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शुक्रवार, जुलाई 20, 2012

नंगों के इस शहर में, नंगों का क्या काम -रविकर : चर्चा मंच 946

आइये पाठक गण स्वागत है ।।
लिंक किये गए किसी भी पोस्ट की समालोचना लिखिए ।
समालोचना सम्बंधित पोस्ट की लिंक पर लगा दी जाएगी 11 AM पर ।।

(1)
भूले अपना देश !

संतोष त्रिवेदी
बैसवारी baiswari
  1. लिंक-1
    सावन में सूखा पड़ा, लोग हुए हैरान।
    समय बड़ा बलवान है, हार गया इंसान।।


    1. आज कुतर्की कह रहे, उस गुरु को आभार |
      तर्क-शास्त्र जिसने सिखा, भुला दिया व्यवहार |

      कल लुंगी पहने रहे, किया हवा की बात |
      बरमुड्डा अब झाड़ के, बिता रहे हैं रात |

      तुलसी सूर कबीर के, नव-आलोचक आज |
      करे कल्पना काल की, नारि विधर्मी राज ||
      1. और अंत में रविकर जी को सुंदर चर्चामंच सजाने के लिये आभार के साथ
        (1)
        संतोष जी देखिये तो
        बहुत गहरे गहरे तक
        ले जा रहे हैं
        कितनी गहरे
        ये आप जा कर
        देख कर उनके
        ब्लाग बैसवारी पर
        क्यों नहीं आ रहे हैं ?

        1. कहीं वो डूब तो नहीं गए ...:)


(2)

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वाणी अपनी श्रेष्ठतम, तम हरती दिन-रात |
सद्पथ करती अग्रसर,  ब्लॉगों की बारात |


ब्लॉगों की बारात, सफ़र यह दो सालों का |
बड़ी मुबारकवाद,  मिला रविकर को मौका |


आयोजक आभार, कर्म कुल जग-कल्याणी |
द्वार द्वार पर पहुँच, जगाती हमारी वाणी |

  1. (2)
    दूसरी वर्षगाँठ पर सभी ब्लागरों तथा पाठकों का हार्दिक अभिनन्दन!
    हमारी वाणी ने जलाई आज
    मोमबतियां दो काटा केक
    जन्मदिन शुभ हो दूसरा
    शुभकामनाऎं दे रहे अनेक !!

    1. लिंक-2
      युग-युग तक चलती रहे, ये सेवा निष्काम।
      हिन्दी के विस्तार का, ये है काम महान।।


  (3)
भ्रष्टाचार
  1. (3)
    नारद
    भ्रष्टाचार
    नारद जी लाये हैं
    बहुत कुछ देखिये
    ब्लाग पर अपने
    सजाये हैं सुंदर !

    1. लिंक-3
      आम आदमी के लिए, नहीं बने कानून।
      खास-खास के लिए हैं, सारे ही मजमून।।

शिखा कौशिक
भारतीय नारी 
 
  1. लिंक-4
    छँटे हुए भर्ती हुए, अखबारों में आज।
    न्याय कहाँ से पायेगा, अपना लचर समाज।।
    1. (4)
      सटीक बात रखी है पटल पर :

      टी आर पी के लिये कुछ भी करा जाता है
      पत्रकार ही क्या हर पेशे में अब इस तरह
      का पेशेवर कोने कोने में नजर आता है
      कर्त्व्य करने वाले का कंधा बनाया जाता है
      फिर एक अनाड़ी कहीं से आकर उसपर
      रखकर बंदूक चलाता है ईनाम पाता है !!

(5)

कविता-चेरी

प्रतुल वशिष्ठ
दर्शन-प्राशन

  1. लिंक-5
    आँखो पर मत जाइए, धोखा देती आँख।
    अच्छे लेखन से बढ़े, जग में सबकी शाख।।
  1. (5)
    सुंदर रचना :
    जाल में उलझ रहे हैं
    देख देख कर गाल
    चाह है बिछे हुऎ हैं बाल
    देख लेतें है समझ लेते हैं
    क्या हो जायेगा अगर
    दें थोड़ी सी टांग
    अपनी भी इसमें डाल !!

