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शनिवार, अगस्त 25, 2012

“मैंने हार अभी न मानी” (चर्चा मंच-982)

 रुकती कभी न देश में, गंगाजी की धार।
पढ़ता चर्चा मंच को, सारा ही संसार।।
प्रस्तुत है शनिवार की चर्चा...!

"मैं भी गाऊँगा गीत नया"
...माँ की मुझपर कृपादृष्टि कर दो,
उर में कुछ शब्दवृष्टि कर दो,
मेरा भी जाये भाग्य जाग,
मैं भी गाऊँगा गीत नया।
अब गाओ कोई गीत नया।।
-----  सत्य-वचन -----
" स्थापित सत्य की स्थिरता पर ही
आत्मविश्वास स्थिर रहता है....."
" निकृष्ट कर्म के त्याग से ही
मनुष्य उच्चतम स्थान प्राप्त करता है....."
----- || घीसा-न्याय--पिटा-न्यायालय ।। -----
मैंने हार अभी न मानी

धूल धूसरित चाहे तन हो, रोटी चाहे मिली हो आधी. मैंने हार अभी न मानी..
गोली

आचार्य चतुरसेन द्वारा लिखी इस पुस्तक मे राजस्थान की एक पुरानी परंपरा को दर्शाया गया है...
बहू लायेंगे
इंग्लैंड से

यह नारा लगभग हर मंच से गूंजने लगा है ”बेटी नहीं बचाओगे तो बहू कहां से लाओगे ?
भावपथ...
एक बूँद के प्यासे हम  प्रेम तो जीवन का आधार है, धुरी है. केंद्र है. बिना प्रेम...
जीवन निष्प्राण है….
आपकी नज़र में ओशो क्या हैं -
सबसे पहले तो मैं राजीव भाई का धन्यवाद देना चाहूँगा । उन्होंने आत्म चर्चा का यह ब्लाग …
एकल रहती नार, नहीं प्रतिबन्ध यहाँ है-

सत्यवान था राज-सुत, हुआ किन्तु कंगाल |
एक वर्ष की जिन्दगी, होती मृत्यु अकाल…
बूंदों का रंग ...

बुरा मत बोलो ,बुरा मत देखो,बुरा मत सुनो ... नकारत्मक को नकार कर सकारत्मक को साकार कर पाना मुश्किल तो है ...किंतु ज्ञान ही हमारे मन को समृद्धी देता है ...!!हम कहीं भी जायें हमरा मन हमसे आगे आगे ही चलता ...
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हम जब ब्लॉगिंग शुरु करते हैं तो अनेक प्रश्न मन में रहते हैं कि किस प्रकार ब्लॉग को सजाया संवारा जाये कि वह ख़ूबसूरत और आकर्षक दिखे। ताकि पाठकों का आवागमन निरंतर बना रहे और उनको किसी प्रकार की असुविधा न हो। ...
कवितायेँ आजकल " वाद" की ड्योढ़ी पर ठिठकी हैं
ह्रदय - अम्बुधि अंतराग्नि से पयोधिक -सी छटपटाती *उछ्रंखल * प्रेममय रंगहीन पारदर्शी कवितायेँ
जिन्हें लुभाता है सिर्फ एक रंग कृष्ण की बांसुरी का
लहरों के मस्तक पर धर
पग लुक छिप खेलती प्रबल वेग के... 
असीम कृपा उसकी

किया कभी ना पूजन अर्चन ना ही दान धर्म किया करतल ध्वनि के साथ ना ही भजन कीर्तन किया पोथी भी कोइ न पढ़ी छप्पन व्यंजन सजा थाल में भोग भी न लगा पाया |
पर उस पर अटल विश्वास से कर्म किया निष्काम भाव से ..
शुक्र मना बिटिया रानी !!!

*शुक्र मना बिटिया रानी * *लेने दिया हमने जन्म तुझे ;*
*वरना निपटाते कोख में ही * *क्यों बात नहीं तू ये समझे…?
बीज जो बोया था हमने रक्त का, बलिदान का

ख़त्म होते बबूलों पर माली से हुई अक्षम्य भूलों पर सावन में सूने दिखते झूलों पर कि कैसे इन्हें आबाद करें........आओ सम्वाद करें
 शंख-ना
(एक ओज गुणीय काव्य)-(द) -जागरण गीत- (३) !!
बोल रे भय्या हल्ला आज!!

