नमस्कार।
पिछले दो तीन दिनों से काम की अधिकता के चलते ठीक से नींद नहीं ले पा रहा हूं। रोज रात को ढाई तीन बज रहे हैं काम करते और सुबह छह सात बजे तक उठकर फिर काम में जुटना पड रहा है। लग रहा है कि यह क्रम कम से कम हफ्ते भर और चलेगा। काम के बीच कुछ समय निकालकर चर्चा मंच सजाने बैठा तो नजर पडी उडनतश्तरी पर। सुप्रीम कोर्ट का कहना है, नींद मौलिक अधिकार है पर क्या करें........ समीर लाल जी अपने ही अंदाज में कहते हैं, जागा हूँ फक्त चैन से सोने के लिए
अब अपनी पसंद के कुछ पोस्ट सीधे आप तक........
रहे अक्षय मन .....! -अनुपमा त्रिपाठी
हे नाथ ..!हे द्वारकाधीश ...
करो कृपा ..इतना ही दो आशीष ..!!
कई बार व्यथित हो जाता मन ..
नहीं सोच कहीं कुछ पता मन ..
दुःख में ही क्यूँ घबराता मन ...?
है सांस नहीं पल पता मन ...!!
कुछ बेतुकी बातें ...................... - अमित चंद्रा
अक्षरों से मिलकर
शब्द बनते हैं
शब्दों से मिलकर वाक्य।
वाक्यों से मिलकर
अहसास पुरे होते हैं और
अहसासों से मिलकर जज्बात।
जज्बातों से मिलकर
ख़्याल बनता है
और ख़्यालों से मिलकर
बनती है रचना।
सब अपने लिए.... - परमजीत सिंह बाली
आंख देखती है
दिल को कोई अहसास नहीं होता
इसी लिए अब
कोई प्यार का घर आबाद नहीं होता।
अशेष लक्ष्यभेद - डॉ नूतन गैरोला
प्रत्यंचा जब खींची थी तुमने
भेदने को लक्ष्य
खिंच गयी थी डोर दीर्घकाल तक कुछ ज्यादा ही कस
सर्द हवा में जियरा कांपे ..इ फ़ागुन में जोगी कैसे गाएगा जोगीरा रे - अजय कुमार झा
छुट्टी का दिन , सुहाना मौसम , सो आन पडी इक दुविधा ,
कंप्यूटर तोडें खट खटाखट , या धूप में पढें कहानी कविता ..
अलसाई , अल्हड और चमकीली सी उग आई है भोर ,
फ़ागुन मास होवे मदमस्त ,किंतु इहां तो चले है चिल्ड हवा घनघोर
मुझे यकीन है - विद्या
मुझे यकीन है हाथों की लकीरों पर
बरगद तले बैठे बूढे फकीरों पर....