  2. धीरे धीरे सावन आये। समय हमेशा अधिक लगाये ।
    व्याकुल जीवन तपती धरती । नाजुक विटप लताएँ मरती ।।


    कुदरत अब सिंगार करे है । मस्तक पर नव मुकुट धरे है ।
    नव पल्लव संबल पाते हैं । लिपट चिपट कर चढ़ जाते हैं ।।


    हरियाली सब का मन मोहे । रविकर दिनभर भटके-टोहे ।
    मेघ गर्जना बिजली दमकी । कविवर क्यूँ आँखें न चमकी ??

(6)

देवता मिल गया....

Dr (Miss) Sharad Singh at Sharad Singh



  1. बहुत सुंदर !!!

    मन मंदिर हो जाता है
    और देवता से भी
    प्यार हो जाता है
    आरती करते करते
    पता नहीं कब वो
    खुद देवता हो जाता है



    1. करो निरंतर साधना, उरमन्दिर को खोल।
      मिला अर्चना के लिए, मानव जन्म अमोल।


  1. मन मंदिर मोहित मगन, मुश्किल में मम देह ।
    जाउंगी मनमीत बिन, कैसे वापस गेह ।
    कैसे वापस गेह , संभालो कोई आकर ।
    मेरा पावन नेह, बुलाओ भाई रविकर ।
    शहनाई सी बाज, आज की गजब आरती ।
    मनमोहक अंदाज, स्वयं से खड़ी हारती ।

(7)
सदा
SADA  

  1. (7)

    सुंदर अभिव्यक्ति:

    तोड़ते चले जाओ
    फेविकोल है ना
    बाजार से ले आओ!




    1. टूट-फूट को जोड़ते, लगा गाँठ पर गाँठ ।
      रहा अनवरत कर्मरत, पहर आठ के आठ |
      पहर आठ के आठ, पाठ धीरज का पढ़ के ।
      नेह बांध के साथ, निभाये वह बढ़-चढ़ के ।
      सबसे आगे दौड़, छोड़ता पीछे सबको ।
      खुद से नाता तोड़, याद कर जाए रब को ।।
    2. काबू करलो क्रोध पर, शीतलता अपनाय।
      गुस्से बनते हिए, काम बिगड़ते जाय।।


(8)

सपनों का सौदागर



  1. (8)
    सुंदर रचना :
    सपने बुने जाते है
    सपने देखे जाते है
    सुनता आया था
    सपने बेचे भी जाते है
    आज पता चल गया !
    1. दिवास्वप्न मत देखिए, करके आँखें बन्द।
      मन से पूरे कीजिए, किये हुए अनुबन्ध।।
    2. मन-भावन सपने सजे, मजे दार हैं मित्र ।
      वैसे तो अनमोल हैं, लेकिन बात विचित्र ।
      लेकिन बात विचित्र, मुफ्त बांटे सौदागर ।
      तरह तरह के भेद, छाँट लो बढ़िया सादर ।
      दिवास्वप्न हैं व्यर्थ, बिछाओ प्रेम-विछावन ।
      ले लो गहरी नींद, देख सपने मनभावन ।।



  (9)

जिसने लास वेगास नहीं देखा

  1. (9)
    वीरू भाई दिखा रहे हैं
    पहुँचना भोग के शिखर तक
    डालर का खेल !!!

    1. नंगों के इस शहर में, नंगों का क्या काम ।
      बहु-रुपिया पॉकेट धरो, तभी जमेगी शाम ।
      तभी जमेगी शाम, जमी बहुरुपिया लाबी ।
      है शबाब निर्बंध, कबाबी विकट शराबी ।
      मन्त्र भूल निष्काम, काम-मय जग यह सारा ।
      चल रविकर उड़ चलें, घूम न मारामारा ।।
      Delete
    2. बढ़ती है जब सम्पदा, बढ़जाता व्यभिचार।
      कपड़े लोग उतारते, पाकर द्रव्य अपार।।


  (10)

उन्हें सिर्फ सत्ता चाहिए

दिनेशराय द्विवेदी  
  1. 10)
    उन्हें सिर्फ सत्ता चाहिए
    दिनेशराय द्विवेदी अनवरत
    सटीक आलेख एवम प्रस्तुति :
    छोटी छोटी सत्ताओं का खेल
    जब शुरु होने लगे घर से ही
    तो बड़ी कुर्सी तक पहुँचते
    बड़ा खेल हो जा रहा है
    भारत देश किस दिशा में
    जा रहा है साफ साफ दिख
    तो जा रहा है ।

