डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
1भारत में चमका था विज्ञान का सूर्य
lokendra singh
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2हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
डॉ शिखा कौशिक ''नूतन ''
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3गीता (भाग 1) : क्यों ?
tarun_kt
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4"गंगास्नान मेला, झनकइया-खटीमा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
उच्चारण -
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5रक्त या लार की एक बूँद ही काफी है मलेरिया की शिनाख्त के लिए
Virendra Kumar Sharma
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6मनन-सुख
Prarthana gupta
"सुख"......
आखिर है क्या ये बला ??...इसे कैसे परिभाषित किया जाये ?..या कैसे समझा
जाये ??? या कैसे पाया जाये ???....और हम सुखी कैसें हों ??...या सुख कि
प्राप्ति कैसे हो ???
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7कामशक्ति बढ़ाने बाले सुन्दर सुन्दर योग
GYanesh Kumarat
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8ग़ज़लगंगा.dg: काटने लगता है अपना ही मकां शाम के बाद
devendra gautam
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9पूँजीवादी विकास भूत के पांव की तरह
रणधीर सिंह सुमन
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10कला की एकांत साधिका- सुश्री साधना ढांढ
Sanjeeva Tiwari
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11एक सवाल...!
डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'
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12क्या लिखूँ पता न था,
त्रिवेणी
*डॉ सुधा गुप्ता
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13मच्छर की मौत लाइव रिपोर्टिंग
Kulwant Happy "Unique Man"
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14फेसबुक तनाव देता है सिब्बल एंड पार्टी को..
ZEAL
टेंसन देता फेसबुक, लेता सिब्बल लेट ।
यह तो है मस्ती भरा, तिकड़म तनिक समेट ।
तिकड़म तनिक समेट, तीन से बचना डेली ।
मोहन राहुल मॉम, बड़ी घुड़साल तबेली ।
सो जा चद्दर तान, भली भगवान् करेंगे ।
कर मोदी गुणगान, जिरह बिन नहीं मरेगा ।।
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15'दिल' और 'दिमाग'
विवेक मिश्र
दिल-दिमाग में पक रही, खिचड़ी नित स्वादिष्ट ।
दिल को दूजा दिल मिला, नव-रिश्ते हों श्लिष्ट ।
नव-रिश्ते हों श्लिष्ट, मस्त हो जाती काया ।
पर दिमाग अति-क्लिष्ट, नेक दिल को भरमाया ।
पड़ती दिल में गाँठ, झोंकता प्रीत आग में ।
दिल बन जाय दिमाग, फर्क नहिं दिल दिमाग में ।।
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16विवाहेतर सम्बन्ध (लेख)
Kavita Verma
महत्वकांक्षा अहम् मद, मेटे नहीं मिटाय | मेटे नहीं मिटाय, गौण बच्चे का सपना | घर-ऑफिस बाजार, स्वयं ही हमें निबटना | मांगे हम अधिकार, लगे कर्तव्य खटकने | भोगवाद की जीत, मिटे ममता के सपने || |
17अधूरे सपनों की कसक : एक विश्लेषण और उपलब्धि !
