मित्रों।
रविकर जी छुट्टियाँ मनाने के लिए अपने गाँव में गये हुए हैं। इसलिए मैं डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' शुक्रवार की चर्चा लेकर आपके सम्मुख उपस्थित हूँ।





नहीं आया जीना मुझे ...आखिरी कगार पर खड़ी जिन्दगी कहती है मुझसे "सब कुछ तो सीख लिया तुमनें,पर जीना न सीख पाई अभी " ...। मजदूर का हितैषी ठेकेदार...ठेकेदार लोग बहुत ही ज्यादा ईमानदार लोग अपने अपने ठेके का पूरा पेमेंट ले के आते हैं इसलिये वो मलाई भी थोड़ा खाते हैं इतनी सी बात आप क्यों नहीं* *समझ पाते ....! त्रिशूल,चीड़ और भांग --दिग दिगंत आमोद भरा...आह हा आज तो त्रिशूल दिख रही है. नंदा देवी और मैकतोली आदि की चोटियाँ तो अक्सर दिख जाया करती थीं हमारे घर की खिडकी से। परन्तु त्रिशूल की वो तीन नुकीली चोटियाँ तभी साफ़ दिखतीं थीं जब पड़ती थी उनपर तेज दिवाकर की किरणें....! चोरी घोटाला और काली कमाई....मुतकारिब मुसम्मन सालिम चोरी घोटाला और काली कमाई, गुनाहों के दरिया में दुनिया डुबाई, निगाहों में रखने लगे लोग खंजर, पिचासों ने मानव की चमड़ी चढ़ाई, दिनों रात उसका ही छप्पर चुआ है, गगनचुम्बी जिसने इमारत बनाई....!
एक झटपट पोस्ट...फ्रॉम अमस्टरडम :) इस समय होलैंड के अमस्टरडम शहर में हूँ। यह कैनालों का शहर है। कल सारा दिन कनालों के चक्कर लागते रहे हम। खूबसूरत लोगों का बहुत ही खूबसूरत शहर है....!Governments can use Cloud Computing to improve delivery of services तकनीकी पोस्ट हैं ये... अब google glass आपको बनायेगा super स्मार्ट...इसलिए.....डेस्कटॉप को करे व्यवस्थित....INTERNET and PC RELATED TIPS...मंथन कीजिए जनाब....कर्नाटक चुनावों में क्या वाकई भ्रष्टाचार मुद्दा था ...कुछ तो खूबिया होंगीं ही...स्मार्टफोन के मजेदार एप्पस....इस मैसेज से कैसे छुटकारा पायें...USB device not recognized solution...देखिए....मास्टर्स टेक टिप्स.....अब चलते हैं...सराहन से बशल चोटी के ओर तथा बाबाजी.....!
"मातृदिवस की शुभकामनाएँ"...जीवन देने वाली जननी, माता तुझको नमन हमारा।
माता नहीं कुमाता होती, माँ को उसका बालक प्यारा...!
बदल न पायी माँ की ममता,
बेटा हो या चाहे बेटी हो,
माँ रखती दोनों में समता,
जीवनभर बालक को देती, उसकी माता सदा सहारा।
छपते-छपते...अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन में मध्यान्ह सत्र शुरूताऊ डाट इन
अन्त में दिखिए यह कार्टून...!

मेरा एक निवेदन है, अगर आप मानें तो...
चर्चा में आपका लिंक लगाने के लिए
मुझे धन्यवाद या आभार लिखकर
अपनी ऊर्जा या समय नष्ट न करें..!
यदि कुछ प्रतिदान देना जरूरी ही हो तो
चर्चा के नीचे लगे टिप्पणी बक्से में
कमेंट कर अपनी राय प्रकट दें...!
आपके सुझाव मुझ तक
अवश्य पहुँच जायेंगे!
"धन्यवाद"
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंकहानी नुमा लिंकों का गुलदस्ता
लिंक इतने सारे......
विस्तृत रुप से पठन आज तो मुश्किल ही है
और छोड़ना नामुकिन
सादर....
यशोदा बहन जी!
जवाब देंहटाएंमैं तो चर्चा में हमेशा ही 30 से 35 के बीच मे ही लिंक लगाता हूँ।
इतने तो सहजता से बाँचे जा ही सकते हैं!
बढ़िया लिनक्स हैं ....... चैतन्य को शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंचर्चा लगाने वाला मेहनत से चर्चा लगाता है
जवाब देंहटाएंमेरे से लेकिन कहीं नहीं अब जाया जाता है
आभार व्यक्त तो करना ही है आकर यहाँ
टिप्पणी करने में खर्चा ज्यादा हो जाता है
महसूस कुछ ऎसा हुआ है हमेशा ही यहाँ
मैं जिसके वहाँ जाता हूँ वो ही मेरे यहाँ आता है !