इसका जीवन ऐश भरा |
हर पॉकेट में कैश भरा ||
दोनों हाथ समेटा है |
अपना हर दुःख मेटा है ||
अजगर के तन सा भारी -
उस तस्कर का गल्ला आज !!...
सती प्रथा

*19वीं शताब्दी के हिंदू समाज की सबसे विषम कुरीति** : **सती प्रथा*** * **प्रस्तुतकर्ता** :**प्रेम सागर सिंह* *19वीं शताब्दी को भारतीय समाज का ऐसा संधिकाल माना जा सकता है जहां से भारतीय समाज एवं जीवन में ...
संघ- भाजपा -मुस्लिम हितैषी :विचित्र किन्तु सत्य
शीर्षकहीन
काव्य वाटिका
वह सर्वज्ञ है पास में उस सर्वेश्वर सत्य की खोज में जब -जब जूझती हूँ एक अखंडित मृग मरीचिका में उलझती जाती हूँ । तुम अद्वितीय ,अनंत ,अनुपम हो पर किसने देखा है यह रूप तुम्हारा, जब तुम निराकार..
पुजारा ने लपका अवसर
Square Cut
हैदराबाद में खेला जा रहा पहला टेस्ट मैच भारत की जमीन पर अगस्त माह में खेला जाने वाला पहला टेस्ट है । सामन्यत: भारत में सितम्बर से मार्च तक टेस्ट खेले जाते हैं । अगस्त की गर्मी में भारतीय टीम इस बार..
बख्शीश का भूखा न हो जो, कोई ऐसा दरबान देना !
अंधड़ !
दस्तूर ही कुछ ऐसा है कि हर महिला की ये दिली ख्वाईश होती है कि उसकी लडकी को उससे भी बढ़कर अच्छा पति मिले ! और साथ ही उसे यह भी पक्का भरोसा होता है कि उसके लड़के को उतनी अच्छी बीबी नहीं मिलेगी, जितनी कि उस...
हार मत मानो
मेरा संघर्ष
अच्छे और बुरे मित्रों की,
फिर शक्ल आज पहचानो तुम.
परखना सीख लिया तुमने,
तो!.....हार कभी न मानो तुम!!
ग़ज़लगंगा.dg: आखरी सांस बचाकर रखना
एक उम्मीद लगाकर रखना.
दिल में कंदील जलाकर रखना.
कुछ अकीदत तो बचाकर रखना.
फूल थाली में सजाकर रखना.
जिंदगी साथ दे भी सकती है
आखरी सांस बचाकर रखना….
डायन पुराण का विज्ञान
Science Bloggers' Association of India
देश में आये दिन निर्दोष महिलाओं को जादू-टोने के आरोप में प्रताड़ित करने की घटनाएं होती है उनमें से अधिकांश मामले आम लोगों की नजरों के सामने नहीं आते, सिर्फ ऐसी घटनाएं जिनमें महिला को दी गई प्रताड़ना हद...
तीखी या फिर खरी-खरी ?
कुछ लोग सत्यवादी होते हैं। सत्यवादी निर्भीक होते हैं। निष्पक्ष और निष्कपट होते हैं। किसी की भी चाटुकारिता नहीं करते
आज hindi2tech के 3 वर्ष पूरे
कौन हो तुम ? अपरिचित !
- कौन हो तुम ? अपरिचित !
मेरे ह्रदय में उदार संवेदना को जागृत किया
आध्यात्मिक समझ को प्रेरित किया
मेरे मानस को झकझोर दिया …
अन्त में-कुछ बातें बस ऐसे ही... 
 ईद में सजा शोपिंग मॉल रामादान गया..

ईद आई और अब वह भी गई..धीरे-धीरे छुट्टियाँ खतम होने को आई हैं. 
दिन तो यूँ ही गुज़रते जाते हैं कभी आहिस्ता -आहिस्ता ...

41 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर चर्चा। डायन पुराण विज्ञान! को जगह देने के लिए शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर सार्थक प्रस्तुति । बेहतरीन लिंक्स । आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभप्रभात शास्त्री जी ....
    बहुत बढ़िया चर्चा है ...!!
    बहुत आभार यहाँ मेरी रचना को आश्रय मिला .....!!

    जवाब देंहटाएं
  4. सटीक और बढ़िया चर्चा रही आज की |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  5. अन्त में-कुछ बातें बस ऐसे ही...

