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बुधवार, मई 29, 2013

बुधवारीय चर्चा ---- 1259 सभी की अपने अपने रंग रूमानियत के संग .....!

नमस्कार मित्रों ...!
आज की बुधवारीय चर्चा में आपकी दोस्त शशि पुरवार आपका स्वागत करती है . चलिए आज हम सीधे लिंक्स की तरफ चलते है , कहीं रूमानियत .....कहीं  आस , कभी जेठ की जलन , सभी के अपने अपने रंग ......... देखिये इन फिजाओं के संग !
3

चाँद कैसा है........

अरुण कुमार निगम 
6

६. साथ नीम का

नवगीत की पाठशाला 
7

गर्मी का यह रूप

कल्पना रामानी 

आगे देखिए ..."मयंक का कोना"
(1)
Yatra, Discover Beautiful India पर  Manu Tyagi
(2)

Rhythm

कितनी ओल्ड फैशंड हो तुम इत्ती बड़ी सी बिंदी लगाती हो !!! 
कल सरे राह चलते चलते कह गयी एक महिला ...
Rhythm पर Neelima 
(3)

AAWAZ पर SACCHAI

(4)
कुचली गयी है कितनी 
जो जीवन का सरमाया है ......

उन्नयन (UNNAYANA)पर udaya veer singh

(5)
कहते हैं कि सुबह का भूला शाम को घर लौट ही आता है ..... लौट के जब घर आना ही है तो फिर ? वो ....घर से बाहर जाता ही क्यों है ? बार -बार ये सवाल मेरे.... दिमाग से टकराता है .....

My Expression पर  Dr.NISHA MAHARANA 

(6)
मेरी बेटी दीप्ती, जिसका विवाह 18/5/1913/संपन्न हुआ ओ प्यारी लली, 
बड़े नेहों से सींचा फूलों सी पली छोड़ बाबुल का घर ससुराल चली...

काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 

(7)

ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया

(8)
नाते -रिश्ते जैसे खड़ी दीवारें , तपती धूप में खड़ी भीगती बारिश में , सर्द हवाओं के थपेड़े झेलती ... नारी ही बांधती बन कर छत की तरह सभी रिश्ते -नाते ...

नयी उड़ान पर उपासना सियाग 

(9)
इस आयोजन में हिन्दोस्तां के नामचीह्न शायर और वयोवृद्ध गीतकार गोपालदास नीरज भी उपस्थित थे इस अवसर पर मैं (डॉ,रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') ने श्री राज्यपाल को अपनी चार पुस्तकें "सुख का सूरज", "धरा के रंग", हँसता-गाता बचपन" और "नन्हे सुमन" भी भेंट करते हुए अपना काव्यपाठ भी किया...

30 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात शशि बहन
    अपेक्षा से बेहतर लिंक्स
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शशि पुरवार जी!
    आपने बुधवारीय चर्चा ---- 1259 सभी की अपने अपने रंग रूमानियत के संग .....! में सुन्दर और सहज पठनीय लिंकों की चर्चा की है!
    आभार के साथ...सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर सुंदर सूत्रों के रंगो से चर्चा है आज सरोबार
    उल्लूक का सूत्र भी एक लाने के लिये आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. @ खटीमा.....

    खटीमा में इस शानदार आयोजन के लिये बहुत-बहुत बधाई.महान कवि परम आदरणीय गोपाल दास नीरज जी पर उनके क्लोज-अप फोटो के साथ एक विशेषांक पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी.

    जवाब देंहटाएं
  5. @ ओ प्यारी लली...

    बीते तेरे जीवन की घड़ियाँ
    आराम की ठंडी छावों में
    काँटा भी न चुभने पाये कभी
    मेरी लाडली तेरे पाँवों में

    बिटिया को शुभ-आशीष...

    जवाब देंहटाएं


  6. @ प्रिय अरुण अनंत....

    प्यार का रोग दिल लगा लाया,

    दर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,

    कौन बोला कि दिल लगा लाया

    मुफ्त में दर्द को बढ़ा लाया.......................क्या करें , होता है, होता है...

    याद में डूब मैं सनम खुद को,

    रात भर नींद में जगा लाया,

    मैं तो डूबा तुझे न बख्शूंगा

    नाव मँझधार में फँसा लाया....................आशिकी का मजा तभी है जब--दोनों तरफ हो आग बराबर लगी हुई...........