    1. सत्ता के मद में चढ़ा, घसियारे पर रंग।
      ऊँची कुर्सी पायकर, बिगड़ गये हैं ढंग।।

(11)

1857 के महानायक मंगल पांडे


  1. (11)
    1857 के महानायक मंगल पांडे
    An Indian in Pittsburgh -
    पिट्सबर्ग में एक भारतीय *
    देश ने करना चाहिये जिन शहीदों को याद
    वो याद भी अब कहाँ किसी को आते हैं
    शुक्रिया आपका जनाब कुछ लोग हैं अभी
    जो लिख कर कुछ हमें भी याद दिलाते हैं !!
  2. आजादी के वास्ते, जो देते निज प्राण।
    ऐसे वीर शहीद का , नहीं यहाँ सम्मान।


(12)

हिंदी उपन्यास साहित्य की परंपरा में प्रेमचंद जी का स्थान

  1. (12)

    इस 31 तारीख को मना रहे है प्रेमचंद का जन्मदिन
    ला रहे हैं सुंदर सार्गर्भित आलेख भी साथ साथ
    इस कड़ी में अनामिका जी का बहुत सार्थक आलेख लाये हैं मनोज जी आज !!

  2. इसीलिए तो प्रेमचन्द को उपन्याससम्राट कहा जाता है।




(13)

बता ये हुनर तुमने सीखा कहाँ से ...........>>>> संजय कुमार

" जीवन की आपाधापी "

  1. (13)
    बता ये हुनर तुमने सीखा कहाँ से ...........>>>> संजय कुमार
    " जीवन की आपाधापी "
    हर आदमी के
    अंदर है ये
    जिसे मिला मौका
    वो हो जाता है
    दूसरा बैठ के
    गरियाता है
    कि वो हो गया
    देश का राष्ट्रीय चरित्र
    कहाँ खो गया?


    1. कुर्सी सिखलाती सदा, छल की राह अनेक।
      पाकर सत्ता को बढ़े, हर्ष और व्यतिरेक।।

 


(14)

लावारिस - बावारिस !

  1. (14)
    लावारिस - बावारिस !
    रेखा श्रीवास्तव
    अच्छा लिखा है
    सत्य लिखा है :

    कुछ नहीं है इतिहास है
    अपने को दोहरा रहा है
    संवेदनाऎं मर रही हैं
    आदमी अब वापस
    अपनी पुरानी अवस्था
    पर जाना चाह रहा है
    जानवर से शुरू हुआ था
    उसका जो विकास
    उसी जानवर को
    अपने अंदर पुन:
    जगा रहा है

(15)

ट्रेन से भारत परिक्रमा


(15)
ट्रेन से भारत परिक्रमा
नीरज जाट
मुसाफिर हूँ यारों

वाह ! देख के ही मजा आ गया
घूम के आओ फिर बताओ
क्या क्या देख कर आये
कैसा है देश और उसकी
तबीयत आ कर बतायें !!!
 

 (16)

इस रियल लाइफ हीरो की मौत की खबर लोकल TV चैनल तक ही-

भारतीय नारी



    1. (16)
      इस रियल लाइफ हीरो की मौत की खबर लोकल TV चैनल तक ही-
      भारतीय नारी

      लिंक दिखना शुरू हो गया है
      सुना है कोई शहीद हो गया है
      दो महिलाओं की इज्जत बचाते हुऎ
      एक करीम मारा गया
      इसलिये टी वी मीडिया में
      किसी के द्वारा नहीं दिखाया गया !

(17)

27 अगस्त को होगा ब्लॉग संसार का फिर से धमाल

RAVINDRA PRABHAT

  1. (17)
    27 अगस्त को होगा ब्लॉग संसार का फिर से धमाल
    RAVINDRA PRABHAT
    कार्यक्रम की सफलता के लिए बधाई तथा शुभकामनाएँ !!!
    गालिब की नगरी
    दिल्ली के बाद अब
    तहजीब की नगरी
    लखनऊ में होने
    जा रहा है
    अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन
    परिकल्पना ब्लाग
    इस की गरम गरम
    खबर ला रहा है
    तूफान आने वाला है
    बता रहा है अभी बस
    बादलों की फोटो
    दिखा रहा है !!

(18)

चलो किसी रोते हुए को हंसाया जाए ---

डॉ टी एस दराल

  1. (18)
    चलो किसी रोते हुए को हंसाया जाए ---
    डॉ टी एस दराल
    बहुत खूब !!

