लिखिए
इस ज्वलंत मुद्दे पर -
बेहतर रखो सँभाल, स्वयं से प्रिये लाज कोहलकट निश्चर पोच, सोच के कहता रविकर | तन-मन मार खरोंच, नोच कर हालत बदतर |
कर जी का जंजाल, सुधारे कौन बाज को |
बेहतर रखो सँभाल, स्वयं से प्रिये लाज को ||
तरह तरह के प्रेम हैं, अपना अपना राग-
तरह तरह के प्रेम हैं, अपना अपना राग |
मन का कोमल भाव है, जैसे जाये जाग | जैसे जाये जाग, वस्तु वस्तुत: नदारद | पर बाकी सहभाग, पार कर जाए सरहद | जड़ चेतन अवलोक, कहीं आलौकिक पावें | लुटा रहे अविराम, लूट जैसे मन भावे |
चोंच नुकीली तीक्ष्ण हैं ,पंजे के नाखून
जो भी आये सामने , कर दे खूनाखून कर दे खूनाखून , बाज है बड़ा शिकारी गौरैया खरगोश ,कभी बुलबुल की बारी सबकी चोंचे मौन,व्यवस्था ढीली-ढीली चोंच लड़ाये कौन, बाज की चोंच नुकीली || |
शालिनी कौशिक
|
2तम और गहराता
Asha Saxena
|
3चोरी भी सीनाजोरी भी ....फरीद ज़कारिया नहीं हैं भारतीय!
(Arvind Mishra)
|
4चाँद , उमर के साथ दिखाये , प्राणप्रिये |
5Untitled
कविता विकास
काव्य वाटिका
मैं शबरी बन जाऊं
मेरे अंतर्मन का महाकाश बाँध लो मुझे अपने पाश झेल चुकी जग का उपहास जब तुम न होते आस - पास । |
6संस्कारित शान्ति
कमल कुमार सिंह (नारद )
|
7जन्माष्टमी पर सबको शुभकामनाएं
DR. ANWER JAMAL
Blog News |
8उन्हें पढ़ना नहीं आता
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
Mushayera 9"दोहा गीत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') |
10क्षणिकाएं (ब्लोगर मित्रों को समर्पित )
Rajesh Kumari
|
11मध्यमवर्गीय
देवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा |
12
इस वर्ष दो भाद्रपद क्यों ? --- तेरह महीने का वर्ष
mahendra verma
|
13कितनी बदल रही है हिन्दी !
DrZakir Ali Rajnish
मेरी दुनिया मेरे सपने - |
14रक्त दान ( दोहे )
दिलबाग विर्क
बेसुरम् |
15जैसे चाहूँ चित्र बनाऊँ ... ( बाल कविता )
Suman
Main aur Meri Kavitayen |
16भारतीय काव्यशास्त्र – 121
हरीश प्रकाश गुप्त
मनोज |
17
इसकी इज्जत बचाने का यही तरीका है
[image: hockey india, hocky, london olympics, olympics, Sports Cartoon]
Cartoon by Kirtish
रविकर भाई, बहुत ही उपयोगी लिंक आपने चर्चा के बहाने उपलब्ध कराए। आपकी सार्थक द़ृष्टि को सलाम करता हूं।
जवाब देंहटाएं............
कितनी बदल रही है हिन्दी !
बहुत सुन्दर लिंक्स हैं रविकर जी |पन्दरह अगस्त के लिए अग्रिम शुभ कामनाएं सब को |
जवाब देंहटाएंआशा
वाह...
जवाब देंहटाएंइस चहकती-महकती चर्चा के लिए आपका आभार रविकर जी!
बहुत सुन्दर सतरंगी प्रस्तुति...! सुप्रभात.... आपका दिन मंगलमय हो!
8
हटाएंउन्हें पढ़ना नहीं आता
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
Mushayera
समझती ही नहीं है अब नजर, नजरों की भाषा को
हमें लिखना नहीं आता, उन्हें पढ़ना नहीं आता
सुंदर है
पर हमें सच में ही नहीं आता
आपको कौन है ये आकर बताता ?
9
हटाएं"दोहा गीत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उच्चारण
बेहतरीन है !
बहुत बढ़िया चर्चा रविकर जी...
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स.
शुक्रिया
अनु
सुन्दर चर्चा रविकर जी , मेरी रचना "संस्कारित शान्ति" शामिल करने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंसादर
कमल कुमर सिंह
6
हटाएंसंस्कारित शान्ति
कमल कुमार सिंह (नारद )
नारद
सुंदर !
वाह रे वाह सुंदर संस्कार महान
आप तो डूबे सनम ले डूबे जजमान !!
बढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंसोमवार का खर्चा
जवाब देंहटाएंआन पड़ा रविकर पर
बना के ले आया लेकिन
फिर भी बहुत सुंदर चर्चा !