रेखा श्रीवास्तव
न्यौछावर सपने किये, अपने में संतुष्ट ।
मातु-पिता पति प्रति सजग, पुत्र-पुत्रियाँ पुष्ट ।
पुत्र-पुत्रियाँ पुष्ट, वही सपने बन जाते ।
खुद से होना रुष्ट, यही तो रहे भुलाते ।
सब रिश्तों में श्रेष्ठ, बराबर बैठा ईश्वर ।
परम-पूज्य है मातु, किया सर्वस्व निछावर ।। |
18कार्टून कुछ बोलता है -उज्जैन का खोता मेला
दिखा पिछाड़ी जो रहा, रविकर वही अमूर्त |
दो कौड़ी में बिक गया, लेता ग्राहक धूर्त | ले खरीद इक धूर्त, राष्ट्रवादी यह खोता | खोता रोता रोज, यज्ञ आदिक नहिं होता | खुली विदेशी शॉप, खींचता उनकी गाड़ी | बनता लोमड़ जाय, अनाड़ी दिखा पिछाड़ी || |
Iअर्द्ध -अनिद्रा बोले तो सेमी -सोम्निया (Semi -somnia)बला क्या है ?Virendra Kumar Sharma
ram ram bhai
डायन यह प्रौद्यिगिकी, बेवफा हुश्न के बैन । उल्लू जागे रातभर, गोली खाय कुनैन । गोली खाय कुनैन, अर्धनिद्रा बेचैनी । देखे झूठे सैन, ताकता फिर मृग-नैनी । बढ़े मूत्र का जोर, टेस्ट मधुमेह करायन । औषधि नियमित खाय, खाय पर निद्रा-डायन ।।
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आपने कुछ बढ़िया लिंक्स की राह सुझाई है। सभी देख नहीं सका, सभी देख भी नहीं पाता हूँ। एक बात यह कहना है कि हर तरह की पोस्ट पर लगभग एक ही तरह के भाव की काव्यात्मक परिचई मेरी निगाह में बहुत अच्छी नही होती बार। यह 'चर्चा मंच'के एक नियमित विजिटर की राय है।
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद यह काव्यात्मक चर्चा आई है-
हटाएंविगत कई चर्चाओं में यह प्रयोग नहीं किया था-
ध्यान रखूँगा-
आभार आदरणीय ||
nice
जवाब देंहटाएंBadhiyaa prastuti Ravikar ji
जवाब देंहटाएंकाव्यमय चर्चा..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स्
जवाब देंहटाएंबहुत खूब रही आज की चर्चा ,
जवाब देंहटाएंइंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड की पोस्ट ब्लॉग परिचय ''यादें '' को अपनी चर्चा में जगह देने के लिए धन्यवाद.अशोक सलूजा जी बड़े खुश किस्मत हैं ,जितना छुपना चाहते थे ,उतना आम होते चले गये.ब्लॉग परिचय की पोस्ट को चर्चा में देख कर ज्यादा ख़ुशी हुई ,वो इसलिए की इसमें पोस्ट भले ही अपनी है ,लेकिन फायदा उनका है जिनकी ब्लॉग का परिचय है.
बेहद शानदार चर्चा रविकर सर अनेक-2 धन्यवाद
जवाब देंहटाएं्बेहद उम्दा चर्चा
जवाब देंहटाएंआदरणीय रविकर भाई आपने मेरे दुःख को साझा किया हार्दिक आभार सभी लिंक्स बेहतरीन लगाए हैं सुन्दर चर्चा अब सभी ब्लोग्स पर जाती हूँ
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ... आभार आपका इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिये
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा । पोस्ट के साथ कुंडलियों के रूप में आपकी टिप्पणियां भी लाजवाब हैं ।
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा,
जवाब देंहटाएंगुजरात की चुनावी यात्रा में हू, कम ब्लाग पर जा पा रहा हूं, माफ कीजिएगा।
Charchamanch ke pravaah kaa ang banaane ke liye , hraday se aabhaari hun , Shubhakamanaye deta hun ki Hindi ke srijan va pallavan me aapaki bhumika saarthak va nirnaayak bane. Sadhuwad !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स के साथ बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..आभार
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्र , बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर और चहकती महकती चर्चा!
जवाब देंहटाएंआज मेरी नेट बहुत स्लो है।
इसलिए चाहकर भी कहीं जाना नहीं हो पाया!
आभार!
thanks for providing great links.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक चर्चा,,,,.
जवाब देंहटाएंकाम बासना के बास भाव भयउ घिन अंग ।
जवाब देंहटाएंभए जहँ प्रेम भाव पास रंगे रति के रंग ।।
बढ़िया सेतु ,प्रस्तुती रविकर करें कमाल ,
जवाब देंहटाएंएक से एक धमाल .