    रोते हुऎ को हसाना
    चुना है काम आपने
    गजब किया है
    हसने वाला कोई हो
    ऎसा हमें तो
    बहुत कम मिला है
    कुछ हंस रहे थे
    हम ने पूछा
    क्या चुटकुला सुना है
    बोले मुस्कुरा के
    जी नहीं हमको
    हंसाने वाला मिला है !!

  2.  हँसने वाले हैं भले, उनकी हंसी अमूल ।
    टेंसन फ्री रहते सदा, खिलता जीवन फूल ।
    खिलता जीवन फूल, डाक्टर साहब कहते ।
    रविकर भला उसूल, लतीफे कहते रहते ।
    ऐसे सज्जन वृन्द, अन्य को रहें हंसाते ।
    हल्का रख माहौल, टेंसन सदा भगाते ।।

 (19)

"समाजवाद का चेहरा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

  1. (19)
    "समाजवाद का चेहरा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    उच्चारण
    कोई भी वाद
    किताबी परिभाषा
    हो जाता है
    बस भाषण देने
    के वो एक
    काम आता है
    बाकी हाथी के
    दिखाने के दांत
    हो जाता है!!!


55 टिप्‍पणियां:

  1. लिंक-1
    सावन में सूखा पड़ा, लोग हुए हैरान।
    समय बड़ा बलवान है, हार गया इंसान।।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. भूले अपना देश !
      संतोष त्रिवेदी
      बैसवारी baiswari

      आज कुतर्की कह रहे, उस गुरु को आभार |
      तर्क-शास्त्र जिसने सिखा, भुला दिया व्यवहार |

      कल लुंगी पहने रहे, किया हवा की बात |
      बरमुड्डा अब झाड़ के, बिता रहे हैं रात |

      तुलसी सूर कबीर के, नव-आलोचक आज |
      करे कल्पना काल की, नारि विधर्मी राज ||

      हटाएं
  2. लिंक-2
    युग-युग तक चलती रहे, ये सेवा निष्काम।
    हिन्दी के विस्तार का, ये है काम महान।।

    जवाब देंहटाएं
  3. (19)
    "समाजवाद का चेहरा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    उच्चारण
    कोई भी वाद
    किताबी परिभाषा
    हो जाता है
    बस भाषण देने
    के वो एक
    काम आता है
    बाकी हाथी के
    दिखाने के दांत
    हो जाता है!!!

    जवाब देंहटाएं
  4. (18)
    चलो किसी रोते हुए को हंसाया जाए ---
    डॉ टी एस दराल
    बहुत खूब !!

    रोते हुऎ को हसाना
    चुना है काम आपने
    गजब किया है
    हसने वाला कोई हो
    ऎसा हमें तो
    बहुत कम मिला है
    कुछ हंस रहे थे
    हम ने पूछा
    क्या चुटकुला सुना है
    बोले मुस्कुरा के
    जी नहीं हमको
    हंसाने वाला मिला है !!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चलो किसी रोते हुए को हंसाया जाए ---
      डॉ टी एस दराल
      हँसने वाले हैं भले, उनकी हंसी अमूल ।
      टेंसन फ्री रहते सदा, खिलता जीवन फूल ।
      खिलता जीवन फूल, डाक्टर साहब कहते ।
      रविकर भला उसूल, लतीफे कहते रहते ।
      ऐसे सज्जन वृन्द, अन्य को रहें हंसाते ।
      हल्का रख माहौल, टेंसन सदा भगाते ।।

      हटाएं
  5. (17)
    27 अगस्त को होगा ब्लॉग संसार का फिर से धमाल
    RAVINDRA PRABHAT
    कार्यक्रम की सफलता के लिए बधाई तथा शुभकामनाएँ !!!
    गालिब की नगरी
    दिल्ली के बाद अब
    तहजीब की नगरी
    लखनऊ में होने
    जा रहा है
    अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन
    परिकल्पना ब्लाग
    इस की गरम गरम
    खबर ला रहा है
    तूफान आने वाला है
    बता रहा है अभी बस
    बादलों की फोटो
    दिखा रहा है !!

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  6. बेहतरीन चर्चा व लिंक्स.....साधुवाद सारगर्भित सृजन व सृजनकर्ताओं दोनों को .....

