दोस्तों! चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ का नमस्कार! सोमवारीय चर्चामंच पर पेशे-ख़िदमत है आज की चर्चा का-
लिंक 1-
रूह चट्टान सी खड़ी रहती है तन्हा -डॉ.अमिताभ पाण्डेय
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लिंक 2-
जिन्दगी अनसुलझे प्रश्न सी उलझे से उत्तर सी -डॉ.किरन मिश्रा
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लिंक 3-
डरी-डरी सी ज़िन्दगी -रजनीश तिवारी
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लिंक 4-
बरसात और भोजताल का उत्सव -कविता रावत
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लिंक 5-
इक बहाना चाहिए -श्यामल सुमन
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लिंक 6-
ज्ञान हो गया फ़क़ीर -महेन्द्र वर्मा
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लिंक 7-
आज जरूरत है धरती में, शौर्य बीज उपजाने की -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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लिंक 8-
जब भी चाहें इक नयी सूरत बना लेते हैं लोग -क़तील, प्रस्तोता डॉ.अनवर जमाल
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लिंक 9-
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लिंक 10-
चैन से रहूँगा -निरंतर
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लिंक 11-
न्यूरॉल्जिया में होम्योपैथी -कुमार राधारमण
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लिंक 12-
इस फुलवारी की 500वीं पोस्ट और चालीसवां पड़ाव -दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
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लिंक 13-
भारतीय काव्यशास्त्र–123 -आचार्य परशुराम राय
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लिंक 14-
सरोकार -उदयवीर सिंह
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लिंक 15-
रैली -पुरुषोत्तम पाण्डेय
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लिंक 16-
पक्षी प्रेम -आशा
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लिंक 17-
तन्हा हूँ पर... -डॉ. निशा महाराणा
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लिंक 18-
ब्लाग, बागीचा बवाल और बन्दरों की कृपा -बेचैन आत्मा देवेन्द्र पाण्डेय
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लिंक 19-
गर्म रातों में कैसे पाएं सुकून की नींद? -डॉ. जोगा सिंह कैत ‘जोगी’_______________
लिंक 20-
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और अन्त में
लिंक 21-
लिंक 21-
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आज के लिए इतना ही, फिर मिलने तक नमस्कार!
उम्दा लिंक मिले.
जवाब देंहटाएंकई लिंक्स से सजा बहुआयामीं चर्चा मंच |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंग़ाफ़िल की अमानत
जवाब देंहटाएंकलम देखिये कैसे चहक रहीं है
वहाँ पर जहाँ हर चीज बहक रही है !
काइरोप्रेक्टिक में भी है समाधान साइटिका का -वीरू भाई
जवाब देंहटाएंरोज एक मर्ज की दवा बता रहे हैं
दर्दे दिल का काइरोप्रेक्टिक कब ला रहे हैं !
गर्म रातों में कैसे पाएं सुकून की नींद? -डॉ. जोगा सिंह कैत ‘जोगी’
जवाब देंहटाएंनींद भी क्या चीज है जनाब
कभी ऎसे ही आ जाती है
कभी वैसे भी आ जाती है
कभी ना ऎसे आती है
ना वैसे आती है!
कई रोचक लिंक्स से रु-ब-रु कराया आपने महोदय - एक सार्थक प्रयास आपका - आभार
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
ब्लाग, बागीचा बवाल और बन्दरों की कृपा -बेचैन आत्मा देवेन्द्र पाण्डेय
जवाब देंहटाएंभैया बंदर वाली पोस्ट पर
टिप्पणी का औपशन नहीं मिला
इसलिये उपर की पोस्ट की बधाई
में नीचे वाली पर लिख चला !
अबके लिखो तो दायें-बाएं देख लेना.....
हटाएंरैली -पुरुषोत्तम पाण्डेय
जवाब देंहटाएंहम तो सोच रहे थे
शहीद हो जायेंगे
मर कर परिवार के
किसी सदस्य को जितायेंगे
आपने तो कहानी के अंत में
नींद से उठा दिया
नेता जी नहीं मरे हैं अभी
बता कर भटका दिया !
सरोकार -उदयवीर सिंह
जवाब देंहटाएंउदय जी को वहाँ पढ़ के आते हैं
टिप्पणी यहाँ कर के जाते हैं
वहाँ जब भी दे के आ रहे हैं
वापस अपनी मेल में उसे
लौटा हुआ ही पा रहे हैं !
