(0)
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' का राखी गीत
आया राखी का त्यौहार!!
हरियाला सावन ले आया, ये पावन उपहार।
अमर रहा है, अमर रहेगा, राखी का त्यौहार।।
आया राखी का त्यौहार!!
जितनी ममता होती है, माता की मृदु लोरी में,
उससे भी ज्यादा ममता है, राखी की डोरी में,
भरा हुआ कच्चे धागों में, भाई-बहन का प्यार।
अमर रहा है, अमर रहेगा, राखी का त्यौहार।।
आया राखी का त्यौहार!!
(1)झूमे ये सावन सुहाना...सुहाना.... |
227 तेलुगु महिला कथाकारों का 'गुलदस्ता' लोकार्पित
ऋषभ देव शर्मा
ऋषभ उवाच |
3बचके भैया डब्लू मैं मिनरल वाटर हूँ (स्वास्थ्य दिवस पर विशेष)
veerubhai
|
4भागते शहर का ठहराव
कौशलेन्द्र
बस्तर की अभिव्यक्ति -जैसे कोई झरना.... |
5मुंशी प्रेमचंद जयंती
देवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा |
6दर्द , दवा और दुवाएँ एक भँवर
G.N.SHAW
BALAJI |
7हैपी रमजान शिंद जी,
कमल कुमार सिंह (नारद )
जनाब शिंद जी, दिनांक - ३१
जुलाई २०१२
सलाम वालेकुम,
शुन्य माता को मेरा सादर चरण स्पर्श कहियेगा, और अमूल भईया को के नमस्ते, आशा
है वो लोग कुशल मंगल होंगे. उनकी कुशलता मे ही आपकी-हमारी कुशलता है, उनकी
प्रसन्नता मे प्रसन्नता.
रमजान के पाक महीने मे बिजली गुल करते ही अल्लाह ने आपकी जिस प्रकार से आपकी
बरकत दी है, उससे हमें भी सुकून है की हमारी भी बरकत होगी. आज शाम हम रमजान
के पवित्र महीने और आपके पदोन्नति के उपलक्ष मे धमाके बाजी कर खुशी का इजहार
करेंगे, खुशी छोटी सी ही सही लेकिन कई बार मे मनाई जायेगी, क्या करे अभी कसाब
भाईजान की तरह ...
|
काव्य वाटिका
अर्चिमान हो तुम अधिलोक का पौरुष और पराक्रम का मिसाल हो गौरव है सूर्य यों प्राची का तुम भी कुल का अभिमान हो I आदिकाल से तुम जग में इतिहास शौर्य का रचते आये अतुल्य बल है तुम्हारी रग में धरोहर नित नयी गढ़ते आये I |
9अटूट, अंतहीन, निश्छल प्यार ! |
10सखि ने सखि से कही, रक्षा बंधन की आधुनिक कथा
अविनाश वाचस्पति
|
11-अमत्तगयंद सवैया
सावन पावन है मन भावन , हाय हिया हिचकोलत झूलै
बाँटत बूँदनियाँ बदरी ,बदरा रसिया रस घोरत झूलै
झाँझर झाँझ बजै
झनकै, झमकै झुमके झकझोरत झूलै
ए सखि आवत लाज मुझे सजना उत्
भाव विभोरत झूलै 11-बये सावन की घास, लगा के रखी अड़ंगे-रविकर
सकल लुनाई ईंट घर , दीमक चटा किंवाड़ ।
घर टपके टपके ससुर, गए दुर्दशा ताड़ ।
गए दुर्दशा ताड़, बांस का झूला डोला ।
डोला वापस जाय, ससुर दो बातें बोला ।
करवा ले घर ठीक, काम कुछ पकड़ जवाईं ।
पर काढ़े वर खीस, घूरता सकल लुनाई ।।
सकल = समस्त // शक्ल
लुनाई = ईंट में लोना लगना // लावण्य
|
12बंधन कच्चे धागों का- रक्षा बंधन |
13"जोकर बचा / सरकस बच गया"
सुशील
|
सुंदर चर्चा...बढ़िया लिंक्स...आभार !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा....