जवाब देंहटाएंगर्म दल और नर्म दल का अंतर समझाया है इस अंक में आपने .शुक्रिया मनोज भाई कहाँ हैं इन दिनों ?
इसके बावज़ूद गांधी जी ने इन नेताओं से मिलने का महत्वपूर्ण काम किया। उन दिनों विनायक सावरकर, श्यामकृष्ण वर्मा, लाला हरदयाल आदि क्रांतिकारी लंदन में ही थे। उनलोगों के साथ गांधी जी ने खुले दिल से भारत के भविष्य के लिए चर्चा की। स्वराज की लड़ाई चल रही थी, स्वराज की रूपरेखा कैसी होनी चाहिए इस विषय पर गहरी चर्चा हुई। हालांकि क्रांतिकारियों की विचारधारा गांधी जी की विचारधारा से मेल नहीं खाती थी, लेकिन दोनों ही मातृभूमि भारत के भक्त थे। जहां क्रांतिकारियों को स्वराज के लिए हिंसा से कोई परहेज नहीं था, वहीं गांधी जी का मानना था कि हिंसा से कोई सफलता हासिल नहीं हो सकती। उन्हें लगता था कि भारत जैसे विशाल और प्राचीन संस्कृति वाले देश के लिए अहिंसा ही श्रेष्ठ मार्ग है। लंदन से ‘इंडियन ओपिनियन’ को भेजे गए साप्ताहिक डिस्पैच में उन्होंने लिखा था, “मैं कहूंगा कि जो लोग मानते हैं या तर्क करते हैं कि ऐसी हत्याओं से भारत का भला होगा वे सचमुच अज्ञानी हैं। धोखाधड़ी का कोई काम कभी किसी राष्ट्र का लाभ नहीं पहुंचा सकता।”
जवाब देंहटाएंगर्म दल और नर्म दल का अंतर समझाया है इस अंक में आपने .शुक्रिया मनोज भाई कहाँ हैं इन दिनों ?
इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
जवाब देंहटाएंआदरणीय अशोक जी, कहें सलूजा सा'ब ।
यादें इनका ब्लॉग है, पढ़ते गजल जनाब ।
पढ़ते गजल जनाब, बड़े जिंदादिल शायर ।
कंकड़ पत्थर बीच, दीखते आप *सफायर ।।
स्वस्थ रहें सानंद, बधाई देता रविकर ।
शानदार हर शेर, नौमि करता हूँ सादर ।।
yathaa यथा नाम तथा गुण अ -शोक ,शोक- हीना बड़े ज़िंदा दिल इंसान हैं .
जवाब देंहटाएंन्युनोक्ति है इस पोस्ट में इरादे साफ़ नहीं हैं ,नहीं हुए हैं .कहना क्या चाहते हैं आप ?
शहरयार
मोदी का नकारात्मक प्रचार
ब्लॉगर होते जा रहे, पॉलिटिक्स में लिप्त |
राजग यू पी ए भजें, मिला मसाला तृप्त |
मिला मसाला तृप्त, उठा ले लाठी डंडा |
बने प्रचारक पेड, चले लेखनी प्रचंडा |
धैर्य नम्रता ख़त्म, दांत पीसे अब रविकर |
दे देते हैं जख्म, कटकहे कितने ब्लॉगर -
एक सवाल
जवाब देंहटाएंजिसका ज़वाब
ना वो देना चाहते हैं
ना हम सुनना चाहते हैं
क्योंकि वो जानते हैं कि
वो कभी सच नहीं बोल पायेंगे
और हम जानते हैं कि
उनके झूँठ पर भी कर लेंगे यकीन हम
और फ़िर
ना हम जी पायेंगे
और ना ही
वो सुकून से रह पायेंगे
इसलिए
अपने-२ दिलों की बेहतरी के लिये
हमने सुला दिया
अपने जज्बातों को
किसी गहरी कब्र के
सुकूँ भरे आगोश में
जो महक रहे हैं
एक-दूसरे की खुशबुओं से
होकर सराबोर
और कर रहे हैं इन्तज़ार
बेहतर वक्त का
ताकि छू सकें
एक-दूसरे की रुहों को
और जी लें
एक कतरा ज़िन्दगी.....!!