बहुत सुंदर सरोकार है !
भारतीय काव्यशास्त्र–123 -आचार्य परशुराम राय
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
इस फुलवारी की 500वीं पोस्ट और चालीसवां पड़ाव -दिव्या श्रीवास्तव ZEAL
जवाब देंहटाएंचालीस और पाँच सौ दोनो की बधाई
बात कुछ थोड़ी हमारी भी समझ में आई
फुलवारी लिखा है और झील(जील) भी है
आदमी होता तो बगीचा लिखता
और झील की जगह झेल रहा होता !
जब भी चाहें इक नयी सूरत बना लेते हैं लोग -क़तील, प्रस्तोता डॉ.अनवर जमाल
जवाब देंहटाएंकुछ लोग पुरानी सूरत से काम चला लेते हैं
नयी सूरत को किराये पर चढा़ देते हैं !
आज जरूरत है धरती में, शौर्य बीज उपजाने की -डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
जैनेटिकेली मौडीफाईड बीज बना ले जायेगा
आदमी के दिमाग में अगर आ जायेगा !
सजी-धजी चर्चा।
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए आभार।
बहुत प्यारे लिनक्स सजाये हैं आपने.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.
thanks nd aabhar....
जवाब देंहटाएंGreat links Gafil ji, Loving the comments of Sushil ji. Thanks to both of you.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढिया लिंक्स ... आभार
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढिया लिंक्स ..
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर चर्चा .
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
"GAFIL "JI AAPAKE SUNDER KARYA KE LIYR DIL SE AABHAAR
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ................
जवाब देंहटाएंमन के आँगन में खुली फिर से नई मधुशाला,
जवाब देंहटाएंख़ुम* का इतराव नया, फिर से नई मधुबाला,
दौर चलता रहे और साकी तेरा साथ रहे,
आज पूरी भी हो जो चाह इक पुरानी है॥
अश आर तेरे सब के सब जाफरानी हैं ,तू सच मुच रात की रानी है .
मगर मैंने किसी वृक्ष को किसी साथी वृक्ष का
जवाब देंहटाएंगला दबाते नहीं देखा ,अरे भाई साहब वृक्ष तो खुद अपनी खाद बन जातें हैं ,हमें दफन को चाहिए, तेरह मन लकड़ी ,खजूर के पेड़ हो गएँ हैं कई ब्लोगर -बड़ा हुआ तो क्या हुआ ,जैसे पेड़ खजूर ,पंथी (पंछी )को छाया नहीं फल लागत अति -दूर ..._______________
लिंक 18-
ब्लाग, बागीचा बवाल और बन्दरों की कृपा -बेचैन आत्मा देवेन्द्र पाण्डेय .कृपया यहाँ भी पधारें -
सोमवार, 27 अगस्त 2012
अतिशय रीढ़ वक्रता (Scoliosis) का भी समाधान है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली में
http://veerubhai1947.blogspot.com/
रैली का क्या हुआ ,रैली में अटकी हुई है नेताजी की जान ,रैली ही अब .रह गई नेता की पहचान ....जबरजस्त व्यंग्य इस गोबर गणेश को परिवार क्या अपनी जान की भी चिंता नहीं है .....बिन रैली साब सून .,भैया बिन थैली सब सून . .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंसोमवार, 27 अगस्त 2012
अतिशय रीढ़ वक्रता (Scoliosis) का भी समाधान है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली में
http://veerubhai1947.blogspot.com/
तन्हा हूँ पर .....पेड़ सुनाता जीवन राग , . .तन्हा तन्हा मत सोचा कर ......औरों को भी कुछ सोचा कर ....बढ़िया पोस्ट ......महाकाल के हाथ पर गुल होतें हैं पेड़ ,सुषमा तीनों लोक की कुल होतें हैं पेड़ ...,जो तोकू काँटा बुवे ,ताहि को बोये , तू फूल ,तोकू फूल के फूल हैं ,वाकू हैं त्रिशूल (तिरशूल ).कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंसोमवार, 27 अगस्त 2012
अतिशय रीढ़ वक्रता (Scoliosis) का भी समाधान है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली में
http://veerubhai1947.blogspot.com/
आप सभी सुहृदों को हृदय से आभार जो यहां पर पधार कर हमारा उत्साह वर्द्धन किया
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