जवाब देंहटाएंलाजवाब लिंक्स...
शुक्रिया दिनेश जी.
सादर
अनु
Nice links.
जवाब देंहटाएं(0)
जवाब देंहटाएंडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' का राखी गीत
बहुत खूबसूरत राखी गीत !
(1)
जवाब देंहटाएंझूमे ये सावन सुहाना...सुहाना....
ZEAL
चिट्टियाँ वैसे तो अब कोई
नहीं लाता है पोस्टमैन
राखी की चिट्ठियाँ देने पर
पक्का आता है पोस्टमैन !
शुरू हुए रमजान, सरसती धरती में ङरियाली।
हटाएंरक्षाबन्धन आया-लाया, साथ घटा काली-काली।।
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
2
जवाब देंहटाएं27 तेलुगु महिला कथाकारों का 'गुलदस्ता' लोकार्पित
ऋषभ देव शर्मा
ऋषभ उवाच
भारत की भाषाओं के गुलदस्ते के सभी फूल महकेंगे तभी गुल्दस्ता भी महकता रहेगा !
पोस्ट बाँचकर आपकी, हुआ यह आभास।
हटाएंभारतीय भाषाएँ तो, होती जग में खास।
---
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
3
जवाब देंहटाएंबचके भैया डब्लू मैं मिनरल वाटर हूँ (स्वास्थ्य दिवस पर विशेष)
veerubhai
कबीरा खडा़ बाज़ार में
कुछ नया ही लेकर आते हैं वीरू भाई
आज लेकर के आये हैं बोतल का पानी
टैप वाटर फोबिया को कुछ शायद
दूर करेगी उनकी ये कहानी !!
मिनरल वाटर बिक रहा, आज दूध के भाव।
हटाएंपानी ही सा चाहिए, जग में सरल सुभाव।।
---
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
वाटर वोटर राखिये,वरना ये जग सून
हटाएंइनके बिन ना ऊबरे, चस्का चुस्की चून ||
बहुत सुन्दर चर्चा, मेरी रचना "हैप्पी रमजान शिंद जी " शामिल करने के लिए आभार :)
जवाब देंहटाएं4
जवाब देंहटाएंभागते शहर का ठहराव
कौशलेन्द्र
बस्तर की अभिव्यक्ति -जैसे कोई झरना....
बहुत सुंदर !
कहीं संदेश है तो बस पानी का
कहीं लहरें कुछ बातें करती हैं
शहर के शोर की कौन सोचे
अपने अपने शोरों से ही
बहरे हो चुके हों जब लोग
अब उनकी बातें ही बस
कुछ बातें करती हैं !
5
जवाब देंहटाएंमुंशी प्रेमचंद जयंती
देवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा
बहुत सुंदर !
आमजन की उदासीनता
कहाँ नहीं देखने में आती है
सारा देश लगता है
शतरंज के मोहरों में व्यस्त है
बेगमें भी किसी को बुलाने
के लिये अब कहाँ आती हैं !!
जोकर जो कर दे करम , जोकर के कर जोर
जवाब देंहटाएंजो कर में जोकर रखे , कभी न हो कमजोर ||
लिंक-4
जवाब देंहटाएंसागर की लहरे नहीं, होती हैं गम्भीर।
महाराष्ट्र में हुए हैं, कितने ही रणधीर।।
लिंक-5
जवाब देंहटाएंउपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन् को नमन!
रक्षा-बंधन खुब मना, मना जश्न पुरजोर |
जवाब देंहटाएंटिप्पणियाँ आने लगीं, हुई अनोखी भोर ||
लिंक-6
जवाब देंहटाएंजन्म दिया जिसने हमें, वो ही रखता ख्याल।
दिनचर्चा के साथ में, मिलते बहुत बबाल।।
लिंक-7
जवाब देंहटाएंनारद जी के व्यंग्य में, आता है आनन्द।
ब्न साबुन के धो रहे, ये सबको निर्द्व्न्द।।
6
जवाब देंहटाएंदर्द , दवा और दुवाएँ एक भँवर
G.N.SHAW
BALAJI
जिंदगी जब परीक्षा लेती है
तब प्रश्नपत्र कहाँ देती है
प्रश्न भी उसके उत्तर भी उसके
कापी भी उसकी नंबर भी उसके
पास करती है या फेल करती है
परीक्षाफल जरूर देती है
हम सोचते हैं हम कर रहे हैं
वो हमें कहाँ कुछ करने देती है
जो करना होता है खुद बा खुद
कर देती है हमें बस बता देती है !