-जो कहते हैं कि सब ठीक होगा एक दिन
चुनाव पर्व - अना
ये जो आंधी है चली ,सड़क -सड़क गली गली
चुनाव पर्व है जो ये ,चेहरे लगे भली भली
कर्म उनके जांच लो, मंसूबे क्या है जान लो
सोचे हित जो जन की उसको वोट देना ठान लो
माईग्रेन, ट्राईका और एक निहायत ही दो कौडी की बात - बाबुषा
मैं कहती हूं किसी इश्तेहार का क्या अर्थ बाकी है
कि जब हर कोई चेसबोर्ड पर ही रेंग रहा है
आडी टेढी या ढाई घर चालें तो वक्त तय कर चुका है
काले सफेद खाने मौसम के हिसाब से
आपस में जगह बदलते हैं
मेरी पसंद का मौसम.... - रश्मि
मुझे तो सारे मौसम पसंद आते हैं
क्योंकि
हर मौसम का अपना अहसास
अपना अंदाज
और अपनी खासियत होती है
जैसे हर इंसान की अपनी
रवायत होती है
माफ़ नहीं करना मुझे.... संध्या शर्मा
आई थी तू
मेरे आँचल में
अभागिन मैं
तुझे देख भी न सकी
आज भी गूंजती है
तेरी मासूम सी आवाज़
मेरे कानो में
वह माँ- माँ की पुकार
बस सुना है तुझे
कुछ भी न कर सकी
ऑस जब बन बूँद बहती,पात का कम्पन.......- विक्रम
ऑस जब बन बूँद बहती,पात का कम्पन ह्रदय में छा रहा है
नीर का देखा रुदन किसने यहां पे,पीर वो भी संग ले के जा रहा है
लोग जो हैं अब तलक मुझसे मिले ,शब्द से रिश्तो में अंतर आ रहा है
अर्थ अपनी जिन्दगी का ढूँढ़ने में, व्यर्थ ही जीवन यहाँ पे जा रहा है
फूल कर कुप्पा हुआ करती थीं जिस पर रोटियां - नीरज गोस्वामी
साथ जो मिलता उन्हें - संध्या आर्य
चलते रहे बहुत मगर
मंजिल का साथ ना मिला
सुखनसाज़ बहुत बजते रहे
पर करारे-सुकून ना मिला
तख्तों ताज़ पर बैठे रहे वो
पर वादों पर फूलों सा चमन ना मिला
सात वचनों का क्या आधार रहा ? - कनुप्रिया
जबसे तुमने मुंह मोडा है
सूना सा हर त्यौहार रहा
जब प्रेम की कसमें टूट गईं तो
सात वचनों का क्या आधार रहा ?
"मुझको दर्पण दिखलाया क्यों?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
देखे विहग व्योम में -आशा
पिछले दो तीन दिनों से काम की अधिकता के चलते ठीक से नींद नहीं ले पा रहा हूं। रोज रात को ढाई तीन बज रहे हैं काम करते और सुबह छह सात बजे तक उठकर फिर काम में जुटना पड रहा है। लग रहा है कि यह क्रम कम से कम हफ्ते भर और चलेगा। काम के बीच कुछ समय निकालकर चर्चा मंच सजाने बैठा तो नजर पडी उडनतश्तरी पर। सुप्रीम कोर्ट का कहना है, नींद मौलिक अधिकार है पर क्या करें........ समीर लाल जी अपने ही अंदाज में कहते हैं, जागा हूँ फक्त चैन से सोने के लिए
अब अपनी पसंद के कुछ पोस्ट सीधे आप तक........
रहे अक्षय मन .....! -अनुपमा त्रिपाठी
हे नाथ ..!हे द्वारकाधीश ...
करो कृपा ..इतना ही दो आशीष ..!!
कई बार व्यथित हो जाता मन ..
नहीं सोच कहीं कुछ पता मन ..
दुःख में ही क्यूँ घबराता मन ...?
है सांस नहीं पल पता मन ...!!
कुछ बेतुकी बातें ...................... - अमित चंद्रा
अक्षरों से मिलकर
शब्द बनते हैं
शब्दों से मिलकर वाक्य।
वाक्यों से मिलकर
अहसास पुरे होते हैं और
अहसासों से मिलकर जज्बात।
जज्बातों से मिलकर
ख़्याल बनता है
और ख़्यालों से मिलकर
बनती है रचना।
सब अपने लिए.... - परमजीत सिंह बाली
आंख देखती है
दिल को कोई अहसास नहीं होता
इसी लिए अब
कोई प्यार का घर आबाद नहीं होता।
अशेष लक्ष्यभेद - डॉ नूतन गैरोला
प्रत्यंचा जब खींची थी तुमने
भेदने को लक्ष्य
खिंच गयी थी डोर दीर्घकाल तक कुछ ज्यादा ही कस
सर्द हवा में जियरा कांपे ..इ फ़ागुन में जोगी कैसे गाएगा जोगीरा रे - अजय कुमार झा
छुट्टी का दिन , सुहाना मौसम , सो आन पडी इक दुविधा ,
कंप्यूटर तोडें खट खटाखट , या धूप में पढें कहानी कविता ..
