लिंक संयोजन के लिए कमलजी बधाई.
ReplyDeleteMY NEW POST...काव्यान्जलि ...होली में...
meree rachnaa ko sthaan dene ke liye dhanywaad
ReplyDeleteस्तरीय और रोचक सूत्र
ReplyDeletebsst
ReplyDeleteसंक्षिप्त पर बढिया चर्चा।
ReplyDeleteसमय पर न आ सकने कि माफ़ी चाहती हूँ मेरी रचना को पसंद करने और सम्मान देते रहने का मैं आप सभी मित्रगण का तहे दिल दिल से शुक्रगुजार हू |
ReplyDelete