आज की मंगलवारीय चर्चा में राजेश कुमारी का आप सब मित्रों को नमस्कार आप सब का दिन मंगल मय हो |
अब चलते हैं आपके सुन्दर सुन्दर ब्लोग्स पर ------
अब चलते हैं आपके सुन्दर सुन्दर ब्लोग्स पर ------
हमारे पुरखों ने
बरगद का एक पेड़ लगाया था,
आदर्शों के ऊँचे चबूतरे पर,
इसको सजाया था।
कुछ ही समय में,
यह देने लगा शीतल छाया,
परन्तु हमको,
यह फूटी आँख भी नही भाया...
ईद का सूरज - ईद का चाँद तो नहीं देख पाया ईद का सूरज देखा लगा जैसे कह रहा हो ईद मुबारक! उगते-उगते छा गया हर तरफ जर्रे-जर्रे को करने लगा रौशन चहकने लगे पंछी सुनहरा हो...
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ईद मुबारक - ईद और उम्मीद जगी रहे कुछ तो
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ऐसी ईद मनाना तुम ! (एक ब्याजोक्ति) - ऐसी ईद
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हौसला रख - आँसुओं की इस
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दुनिया ख़ुशी से झूम रही है मना ले ईद - *देखा है
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कुछ सुहाने पल (चोका) - *डॉ जेन्नी शबनम* *मुट्ठी
---------------------------------------------------------------------------------- अशोकनामा
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राह पकड़ तू चल अनवरत - राह पकड़ तू चल अनव
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देखो चाँद आया - * मेरे सारे ब्लोगर्स साथियों को
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अब तक पता नहीं था - अब तक पता नहीं था चुप र
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ओबामा ने मक्खी मारी : हैलो हिन्दुस्तान पाक्षिक पत्रिका इन्दौर 15 अगस्त 2012 अंक
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कबीर के श्लोक - ११० - *कबीर जो मै चितवऊ ना
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हमारे बुजुर्ग और हम, समाज को आईना दिखाते शब्द
यहाँ मेरी कवितायें भी और अन्य कवियों के साथ सुनिए अभिषेक ओझा और शेफाली गुप्ता की मधुर वाणी में
शब्दों की चाक पर - एपिसोड 11 /
radioplaybackindia.blogspot.in/
2012/08/ poems-on-theme-hamare-bujurg-au r-hum.html
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AlbelaKhatri.com at Albelakhatri.com - i
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by Maheshwari kaneri at अभिव्यंजना -
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Mridula Harshvardhan at अभिव्यक्ति -
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इसके साथ ही आज की चर्चा समाप्त करती हूँ शुभ विदा बाय- बाय फिर मिलूंगी
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बहुत अच्छे लिनक्स मिले..... चर्चा में शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंसुसज्जित चर्चा...आभार !!
जवाब देंहटाएंनए रंग लिए चर्चा |
जवाब देंहटाएंआशा
सुप्रभात..आपका दिन मंगलमय हों...!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंकों का चयन किया है आपने आज की चर्चा में!
आभार!
बहुत कुछ है पढ़ने को...देखतीं हूँ सभी लिंक सिलसिलेवार....
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ..
सादर
अनु
कई नये सूत्रों से पहचान हुयी..
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए आभार,राजेश कुमारी जी.
बाली साहब आपने कबीर के पदों की व्याख्या करके बड़ा उपकार किया है ,कबीर की साखियाँ कई और चिठ्ठों पर भी प्रकाशित हैं लेकिन वहां व्याख्या पढने को नहीं मिलती हमारे बार बार आग्रह करने पर भी ऐसा नहीं हुआ .आपकी इतनी सरल सहज मनोहर सर्व -ग्राही व्याख्या को पढके मन गद गद हो गया .आभार आपका . *साधना*
जवाब देंहटाएंकबीर के श्लोक - ११० - *कबीर जो मै चितवऊ ना कृपया यहाँ भी पधारें -
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
thoughts...डा श्याम गुप्त का चिट्ठा.. -
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिख है
उस पर जोशी जी ने
सच सच कहा है
रोने गाने से क्या लाभ !
एक आलेख उनके नाम ही सही ....
जवाब देंहटाएंby रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें... -
गजब लिख दिया
देखो सब लिख दिया
क्या क्या लिख दिया
बहुत अच्छा लिख दिया
कुछ उसका लिख दिया
थोड़ा मेरा भी लिख दिया
मैने तो बस आभार लिख दिया !
