मित्रों!
रविवार के लिए मात्र इतने ही लिंक खोज पाया हूँ।
क्योंकि सुबह 6 बजे ही ब्लॉगर सम्मेलन में जाने के लिए लखनऊ के लिए निकल जाऊँगा। वहाँ से 27 को रात्रि में देहरादून के लिए रेलगाड़ी में आरक्षण है। 30 अगस्त को ही घर वापिस आना होगा। तब तक के लिए शुभविदा!
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बनाओ महल तुम बेशक, उजाड़ो झोंपड़ी को मत,
रोते को हँसाने की, हमें फुर्सत नहीं मिलती।
सुबह उठकर कबाड़ा बीनते हैं, दुधमुहे बच्चे,
उन्हें पढ़ने-लिखाने की, हमें फुर्सत नहीं मिलती..
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*सामने देखो * *पहले समय में कुछ काम ऐसे होते थे जिन को सिखने के लिए बाकायदा कोई कोर्स करने की जरूरत नही पडती थी जैसे आप बचपन में ही घर वालों को बिना बताये ही चोरी छुपे साईकिल चलाना सीख लेते थे | उस के लिए...
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जिसकी जितनी क्षमता उसके उतने अधिकार -पिछले दिनों महाभारत की एक कहानी पड़ने को मिली आप लोगो से बाँट रहा हूँ......
मा शुचः |
में गीत लिख रहा हूँ अपने सुनहरे कल के लगते थे तुम गले जब मेरे सीने से मचल के तुम्हे याद होगा मंज़र वो मोतीझील के किनारे जहाँ तुमने...
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"सो जाओगे तो मर जाओगे" ....
यह मै नहीं कह रही हूँ अख़बार की दिलचस्प खबर कह रही है !
दरअसल सो जाओगे तो मर जाओगे वाली
अफवाह ने लोगों की नींद हराम की हुई है ! ...
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मेरी अदम्य ख्वाहिश रही उम्र से परे
मैं बनूँ विशाल बरगद जिसकी छाँव में थकान को नींद आए पसीने से सराबोर चेहरे सूख जाएँ प्राकृतिक हवा कोई प्राकृतिक ख्वाब दे जाए….
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दया याद में हैं नहीं,
करूँ नहीं फ़रियाद | वादा का दावा किया, छोड़ वाद परिवाद |
छोड़ वाद परिवाद ,
सही निष्ठुरता तेरी |
रविकर
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पांच साल पहले जब इस सफ़र की शुरूआत की थी तब पता नहीं था कि 'लोग साथ आते गये और कारवां बनता गया' इस मिसरे को हकीकत में बदलते देखने का मौका आने वाले पांच साल में मिलने…
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जब भी रातों को याद करता हूँ तुझ को तेरी बेवफाई के अफ़साने…
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वख्त की आवाज़ है सब कुछ बदलना चाहिए.. मंज़र बदलना चाहिए..
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प्रलय HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR *प्रदूषित करते ना थके तुम , भड़क गई उर में ज्वाला। *क्रोधित हो कूद पड़ी गंगा, सब कुछ जल थल कर डाला। डूब गए घर बार सभी कुछ, राम शिवाला भी डूबा… *कुपित हो गए मेघ देवता ,कोई नहीं है अजूबा… |
हम दरअसल अमेरिका के गुलाम हैं "अगर यह लड़ाई लोकतंत्र की होती तो अच्छा था...अगर यह लड़ाई जनादेश की होती तो अच्छा था ...अगर यह लड़ाई कोंग्रेस -भाजपा--सपा-वाम--NDA-UPA की होती तब भी अच्छा था...यह लड़ाई हिन्दू -मुसलमान की भी नहीं है… | सलाम राजगुरु ! *जंगे-आज़ादी के जांबाज़ सूरमा अमर बलिदानी राजगुरु के जन्म दिवस पर * *आज तिरंगे को सलाम करते हुए तीन कह-मुकरियां विनम्र श्रद्धांजलिके रूप में * * सादर समर्पित कर रहा हूँ * |
मनमोहन सिंह का इंटरव्यू-अजीबसिंह के अजीब जवाब हसना मना है .....मगर हसना सेहत के लिए अच्छा भी है " जैसे ही "टीवी" चालू किया वैसे ही देखा तो टीवी पर "महामहिम मनमोहन" जी का इंटरव्यू आ रहा था अब देखिये उनके साथ क्या बात हुई… -- खुशबु मेरी साँसों में बसी आज तक खुशबु तेरी , है मेरे दिल को अभी तक भी जुस्तजू तेरी. तुम्हारे बिन मेरी हर चीज अधूरी सी है , मुझे कितनी है जरुरत मै क्या कहूँ... |
पीटते रहोगे ये लकीरें कब तक? याद करोगे माज़ी की तीरें कब तक, मुस्तकबिल पामाल किए हो यारो, हर हर महादेव, तक्बीरें कब तक?
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स्वामी विवेकानन्द का यह 150वां जन्मशताब्दी वर्ष है
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जख्म जब तेरी याद आई आँखों में आँसू आ गये, तुम्हारी खातिर हँसते-हँसते जख्म खा गये! न दिन को चैन रहा न रात को नीद आई, जिसके लिए जंग छेडा वो गैरों को भा गई!
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कस्तूरी जो बिखरी हर दिल महका गयी कस्तूरी जो बिखरी हर दिल महका गयी यूँ लगा चाँद की चाँदनी दिन मे ही छा गयी विमोचन कस्तूरी का दोस्तों 22 अगस्त शाम साढ़े चार बजे हिंदी भवन में कस्तूरी के विमो... |
आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं . *गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)* * * *सुष्मना ,पिंगला और इड़ा हमारे शरीर की तीन प्रधान नाड़ियाँ है लेकिन नसों का एक पूरा नेटवर्क है हमारी काया में इनमें से सबसे लम्बी नस को हम नाड़ी कहते हैं... | बचपना -एक लघु कथा एक वर्ष हो गया सुभावना के विवाह को ,मेरी पक्की सहेली . बचपन से दोनों साथ -साथ स्कूल जाते ,हँसते ,खेलते पढ़ते .कभी मेरे नंबर ज्यादा आते कभी उसके लेकिन दोनों को.. | गैलीलियो और गुलेलों के बीच सभ्यता के शिलान्यासों को भी देख, आसमानों और धरती के बीच असमान से अहसासों को भी देख एक सूरज सहम कर शाम को बिजली के खम्बे में लटक कर आत्महत्या कर चुका है दूसरी सभ्यता ऐसी है कि... |
एक गायक की भटकती आत्मा कहानी अतृप्त आत्माओं की-2 घटना उन दिनों की है जब हिंदी सिनेमा अपना स्वरूप ग्रहण कर रहा था और तकनीकी दृष्टिकोण से आज के मुकाबले बहुत पीछे था. मूक फिल्मों के... | कुछ पल फ़ुरसत से अंधकार बढ़ता ही जाता है , अब तो ये अँधेरा भी खुद में ही घुटा जाता है , बहुत से अंतर्द्वंद जब आपके ह्रदय में , दे गवाही आपके गुनाह की , तब अवसाद बढ़ता ही जाता है... |
मेरे मन की तिनका-तिनका...है रोशनी से जैसे भरा... एक गीत यूं ही गुनगुना लिया....तिनका तिनका... अच्छा तो नहीं है ...चल जाएगा... | बैकफुट पर न्यजीलैंड की टीम- हैदराबाद टेस्ट पहले दिन की समाप्ति पर यहाँ बराबरी पर था वहीं दूसरे दिन की समाप्ति पर भारत की गिरफ्त में है । न्यजीलैंड की टीम बैकफुट पर है और यह करिश्मा... |
महादेवी वर्मा - यात्रा वृत्तांत महादेवी वर्मा जी ने यह यात्रा बीसवी सदी के तीसरे दशक में की थी | तब * *से बहुत समय व्यतीत हो चुका है पर प्रस्तुत यात्रा - वृत्तांत के बहुतेरे अनुभव आज भी प्रासंगिक लगते है… |
अन्त में देखिए ये दो कार्टून (१) घोटाला तो हम कर ही नहीं पाए?? (२) कार्टून :-सफ़ेद कमीज़ों वाले लोग |
शास्त्री जी, काफी महत्वपूर्ण लिंक्स आपने उपलबध कराए। आभार।
जवाब देंहटाएं............
सभी ब्लॉगर्स का अदब और तहज़ीब की नगरी में स्वागत है... लेकिन साथ ही साथ एक सवाल भी पूछना चाहूँगा कि आप ब्लॉगिंग क्यों करते हैं?
उसकी नाक को मेरी छडी़
हटाएंजब नहीं छू पाती है
खिसिया के कुछ शब्द
बनकर ब्लाग में ही
आकर सिमट जाती है !