    "अंतर्जाल की दुनिया बाहरी दुनिया से कम नहीं है यहाँ भी ऐसे अनुभव मिल जाते हैं जो बड़ी सीख दे जाते हैं .
    वे अनुभव हमारे साथ हुई घटनाओं से मिले हों यह ज़रुरी नहीं बल्कि दूसरों के साथ हुई बातों से भी हम सीखते......

    बाहरी दुनिया सरल है ज्यादा
    यहाँ किस का क्या है इरादा
    कहाँ समझ में है आता
    छ्द्म ज्यादा है देख पाता
    बाहर वो सामने आ कर है बताता
    यहाँ मुँह छुपा कर कह ले जाता
    क्या मंशा है किसकी सामने वाला
    कहाँ कभी है ये समझ पाता !!

    जवाब देंहटाएं
  6. कौन हो तुम ? अपरिचित !

    बहुत खूब !
    वो अपरिचित ज्यादातर
    परिचित होता है
    जरूरी नहीं कि सबको
    पता होता है !

    जवाब देंहटाएं
  7. आज hindi2tech के 3 वर्ष पूरे

    तीन साल के एक होशियार
    बच्चे को बहुत बहुत बधाइयाँ
    हिंदी की सेवा में लगे रहिये आप
    खा लेंगे हम यहाँ मिठाइयाँ !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सारे बेहतरीन लिंक्स के बीच गीत मेरे को शामिल करने के लिए आभार !

    जवाब देंहटाएं
  9. तीखी या फिर खरी-खरी ?

    खरा नहीं कुछ हरा बोल
    बहुत सुंदर !


    खरा खरा बोलता है
    सादे को खारा बनाता है
    जहाँ भी जाता है
    अलग से बिठाया जाता है
    बोलने का मौका उसको
    कम भी दिया जाता है
    मक्खन लगा कर जो
    डबलरोटी खिलाता है
    उसके सामने एक
    सादी रोटी वाला
    कुछ नहीं बेच पाता है !

    जवाब देंहटाएं
  10. डायन पुराण का विज्ञान
    Science Bloggers' Association of India
    बेहतरीन लेख !

    जवाब देंहटाएं
  11. ग़ज़लगंगा.dg: आखरी सांस बचाकर रखना

    लिखते रहें खूबसूरत गजल
    एक उनके लिये बचा कर रखना !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपके निर्देशों का पालन होगा जरूर होगा सुशील जी!

      हटाएं
  12. हार मत मानो
    बहुत सुंदर !
    मित्र हमेशा ही अच्छा होता है
    बुरा होता है वो मित्र कहाँ होता है!

    जवाब देंहटाएं
  13. बख्शीश का भूखा न हो जो, कोई ऐसा दरबान देना !
    अंधड़ !

    बहुत सुंदर !

    रीढ़ वाला कहाँ से हम लायेंगे
    जब रीढ़ निकाल कर लोग
    अपने घरों पर संभाल जायेंगे
    कोशिश ऎसी करें अबकी बार चलिये
    पहले बनायेंगे बाद में रीढं भी लगवायेंगे !

    जवाब देंहटाएं
  14. पुजारा ने लपका अवसर
    Square Cut

    ये खेल है जब तक गलियों में खेला जाता है
    मैदान में पहुँचा नहीं की लाटरी हो जाता है !

    जवाब देंहटाएं
  15. "मैं भी गाऊँगा गीत नया"
    बहुत सुंदर पंक्तियां
    मन को छू जाती हैं
    नया गीत गाये कोई
    सुनने को उकसाती हैं !

    जवाब देंहटाएं
  16. मैंने हार अभी न मानी

    बहुत ही सुंदर भाव दिखा रहे हैं
    पर ये तो बहुत ही चालू होते जा रहे हैं
    पाप को घडे़ तक नहीं ले जा रहे हैं
    उपर वाले को भी खाली घड़ा दिखला रहे हैं !

    जवाब देंहटाएं
  17. इतने सारे विविधताओं भरे लिंक्स, बेहतरीन प्रस्तुति... सुशील जी के कॉमेंट्स पूरे आयोजन में और रंग डाल रहे हैं...मेरे ब्लॉग का लिंक भी शामिल....आभार

    जवाब देंहटाएं
  18. हार नहीं मानूँगा, रार नयी ठानूँगा..