अलसाई , अल्हड और चमकीली सी उग आई है भोर ,
फ़ागुन मास होवे मदमस्त ,किंतु इहां तो चले है चिल्ड हवा घनघोर
मुझे यकीन है - विद्या
मुझे यकीन है हाथों की लकीरों पर
बरगद तले बैठे बूढे फकीरों पर....
-जो कहते हैं कि सब ठीक होगा एक दिन
चुनाव पर्व - अना
ये जो आंधी है चली ,सड़क -सड़क गली गली
चुनाव पर्व है जो ये ,चेहरे लगे भली भली
कर्म उनके जांच लो, मंसूबे क्या है जान लो
सोचे हित जो जन की उसको वोट देना ठान लो
माईग्रेन, ट्राईका और एक निहायत ही दो कौडी की बात - बाबुषा
मैं कहती हूं किसी इश्तेहार का क्या अर्थ बाकी है
कि जब हर कोई चेसबोर्ड पर ही रेंग रहा है
आडी टेढी या ढाई घर चालें तो वक्त तय कर चुका है
काले सफेद खाने मौसम के हिसाब से
आपस में जगह बदलते हैं
मेरी पसंद का मौसम.... - रश्मि
मुझे तो सारे मौसम पसंद आते हैं
क्योंकि
हर मौसम का अपना अहसास
अपना अंदाज
और अपनी खासियत होती है
जैसे हर इंसान की अपनी
रवायत होती है
माफ़ नहीं करना मुझे.... संध्या शर्मा
आई थी तू
मेरे आँचल में
अभागिन मैं
तुझे देख भी न सकी
आज भी गूंजती है
तेरी मासूम सी आवाज़
मेरे कानो में
वह माँ- माँ की पुकार
बस सुना है तुझे
कुछ भी न कर सकी
ऑस जब बन बूँद बहती,पात का कम्पन.......- विक्रम
ऑस जब बन बूँद बहती,पात का कम्पन ह्रदय में छा रहा है
नीर का देखा रुदन किसने यहां पे,पीर वो भी संग ले के जा रहा है
लोग जो हैं अब तलक मुझसे मिले ,शब्द से रिश्तो में अंतर आ रहा है
अर्थ अपनी जिन्दगी का ढूँढ़ने में, व्यर्थ ही जीवन यहाँ पे जा रहा है
फूल कर कुप्पा हुआ करती थीं जिस पर रोटियां - नीरज गोस्वामी
इक पुराना पेड़ बाकी है अभी तक गाँव में
फूल कर कुप्पा हुआ करती थीं जिस पर रोटियां
माँ की प्यारी वो अंगीठी, है अभी तक गाँव में
गिरने को ? -
परीक्षा में कम अंक आने को ? -
शेयर गिर जाने को ?
अधकचरे प्रेम की बाजी हारने को ?
साथ जो मिलता उन्हें - संध्या आर्य
चलते रहे बहुत मगर
मंजिल का साथ ना मिला
सुखनसाज़ बहुत बजते रहे
पर करारे-सुकून ना मिला
तख्तों ताज़ पर बैठे रहे वो
पर वादों पर फूलों सा चमन ना मिला
सात वचनों का क्या आधार रहा ? - कनुप्रिया
जबसे तुमने मुंह मोडा है
सूना सा हर त्यौहार रहा
जब प्रेम की कसमें टूट गईं तो
सात वचनों का क्या आधार रहा ?
"मुझको दर्पण दिखलाया क्यों?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
सुन्दर सा सुमन सजाया क्यों?
सूने-सूने से मधुबन में,
गुल को इतना महकाया क्यों?
मधुमास बन गया था पतझड़,
संसार बन गया था बीहड़,
दण्डक-वन से, इस जीवन में,
शीतल सा पवन बहाया क्यों?