बहुत ही सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंdhanywad gurvr....
जवाब देंहटाएंसारे लिंक बहुत सुन्दर...मेरे लिंक को स्थान देने की लिए बहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंआपाधापी के बावजूद भी बहुत सुन्दर लिंक्स संयोजन के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंअखरोट (दो रोज़ )खाने की एक वजह आपने और दे दी ,इसमें मौजूद अल्फा थ्री फेटि एसिड्स ,एंटी -ओक्सी -डेंट दिलौर दिमाग केलिए तो मुफीद समझे ही जातें हैं क्योंकि खून में से ये चर्बी ले जातें हैं ,खून की नालियों को साफ़ रखतें हैं .कोई बड़ी बात नहीं है -खान पान से भी जुडी हो सकती है प्रजनन की नव्ज़ .अखरोट खाएँ, शुक्राणु को 'ताकतवर' बनाएँ.बढिया पोस्ट ..कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंशनिवार, 25 अगस्त 2012
काइरोप्रेक्टिक में भी है समाधान साइटिका का ,दर्दे -ए -टांग का
काhttp://veerubhai1947.blogspot.com/
शास्त्री जी बहुत बेहतरीन सूत्रों से सजाया चर्चा मंच हार्दिक आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए मैं भी आज रात को निकल रही हूँ लखनऊ ब्लोगर सम्मलेन के लिए वहीँ मुलाकात होगी मंगलवार की चर्चा मैंने शिड्यूल कर दी है सभी की कुछ पुरानी यादों को ताजा किया है २९ को वापस आ रही हूँ |
जवाब देंहटाएंअफवाह एक बिना पंख वाला ऐसा पंछी है जिसके "पर "(पंख )नहीं होते फिर भी खुले आकाश में ऊंचा बहुत ऊंचा उड़ता जाता है ,अफवाह मौखिक संचार का बड़ा सशक्त ज़रिया है रचनात्मक हो तो ,अकसर यह एक जन -उन्माद मॉसहिस्टीरिया में तबदील हो जाती है ,किसी भी देश और समाज के लिए घातक है .अफवाह ने की है नींद हराम.....
जवाब देंहटाएं"सो जाओगे तो मर जाओगे" ....
यह मै नहीं कह रही हूँ अख़बार की दिलचस्प खबर कह रही है !
दरअसल सो जाओगे तो मर जाओगे वाली
अफवाह ने लोगों की नींद हराम की हुई है ! ...कृपया यहाँ भी पधारें -
शनिवार, 25 अगस्त 2012
काइरोप्रेक्टिक में भी है समाधान साइटिका का ,दर्दे -ए -टांग का
काhttp://veerubhai1947.blogspot.com/
अखरोट खाने की एक वजह आपने और दे दी .खून से चर्बी हटाता है अखरोट दिल और दिमाग के लिए अच्छा है .इसमें उपयोगी फेटि एसिड्स और एंटी -ओक्सी -डेंट हैं ,कोई ताज्जुब नहीं होगा कल कोई कहे खान पान से जुडी है प्रजनन की नव्ज़ .....बढ़िया पोस्ट .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंशनिवार, 25 अगस्त 2012
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अखरोट खाएँ, शुक्राणु को 'ताकतवर' बनाएँ
इस पर भी बहस करवा देंगे ये संसद में ..दा!
जवाब देंहटाएं"हमें फुर्सत नहीं मिलती"
बनाओ महल तुम बेशक, उजाड़ो झोंपड़ी को मत,
रोते को हँसाने की, हमें फुर्सत नहीं मिलती।
सुबह उठकर कबाड़ा बीनते हैं, दुधमुहे बच्चे,
उन्हें पढ़ने-लिखाने की, हमें फुर्सत नहीं मिलती.....बढ़िया पोस्ट .कृपया यहाँ भी पधारें -
शनिवार, 25 अगस्त 2012
काइरोप्रेक्टिक में भी है समाधान साइटिका का ,दर्दे -ए -टांग का
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अच्छा लिंक्स संयोजन.
जवाब देंहटाएंआपका शुक्रिया. अपना प्यार ऐसे ही बनाए रखें .
प्रकृति के साथ खिलवाड़ के परिणाम तो भुगतने होंगे ,काट दिए सब पेड़ तो फिर क्यों ढूंढें छाँव .....काव्यात्मक प्रस्तुति टूटते पर्यावरण और पारितंत्र के परिणामों की .प्रलय
जवाब देंहटाएंHINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
*प्रदूषित करते ना थके तुम ,
भड़क गई उर में ज्वाला।
*क्रोधित हो कूद पड़ी गंगा,
सब कुछ जल थल कर डाला।
डूब गए घर बार सभी कुछ,
राम शिवाला भी डूबा…
*कुपित हो गए मेघ देवता ,कोई नहीं है अजूबा..बढ़िया पोस्ट .कृपया यहाँ भी पधारें -
शनिवार, 25 अगस्त 2012
काइरोप्रेक्टिक में भी है समाधान साइटिका का ,दर्दे -ए -टांग का
काhttp://veerubhai1947.blogspot.com/
रुबाईयत का आपकी अंदाज़ निराला देखा ,बढ़िया रुबाई ,.रुबाइयाँ
जवाब देंहटाएंपीटते रहोगे ये लकीरें कब तक? याद करोगे माज़ी की तीरें कब तक, मुस्तकबिल पामाल किए हो यारो, हर हर महादेव, तक्बीरें कब तक?..... .कृपया यहाँ भी पधारें -
शनिवार, 25 अगस्त 2012
काइरोप्रेक्टिक में भी है समाधान साइटिका का ,दर्दे -ए -टांग का
काhttp://veerubhai1947.blogspot.com/
यात्रा मंगलमय हो आपकी,
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स मुझे स्थान देने के लिये
बहुत बहुत आभार !
अलग तरह की महक से भरपूर चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स मिले , आभार
जवाब देंहटाएं"हमें फुर्सत नहीं मिलती"
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
अपनी अपनी फुर्सतों
में मसरूफ इतना
कि अब आदमी को
अपने लिये भी
फुरसत नहीं मिलती
आप ने लिखे डाली
इन की किस्मत
उसे इसको देखने की भी
फुरसत नहीं मिलती !
कुछ पल फ़ुरसत से
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !
दीप ऎसा जले कि
मिटे अपना अंधेरा भी
कोशिश रहे साथ में
किसी और को भी
कुछ रोशनी मिले !
शीर्षकहीन
जवाब देंहटाएंएक ब्लॉग सबका
बीमार अगर मन हो तो क्या होता है
सौ छोडि़ये हजार साल भी निकल जायें
इन विज्ञापनों से ईलाज जो क्या होता है !
जिसकी जितनी क्षमता उसके उतने अधिकार
जवाब देंहटाएंसुंदर कथा है !
पुराने जमाने के कुत्तों को जरूरत होती थी मंत्रों की अपने बचाव के लिये अब तो कुत्ते शेर और चीतौं को भिड़ा देते हैं और अपना निकल लेते हैं कहीं पतली गली से !
bahut achchhi charcha .meri post ko yahan sthan pradan karne hetu aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत कम वक्त में भी इतनी अच्छी चर्चा सजा दी है आपने.की रात भर लगे रहने के बाद भी इतनी अच्छी तरह से लिंक्स ना सज पायें.मुझे तो इनमे कोई कमी नज़र नही आई.और ना ही आपकी मश्गुलियत.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
बहुत सुन्दर लिंक संयोजन ………बढिया चर्चा।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा
dr.saheb meri thodi si mehanat ko aap etane logon tak charcha manch ke zariyen pahuncha rahe hain .hardik aabhaar.aapaka aashirwad bana rahe.thanxs
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स, अच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएंमै भी लखनऊ आ रहा हूँ. आपसे मुलाकात का सौभाग्य प्राप्त होगा.29 अगस्त तक के लिए शुभ विदा.
दूँ जख्मों को दाद,
जवाब देंहटाएंरात यह सर्द घनेरी
राजा को लाकर दिखाना
उसको कहीं नहीं है जाना
रानी को लाकर दिखाना
उसको भी कहीं नहीं है जाना
तुम तो हो ही पक्के
कच्चे टिप्प्णीकार हम भी हो गये
करते रहें आना जाना ।
सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंआभार............
धन्यवाद चर्चा में कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंकों का समायोजन हुवा है आभार ...
जवाब देंहटाएंखरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है
जवाब देंहटाएंजो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है,
स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर
शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने
इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है,
जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.
..
हमारी फिल्म का संगीत वेद
नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों
कि चहचाहट से मिलती है.
..
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