''ईद मुबारक ''
जवाब देंहटाएंशिखा कौशिक 'नूतन ' at भारतीय नारी
ईद की शुभकामनाऎं !
सोनी चर्चा ....विभिन्न रंगों में सजा चर्चा मंच पसंद आया ...शुभकामनायें जी
जवाब देंहटाएंकई नए लिंक्स से परिचित कराया आपने महोदया - आपका आभार - साथ ही एक सुसज्जित चर्चा
जवाब देंहटाएंअपने एहसासों अनुभूतियों को आपने कलम की ऊंची परवाज़ दी ,उपकृत हुए पढ़कर .शुक्रिया इस बिंदास अंदाज़ के लिए .
जवाब देंहटाएंएक आलेख उनके नाम ही सही ....
by रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें... - कृपया यहाँ भी पधारें -
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
एक तरफ हिन्दुस्तान और दूसरी तरफ घर का बुजुर्ग बरगद का रूपक दोनों को रूपायित कर गया , हमने काट डाली,
जवाब देंहटाएंइसकी एक बड़ी साख,
और अपने नापाक इरादों से,
बना डाला एक पाक।
हम अब भी लगे हैं,
इस वृक्ष को काटने में,बाज़ नहीं आते आज भी क्षेत्र वाद के बाज़ ,काट रहें हैं शाख पे शाख ,बेंगलूर में कबूतर उड़ा रहें हैं कभी असम में ये बाज़ ....बढ़िया प्रस्तुति शास्त्री जी की .यहाँ "साख "तो ब्रांच (शाखा )के सन्दर्भ में है न की रेप्युटेशन के ,कवि को बेहतर मालूम है हमें तो सिर्फ जिज्ञासा है
"बरगद का पेड़" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक').कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
सोमवार, 20 अगस्त 2012
सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक
जवाब देंहटाएंरिश्तों की क्यारी....नागफनियों के जंगल
Mridula Harshvardhan at अभिव्यक्ति -
बहुत खूबसूरती से
अभिव्यक्त किया है
रिश्तों की क्यारी है
फूलों की बारी है
पर काँटा उग गया है
सब कुछ ढक गया है !
abhaar sushil ji
हटाएंचल उठा कलम कुछ ऐसा लिख -सतीश सक्सेना
जवाब देंहटाएंसतीश सक्सेना at मेरे गीत
चल उठा कलम कुछ ऐसा लिख,
जिससे घर का सम्मान बढ़े ,
कुछ कागज काले कर ऐसे,
जिससे आपस में प्यार बढ़े
काश सारे कागज कलम
आपके हाथ आ जायें
काले सफेद सब जितने हैं
इंद्र्धनुष बन बिखर जायें !
बहुत सुंदर रचना !
डॉ .श्याम गुप्त जिन परिवारों में मैड्स भी हैं वहां भी एक हेड मैड की ज़रुरत आजकल बनी रहती है जो बच्चों की नानी पूरी करती है .बहुएँ(लडकियां )अब अपने माँ बाप को ही रखके खुश रहतीं हैं सास स्वसुर को नहीं भारतीय पतियों का संचालन आजकल बहुलांश में पत्नियों के ही हाथों में शोभा पाता है
जवाब देंहटाएंDr. shyam gupta at श्याम स्मृति..The world of my
thoughts...डा श्याम गुप्त का चिट्ठा.. - .. कृपया यहाँ भी पधारें -
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
ये जहर उगलते लोग तुम्हे
जवाब देंहटाएंआपस में, मरवा डालेंगे !
ना हिन्दू हैं,ना मुसलमान
ये मानवता के दुश्मन हैं !
पहचान करो शैतानों की, जो हम दोनों के बीच रहें !
तू आँख खोल पहचान इन्हें,जयचंद बहुत दिख जायेंगे !कौमी तराना लेकर आएं हैं सतीश भाई ,प्रतीक कोई "मीर जाफर" का भी बुरा नहीं हमारी कौमों के नासू र हैं ये जय चंद ..इन्हीं के बारे में कहा गया "घर का भेदी लंका ढावे",फिर मुखर हुए राष्ट्री स्वर ,दुन्दुभी वजाई लेखनी ने आपकी ,मुबारक .
चल उठा कलम कुछ ऐसा लिख -सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना at मेरे गीत कृपया यहाँ भी पधारें -
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
हमारे बुजुर्ग..
जवाब देंहटाएंby Maheshwari kaneri at अभिव्यंजना -
बहुत सुंदर !