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  7. (16)
    लिंक अदृश्य है
    बस मुझे दिख रहा है
    उस पर कुछ नहीं
    बताना है ये लिखा है
    इसलिये सीधे 15
    पर जा रहा हूँ
    जाट भाई की ट्रैन
    आ रही है
    सीटी बजा रहा हूँ


    (15)
    ट्रेन से भारत परिक्रमा
    नीरज जाट
    मुसाफिर हूँ यारों

    वाह ! देख के ही मजा आ गया
    घूम के आओ फिर बताओ
    क्या क्या देख कर आये
    कैसा है देश और उसकी
    तबीयत आ कर बतायें !!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. (16)
      इस रियल लाइफ हीरो की मौत की खबर लोकल TV चैनल तक ही-
      भारतीय नारी

      लिंक दिखना शुरू हो गया है
      सुना है कोई शहीद हो गया है
      दो महिलाओं की इज्जत बचाते हुऎ
      एक करीम मारा गया
      इसलिये टी वी मीडिया में
      किसी के द्वारा नहीं दिखाया गया !

      हटाएं
  8. (14)
    लावारिस - बावारिस !
    रेखा श्रीवास्तव
    अच्छा लिखा है
    सत्य लिखा है :

    कुछ नहीं है इतिहास है
    अपने को दोहरा रहा है
    संवेदनाऎं मर रही हैं
    आदमी अब वापस
    अपनी पुरानी अवस्था
    पर जाना चाह रहा है
    जानवर से शुरू हुआ था
    उसका जो विकास
    उसी जानवर को
    अपने अंदर पुन:
    जगा रहा है

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्छी चर्चा - मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए शुक्रिया रविकर जी

    जवाब देंहटाएं
  10. (13)
    बता ये हुनर तुमने सीखा कहाँ से ...........>>>> संजय कुमार
    " जीवन की आपाधापी "
    हर आदमी के
    अंदर है ये
    जिसे मिला मौका
    वो हो जाता है
    दूसरा बैठ के
    गरियाता है
    कि वो हो गया
    देश का राष्ट्रीय चरित्र
    कहाँ खो गया?

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कुर्सी सिखलाती सदा, छल की राह अनेक।
      पाकर सत्ता को बढ़े, हर्ष और व्यतिरेक।।

      हटाएं
  11. (12)
    हिंदी उपन्यास साहित्य की परंपरा में प्रेमचंद जी का स्थान
    राजभाषा हिंदी

    इस 31 तारीख को मना रहे है प्रेमचंद का जन्मदिन
    ला रहे हैं सुंदर सार्गर्भित आलेख भी साथ साथ
    इस कड़ी में अनामिका जी का बहुत सार्थक आलेख लाये हैं मनोज जी आज !!

    जवाब देंहटाएं
  12. (11)
    1857 के महानायक मंगल पांडे
    An Indian in Pittsburgh -
    पिट्सबर्ग में एक भारतीय *
    देश ने करना चाहिये जिन शहीदों को याद
    वो याद भी अब कहाँ किसी को आते हैं
    शुक्रिया आपका जनाब कुछ लोग हैं अभी
    जो लिख कर कुछ हमें भी याद दिलाते हैं !!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आजादी के वास्ते, जो देते निज प्राण।
      ऐसे वीर शहीद का , नहीं यहाँ सम्मान।

      हटाएं
  13. 10)
    उन्हें सिर्फ सत्ता चाहिए
    दिनेशराय द्विवेदी अनवरत
    सटीक आलेख एवम प्रस्तुति :
    छोटी छोटी सत्ताओं का खेल
    जब शुरु होने लगे घर से ही
    तो बड़ी कुर्सी तक पहुँचते
    बड़ा खेल हो जा रहा है
    भारत देश किस दिशा में
    जा रहा है साफ साफ दिख
    तो जा रहा है ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सत्ता के मद में चढ़ा, घसियारे पर रंग।
      ऊँची कुर्सी पायकर, बिगड़ गये हैं ढंग।।

      हटाएं
  14. (9)
    जिसने लास वेगास नहीं देखा
    veerubhai
    कबीरा खडा़ बाज़ार में

    वीरू भाई दिखा रहे हैं
    पहुँचना भोग के शिखर तक
    डालर का खेल !!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जिसने लास वेगास नहीं देखा
      veerubhai
      कबीरा खडा़ बाज़ार में