लिंक-8
जवाब देंहटाएंअर्चिमान अधिलोक के, पौरुष के पर्याय।
छँट जाएँगी बदलिया, आयेगी सुख छाँव।।
लिंक-11
जवाब देंहटाएंखट्टे-मीठे रसभरे, होते हैं अंगूर।
राजनीति में आ गये, अब तो बस लंगूर।।
जिसकी किस्मत में लिखे,बस खट्टे अंगूर
हटाएंसिर्फ उसी के वास्ते , दिल्ली काफी दूर ||
खट्टे - मीठे जो मिले , खाये जो अंगूर
उनके चेहरे लाल हैं , चाहे कह लंगूर ||
सकल लुनाई ईंट घर , दीमक चटा किंवाड़ ।
जवाब देंहटाएंघर टपके टपके ससुर, गए दुर्दशा ताड़ ।
गए दुर्दशा ताड़, बांस का झूला डोला ।
डोला वापस जाय, ससुर दो बातें बोला ।
करवा ले घर ठीक, काम कुछ पकड़ जवाईं ।
पर काढ़े वर खीस, घूरता सकल लुनाई ।।
ससुरा टपका दे नहीं, रखियो बंद किवाड़
या चढ़ बैठे ताड़ पर यार ससुर को ताड़
यार ससुर को ताड़,न झूलो सावन झूला
गोरी के संग देख ,लुगाई का मुँह फूला
आँखें लेगा नोंच अगर इत उत भी घूरा
रखियो बंद किवाड़, नहीं दे टपका ससुरा ||
लिंक-13
जवाब देंहटाएंसर्कस में दिखला रहे, जोकर बहुत कमाल।
लेकिन इनकी जिन्दगी, कितनी है बदहाल।।
लिंक-18
जवाब देंहटाएंकुछ बन्धन ऐसे यहाँ, जिनमें है सम्बन्ध।
मोहपास में जकड़ते, प्यार भरे अनुबन्ध।।
7
जवाब देंहटाएंहैपी रमजान शिंद जी,
कमल कुमार सिंह (नारद )
नारद
जय हो नारद जी की !
यहाँ कोई कुछ नहीं करता है
यहाँ तो हर किसी चीज में
किसी ना किसी का हाथ होता है
जहाँ हाथ नहीं होता है बस
वहाँ पर ही कुछ नहीं होता है
छोडि़ये जी क्या रक्खा है
हमारे हाथ में कुछ नहीं होता है
जो होता है वो बस हाथ के
कारण ही हर जगह होता है !
8
जवाब देंहटाएंपुरुष तुम बुनियाद हो
कविता विकास
काव्य वाटिका
अरे अरे कुछ नहीं है
दोपहिये का एक पहिया है
दूसरा पहिया अगर कभी
पंक्चर हो जाता है
स्कूटर रास्ते पर खड़ा हो
जाता है चलाने वाला
सिर पकड़ कर बैठ जाता है !
9
जवाब देंहटाएंअटूट, अंतहीन, निश्छल प्यार !
शिवनाथ कुमार
मन का पंछी
बहुत खूबसूरती है
पंक्तियों में आपकी
प्यार दिख रहा है
बहुत से शब्दों मैं
बहन छुप छुप कर
कोने से कहीं झाँकती !
