आज की मंगलवारीय
चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर ----------------------
क्या है ताऊ का अस्तित्व और हकीकत?
श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (५१वीं कड़ी)
काश!!
कुण्डलिया छंद -
प्रेम ही है ईश्वर
चेहरे पर चेहरा -सुश्री पुनीता सिंह की कहानी
मुस्लिम समाज की देश के प्रति निष्ठा पर संदेह क्या सही है !!
सपने और अपने..
चंदरशेखर को श्रद्दांजलि
कितना नीरस होता
पत्ते, आँगन, तुलसी माँ ..
.
"गर्मी में खरबूजे खाओ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

यूँ ही कभी-कभी सोचती हूँ
Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR -
अब "मिस्टर क्लीन" तो नहीं रहे मनमोहन !
बस यही कल्पना हर पुरुष मन की .
लघु कथा ....नारी तुम केवल श्रृद्धा हो ... डा श्याम गुप्त ...
किताबों की दुनिया - 82
Karanparyag-Nandprayag-Chamoli-Gopeshwar कर्णप्रयाग-नन्दप्रयाग-चमोली-गोपेश्वर
"जबकि मैं मौन हूँ"
आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ दोस्तों दो हफ्ते के लिए मुंबई जा रही हूँ आकर फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||
मैच फिक्सिंग: सरकार इस्तिफा दे!
आगे देखिए... "मयंक का कोना"
(1)
इतना बड़ा खुलासा. लाखों करोड़ों रुपयों का लेन देन और साथ में सेक्स स्कैंडल.
हिसाब-ए-गम का पर किस्सा, बयां मुझसे नहीं होगा.
-यादों के आंगन में उगी, क्यूँ काई नजर आती है मुझे!
(2)
एक ज्योतिषी ने एक बार कहा था
उसे वह मिलेगा सब
जो भी वह चाहेगी दिल से
उसने मांगा
पिता की सेहत,
पति की तरक्की,
बेटे की नौकरी,
बेटी का ब्याह,
एक अदद छत.
अब उसी छत पर अकेली खड़ी
सोचती है वो
क्या मिला उसे ?
ये पंडित भी कितना झूठ बोलते हैं...
उसे वह मिलेगा सब
जो भी वह चाहेगी दिल से
उसने मांगा
पिता की सेहत,
पति की तरक्की,
बेटे की नौकरी,
बेटी का ब्याह,
एक अदद छत.
अब उसी छत पर अकेली खड़ी
सोचती है वो
क्या मिला उसे ?
ये पंडित भी कितना झूठ बोलते हैं...
(3)
कबीरा खडा़ बाज़ार मेंपरVirendra Kumar Sharma.
शुभ प्रभात
ReplyDeleteशुरुआत अच्छी लगी
दीदी अच्छे लिंक्स दिये आपने इस बार भी
ओबीओ से निवेदन मेरा भी..
रचनाकार...
पाठको के बना अधूरा है
यदि पाठक और श्रोता ही न हों
तो रचनाकार किसके लिये लिखें
सच कहें तो..
जिन्दा हैं रचनाकार..
पाठकों और श्रोताओं की बदौलत
मेरी ये प्रतिक्रिया विषय से हटकर है
वो भी ओबीओ से किया गया निवेदन को पढ़कर
ये कलम आप ही चल पड़ी
क्षमा......
सादर
पठनीय और उपयोगी लिंकों से सजी सुन्दर चर्चा !!
ReplyDeleteसादर आभार !!
बहुत ही बेहतरीन लिंकों के साथ सुन्दर प्रस्तुति,सादर आभार आदरेया.
ReplyDeleteसुन्दर चित्रावली से मुखरित रंगीन चर्चा.मुझे भी सम्मिलित करने हेतु आभार.
ReplyDeleteदीदी शुभम
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिंक संजोजन
आपकी यात्रा मंगलमय हो
गुरु जी को प्रणाम
बहुत ही सुन्दर लिंक्स संजोये हैं।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर हलचल ... कई नए लिंक इल गए आज ...