      नंगों के इस शहर में, नंगों का क्या काम ।
      बहु-रुपिया पॉकेट धरो, तभी जमेगी शाम ।

      तभी जमेगी शाम, जमी बहुरुपिया लाबी ।
      है शबाब निर्बंध, कबाबी विकट शराबी ।

      मन्त्र भूल निष्काम, काम-मय जग यह सारा ।
      चल रविकर उड़ चलें, घूम न मारामारा ।।

      हटाएं
    2. बढ़ती है जब सम्पदा, बढ़जाता व्यभिचार।
      कपड़े लोग उतारते, पाकर द्रव्य अपार।।

      हटाएं
  15. (8)
    सपनों का सौदागर
    my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....

    सुंदर रचना :
    सपने बुने जाते है
    सपने देखे जाते है
    सुनता आया था
    सपने बेचे भी जाते है
    आज पता चल गया !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. दिवास्वप्न मत देखिए, करके आँखें बन्द।
      मन से पूरे कीजिए, किये हुए अनुबन्ध।।

      हटाएं
    2. सपनों का सौदागर
      my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....

      मन-भावन सपने सजे, मजे दार हैं मित्र ।
      वैसे तो अनमोल हैं, लेकिन बात विचित्र ।

      लेकिन बात विचित्र, मुफ्त बांटे सौदागर ।
      तरह तरह के भेद, छाँट लो बढ़िया सादर ।

      दिवास्वप्न हैं व्यर्थ, बिछाओ प्रेम-विछावन ।
      ले लो गहरी नींद, देख सपने मनभावन ।।

      हटाएं
  16. (7)
    खुद का खुद से नाता तोड़ता !!!
    सदा SADA

    सुंदर अभिव्यक्ति:

    तोड़ते चले जाओ
    फेविकोल है ना
    बाजार से ले आओ!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. खुद का खुद से नाता तोड़ता !!!
      सदा
      SADA

      टूट-फूट को जोड़ते, लगा गाँठ पर गाँठ ।
      रहा अनवरत कर्मरत, पहर आठ के आठ |

      पहर आठ के आठ, पाठ धीरज का पढ़ के ।
      नेह बांध के साथ, निभाये वह बढ़-चढ़ के ।

      सबसे आगे दौड़, छोड़ता पीछे सबको ।
      खुद से नाता तोड़, याद कर जाए रब को ।।

      हटाएं
    2. काबू करलो क्रोध पर, शीतलता अपनाय।
      गुस्से बनते हिए, काम बिगड़ते जाय।।

      हटाएं
  17. लिंक-3
    आम आदमी के लिए, नहीं बने कानून।
    खास-खास के लिए हैं, सारे ही मजमून।।

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  18. (6)
    देवता मिल गया....
    Dr (Miss) Sharad Singh at Sharad Singh -

    बहुत सुंदर !!!

    मन मंदिर हो जाता है
    और देवता से भी
    प्यार हो जाता है
    आरती करते करते
    पता नहीं कब वो
    खुद देवता हो जाता है

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    1. करो निरंतर साधना, उरमन्दिर को खोल।
      मिला अर्चना के लिए, मानव जन्म अमोल।।

      हटाएं
    2. मन मंदिर मोहित मगन, मुश्किल में मम देह ।
      जाउंगी मनमीत बिन, कैसे वापस गेह ।


      कैसे वापस गेह , संभालो कोई आकर ।
      मेरा पावन नेह, बुलाओ भाई रविकर ।


      शहनाई सी बाज, आज की गजब आरती ।
      मनमोहक अंदाज, स्वयं से खड़ी हारती ।

      हटाएं
  19. लिंक-4
    छँटे हुए भर्ती हुए, अखबारों में आज।
    न्याय कहाँ से पायेगा, अपना लचर समाज।।

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  20. (5)
    कविता-चेरी
    प्रतुल वशिष्ठ
    दर्शन-प्राशन

    सुंदर रचना :

    जाल में उलझ रहे हैं
    देख देख कर गाल
    चाह है बिछे हुऎ हैं बाल
    देख लेतें है समझ लेते हैं
    क्या हो जायेगा अगर
    दें थोड़ी सी टांग
    अपनी भी इसमें डाल !!