मेरी हर ख्वाहिश पूरी होती
उन्मुक्त गगन को छूने की
चाह मेरी पूरी होती
काश मैं पंछी होती
लिखा तो था हम दोनों ने
अपना नाम
साहिल की रेत पर,
बहा कर ले गयी
वक़्त की लहरें.
अपना नाम
साहिल की रेत पर,
बहा कर ले गयी
वक़्त की लहरें.
देखे विहग व्योम में -आशा
लहराती रेखा से
थे अनुशासित इतने
ज़रा न इधर उधर होते
प्रथम दिवस का दृश्य
ये दुनिया ही ऐसी है
संवेदनशील हों अगर आप
तो कभी
सुखी नहीं रह सकते...
एक दर्द रिसता रहता है भीतर
एक ज्वाला में जलता रहता है मन
संवेदनशील हों अगर आप
तो कभी
सुखी नहीं रह सकते...
एक दर्द रिसता रहता है भीतर
एक ज्वाला में जलता रहता है मन
... अब कुछ और पोस्ट।
सबकी प्यारी रूनझुन बता रही है भाई ने खाना खाया
विभा रानी श्रीवास्तव जी को हक है पगलाने का
अवंती सिंह जी तस्वीरों के जरिए बता रही हैं पैन टच थेरेपी
किरण श्रीवास्तव जी को है इन पर आस्था
शिखा जी के सवाल का जवाब दीजिए आखिर औरत होने में बुरा क्या है????
शामिल होईए खुशदीप जी के इस चिंतन में कि सेक्सी कहने पर हंगामा क्यूं है बरपता ...
आखिर में सीखिए तरीका बिना फोर्मेट करे किसी भी ड्राइव का साइज़ बढ़ाए
और बोलते शब्द में सीखिए बोलना और लिखना कुछ शब्द
अब दीजिए अतुल श्रीवास्तव को इजाजत। मुलाकात होगी अगले मंगलवार... पर चर्चा जारी रहेगी पूरे सातों दिन।
umda charcha/ behatreen links.
जवाब देंहटाएंतमाम व्यस्तताओं के बीच चर्चामंच सजाने के आपके श्रमसाध्य कार्य को नमन!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा!
आभार!
आज की चित्रमयी चर्चा बहुत बढ़िया रही!
जवाब देंहटाएंअतुल जी आपका आभार!
अच्छी लिंक्स के साथ अच्छी चर्चा की है |सचित्र चर्चा पढ़ने के लिए आकर्षित करती है |
जवाब देंहटाएंआपकी महनत सराहनीय है |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
आशा
अतुल भाई, सचमुच आपने बड़े श्रम से चर्चा सजाई। इसीलिए तो बनती है बधाई।
जवाब देंहटाएं------
..की-बोर्ड वाली औरतें।
रोचक लिंक्स!
जवाब देंहटाएंlinks....bookmark...........kuchh padhe ..par baki hai padna ...badhiya charcha.
जवाब देंहटाएंअतुलजी , अच्छी प्रस्तुति . बधाई स्वीकार करे.
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को चर्चा मंच मै रखने के लिए आभार .
बहूत हि सुंदर एवं बेहतरीन लिंक्स है
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
Active Life Blog
रोचक लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंपूरे पढ़ पायें तो पाठकों के लिए पूर्ण खुराक है !
आकर्षक और प्रभावी प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंसारे के सारे स्तरीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स के साथ आकर्षक चर्चा... मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार...
जवाब देंहटाएंअतुल जी ... बहुत ही अच्छी चर्चा और अच्छे लिंक्स... खुशकिस्मती मेरी कि इस क्रम में मैं भी हूँ
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अतुल जी ....बेहद खुबसूरत और रोचक लिंक्स के बीच मुझे भी स्थान मिला इसके लिये आभारी हूँ !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा रही आज की चर्चा ,आज काफी सारे ब्लॉग पर जाना हुआ आप की बदोलत ,आप सब अपना कीमती वक्त देकर चर्चा को सजाते सवारते है उस के लिए हार्दिक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंsabhi links bahut achchhe hain .badhai .