ज्वलंत
हटाएंअलग-अलग सबके यहाँ, प्रेम-प्रीत के ढंग।
फैले हैं संसार में, सभी तरह के रंग।।
17 इसकी इज्जत बचाने का यही तरीका है
जवाब देंहटाएंएक तरीका और है इससे ज्यादा अच्छा
नेता देश के खेलें हाकी पहन कर कच्छा !
16
जवाब देंहटाएंभारतीय काव्यशास्त्र – 121
हरीश प्रकाश गुप्त
मनोज
बहुत सुंदर है
पर कठिन भी है
डगर पनघट की !
बढ़िया लिंक्स !
जवाब देंहटाएं15
जवाब देंहटाएंजैसे चाहूँ चित्र बनाऊँ ... ( बाल कविता )
Suman
Main aur Meri Kavitayen
सब कुछ बनाइये
जरूर बनाइये
बनाते चले जाइये
जो जो बन जाये
हमको भी दिखाइये !
आज चर्चा की बहुत सी पोस्ट पढ़ी
जवाब देंहटाएंतबियत हो गई पूरी तरह से हरी।
11
हटाएंमध्यमवर्गीय
देवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा
बहुत सुंदर भाव हैं !
14
जवाब देंहटाएंरक्त दान ( दोहे )
दिलबाग विर्क
बेसुरम्
रक्तदान महादान !
बहुत सुंदर !
बेहतर रखो सँभाल, स्वयं से प्रिये लाज को
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ! रविकर की चोंच
चोंच से नोंच कर दी एक खरोंच !
गजब !!
10
जवाब देंहटाएंक्षणिकाएं (ब्लोगर मित्रों को समर्पित )
Rajesh Kumari
HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
मैं जाती हूँ तुम्हारे ब्लॉग पर
तुम आते हो मेरे ब्लॉग पर
कुछ तो भाता होगा
हम मिले आभासी दुनिया में
कोई तो नाता होगा
वाह वाह बहुत सुंदर !
नाता होता है तो जाता है
नहीं होता है तो बगल से
ब्लाग के निकल जाता है !!
क्षणिकाएँ पढ़कर हुआ, हमको ये आभास।
हटाएंप्रेंम-प्रीत के साथ में, हो मन में विश्वास।।
प्रोन्नति में आरक्षण :सरकार झुकना छोड़े
जवाब देंहटाएंशालिनी कौशिक
प्रोन्नति-पैमाना बने, पिछला कौशल-कार्य |
इसमें आरक्षण गलत, नहीं हमें स्वीकार्य ||
लिंक-1
हटाएंकेवल तुष्टीकरण को, करती है सरकार।
कुर्सी के ही वास्ते, यहाँ उमड़ता प्यार।।
लिंक-2
जवाब देंहटाएंसुख-दुख को ही भोगता, जब तक रहती साँस।
जीवन के ही साथ में, रहती आस-निराश।।
तम और गहराता
जवाब देंहटाएंAsha Saxena
Akanksha
इधर गहनतम तम दिखा, तमतमाय उत लोग |
तमसो मा ज्योतिर इधर, करें लोग उद्योग |
करें लोग उद्योग, उधर बस चांदी काटें |
रिश्वत चोरी छूट, लूट कर हिस्सा बाटें |
रविकर कुंठित बुद्धि, नहीं कोशिश कर जीते |
बेढब सत्तासीन, लगाते इधर पलीते ||
लिंक-3
जवाब देंहटाएंमौलिकता तो जा चुकी, सन्तों के ही साथ।
अब तो होती हैं यहाँ, घिसी-पिटी सी बात।।
चोरी भी सीनाजोरी भी ....फरीद ज़कारिया नहीं हैं भारतीय!
जवाब देंहटाएं(Arvind Mishra)
क्वचिदन्यतोSपि..
सीनाजोरी कर सके, वही असल है चोर |
माफ़ी मांगे फंसे जो, कहते उसे छिछोर ||
चाँद , उमर के साथ दिखाये , प्राणप्रिये
जवाब देंहटाएंअरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
हरदम आकर धूम मचाये मनमौजी |
चमचे से ही हलुवा खाए मनमौजी |
तिरछे चितवन की चोरी न पकड़ी जाये-
चुपके से झट दायें बाएं मनमौजी |
चंदा सारी रात ताकता निश्चर हरकत -
चंदा मोटा हिस्सा पाए मनमौजी |
फिजा गई सड़ गल कर छोड़ी यह दुनिया-
चाँद आज भी मौज मनाये मनमौजी ||
लिंक-4
जवाब देंहटाएंशीतलता से दे रहा, मन को शान्ति अपार।
इसी लिए तो कर रहे, चन्दा से सब प्यार।।
Untitled
जवाब देंहटाएंकविता विकास
काव्य वाटिका
मोहपाश में जकड़ी जकड़ी, कड़ी कड़ी हरदिन जोडूं |
बिखरी बिखरी तितर-बितर सब, एक दिशा में कित मोडूं |
रविकर मन की गहन व्यथा में, अक्श तुम्हारे क्यूँ छोडूं-
यादें तेरी दिव्य अमानत, यादों की लय न तोडूं ||
संस्कारित शान्ति
जवाब देंहटाएंकमल कुमार सिंह (नारद )
नारद
मुहाजिरों की बसी बस्तियां, और सरायें बनवाना |
मियांमार के मियां बुलाओ, कैम्प असम में लगवाना |
आते जाते खाते जाते, संसाधन सीमित अपने-
मनमोहन की दृष्टि मोहनी, फिर से अपनी राय बताना ||
वाह बहुत खूब .
