आज की मंगलवारीय चर्चा में राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते ,सुप्रभात ,गुड मार्निंग |आप सब का दिन मंगलमय हो | अब घूमने चलते हैं आप सब के प्यारे प्यारे ब्लोग्स पर |
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Punam*** at तुम्हारे लिए.....
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******************** .......देश के अवाम की बेहतरी के लिए पर्याप्त
आज तुम मेरे लिए हो
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अब अंत में मेरे ब्लॉग पर भी घूम आइये
इसी के साथ आज की चर्चा समाप्त करती हूँ अगले मंगलवार फिर मिलूंगी इसी जगह तब तक के लिए बाय -बाय शुभविदा|
सभी लिंक पठनीय है!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
कुछ लोगों की टिप्पणियाँ स्पैम में चली जाती हैं जिन्हें मैं यथासम्भव देखते ही प्रकाशित कर देता हूँ।
हटाएंअभी सुनीता जी का मेल आया है कि चर्चा मंच उनकी टिप्पणी नहीं ले रहा है।
sunita opinions82@gmail.com
7:47 am (4 घंटे पहले)
मुझे
मेरी टिप्पणी पता नहीं क्यों चर्चा मंच ले नहीं रहा है...
सादर...!
सुनीता जी !
आप टिप्पणी तो दीजिए। बाकी हम देख लेंगें कि टिप्पणी कहाँ जाती हैं?
मिली नहीं रोटी दो जून की
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार at मनोज -
पांचो वक्त नमाज के, आरत सुबहो-शाम |
न रहीम से रोटियां, न ही देते राम |
न ही देते राम, भूख से व्याकुल काया |
हो जाती है शाम, चाँद पर नून धराया |
जरा चढ़ा जो मांस, घूरते जालिम कैसे |
पाय अध-जली लाश, घाट पर कुक्कुर जैसे ||
बहुत गहरी है !
हटाएंSADA
जवाब देंहटाएंचुटकी का बजना सार्थक होता है !!! - नियमों में बंधकर
बहुत सुन्दर भाव-
बधाई ||
एक विचार आया ||
उड़ा चुटकियों पर रहा, चालू चुटकी बाज |
करूँ चुटकियों में ख़तम, तेरी यह आवाज |
तेरी यह आवाज, चुटकना चुटकी भरना |
समझौते का साज, तोड़ के व्यर्थ अकड़ना |
है मेरा यह स्नेह, गेह रूपी यह नौका |
खेती बिन संदेह, कहो जब दूँगी चौका |
"ग़ज़ल-खेल समय का बहुत अजब" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जवाब देंहटाएंपहली बार -
क्षमा करियेगा गुरु जी -
इस नादान शिष्य की यह गुस्ताखी ||
अजब-गजब अंदाज है, दिल तो है बेचैन |
चैन सजा के होंठ पर, सजा सजा सा सैन |
सजा सजा सा सैन, कहाँ रक्खी बत्तीसी |
हास्य-व्यंग पर कसक, कसक निकलेगी खीसी |
माना उम्रदराज, देह घेरे बीमारी |
फिर भी करिए नाज, अभी भी बची खुमारी ||
काव्यान्जलि ...
जवाब देंहटाएंजिन्दगी,,,, - जिन्दगी...
जियो जिन्दगी धीर धर, नीति-नियम से युक्त |
परहितकारी कर्म शुभ, हंसों ठठा उन्मुक्त ||
बहुत सुंदर !
हटाएंरंग भरिये खुद जिंदगी में और देखिये जिंदगी के रंग उसके साथ वो कैसे भरती है !
Albelakhatri.com
जवाब देंहटाएंमित्रता दिवस को समर्पित छह
शुभकामनायें-
मित्रवर ||
फ्रेंड बड़ा सा शिप लिए, रहे सुरक्षित खेय |
चलें नहीं पर शीप सा, यही ट्रेंड है गेय |
यही ट्रेंड है गेय, बिलासी बुद्धि नाखुश |
गलत राह पर जाय, लगाए रविकर अंकुश |
दुःख सुख का नित साथ, संयमित स्नेही भाषा |
एक जान दो देह, यही है फ्रेंड-पिपासा ||
टाँय-टाँय फिस फ्रेड शिप, टैटेनिक दो टूक |
अहम्-शिला से बर्फ की, टकराए हो चूक |
टकराए हो चूक, हूक हिरदय में उठती |
रह जाये गर मूक, सदा मन ही मन कुढती |
इसीलिए हों रोज, सभी विषयों पर चर्चे |
गलती अपनी खोज, गाँठ पड़ जाय अगरचे ||
मित्र सेक्स विपरीत गर, रखो हमेशा ख्याल |
बनों भेड़िया न कभी, नहीं बनो वह व्याल |
नहीं बनो वह व्याल, जहर-जीवन का पी लो |
हो अटूट विश्वास, मित्र बन जीवन जी लो |
एक घरी का स्वार्थ, घरौंदा नहीं उजाड़ो |
बृहन्नला बन पार्थ, वहां मौका मत ताड़ो ||
खरी-खरी
जवाब देंहटाएंअन्ना की "हिंद स्वराज पार्टी" कांग्रेस की बी टीम - *किशन
राहुल की खातिर करे, रस्ता अन्ना टीम ।
टीम-टाम होता ख़तम, जागे नीम हकीम ।
जागे नीम-हकीम, दवा भ्रष्टों को दे दी ।
पॉलिटिक्स की थीम, जलाए लंका भेदी ।
ग्यारह प्रतिशत वोट, काट कर अन्ना शातिर ।
एन डी ए को चोट, लगाएं राहुल खातिर ।।
राष्ट्र कार्य करने चले, किन्तु मृत्यु भय साथ |
लगा नहीं सकते गले, फिर ओखल क्यूँ माथ ?