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंमै तो सिर्फ ये दो शब्द आपके लिए कहना चाहूँगा ,
जवाब देंहटाएंमै तो आज ऑनलाइन आया हूँ सिर्फ आपके लिए वर्ना तो आज छुट्टी थी.
बढ़िया चर्चा !!
जवाब देंहटाएंउद्वेलित करने वाले लिंक्स. हरी धरती को जगह देने के लिये आभार्
जवाब देंहटाएंचर्चा बहुत शानदार |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
आभार.
जवाब देंहटाएंसही कहा जाता है कि
आतंकवादी शहीद नहीं होता....राजनैतिक स्वार्थ के लिए आम जनता को भड़काना और ख़ून ख़राबे के लिए उनका इस्तेमाल करना राजनेताओं की पुरानी चाल है। नौजवानों में जोश ज़्यादा होता है और अनुभव कम। ऐसे में वे शातिर बूढ़े नेताओं के भड़काने के बाद दंगे से लेकर आतंकवादी घटनाएं तक अंजाम देते रहते हैं...।
जवाब देंहटाएंमेरी विवशता---
’मेरी व्याकुलता पर मेरी असहजता पर प्रश्नचिन्ह बन,मुझे सलीब पर लटका देता है.’
जो कांटा आपको चुभ रहा है---मेरे विचार से,आज हर विचारशील को वह कांटा रोज चुभता है.
क्या करें---हमारी व्यवस्थाओं ने,सब्ज बाग दिखा कर,हमें जकड लिया है.
’ढूंढने चले थे,वादियों में चमन को
कि,एक पैर फिसला,और गर्त में चले गये’
ये खेल,ये तमाशे,हर नुक्कड,हर चौराहों पर चल रहें हैं---घरों में आग लगी हुई है,मंदिर धौकों की दुकाने हो गईं हैं.भगवान भी तो नहीं मिलता,वह भी लंगोटी-लौटा उठा कर कहीं रफूचक्कर हो गया है.
भ्रम के मकड जाल में पूरा आस्तित्व फंसा हुआ है.आज हम उम्र की गरिमा को नकार चुके हैं,रिश्तों की मिठास को भूल चुके हैं,किसी की खुशी हमें समझ नहीं आती,आसूं हमें मजाक लगते हैं.
शरीर पर आकर जीवन उलझ गया है,यह मन कुछ कह रहा है,आत्मा कुछ कह रही है,सुनने के लिये कान ही नहीं ---क्या करें शोर इतना हो गया है.
प्रकृति आंखे फाडे देख रही है---हो क्या रहा है?
हम चिडियों को दाना डालना भूल गये.चीटियों को चीने के दानें,फूलों को चुनना भूल गये,मालाओं में फूल गुंथते हैं,बिकने के लिये---५ रुपये की माला,१० रुपये की माला,उसी अनुपात में श्रद्धा बिक रही है.
’कुछ फैसले अब हो ही जाने चाहिये,भारत के भविष्य पर----’
गुरु जी,आपने आवाज उठाई,सादर धन्यवाद.
प्रश्न है---बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे?
आदरणीय गुरुदेव श्री बहुत ही सुन्दर सार्थक चर्चा हार्दिक आभार.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स संयोजन ... आभार इस प्रस्तुति के लिए
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर सार्थक चर्चा..मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार .....
जवाब देंहटाएं...
बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंआज कुछ अलग ही अंदाज है चर्चा का।
बहुत अच्छा लिंक्स संयोजन शास्त्री जी ,मेरी रचना को भी आपने स्थान दिया ,आपका आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा है ..आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक संयोजन...रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी तरह से प्रस्तुत किया है आज की चर्चा को। धन्यवाद श्रीमान।
जवाब देंहटाएंमेरी दो रचनाओ " फरेब" " लड़की जन्म का अधिकार " को शामिल करने का हार्दिक आधार ....बहुत सुन्दर लिनक्स सजाई गये हैं
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक संयोजन ,आभार शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंआज के चर्चा मंच की सभी चर्चाएं बेजोड हैं विशेष कर -
जवाब देंहटाएंआतंकवादी शहीद नहीं होता, संघर्ष का दूजा नाम ही तो जवानी है...., हम बेटियों का घर ही धूप में क्यूँ ...! इस चर्चा मंच के लिये माँ सरस्वती को धय्नावाद !!
मित्रवर!आज एक विशेषता जो नज़र आई वह यह कि चर्चा को एक अभिलेख के रूप में प्रस्तुत किया और रचनाओं के शीर्षकों को उद्धरण के रूप में प्रस्तुत किया |यह एक सराहनीय कला है |
जवाब देंहटाएंसाधुवाद!!
बहुत ही खूबसूरत अंदाज में बहुत ही शानदार चर्चा,सादर आभार आदरणीय.
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक और पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएं