आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते आप सब का दिन मंगल मय हो
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः |सर्वे संत निरामयाः |
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु |माँ कश्चित् दुःख भाक भवेत् ||
हे प्रभु सब का जीवन मंगलमय ,सुखमय और शांतिमय हो |
अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लोग्स पर
आइये कुछ पुरानी यादें ताजा करलें
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तेरा ख़त
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posted by Anita at मन पाए विश्राम जहाँ –
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Kailash Sharma at Kashish - My Poetry
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dheerendra at काव्यान्जलि
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by S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') at एहसासात... अनकहे लफ्ज़.
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सम्मान से बहुत बड़ा है आत्म सम्मान ...
महेन्द्र श्रीवास्तव at आधा सच.
सम्मान से बहुत बड़ा है आत्म सम्मान ...
महेन्द्र श्रीवास्तव at आधा सच.
सतीश सक्सेना at मेरे गीत ! -
by Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR -
इसके साथ ही आज की चर्चा समाप्त करती हूँ फिर मिलूंगी तब तक के लिए शुभविदा, शब्बा खैर ,बाय बाय |
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बहुत सही है सम्मान से बढ़कर आत्म सम्मान | तन को चुपडना छोड़ कर बुद्धि का श्रृंगार किया जाए तो शायद कई समस्याओं से छुटकारा मिल जाए |बढ़िया किंक्स से सजा चर्चा मंच |
जवाब देंहटाएंआशा
बड़े बेखबर
जवाब देंहटाएंचाँद जब खुद खबर देने आयेगा
चाँदनी में लपेट कर दे जायेगा
खबर खुशखबर होगी एक जरूर
नहीं तो चाँद खुद् कहाँ आयेगा !
abhar ..Rajesh Kumari ji ...!!
जवाब देंहटाएंbahut sarthak charcha ...sashakt links ....!!
bas hriday se abhaari hoon aapkii ...aapne meri rachanaa ka chunaav kiyaa ...!!
प्रेम अभिव्यक्ति कराता कौन ? -सतीश सक्सेना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना है
प्रश्न के उत्तर चाह रहे हैं
ऊपर भी वही तो
चल रहा है जिस तरह
नीचे मनमोहन मौन क्यों हैं
नहीं बता रहे हैं !
तीर सा कुछ आ जिगर में चुभ गया (ग़ज़ल)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
ऎ चाँद जमाना बदल रहा है
कुछ तू भी तो बदल
अब तो शर्माना छोड़
निकल बादलों की ओट से
और खुल के बोल !
Maheshwari kaneri at अभिव्यंजना
जवाब देंहटाएंवक्त ही है जो भटकाता है
फिर आदमी कहाँ हिसाब लगाता है
कुछ इधर दे के जाता है
कुछ उधर से ले के आता है
कुछ भी हो जाये लेकिन
बैलेंस ज़ीरो ही आता है !
हमको भी तडपाओगे....
जवाब देंहटाएंdheerendra at काव्यान्जलि
सुंदर !
दर्द को यूँ ही ना बढा़इये
बहुत सारी दवाइयाँ है
मिलती इस बाजार में
खरीदिये खाइये और
दर्द को भगाइये !
नयन ताकते रहे
जवाब देंहटाएंखूबसूरत !
दर्द तू बस हरा ही
क्यों है होता
दर्द अगर इंद्रधनुष होता
सात रंग देखता आदमी
दर्द कुछ भूलता
खुश कुछ तो होता !
गयी सदी वो जाने दो, नारी खुद को पहचानो तुम...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना !
सोनिया जी ये कविता
अगर पढ़ ले जायेंगी
मनमोहन की तो
और आफत आ जायेगी !
हम एक हुए !
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा...
बहुत खूबसूरत है !
दलदल में तुम थे
दलदल में मैं थी
सुनते ही लगने लगा
हम दोनो ही नेता थे !
सुशील जी , सही कहा , सोनिया जी पढ़ लेंगी तो सचमुच बेचारे मनमोहन सिंह जी की तो आफत आ जायेगी !
जवाब देंहटाएंThanks Rajesh Kumari ji.
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बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल किया,आभार, राजेश कुमारी जी.
बढिया सजा है मंच
जवाब देंहटाएंमेरे बहुत पुराने लेख को आज यहां जगह मिली,
बहुत बहुत आभार
बहुत सटीक जगह मिली है पुराने लेख को!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.
आभार, राजेश कुमारी जी.
राजेश कुमारी जी, बहुत सुंदर चर्चा..आभार कविता को इस चर्चा मंच में शामिल करने के लिये..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स के साथ सार्थक चर्चाम प्रस्तुति के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंरोचक लिंक्स से सजी बहुत सुन्दर चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंकभी कभी पुरानी यादें भी ताज़ा कर लेनी चाहिए.बहुत अच्छी चर्चा.
मेरी इस ख़ास पोस्ट पर आपका ख़ास स्वागत है.
मोहब्बत नामा का सफ़र
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंबधाई
इंडिया दर्पण पर भी पधारेँ।
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जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति के लिए आभार आपका ...
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