फिर ओखल क्यूँ माथ, माथ पर हम बैठाए |
देते पूरा साथ, हाथ हर समय बढाए |
आन्दोलन की मौत, निराशा घर घर छाई |
लोकपाल की करें, आज सब पूर्ण विदाई ||
बड़ा अनूठा खेला है
जवाब देंहटाएं(प्रवीण पाण्डेय) at न दैन्यं न पलायनम् -
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क्या प्रवाह क्या भाव अनोखे, क्या शब्दों का मेला है |
करूँ कहे मन, दिल न माने, सचमुच बड़ा झमेला है |
बूंद लम्बवत चली तरंगे, रिमझिम रिमझिम रेला है |
चले जिन्दगी इसी तरह से, रविकर ठेलिम-ठेला है ||
अब अंत में मेरे ब्लॉग (Rajesh Kumari) पर भी घूम आइये
जवाब देंहटाएंखाकी में इंसान
खाकी के प्रति नजरिया, सकते बदल अशोक |
शोक हरें निर्बलों का, दें दुष्टों को ठोक |
दें दुष्टों को ठोक, नोक पर इक चाक़ू के |
हरें शील, धन, स्वर्ण, हमेशा खाकी चूके |
सज्जन में भय व्याप्त, बढे दुर्जन की ताकत |
पुलिस सुधर गर जाय, मिले रविकर को राहत |
बहुत सुन्दर links
जवाब देंहटाएंबधाई ||
अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
चर्चा मंच में मुझे भी शामिल करने केलिए हार्दिक धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी की पोस्ट पर,,,,
जवाब देंहटाएंदिल ने जब मान लिया,आ ही गया बुढापा
गले में कंठी हाथ माला,शुरू करे अब जापा,,,,,,
सुंदर लिंक्स के साथ सार्थक रचना | मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंrajesh ji hardikaabhar charcha manch me meri rachna shamil ki ........aur sare links bhi kafi achhe hain jinme kuchh padh payi hun kuchh chhut gaye hain......
जवाब देंहटाएंबिजली विभाग वाले
जवाब देंहटाएंलगता है बहुत हैं नाराज
कुछ तो वैसे ही कट रही है
बाकी वो दे रहे हैं काट !!!
अच्छा संकलन, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर समीक्षा की है। हर सिक्के के दो पहलू हैं । और दोनो खोटे नहीं होते हैं !
जवाब देंहटाएंरविकर जी की पोस्ट पर,,,,
जवाब देंहटाएंकुण्डलियों में बाँधा समा,मुख पर चैन लगाय
रविकरजी है टीपते,पढकर सबका मन भरमाय,,,,,
अलबेला जी की पोस्ट पर,,,,
जवाब देंहटाएंदोस्ती ऐसी हो सदा,जो अपने मन को भाय
कष्ट पड़े में दुःख हरे, सुख में साथ निभाय,,,,
बड़ा अनूठा खेला है
जवाब देंहटाएं(प्रवीण पाण्डेय) at न दैन्यं न पलायनम् -
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बहुत खूब !
राजेश कुमारी जी के लिए,,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना"जिंदगी",मंच में दिया स्थान
आभारी हूँ आपका,जो मेरा रक्खा ध्यान,,,,
तुम्हें सलाम! सलाम तुम्हें!
जवाब देंहटाएंबार-बार सलाम!
ख़ुर्शीद ख़ान!
हमारा भी ले लो सलाम !
सभी लिंक पठनीय है
जवाब देंहटाएंआप सब मित्रों का हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंआ0 राजेश कुमारी जी
जवाब देंहटाएंआप का प्रयास सराहनीय है मेरी रचना को शामिल करने हेतु साधुवाद
अच्छा होता कि कुछ रचनाओं के गुण-दोष पर चर्चा
भी हो जाती
सादर
आनन्द.पाठक