बेहतरीन रचना .
वाड्रा क़ानून अलग है ,गडकरी क़ानून अ -लग ,शाहीन क़ानून अलग जैसा मुंह वैसा क़ानून .
जवाब देंहटाएं"जय सासू माता!" (कार्टूननिस्ट-मयंक खटीमा)
कांगरेस की डूबती, लुटिया बारम्बार ।
जवाब देंहटाएंहार हार हुल्लड़ हटकु, हरदम हाहाकार ।
हरदम हाहाकार, मौत का कह सौदागर ।
बढ़ा गई सोनिया, विगत मोदी का आदर ।
तरह तरह के चित्र, बिगाड़ें इमेज देश की ।
शत्रु समझ गुजरात, चाल अघ कांगरेस की ।।
बढ़िया प्रस्तुति भाई साहब .
मोदी का क्या बिगड़े मोदी हैं कुलश्रेष्ठ ,..........पूरी करें दिनेश कुं
बढ़िया प्रस्तुति भाई साहब .
मोदी का क्या बिगड़े मोदी हैं कुलश्रेष्ठ ,..........
सचमुच न बोलें ,मुख न खोलें तो दोनों सोनिया और राहुल बहुत बड़े विचारक है दोनों में से एक तो आयेगा
,मोदी की झोली भर जाएगा .
औषधि नियमित खाय, खाय पर निद्रा-डायन-
संवेदना जगाती है यह रचना अपने प्रति पुस्तकों के प्रति .
जवाब देंहटाएंसंतोष त्रिवेदी
रविकर जी सादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंआप वास्तव में हि्दी साहित्य को एक नया मंच चर्चा मंच के नाम से प्रदान कर रहैं हैं निश्चित ही यह सराहनीय कार्य है जो आधुनिक समय में बहुत ही जरुरी है।आधुनिक साहित्य का नया रुप अब इण्टरनेट ले ही चुका है तब एसे में निश्चित ही चर्चामंच जैसे ब्लागों की आवश्यकता है जिससे पाठकों को एक ही स्थान पर विभिन्न ब्लागों के लिंक मिल सके।मेरे कई ब्लाग है कृपया समयानुरुप इनके भी लिंक अगर दे सके तो मैरे ब्लाग पाठको के काम आ सकेंगें।
आपका ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय
http://ayurvedlight.blogspot.in/ व http://ayurvedlight1.blogspot.in/य दोनो अलग अलग है तथा दोनो पर सामिग्री भी अलग अलग ही है।http://rastradharm.blogspot.in/ तथा http://gyankusum.blogspot.in/ है कृपया पहुंचकर सामान्य रुप से कोशिश करके पहुँचने की कोशिस करे धन्यबाद
ज्ञानेश की कुण्डलिय़ां पढे़
जवाब देंहटाएंपंजे के प्रपंच से दूर रहो नर नारि क्योकि खूनी पंजे ने करवाया चीत्कार।
करवाया चीत्कार सदा जनता पर भारी पंजा करता रहा सदा तुमपर सवारी
दक्षिण से कश्मीर मुकट भारत का रोता पाला क्यों कांग्रेस ने मुझको तोता
दिल्ली की दिलजली बात जनता पर भारी उतरेगी कब सत्ता से कांग्रेस हत्यारी
लूट लिया सब माल अब भारत खाली है जन के नंगे हाथ औऱ जनता खाली है
नेताओं पर माल और जनता को ठेंगा ये काग्रेसी राज आज जनता को महँगा।
Nice post.
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