    जवाब देंहटाएं

  19. दोष नहीं देती ईश्वर को,
    उसने सबको दिया बराबर.
    कुछ ने लूट लिया है पर सब,
    लेकिन शक्ति हाथों में बाकी."हाथों " में स्लेशार्थ है ,जिजीविषा है इन हाथों में ,मगर वो हाथ काले हैं ,ज़माने से निराले हैं ,घोटाले ही घोटाले हैं ,बढ़िया मर्म पैदा करती रचना गरीबी बेबसी को मूर्त रूप देती फिर भी आस पल्लू नहीं छोडती कसके पकडे हुए है रचना ,आस गई तो जीवन गया ..कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 25 अगस्त 2012
    आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं
    गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)एक सम्पूर्ण आलेख अब हिंदी में भी परिवर्धित रूप लिए .....http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html

    जवाब देंहटाएं
  20. सुंदर चर्चा के लिए आभार, शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं

  21. दोष नहीं देती ईश्वर को,
    उसने सबको दिया बराबर.
    कुछ ने लूट लिया है पर सब,
    लेकिन शक्ति हाथों में बाकी."हाथों " में स्लेशार्थ है ,जिजीविषा है इन हाथों में ,मगर वो हाथ काले हैं ,ज़माने से निराले हैं ,घोटाले ही घोटाले हैं ,बढ़िया मर्म पैदा करती रचना गरीबी बेबसी को मूर्त रूप देती फिर भी आस पल्लू नहीं छोडती कसके पकडे हुए है रचना ,आस गई तो जीवन गया मैंने हार अभी न मानी

    धूल धूसरित चाहे तन हो, रोटी चाहे मिली हो आधी. मैंने हार अभी न मानी....कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 25 अगस्त 2012
    आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं
    गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)एक सम्पूर्ण आलेख अब हिंदी में भी परिवर्धित रूप लिए .....http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html

    जवाब देंहटाएं
  22. संघ- भाजपा -मुस्लिम हितैषी :विचित्र किन्तु ससंघ- भाजपा -मुस्लिम हितैषी :विचित्र किन्तु सत्यत्य..संघ- भाजपा -मुस्लिम हितैषी :विचित्र किन्तु सत्यये इस दौर के भकुवे बाजपाई को सरकारी गवाह और वीर सावरकर डरपोक कहने बताने से भी नहीं चूके थे जब की सावरकर ने एक रणनीति केतहत काला पानी से बाहर आने के लिए एक रणनीतिक कौशल के तहत ही माफ़ी मांगी थी ताकि संघर्ष आगे बढ़ाया जा सके ,हिदू महा सभा के वह जनक थे भारत के राज दुलारे थे .आर एस एस भीति और आर एस एस गर्न्थी से कई प्रवक्ता और पिठ्ठू ग्रस्त हैं . कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 25 अगस्त 2012
    आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं
    गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)एक सम्पूर्ण आलेख अब हिंदी में भी परिवर्धित रूप लिए .....http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html

    जवाब देंहटाएं
  23. भाई साहब ये" विच हंटर " अपने से अलग राय रखने वाले लोगों पर तोहमत लगाकर उन्हें ठिकाने लगाने का भी खेल खेलतें हैं .यह कमज़ोर वर्ग का आर्थिक और भावात्मक शोषण करने की भी चाल है .वेम्पायरइज्म है यह .असली वैम्पायर ये दरिंदें हैं जो झुण्ड बनाके असहाय और निरुपाय पर न्रिशंश हमला करतें हैं .मात्र परपीड़क नहीं हैं ये मानवीय खाल पहने दरिन्दे ,कमसे कम ये आधुनिक मानव जाती के वंशज तो हैं नहीं ,कैसे कहिएगा इन्हें होमो -सैपीयंज़ ?भाई साहब सचमुच की डायन आगई तो फट जायेगी गरीब की बेवा को पीटने वालों की .फिर गरीब ही क्यों डायन घोषित की जाती है कहीं बदले की भवाना कहीं भंडास निकालने की और कहीं नारी को नग्न देखने की दृश्य रतिकता इसके मूल भी होती हो तो ताज्जुब न होगा .वो जो दिन रात कठपुतलियाँ नचाती है उसे डायन घोषित करके दिखाए कोई "छटी का दूध याद आजायेगा" .ये बे -लौस,बे -खौफ हिंसा, ये खापियों में भी व्याप्त हैजिनका निशाना किशोर प्रेम बन रहा है कौन है ये आज़ाद भारत में छुट्टा घूमने वाले लोग ,कौन हैं इनके राजनीतिक रहनुमा ,अकेला चना तो भाड़ झोंक नहीं सकता .किसी को डायन घोषित करने के पीछे कोई विज्ञान नहीं है शुद्ध ,ये उन्माद है ,मॉस हिस्टीरिया है ,मैनीयाक हैं ये हैवान. बढ़िया प्रस्तुति है ..डायन पुराण का विज्ञान
    Science Bloggers' Association of India
    देश में आये दिन निर्दोष महिलाओं को जादू-टोने के आरोप में प्रताड़ित करने की घटनाएं होती है उनमें से अधिकांश मामले आम लोगों की नजरों के सामने नहीं आते, सिर्फ ऐसी घटनाएं जिनमें महिला को दी गई प्रताड़ना हद... कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 25 अगस्त 2012
    आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं
    गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)एक सम्पूर्ण आलेख अब हिंदी में भी परिवर्धित रूप लिए .....http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html

