दोस्तों! चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ का आदाब क़ुबूल फ़रमाएं! सोमवारीय चर्चामंच पर पेशे-ख़िदमत है आज की चर्चा का-
लिंक 1-
"कुछ कहना है" भगवान् राम की सहोदरा (बहन) : भगवती शांता परम-10 -दिनेश चन्द्र गुप्त ‘रविकर’
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लिंक 2-
परछाईयों से -उदयवीर सिंह
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लिंक 3-
छाया देने वाले ही तो, कहलाए जाते हैं छाते -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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लिंक 4-
फ़्रेंडशिप दिवस पर कुण्डलियाँ -अरुण कुमार निगम
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लिंक 5-
An interview with Field Marshal Sam Manekshaw -मेजर जनरल शुभी सूद, प्रस्तोता- संजय
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लिंक 6-
मुझे रश्क़ है -बबन पाण्डेय
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लिंक 7-
अमावस की सर्द भयावह रात -निरन्तर
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लिंक 8-
एक दिन... -डॉ.वर्षा सिंह
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लिंक 9-
यह ज़िन्दगी भी अज़ीब मेला है -डॉ0 विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’
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लिंक 10-
औरत के रूप -आमिर दुबई
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लिंक 11-
मित्र की एक परिभाषा -सुनील कुमार
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लिंक 12-
ब्रह्मचर्य व्रत की प्रतिज्ञा -मनोज कुमार
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लिंक 13-
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लिंक 14-
केवल बुद्धिविहीन भारतीयों के लिए एक पोस्ट -दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
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लिंक 15-
जीने का अन्दाज वही -श्यामल सुमन
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लिंक 16-
न कोशिश ये कभी करना -शालिनी कौशिक
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लिंक 17-
नई यादें : पुराने परिप्रेक्ष्य -प्रेम सरोवर
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लिंक 18-
कविता और गीत -डॉ. जे.पी.तिवारी
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लिंक 19-
राम राम भाई! आपके श्वसन सम्बन्धी स्वास्थ्य का भी समाधान है काइरोप्रेक्टिक (चिकित्सा व्यवस्था ) में -वीरू भाई
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आज के लिए इतना ही, फिर मिलने तक नमस्कार!
एक बेहतरीन संकलन महत्वपूर्ण चिट्ठों का - सबको एक साथ पढ़ने का आनंद ही अलग है - शुक्रिया एवं बधाई
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
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Nice links.
जवाब देंहटाएंजनता अपने कर्मों के कारण ठेक भुगत रही है. सही और नेक आदमी को यह नेता कब चुनती है ?
@ मित्र की परिभाषा.....सुनील कुमार
जवाब देंहटाएंपरिभाषित है मित्रता, मन-नभ नील सुनील |
सुख-दुख में रह छाँव बन त्रुटियाँ जायें लील ||
बहुत सुन्दर लिंक संयोजन और शानदार चर्चा
जवाब देंहटाएं@ नई यादें-पुराने परिप्रेक्ष्य-प्रेम सरोवर
जवाब देंहटाएंरात आधी, खींच कर मेरी हथेली
एक उंगली से लिखा था 'प्यार' तुमने।
एक बिजली छू गई, सहसा जगा मैं,
कृष्णपक्षी चाँद निकला था गगन में,
इस तरह करवट पड़ी थी तुम कि आँसू
बह रहे थे इस नयन से उस नयन में,
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कहाँ रही अब कलम कविता
छलकाती मधु का प्याला
छल छल बहते भाव जहाँ थे
छम छम मन की मधुबाला |
जीवन की आपाधापी के
दे-ले में सब हैं डूबे
हर युग में मतवाला करने
किंतु रहेगी मधुशाला ||
श्रद्धेय कवि बच्चन को नमन.....
सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंलिंक 20-
जवाब देंहटाएंअन्ना का अनशन और राजनीतिक घोषणा : एक फ़ेसबुकीय परिचर्चा
बेसुरम्
इकसठ सठ सेठा भये, इक सठ आये और |
वा-सठ सड़-सठ गिन रहे, लेकिन करिए गौर |
लेकिन करिए गौर, चौर की चर्चा चालू |
किस के सिर पर मौर, दौर चालू जब टालू |
लाखों भरे विभेद, चुनौती बहुत बड़ी है |
दुर्जन रहे खरेद, व्यवस्था सड़ी पड़ी है ||
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Replies
रविकर फैजाबादी6 August 2012 8:40 AM
राष्ट्र कार्य करने चले, किन्तु मृत्यु भय साथ |
लगा नहीं सकते गले, फिर ओखल क्यूँ माथ ?
फिर ओखल क्यूँ माथ, माथ पर हम बैठाए |
देते पूरा साथ, हाथ हर समय बढाए |
आन्दोलन की मौत, निराशा घर घर छाई |
लोकपाल की करें, आज सब पूर्ण विदाई ||
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रविकर फैजाबादी6 August 2012 8:40 AM
वोटर भकुवा क्या करे, वोटर जाति-परस्त ।
बिरादरी को वोट दे, हो जाता है मस्त ।
हो जाता है मस्त, पार्टी मुखिया अपना ।
या फिर कंडीडेट, जाति का देखे सपना ।
चले लीक को छोड़, हिकारत भरी निगाहें ।
इसीलिए हैं कठिन, यहाँ सत्ता की राहें ।।
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रविकर फैजाबादी6 August 2012 8:41 AM
राहुल की खातिर करे, रस्ता अन्ना टीम ।
टीम-टाम होता ख़तम, जागे नीम हकीम ।
जागे नीम-हकीम, दवा भ्रष्टों को दे दी ।
पॉलिटिक्स की थीम, जलाए लंका भेदी ।
ग्यारह प्रतिशत वोट, काट कर अन्ना शातिर ।
एन डी ए को चोट, लगाएं राहुल खातिर ।।
कविता और गीत - डॉ.जे.पी.तिवारी
जवाब देंहटाएंपंच - महाभूत परिभाषित |
शब्द-युग्म ही रचता साहित ||
शब्द साधना जितनी निर्मल |
वैसी बहती कविता अविरल ||
जब कविता चैतन्य हुई है |
सारी सृष्टि धन्य हुई है ||
लिंक 18-
जवाब देंहटाएंकविता और गीत -डॉ. जे.पी.तिवारी
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दृष्टि-भेद से उपजते, अपने अपने राम |
सत्य एक शाश्वत सही, वो ही हैं सुखधाम |
वो ही हैं सुखधाम, नजरिया एक कीजिये |
शान्ति का पैगाम, देश-हित काम कीजिये |
पञ्च-भूत ये वर्ण, वन्दना इनकी ईश्वर |
धर्म कर्म का मर्म, समझता जाए रविकर ||
लिंक 14-
जवाब देंहटाएंकेवल बुद्धिविहीन भारतीयों के लिए एक पोस्ट -दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
देश भक्तों की मौत-
घुसपैठियों की मौज ||
लिंक-1
जवाब देंहटाएंएक अछूते विषय को, छेड़ दिया प्रसंग।
इक दिन सबको भायेगा, रामायण का अंग।।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंछाया देने वाले ही तो, कहलाए जाते हैं छाते -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगे सुंदर छाते,
वर्षा से गरमी से बचाते
ताने अपने सिर पर छाते
बच्चे चलते हैं इठलाते |
जो सबके मन पर हैं छाते
काँटे चुन चुन सुमन बिछाते
उनके स्वागत में जग वाले
सदा राह में नयन बिछाते |
लिंक 12-
जवाब देंहटाएंब्रह्मचर्य व्रत की प्रतिज्ञा -मनोज कुमार
गांधी जी का ब्रह्मचर्य, यौनेच्छा का त्याग |
इससे भी बढ़कर रहा, पत्नी का सहभाग |
पत्नी का सहभाग, क्रोध घृणा मद छोड़ा |
भाषण कर्म विचार, धर्म उन्मुख हो मोड़ा |