बुढा़पा कहाँ बोझ होता है
जिसके लिये होता है
उसे कहाँ पता होता है
वो बिना छत के एक
मकान के नीचे रहता है !
रिश्तों की क्यारी में गलत फ़हमी और एहम के शूल ,मैं मैं के त्रिशूल ..बढ़िया प्रस्तुति है "रिश्तों की क्यारी में उग आया ,नागफनी का जंगल ,.....हर तरफ हुआ अमंगल .रिश्तों की क्यारी....नागफनियों के जंगल
जवाब देंहटाएंMridula Harshvardhan at अभिव्यक्ति - कृपया यहाँ भी पधारें -
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
abhaar Virendra
हटाएंसब का अपना पाथेय पंथ एकाकी है ,
जवाब देंहटाएंअब होश हुआ ,जब इने गिने दिन बाकी हैं .
एक सक्रीय होबी आपको ज़िंदा रखती है ताउम्र ,अलबत्ता आप आर्थिक रूप से पर तंत्र न हों ,ये ज़रूरी है .आये हो तो कुछ देकर जाओ ,पर -मुख -अपेक्षी क्यों ?हमारे बुजुर्ग..
by Maheshwari kaneri at अभिव्यंजना -
दोनों रोकें गोल, खेल फिर कौन जिताई-
जवाब देंहटाएंरविकर फैजाबादी at नीम-निम्बौरी -
वाह !
क्या कछुवा दौड़ाया है
खरोगोश को फिर से रुलाया है !
Kunwar Kusumesh
जवाब देंहटाएंदुनिया ख़ुशी से झूम रही है मना ले ईद - *देखा है
बहुत खूब !
हिला ले ईद
देर में समझ में आया
जब नीचे से लिखा हुआ
अर्थ उसका नजर आया !
विस्तृत फलक बड़े कैनवास पे छा रहें हैं ,रविकर जी ,मन भा रहें हैं . .-----------------------------
जवाब देंहटाएंदिनेश की दिल्लगी, दिल की सगी
मिले सेवैंयाँ आज खुब, बस नमाज हो जाय- - "ईद". कृपया यहाँ भी पधारें -
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
सशक्त (त'गड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
बेटियां जो आँगन की रंगोली हैं
जवाब देंहटाएंबेटियां जो दीवाली और होली हैं
किस ने आज फिर अपने बदजात होने की पोल खोली है .
.....?
ढेर में कूड़े के अपने ही खून से खेली होली है .....ये कैसी आँख मिचौली है ....
परवाज़...शब्दों के पंख
कूड़ेदान में मिलती बेटियां -
जवाब देंहटाएंकबीरा खडा़ बाज़ार में
सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी है काइरोप्रेक्टिक -
बहुत सुंदर !
वीरू भाई आये हैं
जुखाम की शामत
आज ले के आये हैं !
.देखा है आसमान पे जबसे हिलाले-ईद.
जवाब देंहटाएंदुनिया ख़ुशी से झूम रही है मना ले ईद.
दिल को लुभा लिया है मेरे चाँद-रात ने,
आ जा कि रूह रूह में तू भी बसा ले ईद....सुंदर भाव गज़लिका Kunwar Kusumesh
दुनिया ख़ुशी से झूम रही है मना ले ईद - *देखा है
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मनोज
जवाब देंहटाएंचौखटों को फूल क्या भेजें -
श्यामनारायण मिश्र जी का हर मोती सहेजने लायक है !
आभार !
दिनेश की दिल्लगी, दिल की सगी
जवाब देंहटाएंमिले सेवैंयाँ आज खुब, बस नमाज हो जाय- - "ईद
बहुत सुंदर !
हो गयी है नमाज अमन से
सैवईंया भी खा लिये मन से !
ईद मुबारक !
जवाब देंहटाएंMy Image
"बरगद का पेड़" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जीते हैं हम आजकल, टुकड़े टुकड़े टूट |
थी अखंड गुजरी सदी, मची लूट पर लूट |
मची लूट पर लूट, कूटनीतिज्ञ लूटते |
मियाँमार सीलोन, सिन्धु बंगाल टूटते |
हरा भरा संसार, हराया अपनों ने ही |
नेही था घरबार, काटते पावन देहीं ||
बेचैन आत्मा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सुंदर चित्र है
ईद है चाँद है सूरज है
चैन ही चैन है
फिर कौन बैचेन है !