ReplyDeleteआभार मुझे भी शामिल करने का ...
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार ..
ReplyDelete:) लिंक्स पसंद आए...
ReplyDeleteसुन्दर लिंक्स संयोजन...रोचक चर्चा...आभार
ReplyDeletebahut badiya
ReplyDeleteidhar bhi padhare
inditech4u.blogspot.in
www.hinditech4u.blogspot.in
ReplyDeleteबढ़िया संयोजन आज के चर्चा मंच का |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
ReplyDeleteआशा
sarthak links sanjoye hain aapne .aabhar
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रंग बिरंगी चर्चा सजी है हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी
ReplyDeleteसुव्यवस्थित चर्चा ..आभार .
ReplyDeleteबहुत सुंदर लाजबाब लिंक्स ,,बधाई
ReplyDeleteRecent post: जनता सबक सिखायेगी...
राजेश जी, सुंदर रंगों से सजी चर्चा..बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteधन्यवाद राजेश जी, सुन्दर -संयोजन....
ReplyDelete....ये पंडित भी कितना झूठ बोलते हैं बयां मुझसे नहीं होगा जुबां लडखडाये है ..फिर ख्यालों में कल्पना के फूल आये...कल्पना हर मन की हो कि नारी तुम केवल श्रृद्धा हो अतः नीरस न हो आँगन की तुलसी एवं सपने में भी कोई चेहरे पे चेहरा न चढ़ाए..मनमोहनजी बहुत गर्मी बढ़ रही है खरबूजे खाओ....ताऊजी प्रेम ही ईश्वर है प्रेम से बंदेमातरम गाओ |
पठनीय और उपयोगी लिंक .....सुन्दर चर्चा !!
ReplyDeleteदिशानिर्देशक सार्थक भावानुवाद सरल सहज पदावली में .
ReplyDeleteश्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (५१वीं कड़ी)
वाह !हरियाणा प्रदेश का नाम रोशन किया ताऊ रामपुरिया ने .भाईजान का ताउजान में बेहतरीन रूपांतरण !
ReplyDeleteॐ शान्ति
क्या है ताऊ का अस्तित्व और हकीकत?
जो भी हो तुम खुदा की कसम लाज़वाब हो .......
आज तो चकाचक चर्चा लगायी है, बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
आखिर क्यूँ कर कोई उन्हें कहे अपना
ReplyDeleteजो देते हैं यह बहाना अपनी दूरी का कि
तुम्हारे करीब लोगों का जमघट बहुत है
अपना तो वो हो जो मिले जमघट में भी
अपनों की तरह, पूरे अधिकार से
बहुत खूब !गर्म जोशी ही रिश्तों की जान है ,शान है और आन है .
जमाव रिश्तों का
बेहतरीन रचना शराब के दुखद सामाजिक पक्ष पर .
ReplyDeleteग़ज़ल : कदम डगमगाए जुबां लडखडाये
राजेशकुमारी जी ,चर्चा बढ़िया सजाई ,सबके मन भाई ,अपनी भी रचना यहाँ पाई ,हर्षित मन, काया भी हर्षाई ,आपको बधाई !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और रोचक सूत्र।
ReplyDeleteआप सभी का हार्दिक आभार मंच पर पधारकर उत्साह वर्धन करने पर शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और उपयोगी लिंक मिले आज की चर्चा में!
ReplyDelete--
बहन राजेश कुमारी जी आपकी मुम्बई की यात्रा मंगलमय हो!
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आगामी दो मंगलवार को चर्चा मैं लगा दूँगा।
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आभार!
सुंदर अंक ,आप मुंबई आ रही हैं,हमारा सौभाग्य ....आपसे मिलने का बड़ा मन है .कैसे, कहाँ मिला जा सकता है?
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