इन्द्रियों पर अधिकार, जितेन्द्रिय हो जाते हैं |
सेवा व्रत सम्पूर्ण, बड़ा आदर पाते हैं ||
अपनी परछाईयों से डरने लगे हैं हम ,
जवाब देंहटाएंअपनी लगायी आग में,जलने लगे हैं हम -
परछाईयों से -उदयवीर सिंह
जब दिल के आइने में झाँका तो समझ पाये
अब अपने आप को ही छलने लगे हैं हम |
शोहरत तो बहुत पाई , सूरत पे रख मुखौटा
सीरत छुपा के हरदम, चलने लगे हैं हम ||
लिंक 11-
जवाब देंहटाएंमित्र की एक परिभाषा -सुनील कुमार
मेरा फोटो
सटीक परिभाषा |
फ्रेंड बड़ा सा शिप लिए, रहे सुरक्षित खेय |
चलें नहीं पर शीप सा, यही ट्रेंड है गेय |
यही ट्रेंड है गेय, बिलासी बुद्धि नाखुश |
गलत राह पर जाय, लगाए रविकर अंकुश |
दुःख सुख का नित साथ, संयमित स्नेही भाषा |
एक जान दो देह, यही है फ्रेंड-पिपासा ||
टाँय-टाँय फिस फ्रेड शिप, टैटेनिक दो टूक |
अहम्-शिला से बर्फ की, टकराए हो चूक |
टकराए हो चूक, हूक हिरदय में उठती |
रह जाये गर मूक, सदा मन ही मन कुढती |
इसीलिए हों रोज, सभी विषयों पर चर्चे |
गलती अपनी खोज, गाँठ पड़ जाय अगरचे ||
मित्र सेक्स विपरीत गर, रखो हमेशा ख्याल |
बनों भेड़िया न कभी, नहीं बनो वह व्याल |
नहीं बनो वह व्याल, जहर-जीवन का पी लो |
हो अटूट विश्वास, मित्र बन जीवन जी लो |
एक घरी का स्वार्थ, घरौंदा नहीं उजाड़ो |
बृहन्नला बन पार्थ, वहां मौका मत ताड़ो ||
लिंक 10-
जवाब देंहटाएंऔरत के रूप -आमिर दुबई
नारी का पुत्री जनम, सहज सरलतम सोझ |
सज्जन रक्षे भ्रूण को, दुर्जन मारे खोज ||
नारी बहना बने जो, हो दूजी संतान
होवे दुल्हन जब मिटे, दाहिज का व्यवधान ||
नारी का है श्रेष्ठतम, ममतामय अहसास |
बच्चा पोसे गर्भ में, काया महक सुबास ||
बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगे विविध विषयों से सजी आज की चर्चा.
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है की गाफिल की मेहनत आज वसूल होगी.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
सुंदर लिंक्स से सजी सुंदर रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंsadaa kee tarah sundar charchaa ke liye gaafil ji ko badhaayee,aur meree rachnaa ko sthaan dene ke liye dhanywaad
जवाब देंहटाएंझूठो - फरेब से है , तामीर मेरा जमीर,
जवाब देंहटाएंमक्कार दूसरों को , कहने लगे हैं हम-
अपने वक्त की तल्खियों से संवाद करती है यह गज़ल कृपया दुसरे शैर में "टूटा "कर लें "टुटा:"को .परछाईयों से -उदयवीर सिंह
ram ram bhai
सोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
पैनी दृष्टि ,बढ़िया विश्लेषण भाषा का ,शब्द बोध का ,लिंक 18-
जवाब देंहटाएंकविता और गीत -डॉ. जे.पी.तिवारी
ram ram bhai
सोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
लिंक - २
जवाब देंहटाएंआइना सदा सच बोलता, जो दिखे दिखलाय
मन के आइने में छिपी,गलती न दिख पाय,,,,
लिंक - ३
जवाब देंहटाएंभारी बारिश और धुप में , छाता सदा सुहाता
खुद बारिश में भीग कर,औरों को सदा बचाता,,,,,,
लिंक - ४
जवाब देंहटाएंदोस्ती ऐसी हो सदा,जो अपने मन को भाय
कष्ट पड़े में दुःख हरे, सुख में साथ निभाय,,,,