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन चर्चा... रोचक लिंक्स से सजी हुई उम्दा प्रस्तुति..... इस चर्चा में रुनझुन को भी शामिल करने का बहुत-बहुत शुक्रिया !!!
जवाब देंहटाएंUMDA CHARCHA!
जवाब देंहटाएंपठनीय लिंक संयोजन्।
जवाब देंहटाएंmain jhoot bolna nahi chahti bol hi nahi sakti mujhe sacchi me bhot khushi hoti hai apni kisi rachna ko charcha manch par dekhkar.....aj ki charcha bhi badi pyari hai...ek ek kar sab padhne ki koshish kar rahi hu kuch padh li hai kuch baki hai
जवाब देंहटाएंabhar is umda charcha me mujhe sthan diya ...Atul ji ...
जवाब देंहटाएंअतुल जी,..
जवाब देंहटाएंचित्रमई सुंदर प्रस्तुती के लिए बधाई...आभार
बहुत सुंदर लिंक्स...शानदार चर्चा...
जवाब देंहटाएंwah!
जवाब देंहटाएंwah..bahut sundar prastuti..meri rachna ko shamil karne ke liye bahut aabhar :)
जवाब देंहटाएंsundar links, mazedaar charchaa.
जवाब देंहटाएंAtul ji , badhai.
अच्छा सुव्यवस्थित संकलन..सुन्दर चर्चा. आभार.
जवाब देंहटाएंयहाँ वह समस्त रचनाये संगिठत है, जो हम सभी पढना चाहते हैं!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मंच है...बहुत सुन्दर संकलन...
धन्यवाद !
बहुत ही बेहतरीन सजाया आपने । इतने सारे खूबसूरत पोस्ट झलकियों ने पन्ने को संग्रहणीय बना दिया है । मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार आपका
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अतुल जी,मेरी रचना को चर्चा मंच में सामिल करनें के लिये. सुन्दर संकलन, बधाई .
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत सजाया है मंच। वाकई मेहनत का काम है....कई ब्लाग से चर्चा के लिए चयन करना। इसलिए हम आपके आभारी हैं कि हमें स्थान दिया आपने।
जवाब देंहटाएंआभार आप सबका।
जवाब देंहटाएंव्यस्तता के बावजूद आप की चर्चा जरा भी अस्त व्यस्त नहीं लगी'''''बेहतरीन लिंक्स'''''शुक्रिया
जवाब देंहटाएंthanks for this post new blogger check out this its help in your blogging carrier
जवाब देंहटाएंvery nice article thanks for this and for latest news visit in Desi News
जवाब देंहटाएंYou have given very good information. I was looking for a similar website. As yours I love reading Although nowadays people watch videos more, but I still like to read.
जवाब देंहटाएंQuarantine Meaning in Hindi
Digital Marketing Kya Hota Hai
nice
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya jankari
जवाब देंहटाएंSurrogacy Meaning in Hindi
love stories
जवाब देंहटाएंlove shayari
जवाब देंहटाएंडिजिटल मार्केटिंग क्या है: जैसा कि आप लोग जानते हैं आज का दौर जो है वो Digital का है आपको यदि Digital Marketing के बारे में नहीं पता है तो आप लोग दूसरों से थोड़े पीछे हो सकते हो क्योंकि हमें अपने बदलते युग के साथ साथ चलना है ताकि कहीं हम पीछे ना रह जाए।
जवाब देंहटाएंDigital Marketing
Great post. Keep it up.mamc
जवाब देंहटाएंDo you know What is Digital Marketing and how it is use in insdustries and big projects.
जवाब देंहटाएंDigital Marketing
जवाब देंहटाएंSearch Engine Optimization
जवाब देंहटाएं