इस एक शब्द सेकुलर ने जितना अहित इस भारत भू का किया है इसका एक ही समाधान है इस शब्द को ज़मीन पे लिखकर जूता -पात किया जाए .ये सारा किया धरा इन सेकुलर भाकुवों का ही है संविधान जिनकी रखैल है ,हज जिनके लिए सब्सिडी है ,शाह -बानों बेवा आँख का रोड़ा है ,....इनके एजेंट लालू और मुलायम अली देश का एक बंटवारा और करवाना चाहतें हैं तभी देश में दो कम्पार्टमेंट की बात करतें हैं एक सेकुलर दूसरा कम्युनल .काव्य का संसार
जवाब देंहटाएंJAGO HINDU JAGO: ईद कहो या बकरईद मकसद तो एक ही है---
हिंसा---कत्लोगा... - . कृपया यहाँ भी पधारें -
मंगलवार, 21 अगस्त 2012
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
सशक्त (तगड़ा )और तंदरुस्त परिवार रहिए
"बरगद का पेड़" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
फिर भी बरगद तो बरगद है !
एक आलेख उनके नाम ही सही ....
जवाब देंहटाएंby रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें... -
अकेले चले थे हम कदम दर कदम हाथ जुड़ते गए कारवाँ बनता गया वहीँ किसी पड़ाव पर हम भी साथ हो लिए
सुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए आभार,राजेश कुमारी जी.
bahut sunadar
जवाब देंहटाएंwaah
बढिया वार्ता
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
बहुत ही अच्छे लिंक्स ... बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंकूड़ेदान में मिलती बेटियाँ,,,,
जवाब देंहटाएंबेटियां समाज की धडकन होती है
दो कुलों के बीच रिश्ता जोड़कर-
घर बसाती है
माँ बनकर इंसानी रिश्तों की,
भावनाओ से जुडना सिखाती है
पर तुमने-?
पर जमने से पहले ही काट डाला
शरीर में जान-?
पड़ने से पहले ही मार डाला,
आश्चर्य है.?
खुद को खुदा कहने लगे हो
प्रकृति और ईश्वर से
बड़ा समझने लगे हो
तुम्हारे पास नहीं है।
कोई हमसे बड़ा सबूत,
हम बेटियां न होती-?
न होता तुम्हारा वजूद......
सतीश सक्सेना जी पोस्ट पर,,,,
जवाब देंहटाएंपहचानो ऐसे लोगो की जो रह कर गद्दारी कर जाते
कुछ ऐसा हो जाए अगर होली और ईद समझ पाते,,,,,
महेश्वरी कनेरी जी की पोस्ट पर,,,,
जवाब देंहटाएंबुजुर्गो को बोझ न समझो,तुम पर भी बुढापा आएगा
जैसा करोगे मात पिता संग ,वैसा ही फल तू पायेगा,,,
मधुर गुंजन पोस्ट पर,,,,
जवाब देंहटाएंईद मुबारक आपको, रचना देती सन्देश
भाई चारा बना रहे, स्वर्ग बन जाए देश,,,,
Waah.
जवाब देंहटाएंbahut khoob.
साधना वैध जी की पोस्ट पर,,,,
जवाब देंहटाएंहिम्मत गर करे इन्सा ,जीत कर आते है
हौसला बुलंद था ,तभी ताज बन जाते है,,,,,
सही कहा वीरेंद्र जी ...पत्नी महिमा का ज़माना है तो नानीजी की महिमा अपरम्पार होनी ही चाहिए...
जवाब देंहटाएंलिन्क साधना...कबीर पर....---
जवाब देंहटाएंश्लोक सन्स्क्रित में होते हैं ये कबीर के दोहे हैं...
अच्छे लिनक्स, चर्चा में शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंअच्छे लिनक्स,चर्चा में शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चामंच सजाया है राजेशकुमारी जी ! मेरी रचना को आपने इसमें सम्मिलित किया उसके लिये आपका बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंbahut achchhe links .meri post ko yahan sthan dene hetu aabhar
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti.links abhi dekhte hain .aabhar जनपद न्यायाधीश शामली : कैराना उपयुक्त स्थान
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिनक्स के साथ विविध रंगों में रंगा चर्चा-मंच | आपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपने मेरी रचना को आज के चर्चा -मंच में शामिल किया | आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा...विविध विषयों पर रोचक लिंक्स..आभार !
जवाब देंहटाएंआप सभी मित्रों का हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएंchgarchamanch ki kyari mein meri rachna ka phool shamil karne ke liye abhaar
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा...सुन्दर लिंक्स...
जवाब देंहटाएं