    तुम ही से जिंदगी दिवाने की,

    साथ मरने तलक लिखा लाया,

    बोल शुभ-शुभ मगर जरा हौले

    भ्रात बल्ला नया-नया लाया....................भाई सुन लेगा तो हसरत अभ्भी ही पूरी कर देगा...............

    चाँद तारों के शहर में तुमसे,

    फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया,

    प्यार का मर्म इसको कहते हैं

    एक ही घूँट ने नशा लाया........................इस हालिएगज़ल वजनदार शेर के लिए दिली मुबारकबाद............

    तेरी अँखियों से लूट कर काजल,

    मेघा घनघोर है घटा लाया.

    मोर नाचा हृदय के उपवन में

    मोरनी साथ में बुला लाया.......................काजली घटा की छटा देख कर मन का मोर झूम उठा...................

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. bahut sundar gazal, bahut bahut badhai Arun beta

      हटाएं
    2. हार्दिक आभार आदरणीय गुरुदेव श्री आपका अनमोल मनोहारी प्रतिउत्तर रचना में चार चाँद लगा दिए, सच कहूँ तो ग़ज़ल अधूरी थी अब जाकर पूर्ण हुई है. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये.

      हटाएं
  7. मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए आभार शास्त्री जी,,

    Recent post: ओ प्यारी लली,

    जवाब देंहटाएं
  8. @ मेरी आस में तू....

    इतना ठहराव.....न मुझे पसंद न तुम्‍हें......फि‍र क्‍यों बांध गए मुझे ऐसे अग्‍नि‍पाश से.....कि जल जाउं....राख हो जाउं......मगर मुक्‍त न हो पाउं कभी......

    वाह!!!!!!!!!!!! उद्गार प्रस्तुतिकरण की विलक्षण शैली

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रि‍या अरूण जी....जो आपको पसंद आई मेरी अभि‍व्‍यक्‍ति

      हटाएं
  9. @ जेठ-मास...........

    स्मृतियों के उजले वादे
    सुबह-सुबह ही आते
    भरे जलाशय शाम तलक
    मन के सूखे जाते
    आशाओं के बाग़ खिले जब
    बूंद टपकती जेठ मास में------

    ज्येष्ठ मास का सुंदर वर्णन, तन मन तपन सभी चित्रित हुए.............

    जवाब देंहटाएं
  10. @ धड़कनों को......

    जीवन का मूल-मंत्र सिखाती हुई सार्थक पंक्तियाँ

    धड़कनों को जिंदा रखना है तो पहन हँसी का जेवर,
    ये वही है जो मुश्किल दौर में भी जीना सिखा देता है ।

    जवाब देंहटाएं
  11. पठनीय सूत्रों से सजी सुन्दर चर्चा के लिए आभार !!

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  12. बहुत बढिया लिंक संयोजन सार्थक चर्चा

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  13. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय मयंक जी मेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  15. मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए आभार शास्त्री जी,बहुत सुंदर लिंक्स,सादर

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  16. सुंदर सूत्रों से सजा चर्चामंच शशि जी ! आभार आपका इतने अच्छे लिंक्स के लिये !

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  17. बहुत सुंदर लिंक्‍स सजा है आज तो....भरपूर प्‍यार...मेरी रचना शामि‍ल करने के लि‍ए आभार

    जवाब देंहटाएं
  18. बेहतरीन लिंक्‍स एवं प्रस्‍तुति ... आभार

    जवाब देंहटाएं
  19. आदरणीया शशि पुरवार सुन्दर लिनक्स संयोजन शानदार प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार.

    जवाब देंहटाएं
  20. सभी रचनाएँ रंग विरंगी रंगोली का नज़ारा पेश करती हैं विशेषकर--
    ‘प्रगति के पँछी’,नारी ही बांधती सभी रिश्ते -नाते ...,बैट बाल मैच फ़िक्स तेल बाजार में उपलब्ध,"मयंक का कोना"

    जवाब देंहटाएं
  21. मेरी रचना इस मंच पर प्रकाशित करने हेतु धन्यवाद ! सारी रचनाएँ बहुत ही अच्छी हैं और भाँती भाँती के रंग प्रस्तुत करके रंगोली का नज़ारा पेश करती हैं !

    जवाब देंहटाएं
  22. चर्चा मंच--में बहुत सुंदर लिंक्स को सहेजा गया है
    एक से बढ़कर एक रचनायें-सभी रचनाकारों को बधाई
    शशि जी को कुशल संयोजन के लिये भी बधाई
    चर्चा मंच की पूरी टीम को साधुवाद

    मुझे सम्मलित करने का आभार

    जवाब देंहटाएं

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