इत पीपल उत प्रीत पल, इधर बाँस उत रास ।
जवाब देंहटाएंइत पटरे पर जिन्दगी, पट रे इक ठो ख़ास ।
पट रे इक ठो ख़ास, आँख में रंगीनी है ।
सुन्दरता का दास, चैन दिल का छीनी है ।
प्रभु दे डोला एक, बढ़े हरियाली प्रतिपल ।
डोला मारूँ रोज, कसम से आ इत पीपल ।।
पीपल अब सठिया गया,रहा रात भर खाँस
प्रेम पात सब झर गये,चढ़ चढ़ जावै साँस
चढ़ चढ़ जावै साँस , कहाँ वह हरियाली है
आँख मोतियाबिंद , उसी की अब लाली है
छाँह गहे अब कौन, नहीं वो छाया शीतल
रहा रात भ्र खाँस, अब सठिया गया पीपल ||
10
जवाब देंहटाएंसखि ने सखि से कही, रक्षा बंधन की आधुनिक कथा
अविनाश वाचस्पति
नुक्कड़
जियो जियो !
अब जब सब लिख दिया हो सखि के लिये
सखा क्या करे बस क्या आ कर टिप्पणी करे?
11-अ
जवाब देंहटाएंमत्तगयंद सवैया
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
बहुत सुंदर!
पुरुस्कार की बधाई भी स्वीकारें
बस हमारी एक शंका मिटा दें !!
सजना अलग और
सजनी अलग झूले
में क्यों झूल रहे हैं
दिखा रहे हैं फोटो आप
अलग अलग
पर इस पर मुँह से
कुछ क्यों ना बोल रहे हैं ?
आज की चर्चा में बहुत ही सुन्दर सूत्र सजाये हैं।
जवाब देंहटाएं11-ब
जवाब देंहटाएंये सावन की घास, लगा के रखी अड़ंगे-रविकर
साँप तो नहीं है
पर कुंडली गजब
की बनाता है
पहेली हो गया है
क्या आपको इस
पहेली का सही
उत्तर आता है ?
सुंदर चर्चा...बढ़िया लिंक्स...आभार !रविकर जी..
जवाब देंहटाएं12
जवाब देंहटाएंबंधन कच्चे धागों का- रक्षा बंधन
रुनझुन
रुनझुन करती रुनझुन
बहुत दिनों में आयी
रक्षाबंधन का सुंदर
सा झुनझुना ला
कर यहाँ सजाई !
शेष टिपियाने अब शाम को आयेंगे
जवाब देंहटाएंथोड़ा जा कर पहले नौकरी कर आयेंगे !!
14
एक वर्षा ऋतु वर्णन ऐसा भी ......(मानस प्रसंग-9 )
(Arvind Mishra)
क्वचिदन्यतोSपि
वाह !
क्या नहीं है मानस में
बताने वाला भी चाहिये
आभार !
वाह ... बेहतरीन लिंक्स
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंलिंक - २०
जवाब देंहटाएंभाई बहन के प्यार का राखी प्रेम प्रतीक
अहसासों का प्रेम यह सुन्दर और सटीक,,,,,
लिंक - १८
जवाब देंहटाएंरिश्तों के बंधन से बंधा , ये सारा संसार
सबके अपने मायने,अहसास बना आधार ,,,
लिंक - ११
जवाब देंहटाएंपावन सावन माह में, अरुण झुलाए झूला
साजन झूलत देख के,सजनी का मन डोला,,,,,
लिंक - ६
जवाब देंहटाएंसाईं की बस कृपा है,नौ का चमत्कार
आस्था रखे प्रभू पर,वही करे बड़ा पार,,,,
लिंक - १३
जवाब देंहटाएंकहता है जोकर सारा जमाना,
आधी हकीकत आधा फ़साना,,,,,
सुंदर चर्चा.... बढ़िया लिंक्स...
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर्व की सादर शुभकामनायें....
सादर।
15
जवाब देंहटाएंएक रिश्ता - बड़ा अनाम
satish sharma 'yashomad'
यात्रानामा
बहुत खूब !!
पर 90 % सहमत !!
10 % किसी और
माँ की बेटी भी तो
हो सकती है जो
किसी को एक
धागे का प्यार
बंधन दे सकती है !