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स !
आपका आभार
बहुत सुन्दर चर्चा रविकर जी एक से बढ़कर एक ब्लॉग सूत्र मेरी रचना को शामिल करने पर हार्दिक आभार
हटाएंबढ़िया लिंक्स संजोये है लगे बड़े रूचिकर ,
जवाब देंहटाएंआपकी मेहनत को सलाम जय हो श्री श्री रविकर .
WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION
वाह ... गज़ब के लिंक और मस्त चर्चा ...
जवाब देंहटाएंmeri post ko sthan dene hetu hardik aabhar.sabhi links sangrahniy.sarthak v बहुत सुन्दर prastuti . प्रोन्नति में आरक्षण :सरकार झुकना छोड़े.
जवाब देंहटाएंसभी एक से बढ़कर एक हैं
जवाब देंहटाएं--- शायद आपको पसंद आये ---
1. DISQUS 2012 और Blogger की जुगलबंदी
2. न मंज़िल हूँ न मंज़िल आशना हूँ
3. गुलाबी कोंपलें
बहुत सुन्दर चर्चा रविकर जी ..सभी लिंक्स एक से बढ़कर एक हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंलिंक-5
जवाब देंहटाएंशबरी बनना है नहीं, इतना भी आसान।
रामचन्द्र के नाम से, शबरी की पहचान।।
पठनीय लिंक्स को बखूबी संजोया है आपने।
जवाब देंहटाएंआभार !
बहुत ही सुन्दर सूत्र...
जवाब देंहटाएं@ तरह तरह के प्रेम हैं, तरह तरह के राग
जवाब देंहटाएंकहीं मेघ मल्हार तो , जलते कहीं चिराग
जलते कहीं चिराग , भाग के खेल निराले
जीवन उसका धन्य,जो सच्चा प्रेम जगाले
मधुरिम फिर श्रृंगार,मधुर हों गीत विरह के
सच्चा ढूँढे प्रेम, प्रेम हैं तरह - तरह के ||
@ तम और गहराता
जवाब देंहटाएंअंतर्मन को सालता , गैरों - सा व्यवहार
रंगहीन जीवन हुआ , लागे सब निस्सार
लागे सब निस्सार,'अपेक्षा' मूल दुखों का
कीजे नष्ट समूल, खिलेगा फूल सुखों का
नहीं असंभव कठिन किंतु खुद में परिवर्तन
मन को थोड़ा मार, करें सुखमय अंतर्मन ||
@ हमें लिखना नहीं आता, उन्हें पढ़ना नहीं आता
जवाब देंहटाएंपरखते हैं नगीनों को , नहीं हम जौहरी तो क्या
ये नकली नग अंगूठी में, हमें जड़ना नहीं आता ||
लिखा तो कुछ नहीं होगा,छुआ तो प्यार से होगा
कहा किसने,छुअन उनकी, हमें पढ़ना नहीं आता ||
क्षणिकाएं (ब्लोगर मित्रों को समर्पित )
जवाब देंहटाएंRajesh Kumari
आभासी - संसार के , नाते रहें अटूट
नेह-प्रेम बिखरा यहाँ , लूट सके तो लूट
लूट सके तो लूट , प्रेम से झोली भरले
खूब लुटाकर प्रेम,सफल जीवन को करले
तन क्षणभंगुर किंतु नाम होता अविनाशी
हो जायें साकार , सभी नाते आभासी ||
लिंक न - १४
जवाब देंहटाएंरक्त दान से बढ़कर,कोई बड़ा न दान
जीवनदाता बनकर,बन जाता भगवान,,,,,
रक्त दान ( दोहे )
जवाब देंहटाएंदिलबाग विर्क
बेसुरम्
रक्त दान को मानिये ,सबसे उत्तम दान
किसी जरुरतमंद की , बच जाती है जान
बच जाती है जान, रक्त फिर से बन जाता
रक्त दान जो करे , कहाये जीवन - दाता
खतरा बिल्कुल नहीं ,रक्तदाता के प्रान को
सबसे उत्तम दान , मानिये रक्त दान को ||
मोहपाश में जकड़ी जकड़ी, कड़ी कड़ी हरदिन जोडूं |
जवाब देंहटाएंबिखरी बिखरी तितर-बितर सब, एक दिशा में कित मोडूं |
रविकर मन की गहन व्यथा में, अक्श तुम्हारे क्यूँ छोडूं-
यादें तेरी दिव्य अमानत, यादों की लय न तोडूं ||
बहुत सुन्दर वचन ...मेहनत रंग लाती ही है ...अच्छे लिंक्स ....
शुभ कामनाएं
भ्रमर ५