बच्चन जी के व्यक्तित्व और कृतित्व और हिंदी के प्रति उनके अनुराग की और आपने सही ध्यान दिलाया है . बच्चन जी को हिंदी साहित्य के कथित नाम चिन लोगों ने यूं उस पांत में कभी नहीं बिठलाया जिसमें वह और उनके दरबारी शोभते थे लेकिन बच्चन जी जन जन के कवि थे मधुशाला ने कविता को मंच से प्रतिष्ठापित किया .उनका यह योगदान अविस्मरनीय रहेगा ,गीत और आत्म कथाएँ तो हैं ही यादगार. दो टूक, बे-लाग .प्रस्तुत कविता भी उनका बिम्ब -प्रतिबिम्ब है .कृपया "प्रात" को "प्रात : "कर लें. लिंक 17-
जवाब देंहटाएंनई यादें : पुराने परिप्रेक्ष्य -प्रेम सरोवरप्रात ही की ओर को है रात चलती
औ’ उजाले में अंधेरा डूब जाता,
ram ram bhai
सोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
.बहुत खूब .सार्थक ,सकारात्मक स्वर हैं रचना के .
जवाब देंहटाएंज़िस्म में मुर्दे की जब तुम सांसे ला नहीं सकते ,
बनाऊं लाश जिंदा को-न कोशिश ये कभी करना .लिंक 16-
न कोशिश ये कभी करना -शालिनी कौशिक
ram ram bhai
ram ram bhai
सोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
.आने दो नौ तारीक (तारीख )दिव्या ,आग लगेगी दिल्ली में ,.......भाग मचेगी दिल्ली में ,साम्राज्ञी अब चुप्पा तोड़ो ,आग लगेगी दिल्ली में ....,नहीं चलेगा पीज़ा मेरी दिल्ली में ....._______________
जवाब देंहटाएंलिंक 14-
केवल बुद्धिविहीन भारतीयों के लिए एक पोस्ट -दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
ram ram bhai
ram ram bhai
सोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
दिनेश की दिल्लगी ,दिल की लगी बन जाती है ,एक साथ दुनिया का दर्द लिए आती है ,बढ़िया कैनवास बटोरा है इस प्रस्तुति ने सार निचोड़ा है आलेखों (मूल )का ._______________
जवाब देंहटाएंलिंक 13-
पर्वत करने लगे ईर्ष्या, देख पेड़ की बढ़ी उंचाई -रविकर
ram ram bhai
ram ram bhai
सोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
उत्तम रही भाव कणिका डॉ वर्षा सिंह की .सकारात्मक भाव और निश्चय से संसिक्त .लिंक 8-
जवाब देंहटाएंएक दिन... -डॉ.वर्षा सिंह
ram ram bhai
सोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
बाल भाव से संसिक्त गेय रचना ,लिंक 3-
जवाब देंहटाएंछाया देने वाले ही तो, कहलाए जाते हैं छाते -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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ram ram bhai
सोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
बहुत करारा व्यंग्य किया है अरुण निगम ने -मगरमच्छ अब भी वही ,सुन बंदर नादान
जवाब देंहटाएंजामुन देना छोड़ दे , मगरमच्छ शैतान
मगरमच्छ शैतान , कलेजा खाने आतुर
मैडम का वह दास, छलेगा तुझको निष्ठुर
नहीं मित्रता इसकी, तुझको रास आयेगी
चालाकी इक रोज, तुझे ही खा जाएगी ||.......कृष्ण -बाल को डाल जेल में ये हारेगी ,छोड़ अमेठी रायबरेली ये भागेगी ._______________
लिंक 4-
फ़्रेंडशिप दिवस पर कुण्डलियाँ -अरुण कुमार निगम
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ram ram bhai
सोमवार, 6 अगस्त 2012
भौतिक और भावजगत(मनो -शरीर ) की सेहत भी जुडी है आपकी रीढ़ से
आप सभी का बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा....
जवाब देंहटाएं