16
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉगरी का दशकोत्सव - सुमेरु उर्फ मानसिक हलचल
गिरिजेश राव
एक आलसी का चिठ्ठा
गजब ! इतना ही कहा जा सकता है इस आलेख पर !
17
जवाब देंहटाएंभाई-बहन का बंधन
ऋता शेखर मधु
मधुर गुंजन
एक खूबसूरत रचना !
18
जवाब देंहटाएंबंधन..... ऐसे ही होते है .
कुश्वंश
अनुभूतियों का आकाश
बहुत सुंदर अनुभूति !
19
जवाब देंहटाएंफोटो पत्रकारिता के बेताज बादशाह रहे महेद्र प्रताप सिंह
rajeshsrivastva
Rajesh Shrivastava's News Channel
श्रधाँजलि !
और अंत मे
जवाब देंहटाएंउल्लू के अंडे
को आप यहाँ
लाये 13वें
लिंक यानी
सही जगह
पर टिकाये
आभार रविकर जी !!
िसके साथ अंतिम लिंक पर :
20
"अमर रहेगा राखी का त्यौहार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उच्चारण
सुंदर गीत
पर फोटो ज्यादा
सुंदर है !!
सवैया का आनुप्रासिक माधुर्य लय ताल और भाव समर्पण आवत लाज क्या कहने हैं भाई साहब .
जवाब देंहटाएंWEDNESDAY, AUGUST 1, 2012
मत्तगयंद सवैया
बहुत सुन्दर काव्यमय प्रस्तुति भाई बहन के अमित प्यार कीबहन ये जानती है साथ दोनों एक पहुचेंगे,
जवाब देंहटाएंबंधाने हाथ में पहले वो राखी खूब झगड़ेंगे।
बड़े को हारना होगा ये छोटा तो रहा छोटा,
नहीं तो आँख में मोती के टुकड़े खूब चमकेंगे,
बड़ी मोहक छिड़ेगी जंग दीदी की मुहब्बत का।
कलाई में सजेगा रंग दीदी की मुहब्बत का।मेरी फिक्र जो करता है वो..
कच्ची डोर का पक्का रिश्ता
है भाई - बहन का रिश्ता स्नेह का तिलक लगाकर
दुआओं के अक्षत डाल
बहना ने कच्चे धागे से बांधा
रिश्तों के इस मजबूत बंधन को
वीर की कलाई पर , मेरी राखी का मतलब है प्यार भईया, .सखी सहेली सब जुड़ आईं
हिल मिल खूब मल्हारें "गाईं". .इस पर्व पर बहिन, भाई के अन्दर पिता का निस्स्वार्थ छाता, और भैया, माँ को ढूंढता है कहतें हैं जो भाई अपनी बहन से बहुत रागात्मक सम्बन्ध बनाए रहतें हैं उनके साथ स्नेहिल बने रहतें हैं उन्हें हार्ट अटेक नहीं पड़ता ,दिल की बीमारियों से बचाता है माँ के जाने के बाद बहन का प्यार .रक्षा बंधन मुबारक -झूमें ये सावन सुहाना ,भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना ,शायद वो सावन भी आये ,जो पहले सा रंग न लाये, बहन पराये देश बसी हो ,अगर वो तुम तक पहुँच न पाए ,झूमें ये सावन सुहाना ...इस गीत की मिसरी बचपन में ले जाती है .छोटी बहन का यह गीत आज भी उतना ही मीठा लगता है जितना "चंदा मामा दूर के ,पुए पकाए बूर के ,आप खाएं प्याली में ,मुन्ने को दें ,प्याली में ..
अब वर्षा ऋतु है तो उसके अग्रदूत भला कैसे पीछे रहते ....मेढकों की टर्राहट परिवेश को गुंजित कर रही है ..राम का ध्यान सहसा ही इन आवाजों की "और" जाता है और वे उन्हें एक परिहास सूझता है ..कह पड़ते हैं, लक्ष्मण इन मेढकों की टर्राहट तो एक ऐसी धुन सी सुनायी पड़ रही है जैसे वेदपाठी ब्राह्मण विद्यार्थी वैदिक ऋचाओं का समूह पाठ कर रहे हों ....दादुर धुनि चहु दिसा सुहाई। बेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई॥
जवाब देंहटाएं"जितना सुन्दर मानस अंश आपने चुना है उतनी ही मनोहर आपके व्याख्या की है .वेद पाठियों को दादुर कह कर तुलसी बाबा अच्छा व्यंग्य कर गए हैं करम काण्ड धनियों पर ."
14
एक वर्षा ऋतु वर्णन ऐसा भी ......(मानस प्रसंग-9 )
(Arvind Mishra)
क्वचिदन्यतोSपि
चर्चा मंच पर आप आये
हटाएंआकर ब्लाग पर गये
टिपियाये
सब करने लगें ऎसा
सोचिये जरा
क्या सीन हो जाये ?
एक और बढ़िया मंच चर्चा के लिए शुक्रिया आपका .बधाई .
जवाब देंहटाएंएक से बढ़्कर एक
जवाब देंहटाएं----
OUTLOOK.COM पर ईमेल, वाह! क्या बात है
@@@ बचके भैया डब्लू मैं मिनरल वाटर हूँ
जवाब देंहटाएंखैनी खाई उम्र भर , कभी न खाई डाँट
जय वीरू खट्टे करें , गब्बर सिंह के दाँत
गब्बरसिंह के दाँत,कमी थी फ्लोराइड की
मिनरल वाटर पी पी ,घोड़े पर राइड की
साम्भा रहता साथ थी जिसकी आँखें पैनी
मलता था दिन रात कालिया ताजी खैनी ||
लिंक - ९
जवाब देंहटाएंइसे समझो न रेशम का तार भईया
मेरी राखी का मतलब है प्यार भईया,,,,
@@@ बचके भैया डब्लू मैं मिनरल वाटर हूँ
जवाब देंहटाएंवाटर हूँ मैं जिन्न-सा , बोतल में हूँ बंद
रुपये खर्चें - क्रय करें , मुझे जरूरतमंद
मुझे जरूरतमंद , है मुझमें कम फ्लोराइड
टोंटी वाले नल का पानी , हो गया साइड
वीरु भैया कहते मैं दाँतों का क्षर हूँ
बचके भैया डब्लू , मैं मिनरल वाटर हूँ ||
चर्चा मंच का यह अंक भाई बहन के प्रेम से ओत प्रोत है|
जवाब देंहटाएंज्यादातर प्राकृतिक लुभावने दृश्यों से परिपूर्ण दास्ताने पढ़ने में भी मजा आया
आदरणीय शास्त्री जी के आया राखी का त्यौहार से हुवा आगाज वातावरण को
राखी मय कर दिया है
झूमे ये सावन सुहाना में भाई बहन के रिश्तों से जुड़े रोचक प्रसंगों का विवरण जो
ज्यादा तर भाई बहन के बीच की कहानी कह रही है
मिनरल वाटर हूँ के माध्यम से एक बहुत अच्छी जानकारी मिली
ऋता शेखर मधु जी की काव्य सरिता भाई बहन का बंधन बहेतरीन लगी
चर्चा मंच की टिप्पणियों का क्या कहने है
एक एक टिप्पणी पढ़ने के लिए आकर्षित कर रही है विशेषकर श्री सुशील जी,श्री अरुण निगम जी ,श्री रूप चन्द्र शास्त्री जी,श्री धीरेन्द्र जी, श्री रविकर जी की टिप्पणियों ने मन मोह लिया
रोचक चर्चा प्रस्तुत करने हेतु हार्दिक बधाई ........हार्दिक शुभकामना ...रक्षा बंधन मुबारक
चर्चा मंच पर मेरी भी चर्चा करने के लिए आपको ढेर सारा थैंक्यू अंकल.... इनमें से कई लिंक्स मैंने भी पढ़े और वो सब मुझे बहुत अच्छे लगे... :)
जवाब देंहटाएं