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    उत्तर
    1. कविता-चेरी
      प्रतुल वशिष्ठ
      दर्शन-प्राशन
      धीरे धीरे सावन आये। समय हमेशा अधिक लगाये ।
      व्याकुल जीवन तपती धरती । नाजुक विटप लताएँ मरती ।।

      कुदरत अब सिंगार करे है । मस्तक पर नव मुकुट धरे है ।
      नव पल्लव संबल पाते हैं । लिपट चिपट कर चढ़ जाते हैं ।।

      हरियाली सब का मन मोहे । रविकर दिनभर भटके-टोहे ।
      मेघ गर्जना बिजली दमकी । कविवर क्यूँ आँखें न चमकी ??

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  21. लिंक-5
    आँखो पर मत जाइए, धोखा देती आँख।
    अच्छे लेखन से बढ़े, जग में सबकी शाख।।

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  22. (4)
    वाह रे पत्रकार ...वाह वाह रे पत्रकार !
    शिखा कौशिक
    भारतीय नारी
    सटीक बात रखी है पटल पर :

    टी आर पी के लिये कुछ भी करा जाता है
    पत्रकार ही क्या हर पेशे में अब इस तरह
    का पेशेवर कोने कोने में नजर आता है
    कर्त्व्य करने वाले का कंधा बनाया जाता है
    फिर एक अनाड़ी कहीं से आकर उसपर
    रखकर बंदूक चलाता है ईनाम पाता है !!

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  23. (3)
    नारद
    भ्रष्टाचार
    नारद जी लाये हैं
    बहुत कुछ देखिये
    ब्लाग पर अपने
    सजाये हैं सुंदर !

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  24. (2)
    दूसरी वर्षगाँठ पर सभी ब्लागरों तथा पाठकों का हार्दिक अभिनन्दन!
    हमारी वाणी ने जलाई आज
    मोमबतियां दो काटा केक
    जन्मदिन शुभ हो दूसरा
    शुभकामनाऎं दे रहे अनेक !!

    जवाब देंहटाएं
  25. और अंत में रविकर जी को सुंदर चर्चामंच सजाने के लिये आभार के साथ

    (1)
    भूले अपना देश !
    संतोष त्रिवेदी
    बैसवारी baiswari

    संतोष जी देखिये तो
    बहुत गहरे गहरे तक
    ले जा रहे हैं
    कितनी गहरे
    ये आप जा कर
    देख कर उनके
    ब्लाग बैसवारी पर
    क्यों नहीं आ रहे हैं ?

    जवाब देंहटाएं
  26. कविवर का है शोर,मचाये हल्ला रविकर |
    चर्चा में भी झंडे गाड़े,ऊपर,ऊपर ||

    जवाब देंहटाएं
  27. वाह ... बेहतरीन लिंक्‍स के साथ उत्‍कृष्‍ट चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  28. नव विधि, नव लय, ताल छन्द नव...मनोहारी चर्चा भाई रविकर की

    जवाब देंहटाएं
  29. हंसती है दुनिया , हंसाने वाला चाहिए
    मिलती हैं राहें , दिखाने वाला चाहिए !

    जीवन के व्यापार में , हँसना गए हैं भूल
    नाप तौल को छोड़ के , फेंक हंसीं के फूल !

    अलग अंदाज़ में बढ़िया चर्चा .

    जवाब देंहटाएं
  30. टिप्पणी के नीचे Reply में थोड़ा कैरोसिन डालिये
    उस पर लग गया है जंक जरा सा धो डालिये ।

    जवाब देंहटाएं
  31. बेहतरीन लिंक्‍स के साथ अच्छी चर्चा - ...

    जवाब देंहटाएं
  32. लिंक न० १९


    बस हल्की नील चढाकर के, मै कुर्सी को पा लेता हूँ
    तू खाना खा कर जीवित है,मै जनमत खाकर ज़िंदा हूँ

    जवाब देंहटाएं
  33. लिंक न० - ३

    झूठी कसमें खा संसद में, मंत्री पद पा जाते है
    सारे तन्त्र कुतर डाले,जनता को कच्चा खाते है,
    ये कलयुग के कालनेम है ,सब कुछ इनकी माया है
    राष्ट्र प्रगति का सारा धन, इनके पेट समाया है,

    जवाब देंहटाएं
  34. कुछ कमेंटस पर रिप्लाई करना चाह रहे थे नहीं कर पाये !

    जवाब देंहटाएं

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