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  24. पति की मृत्यु पर पति के शव के साथ जल जाने को ‘सहगमन’ कहा गया तथा जब पति की अन्यत्र मृत्यु हो जाती थी तब बाद में उसकी भष्म या पादुका लेकर पत्नी अग्नि में प्रवेश कर अपने प्राण त्यागती, उसे ‘अनुमरण’ की संज्ञा दी गई।बढ़िया प्रस्तुति है यह संघर्ष अभी ज़ारी रहना है अब मसला कन्या भ्रूण का नारी अस्मिता पे आई आंच और उसकी सुरक्षा का मुह बाए खड़ा है .कृपया भस्म कर लें,भष्म को और पातिव्रत कर लें .शुक्रिया सती प्रथा

    *19वीं शताब्दी के हिंदू समाज की सबसे विषम कुरीति** : **सती प्रथा*** * **प्रस्तुतकर्ता** :**प्रेम सागर सिंह* *19वीं शताब्दी को भारतीय समाज का ऐसा संधिकाल माना जा सकता है जहां से भारतीय समाज एवं जीवन में ..... कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 25 अगस्त 2012
    आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं
    गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)एक सम्पूर्ण आलेख अब हिंदी में भी परिवर्धित रूप लिए .....http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html

    जवाब देंहटाएं
  25. Zabardast qism ki mehnat charchamanch ko oopar utha rahi hai.

    Shukriya.

    जवाब देंहटाएं
  26. बेहतरीन लिंक्‍स के साथ उम्‍दा चर्चा ... आभार

    जवाब देंहटाएं
  27. मैंने हार अभी न मानी
    Kailash Sharma
    Kashish - My Poetry

    घड़ा पाप का भर चुका, ईंधन संचित ढेर ।
    देर नहीं अंधेर है, इक चिंगारी हेर ।
    इक चिंगारी हेर, ढेर कर घट मंसूबे ।
    होवे तभी सवेर, अभी तक क्यूँ न ऊबे ।
    बची गर्भ में किन्तु, इरादा गलत बाप का ।
    डुबा दूध में मार, रहा भर घड़ा पाप का ।।

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  28. बहू लायेंगे इंग्लैंड से
    neel pardeep
    All India Bloggers' Associationऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन
    बहू कहाँ से आयगी, बेमानी हैं बात |
    मूल प्रश्न है बेटियां, दर्द भरे हालात |
    दर्द भरे हालात, मर्द यूँ ही जी लेगा |
    भूला रिश्ते नात, भला विज्ञान करेगा |
    है उन्नत विज्ञान, जात मानव ना नाशे |
    पुत्र पाल निज गर्भ, जरुरी बहू कहाँ से ??

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  29. बहुत बेहतरीन सूत्रों से सजाई गई चर्चा मेहनत रंग ला रही है शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  30. लाज़वाब रोचक चर्चा...सुन्दर लिंक्स...आभार

    जवाब देंहटाएं
  31. सुन्दर चर्चा बढ़िया लिंक्स पढ़ कर आनंद आ गया

    जवाब देंहटाएं
  32. पोस्ट शामिल करने के लिए आभार.

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  33. DR.SAHAB KE COMMENT ME THODA SA SUDHAR-''JABARDAST KISM KEE MAHNAT CHARCHA MNACH KO MAJBOOTI SE BLOG JAGAT ME JAMA RAHI HAI.''

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  34. Hello colleagues, pleasant post and good arguments commented at this place, I
    am truly enjoying by these.
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